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Sakhi,Kabir – Pathit Kavyansh,class 10

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साखी - कबीर

साखी - कबीर

                                                                 साखी 

 

साखी - कबीर
साखी – कबीर

                                                                 कबीर 

विडीओ एम सी क्यू – साखी

पठित काव्यांश

ऐसी बाँणी बोलिये ,मन का आपा खोइ।

अपना तन सीतल करै ,औरन कौ सुख होइ।।

 प्रश्न 1 – उपरोक्त साखी की भाषा है –

(क) ब्रजभाषा

(ख) खिचड़ी

(ग) अवधी

(घ) खड़ी बोली

 

प्रश्न 2 – ऐसी बाँणी बोलिये’ ….कैसी वाणी बोलनी चाहिए ?

(क) औरों को दुःख और अपने तन को शीतलता

(ख) अहंकार और स्वार्थ भारी

(ग) जो केवल औरों को अछी लगे

(घ) जो औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्रदान करे

 

 प्रश्न 3 – मीठी वाणी बोलने से क्या मिलता है ?

(क) औरों को दुःख और अपने तन को शीतलता

(ख) औरों को सुख और अपने तन को शीतलता

(ग) औरों को सुख और अपने तन को दुःख

(घ) सभी को कष्ट

 

प्रश्न 4 मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?               

(क) अहंकार रहित मीठे बोल सबके ह्रदय को छूते है

(ख) मिश्री गलती है

(ग) मिश्री घुलती है

(घ) मीठे बोल अच्छे नहीं लगते

 

प्रश्न 5 – यहाँ आपाका आशय है ?

(क) आपा

(ख) अहंकार

(ग) नियंत्रण

(घ) सुध – बुध

 

 उत्तर 1 – (क) ब्रजभाषा

उत्तर 2 – (घ) जो औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्रदान करे

उत्तर 3 – (ख) औरों को सुख और अपने तन को शीतलता

उत्तर 4 – (क) अहंकार रहित मीठे बोल सबके ह्रदय को छूते हैं

उत्तर 5 – (ख) अहंकार

 

 कस्तूरी कुंडली बसै ,मृग ढूँढै बन माँहि।
ऐसैं घटि- घटि राँम है , दुनियाँ देखै नाँहिं।pics

प्रश्न 1 – मृग कस्तूरी को जंगल में क्यों ढूँढता फिरता है ?

(क) कस्तूरी जंगल में पेड़ों पर उगती है।

(ख) कस्तूरी पर्वतों पर पाई जाती है।

(ग) उसे पता नहीं कि वह उसकी नाभि में है।

(घ) तीनों सही हैं।

 

प्रश्न 2 – कस्तूरी क्या है और कहाँ मिलती है?

(क) सुगंधित पदार्थ, घर में

(ख) मृग की जाति, वन में

(ग) सुगंधित पदार्थ, मृग की नाभि में

(घ) मृग की जाति, कुंडली में

 

प्रश्न 3 – ऐसैं घटि -घटि राम हैंका क्या अर्थ है –

(क) राम सबको दूसरे घाट पर पहुँचा देते हैं।

(ख) कण-कण में राम बसते हैं।

(ग) राम हर घाट में मौज़ूद हैं।

(घ) राम अयोध्या में हैं।

 

प्रश्न 4 – दुनिया क्या नहीं देख पाती ?

(क)  हिरन जंगल में घूमता-फिरता है

(ख) कस्तूरी में सुगंध कहाँ से आती है

(ग) ईश्वर उसी के हृदय में विद्यमान है

(घ) सभी अंधविश्वासी हैं

 

प्रश्न 5 – कण-कण में व्याप्त ईश्वर को हम देख क्यों नहीं पाते?

(क) मन में छिपे अहंकार के कारण

(ख) आँखें बंद होने के कारण

(ग) आँखों पर चश्मा होने के कारण

(घ) मन के कारण

 

उत्तर 1 – (ग) उसे पता नहीं कि वह उसकी नाभि में है।

उत्तर 2 – (ग) सुगंधित पदार्थ, मृग की नाभि में

उत्तर 3 – (ख) कण-कण में राम बसते हैं।

उत्तर 4 – (ग) ईश्वर उसी के हृदय में विद्यमान है

उत्तर 5 – (क) मन में छुपे अहंकार के कारण

 

जब मैं था तब हरि नहीं ,अब हरि हैं मैं नांहि।  
सब अँधियारा मिटी गया , जब दीपक देख्या माँहि।।

 

प्रश्न 1 जब मैं थामें मैंकौन है?

