Ek Phool Ki Chah ,Pathit Kavyansh
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एक फूल की चाह
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उद्वेलित कर अश्रु-राषियाँ ,
हृदय- चिताएँ धधकाकर ,
महा महामारी प्रचंड हो
फैल रही थी इधर- उधर।
क्षीण-कंठ मृतवत्साओं का
करुण रुदन दुर्दांत नितांत,
भरे हुआ थे निज कृष रव में
हाहाकार अपार अशांत।
बहुत रोकता था सुखिया को ,
“न जा खेलने को बाहर“
नहीं खुलना रुकता उसका
नहीं ठहरती वह पल भर।
मेरा हृदय काँप उठता था,
बाहर गई निहार उसे,
यही मनाता था कि बचा लूँ
किसी भाँति इस बार उसे।
प्रश्न 1– चारों तरफ हाहाकार क्यों मचा हुआ था ?
(क) क्योंकि मना करने के बावज़ूद सुखिया बाहर खेलने चली गई थी।
(ख) माताएँ विलाप कर रही थीं।
(ग) गाँव में महामारी फैली हुई थी।
प्रश्न 2- सुखिया का पिता सुखिया को किस लिए बाहर जाने से रोकता था ?
(क) क्योंकि वह चाहता था कि सुखिया घर में बैठकर पढ़े।
(ख) सुखिया के पिता को सुखिया का खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था।
(ग) उसे डर था कि सुखिया भी महामारी की शिकार हो जाएगी।
प्रश्न 3- माताएँ किसके वियोग में हाहाकार कर रही थीं ?
(क) अपने पतियों के वियोग में हाहाकार कर रही थीं।
(ख) बच्चों के वियोग में हाहाकार कर रही थीे।
(ग) महामारी के वियोग में हाहाकार रही थीं।
प्रश्न 4- मृतवत्साओं का क्या अर्थ है?
(क) दुबली- पतली कमज़ोर माँए ।
(ख) जिनके बच्चों की मृत्यु हो चुकी है।
(ग) जो स्वयं बीमारी से ग्रस्त हैं और जिनकी मृत्यु होने वाली है।
प्रश्न 5- प्रस्तुत कविता के कवि हैं –
(क) सियाराम शरण गुप्त
(ख) रामधारी सिंह दिनकर
(ख) अरुण कमल
उत्तर 1-(ग) गाँव में महामारी फैली हुई थी।
उत्तर 2-(ग) उसे डर था कि सुखिया भी महामारी की शिकार हो जाएगी।
उत्तर 3-(ख) बच्चों के वियोग में हाहाकार कर रही थीे।
उत्तर 4-(ख) जिनके बच्चों की मृत्यु हो चुकी है।
उत्तर 5-(क) सियाराम शरण गुप्त
भीतर जो डर रहा छिपाए,
हाय! वही बाहर आया।
एक दिवस सुखिया के तनु को
ताप तप्त मैंने पाया।
ज्वर में विह्नल हो बोली वह,
क्या जानूँ किस डर से डर,
मुझको देवी के प्रसाद का
एक फूल ही दो लाकर।
क्रमशः कंठ क्षीण हो आया।
शिथिल हुए अवयव सारे,
बैठा था नव- नव उपाय की
चिंता में मैं मनमारे।
जान सका न प्रभात सजग से
हुई अलस कब दोपहरी,
स्वर्ण घनों में कब रवि डूबा,
कब आई संध्या गहरी।
प्रश्न 1- सुखिया के पिता के हृदय में क्या डर बैठा हुआ था ?
(क) सुखिया भी महामारी से ग्रस्त हो जाएगी।
(ख) सुखिया को चोट लग जाएगी।
(ग) बाहर खेलने जाएगी तो सुखिया खो जाएगी।
प्रश्न 2- ज्वर से तड़पते हुए सुखिया ने क्या कहा ?
(क) कि मुझे बहुत डर लग रहा है।
(ख) मुझे बहुत डर लग रहा है।
(ग) मुझे देवी के प्रसाद का एक फूल जाकर दो।
प्रश्न 3- सुखिया के पास बैठे उसके पिता की कैसी स्थिति हो रही थी ?