(क) छोटा बच्चा

(ख) कबीर

(ग) रहीम

(घ) अहम् भाव

 

प्रश्न 2 – दोहे का मुख्य भाव क्या है ?

(क) स्वार्थ का मिटना, परमार्थ भाव का जागना
(ख) मैं को त्यागो, भगवान की पूजा करो
(ग) अज्ञान भगाओ, ज्ञान लाओ
(घ) अंधियारे में मत बैठो, दीपक जलाओ

 

प्रश्न 3 – हरि के आने पर क्या हुआ ?

(क) दोनों मिल गए

(ख) अहंकार मिट गया

(ग) सब मिल गया

(घ) हरि के दर्शन हो गए

 

प्रश्न 4 – अंधियारा मिटाने का आशय हैं

(क) अज्ञान नष्ट हो गया
(ख) प्रकाश हो गया
(ग) दुख दूर हो गए
(घ) सुख मिल गया

 

प्रश्न 5 – दीपक दिखाई देने से अँधेरा कैसे मिट जाता है ?

(क) बादल दूर होते हैं
(ख) जब ज्ञान रुपी दीपक दिखाई देता है, तब अहंकार रुपी माया दूर होती है

(ग) माया दूर होती है जब ज्ञान रुपी दीपक दिखाई देता है

(घ) कोई भी नहीं

 

उत्तर 1 – (घ) अहम् भाव

उत्तर 2 – (क) स्वार्थ का मिटना, परमार्थ भाव का जागना

उत्तर 3 – (ख) अहंकार मिट गया

उत्तर 4 – (क) अज्ञान नष्ट हो गया

उत्तर 5 – (ख) जब ज्ञान रुपी दीपक दिखाई देता है तब अहंकार रुपी माया दूर होती है

 

सुखिया सब संसार है , खायै अरु सोवै।
दुखिया दास कबीर है , जागै अरु रोवै।।

 

प्रश्न 1 – कबीर के अनुसार सुखी कौन है ?

(क) सांसारिक लोग जो सोते और खाते हैं
(ख) आध्यात्मिक लोग
(ग) लालची लोग
(घ) सांसारिक लोग जो खाते हैं

 

प्रश्न 2 – कबीर के अनुसार दुखी कौन है ?

(क) आध्यात्मिक लोग
(ख) लालची लोग
(ग) जो ज्ञानी है
(घ) जो अज्ञानी है

 

प्रश्न 3 – कबीर में और संसार में क्या अंतर है?

(क) जागने और सोने का

(ख) दुखी और खुश होने का

(ग) ज्ञान और अज्ञान का

(घ) असुविधा और सुविधा का

 

प्रश्न 4 – इस दोहे में सोना किसका प्रतीक है ?

(क अज्ञान और अकर्मण्यता का
(ख) लंबी तानकर सो जाने का
(ग) चमकने वाला सोना
(घ) सोना नहीं चाहिए

 

प्रश्न 5 – जागना किसका प्रतीक है ?

(क) कार्य करना, ज्ञान और दूसरों की चिंता करना
(ख) जगे रहना
(ग) बहुत सो चुके, अब जागो
(घ) कभी नहीं जागना, सोते रहना

 

उत्तर 1 – (क) सांसारिक लोग जो सोते और खाते हैं

उत्तर 2 – (ग) जो ज्ञानी है

उत्तर 3 – (ग) ज्ञान और अज्ञान का

उत्तर 4 – (क अज्ञान और अकर्मण्यता का

उत्तर 5 – (क) कार्य करना, ज्ञान और दूसरों की चिंता करना

 

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बिरह भुवंगम तन बसै , मंत्र न लागै कोइ।
राम बियोगी ना जिवै ,जिवै तो बौरा होइ।।

 

प्रश्न 1 – ‘बिरह भुवंगम तन बसै मन्त्र न लागे कोय’ – का भाव स्पष्ट कीजिए |      

(क) किसी से बिछुड़ने का दुःख हो, तो कोई दवा या मन्त्र काम नहीं करते
(ख) मन्त्र जपने से सेहत अच्छी होती है
(ग) जब दुःख हो तो मन्त्र काम करते हैं
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 2 – राम वियोगी क्यों नहीं जी पाता ?      