(क) वह बहुत दुखी था, चिंतित था और मन मारे बैठा था।
(ख) वह असमंजस में था।
(ग) वह सुखिया को ज्वर से तड़पता हुआ देख रहा था।
प्रश्न 4- सुखिया का पिता मन मारकर क्यों बैठा था ?
(क) क्योंकि वह बहुत चिंतित था।
(ख) सुखिया को बचाने का कोई उपाय उसे नज़र नही आ रहा था।
(ग) वह सुखिया को बचाने के लिए तरह तरह के उपाय सोच रहा था।
प्रश्न 5- घनों को स्वर्ण क्यों बताया गया है ?
(क) क्योंकि घन स्वर्ण के बने हैं।
(ख) क्योंकि घन पीले रंग के होते हैं।
(ग) क्योकि संध्या के समय सूर्यास्त के कारण आकाष मे बादल सुनहरे दिखाई देते हैं।
उत्तर 1-(क) सुखिया भी महामारी से ग्रस्त हो जाएगी।
उत्तर 2-(ग) मुझे देवी के प्रसाद का एक फूल जाकर दो।
उत्तर 3-(क) वह बहुत दुखी था, चिंतित था और मन मारे बैठा था।
उत्तर 4-(ख) सुखिया को बचाने का कोई उपाय उसे नज़र नही आ रहा था।
उत्तर 5-(ग) वह सुखिया को बचाने के लिए तरह तरह के उपाय सोच रहा था।
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ऊॅंचे शैल शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल
स्वर्ण कलुश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि कर जाल।
दीप- धूप से आमोदित था
मंदिर का आँगन सारा,
गूँज रही थी भीतर बाहर
मुखरित उत्सव की धारा।
भक्त -वृंद मृदु- मधुर कंठ में
गाते थे सभक्ति मृदु- मय,-
’पतित- तारिणी पाप- हारिणी,
माता- तेरी जय- जय- जय!‘
पतित- तारिणी, तेरी जय- जय-
मेरे मुख से भी निकला,
बिना बढ़े ही मैं आगे को
जाने किस बल से ढिकला।
प्रश्न 1- मंदिर कहाँ था और कैसा था ?
(क) मंदिर घाटी में था और बहुत छोटा सा था।
(ख) मंदिर पर्वत शिखर पर था और बहुत बड़ा और स्वर्ण कलश से सुसज्जित था।
(ग) मंदिर गाँव में था और भक्ति व उल्लास से परिपूर्ण था।
प्रश्न 2- मंदिर के वातावरण का सुखिया के पिता पर क्या असर पड़ा ?
(क) वह माता की भक्ति के गीत गाने लगा।
(ख) वह सुखिया के ठीक होने की प्रार्थना करने लगा।
(ग) वह भावविभोर होकर, भक्ति रस में डूबकर भक्तों की भीड़ के साथ देवी के समीप पहुँच गया।
प्रश्न 3- मंदिर में भक्तजन क्या कर रहे थे ?
(क) नाच रहे थे।
(ख) ढोल बजा रहे थे।
(ग) भजन गा रहे थे।
प्रश्न 4- प्रस्तुत काव्यांश में ……और…….. अलंकार हैं –
(क) अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाष अलंकार
(ख) अतिश्योक्ति और उपमा अलंकार
(ग) अंत्यानुप्रास और अनुप्रास अलंकार
प्रश्न 5- मंदिर किसकी सुगंध से महक रहा था ?
(क) फूलो की सुगंध से।
(ख) प्रसाद की सुगंध से।
(ग) धूप और दीप की सुगंध से।
उत्तर 1-(ख) मंदिर पर्वत शिखर पर था और बहुत बड़ा और स्वर्ण कलश से सुसज्जित था।
उत्तर 2-(ग) वह भावविभोर होकर, भक्ति रस में डूबकर भक्तों की भीड़ के साथ देवी के समीप पहुँच गया।
उत्तर 3-(ग) भजन गा रहे थे।
उत्तर 4-(क) अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाष अलंकार
उत्तर 5-(ग) धूप और दीप की सुगंध से।
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मेरे दीप फूल लेकर वे
अंबा को अर्पित करके
दिया पुजारी ने प्रसाद जब
आगे को अंजलि भरके,
भूल गया उसका लेना झट,
परम- लाभ सा पाकर मैं।
सोचा- बेटी को माँ के ये
पुण्य- पुष्प दूँ जाकर मैं।
सिंह पौर तक भी आँगन से
नहीं पहुँचने मैं पाया,
सहसा यह सुन पड़ा कि – ‘कैसे
यह अछूत भीतर आया ?