(क) क्योंकि वह जीना नहीं चाहता।

(ख) क्योकि वह राम के साथ ही परधाम जाना चाहता है।

(ग) क्योकि वह राम नाम के महत्त्व और सत्य को समझ जाता है।

(घ) क्योकि वह राम क़ा प्रिय हो गया है

 

प्रश्न 3 – ‘भुवंगमशब्द का अर्थ है

(क) धरती

(ख) बिच्छू

(ग) जानवर

(घ) साँप

 

प्रश्न 4 – व्यक्ति बौरा क्यों जाता है ?

(क) सर्पदंश के असर से

(ख) राम के विरह में व्याकुल होकर

(ग) मंत्र न लगने के कारण

(घ) डर के कारण

 

प्रश्न 5 – ‘ मंत्र न लागै कोइका भाव है –

(क) साँप के काटने पर मंत्र काम नहीं करता।

(ख) साँप के काटने पर इलाज मंत्रों से ही होता हैं।

(ग) कोई मंत्र ऐसा नहीं जो ईश्वर के विरह को दूर कर सके।

(घ) मंत्र को भूल जाते हैं।

 

उत्तर 1 – (क) किसी से बिछुड़ने का दुःख हो, तो कोई दवा या मन्त्र काम नहीं करते

उत्तर 2 – (ग) क्योकि वह राम नाम के महत्त्व और सत्य को समझ जाता है।

उत्तर 3 – (घ) साँप

उत्तर 4 – (ख) राम के विरह में व्याकुल होकर

उत्तर 5 – (ग) कोई मंत्र ऐसा नहीं जो ईश्वर के विरह को दूर कर सके।

 

 

निंदक नेड़ा राखिये , आँगणि कुटी बँधाइ।
बिन साबण पाँणीं बिना , निरमल करै सुभाइ।।

 

प्रश्न 1 – निंदक को पास क्यों रखना चाहिए ?

(क) क्योंकि शास्त्रों में ऐसा लिखा है
(ख) क्योंकि निंदक अच्छे दोस्त साबित होते हैं
(ग) क्योंकि निंदक आपकी कमियाँ बताता रहता है
(घ) क्योंकि कोई और उपाय ही नहीं है

 

प्रश्न 2 – आँगणि कुटी बँधाइ’ का अर्थ है –

(क) निंदक को अपने आँगन में नहीं घुसने देना चाहिए
(ख) निंदक को अपने आँगन में थोड़ी -सी जगह देनी चाहिए
(ग) निंदक की कुटिया अपने आँगन में ही बना देनी चाहिए
(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 3 – निर्मल करे सुभाई का आशय है –

(क) सुबह को निर्मल करना

(ख) भाई की निर्मलता

(ग) स्वभाव की निर्मलता

(घ) सुबह ही निर्मल है

 

प्रश्न 4 –  साबुन और पानी के बिना स्वभाव कैसे निर्मल हो जाता है ?

(क) निंदक से अपनी आलोचना सुन कर
(ख) मन की धुलाई करके
(ग) निंदक की प्रशंसा से खुश होकर
(घ)  निंदक द्वारा साबुन और पानी का काम किए जाने पर

 

प्रश्न 5 – प्रस्तुत साखी का मुख्य भाव क्या है ?

(क) निंदक को अपने निकट रखना चाहिए
(ख) अपनी खूब निंदा करनी चाहिए
(ग) निंदक साबुन और पानी के समान होते हैं
(घ) अपनी बुराई सुनने की आदत डाल लेनी चाहिए

 

उत्तर 1 – (ग) क्योंकि निंदक आपकी कमियाँ बताता रहता है

उत्तर 2 – (ग) निंदक की कुटिया अपने आँगन में ही बना देनी चाहिए

उत्तर 3 – (ग) स्वभाव की निर्मलता

उत्तर 4 – (घ)  निंदक द्वारा साबुन और पानी का काम किए जाने पर

उत्तर 5 – (क) निंदक को अपने निकट रखना चाहिए

 

पोथी पढ़ि – पढ़ि जग मुवा , पंडित भया न कोइ।
ऐकै अषिर पीव का , पढ़ै सु पंडित होइ।

प्रश्न 1 – जग मुवा क्यों हो गया है ?