पकड़ो, देखो भाग न जावे,
बना धूर्त यह है कैसा ,
साफ- स्वच्छ परिधान किए है,
भले मनुष्यों के जैसा।
प्रश्न 1- कवि का नाम लिखिए।
(क) रामधारी सिंह दिनकर
(ख) अरुण कमल
(ग) सियारामशरण गुप्त
(घ) महादेवी वर्मा
प्रश्न 2- सुखिया का पिता पुजारी से प्रसाद लेना क्यों भूल गया ?
(क) उसे लगा उसकी मनोकामना पूरी हो गई, अब उसकी बेटी ठीक हो जाएगी। घर जाने
की जल्दी मे वह प्रसाद लेना भूल गया।
(ख) उसे लगा उसकी उसकी बेटी स्वयं ठीक हो जाएगी इसी कारण वह प्रसाद लेना भूल गया।
(ग) वह नास्तिक था और घर जाने की जल्दी मे वह प्रसाद लेना भूल गया।
(घ) उसे अपनी बेटी की बहुत चिंता थी, वह घर जाना चाहता था। घर जाने की जल्दी मे वह प्रसाद लेना भूल गया।
प्रश्न 3- सुखिया का पिता सुखिया को क्या देने की सोच रहा था ?
(क) खिलौने
(ख) फल और फूल
(ग) कपड़े
(घ) पुण्य- पुष्प
प्रश्न 4- मंदिर में स्थित भक्तजनों ने जब सुखिया के पिता को देखा तो वे क्या कहने लगे ?
(क) कि यह तो सुखिया का पिता है, इसे प्रसाद दे दो।
(ख) यह अछूत है इसे प्रसाद मत दो।
(ग) यह अछूत मंदिर के अंदर कैसे आ गया। यह भद्रपुरुशों जैसे स्वच्छ वस्त्र पहनकर कैसा धूर्त बन रहा है।
(घ) यह बिना आज्ञा के मंदिर में आ गया है इसे मारो।
प्रश्न 5- सुखिया के पिता ने कैसे वस्त्र धारण कर रखे थे ?
(क) सुखिया के पिता ने बहुत गंदे वस्त्र पहन रखे थे।
(ख) सुखिया के पिता ने रंग बिरंगे वस्त्र पहन रखे थे।
(ग) सुखिया के पिता ने सफेद वस्त्र पहन रखे थे।
(घ) सुखिया के पिता ने साफ- स्वच्छ, भद्र पुरुशों जैसे वस्त्र पहन रखे थे।
उत्तर 1-(ग) सियारामशरण गुप्त
उत्तर 2-(क) उसे लगा उसकी मनोकामना पूरी हो गई, अब उसकी बेटी ठीक हो जाएगी। घर जाने की जल्दी मे वह प्रसाद लेना भूल गया।
उत्तर 3-(घ) पुण्य- पुष्प
उत्तर 4-(ग) यह अछूत मंदिर के अंदर कैसे आ गया। यह भद्रपुरुशों जैसे स्वच्छ वस्त्र पहनकर कैसा धूर्त बन रहा है।
उत्तर 5-(घ) सुखिया के पिता ने साफ- स्वच्छ, भद्र पुरुशों जैसे वस्त्र पहन रखे थे।
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पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी,
कलुषित कर दी है मंदिर की
चिरकालिक शुचिता सारी।
ऐं, क्या मेरा कलुष बड़ा है
देवी की गरिमा से भी,
किसी बात में हूँ मैं आगे,
माता की महिमा के भी ?
माॅं के भक्त हुए तुम कैसे,
करके यह विचार खोटा ?
माँ के सम्मुख ही माँ का तुम
गौरव करते हो छोटा।
कुछ न सुना भक्तों ने, झट से
मुझे घेरकर पकड़ लिया,
मार- मारकर मुक्के घूँसे
धम से नीचे गिरा दिया।
प्रश्न 1- भक्तजन सुखिया के पिता को क्या क्या कहने लगे ?
(क) उसे मंदिर में नहीं आना चाहिए था।
(ख) तुमने मंदिर की पवित्रता को नष्ट कर दिया है।
(ग) तुमने माँ का गौरव नष्ट कर दिया है।
(घ) तुम्हें मंदिर में आने का अधिकार नहीं है।
प्रश्न 2-’ऐं मेरा कलुष बड़ा है, देवी की गरिमा से भी‘ इस पंक्ति में सुखिया के पिता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?
(क) कि सुखिया के पिता का कलुष देवी की महिमा से बड़ा है।
(ख) सुखिया के पिता का कलुष माँ की महिमा से बड़ा नहीं है।
(ग) सुखिया के पिता के कलुष सामने माँ की महिमा भी कम है।
(घ) सुखिया के पिता का कलुष देवी की महिमा के बराबर है।
प्रश्न 3- भक्तों द्वारा सुखिया के पिता को पीटना किस मनोवृत्ति का परिचायक है ?
(क) कि भक्त अत्याचारी हैं।
(ख) भक्त अंधविश्वासी हैं।
(ग) भक्तों को पसंद नहीं कि कोई गरीब व्यक्ति मंदिर में आए।
(घ) भक्त नहीं चाहते कोई अछूत स्वच्छ वस्त्र पहनकर अच्छा लगे।
प्रश्न 4- अंत में भक्तों ने सुखिया के पिता के साथ क्या किया ?
(क) भक्त सुखिया के पिता को सम्मान सहित मंदिर में ले गए।
(ख) उन्होने सुखिया के पिता को घेरकर पकड़ लिया और घुसें मुक्के मार मारकर उसे नीचे गिरा दिया।
(ग) उसे पकड़कर बहुत मारा और कमरे में बंद दिया।
(घ) उसका बहुत आदर सत्कार किया और प्रसाद भी दिया।
उत्तर 1-(ख) तुमने मंदिर की पवित्रता को नष्ट कर दिया है।
उत्तर 2-(ख) सुखिया के पिता का कलुष माँ की महिमा से बड़ा नहीं है।
उत्तर 3-(ख) भक्त अंधविश्वासी हैं।
उत्तर 4-(ख) उन्होने सुखिया के पिता को घेरकर पकड़ लिया और घुसें मुक्के मार मारकर उसे नीचे गिरा दिया।
मेरे हाथों से प्रसाद भी
बिखर गया हा ! सबका सब,
हाय ! अभागी बेटी तुझ तक
कैसे पहुॅंच सके यह अब।
न्यायालय ले गए मुझे वे,
सात दिवस का दंड विधान
मुझको हुआ, हुआ था मुझसे
देवी का महान अपमान।
मैंने स्वीकृत किया दंड वह
षीष झुुकाकर चुप ही रह
उस असीम अभियोग, दोश का
क्या उत्तर देता, क्या कह ?
सात रोज ही रहा जेल में
या कि वहाॅं सदियाॅं बीतीं,
अविश्रांत बरसा करके भी
आॅंखें तनिक नहीं रोंती।
प्रश्न 1- कवि का नाम लिखिए।
(क) रामधारी सिंह दिनकर
(ख) अरुण कमल
(ग) सियारामशरण गुप्त
(घ) महादेवी वर्मा
प्रश्न 2- भक्त सुखिया के पिता को न्यायालय क्यों ले गए ?
(क) क्योंकि वे सुखिया के पिता ने न्यायालय नहीं देखा था।
(ख) वे सुखिया के पिता को सजा दिलवाना चाहते थे।
(ग) वे सुखिया के पिता को दिखाना चाहते थे कि वे कितने ताकतवर हैं।
(घ) वे सुखिया के पिता को वकील बनाना चाहते थे।
प्रश्न 3- सुखिया के पिता को कितने दिन का दंड मिला ?
(क) उम्रकैद (ख) एक दिन (ग) दस दिन (घ) सात दिन
प्रश्न 4- सुखिया के पिता को जेल के सात दिन सदियों केी भांति क्यों लगे ?