(क) पोथियाँ पढ़ -पढ़कर
(ख) अपने को विद्वान समझकर
(ग) पढ़ने से
(घ) बुढ़ापे में

 

प्रश्न 2 – पंडित से किसकी ओर संकेत है ?

(क) कर्म- कांड कराने वाला पंडित

(ख) अधिक जानने वाला

(ग) ज्ञानी , विद्वान

(घ) आम लोगों से

 

प्रश्न 3 – कबीर के अनुसार कौन ज्ञानी नहीं बन पाया ?

(क) मोटा व्यक्ति
(ख) मोटी पुस्तके पढ़ने वाला
(ग) दूसरों को ज्ञान देने वाला
(घ) अज्ञानी

 

प्रश्न 4 – ऐकै अषिर पीव का’ – का अर्थ स्पष्ट करें –

(क) एक अक्षर प्रीत का
(ख) एक नाम प्रभु का
(ग) एक ही प्रिय
(घ) ढ़ाई अक्षर प्रेम का

 

प्रश्न 5 – दोहे का मुख्य भाव क्या है ?

(क) ढेरों किताबें नहीं पढ़नी चाहिए

(ख) संसार में मूर्ख भरे पड़े हैं
(ग) प्रेम सबसे बड़ा धर्म है

(घ) ईश्वर भक्ति करनी चाहिए

 

उत्तर 1 – (क) पोथियाँ पढ़ -पढ़कर

उत्तर 2 – (ग) ज्ञानी , विद्वान

उत्तर 3 – (ख) मोटी पुस्तके पढ़ने वाला

उत्तर 4 – (क) एक अक्षर प्रीत का

उत्तर 5 – (ग) प्रेम सबसे बड़ा धर्म है

 

 

हम घर जाल्या आपणाँ , लिया मुराड़ा हाथि।
अब घर जालौं तास का, जे चलै हमारे साथि।।

 

प्रश्न 1 – घर जलाने से कवि का क्या तात्पर्य है?

(क) धन -दौलत को जलाना

(ख) परमात्मा के मार्ग को प्रकाशित करना

(ग) हमेशा त्याग के लिए तत्पर रहना

(घ) लोभ, मोह,माया,घृणा को जलाना अर्थात् समाप्त करना

 

प्रश्न 2 – यहाँ घर किसका प्रतीक है ?

(क) निवास स्थान का
(ख) विपत्तियों का
(ग) विषय-वासनाओं का

(घ) संसार का

 

प्रश्न 3 – मुराड़ा शब्द का अर्थ है –

(क) लड़ाई – झगड़ा

(ख) जलती हुई लकड़ी

(ग) आग

(घ) विषय – वासना

 

प्रश्न 4 –अब घर जालौं तास का’ अभिप्राय स्पष्ट करें –

(क) जो साथ चलेंगे उन्हें भी विषय-वासनाओं को त्यागना होगा
(ख) दूसरों के घर में आग लगाना
(ग) गृहस्थी का त्याग करना
(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 5 –  कवि कहाँ चलने को कह रहे हैं ?

(क) अपने घर

(ख) ईश्वर के पास
(ग) ज्ञान, बैराग्य और संन्यास के मार्ग पर

(घ) तीर्थ स्थान पर

 

उत्तर 1 – (घ) लोभ, मोह,माया,घृणा को जलाना अर्थात् समाप्त करना

उत्तर 2 – (ग) विषय-वासनाओं का

उत्तर 3 – (ख) जलती हुई लकड़ी

उत्तर 4 – (क) जो साथ चलेंगे उन्हें भी विषय-वासनाओं को त्यागना होगा

उत्तर 5 – (ग) ज्ञान, बैराग्य और संन्यास के मार्ग पर

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