(क) क्योंकि सुखिया महामारी का शिकार हो गई थी इसलिए सुखिया का पिता बहुत चिंतित था।
(ख) क्योंकि जेल में बहुत अंधेरा था ,दिन और रात का अंतर ही नहीं पता चल रहा था।
(ग) क्योकि वह सारा दिन खाली रहता था और समय काटना उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था।
(घ) उसे अपने परिवार की बहुत याद आ रही थी।
उत्तर 1-(ग) सियारामशरण गुप्त
उत्तर 2-(ख) वे सुखिया के पिता को सजा दिलवाना चाहते थे।
उत्तर 3-(घ) सात दिन
उत्तर 4-(क) क्योंकि सुखिया महामारी का शिकार हो गई थी इसलिए सुखिया का पिता बहुत चिंतित था।
दंड भोगकर जब मैं छूटा,
पैर न उठते थे घर को,
पीछे ठेल रहा था कोई
भय- जर्जर तनु पंजर को।
पहले की सी लेने मुझको
नहीं दौड़कर आई वह,
उलझी हुई खेल में ही हा !
अबकी दी न दिखाई वह।
उसे देखने मरघट को ही
गया दौड़ता हुआ वहाँ,
मेरे परिचित बंधु प्रथम ही
फँूक चुके थे उसे जहाँ ।
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी,
हाय ! फूल सी कोमल बच्ची
हुई राख की थी ढेरी।
अंतिम बार गोद में बेटी,
तुझको ले न सका हा !
एक फूल माँ के प्रसाद का
तुझको दे न सका मैं हा !
प्रश्न 1- कवि का नाम लिखिए।
(क) रामधारी सिंह दिनकर
(ख) अरुण कमल
(ग) सियारामशरण गुप्त
(घ) महादेवी वर्मा
प्रश्न 2- सुखिया के पिता के कदम अपने घर की ओर क्यों नहीं बढ़ रहे थे ?
(क) क्योकि वह घर नहीं जाना चाहता था।
(ख) क्योंकि उसके मन में आशंका उठ रही थी कि उसकी बेटी कहीं महामारी का शिकार न
हो गई हो ।
(ग) क्योंकि उसे डर था कि घर पहुँचने पर घर वाले उसे बहुत डाँटेंगें कि वह समय पर घर
नहीं आया।
(घ) क्योकि घर जाकर उसे बहुत सारा काम करना था।
प्रश्न 3- सुखिया के पिता ने शमशान भूमि में जाकर क्या देखा ?
(क) कि उसकी फूल सी बेटी राख की ढेरी बन चुकी है।
(ख) कि उसकी बेटी वहाँ अकेली खड़ी रो रही है।
(ग) कि वहाँ कोई भी नहीं है।
(घ) कि वहाँ खड़े सभी लोग रो रहे हैं।
प्रश्न 4- सुखिया के पिता को सबसे अधिक पश्चाताप किस बात का था ?
(क) कि वह अपनी बेटी के लिए कुछ भी नहीं कर पाया।
(ख) कि उसने अपनी बेटी की ठीक से देखभाल नही की।
(ग) कि उसकी बेटी जो चाहती थी वह उसे वो सब नहीं दे पाया।
(घ) कि वह अपनी बेटी को अंतिम बार गोद में नहीं ले पाया और उसकी एक फूल की चाह भी पूरी नहीं कर पाया।
प्रश्न 5- प्रस्तुत काव्यांश में से अलंकार छाँटकर लिखिए।
(क) अंत्यानुप्रास
(ख) अनुप्रास
(ग) यमक
(घ) उपमा
उत्तर 1-(ग) सियारामशरण गुप्त
उत्तर 2-(ख) क्योंकि उसके मन में आशंका उठ रही थी कि उसकी बेटी कहीं महामारी का शिकार न हो गई हो
उत्तर 3-(क) कि उसकी फूल सी बेटी राख की ढेरी बन चुकी है।
उत्तर 4-(घ) कि वह अपनी बेटी को अंतिम बार गोद में नहीं ले पाया और उसकी एक फूल की चाह भी पूरी नहीं कर पाया।
उत्तर 5-(ख) अनुप्रास
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