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Dharm Ki Aad, Pathit Gadyansh,Class 9,Sparsh

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पाठ - धर्म की आड़

पाठ - धर्म की आड़

पाठ - धर्म की आड़
पाठ – धर्म की आड़

      

 

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 1.साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह बैठी हुई है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए प्राण तक दे देना वाज़िब है । बेचारा साधारण आदमी धर्म के तत्वों को क्या जाने ? लकीर पीटते रहना ही वह अपना धर्म समझता है । उसकी इस अवस्था से चालाक लोग इस समय बहुत बेजा फ़ायदा उठा रहे हैं ।

पश्चात्य देशों में, धनी लोगों की, गरीब मज़दूरों की झोंपड़ी का मज़ाक उड़ाती हुई अट्टालिकाएँ आकाश में बातें करती है । गरीबों की कमाई ही से वे मोटे पड़ते हैं, और उसी के बल से, वे सदा इस बात का प्रयास करते हैं कि गरीब सदा चूसे जाते रहें । यह भयंकर अवस्था है । इसी के कारण, साम्यवाद, बोल्शेवि़ज्म  का जन्म हुआ ।

 

प्रश्न 1– पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।

(क) शरद जोशी                      

(ख) गणेशशंकर विद्यार्थी

(ग) महादेवी वर्मा                     

(घ) बचेंद्री पाल

 

प्रश्न 2- धर्म के तत्वों को कौन नही जानता ?

(क) चालक आदमी

(ख) स्वार्थी लोग

(ग) गरीब आदमी

(घ) बेचारा साधारण आदमी

                         

प्रश्न 3- चालाक लोग कैसे लोगों से फायदा उठाते हैं ?

(क) सीधे-सादे लोगों का                     

(ख) चालाक लोगों का

(ग) साधारण आदमी का                    

(घ)  राजनेताओं का

 

प्रश्न 4- पाश्चात्य देशों में क्या हो रहा है ?

(क) बहुत ही उन्नति हो रही है।              

(ख) जनसंख्या बढ़ रही है।

(ग) धन के आधार पर भेदभाव किया जाता है।       

(घ) कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

 

प्रश्न 5- गरीबों के चूसे जाने का क्या परिणाम हुआ ?

(क) गरीब और गरीब हो गए।           

(ख) अमीर-गरीब का भेदभाव समाप्त हो गया। 

(ग) अमीरों ने गरीबों का शोषण बंद कर दिया।       

(घ) साम्यवाद, बोल्शेविज़्म का जन्म हुआ। 

 

उत्तर 1-(ख) गणेशशंकर विद्यार्थी

उत्तर 2-(घ) बेचारा साधारण आदमी

उत्तर 3-(क) सीधे-सादे लोगों का    

उत्तर 4-(ग) धन के आधार पर भेदभाव किया जाता है।

उत्तर 5-(क) गरीब और गरीब हो गए।         

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2.हमारे देश में, इस समय, धनपतियों का इतना ज़ोर नहीं है । यहाँ धर्म के नाम पर, कुछ इने-गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए, करोड़ों आदमियों की शक्ति का दुरूपयोग किया करते हैं । गरीबों का धनाढ्यों द्वारा चूसा जाना इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा यह है कि वहाँ है धन की मार, यहाँ है बुद्धि की मार ।

वहाँ धन दिखाकर करोड़ों को वश में किया जाता है, और फिर मन-माना धन पैदा करने के लिए जोत दिया दिया जाता है । यहाँ है बुद्धि पर पर्दा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना ।

 

प्रश्न 1- हमारे देश में धर्म के नाम पर क्या कुछ हो रहा है ?

(क) उत्पात हो रहा है।           

(ख) करोड़ों लोगों को वश में किया जाता है।

(ग) धनवान लोग इनका फायदा उठाते हैं।

(घ)  उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 2- लेखक ने किस चीज़ को अधिक बुरा माना है ?

(क) पाश्चात्य देशों में धनी लोगों का बोलबाला        

(ख) अपने देश में बुद्धि पर मार

(ग) पाश्चात्य देशों में धन की मार यहाँ बुद्धि पर मार  

(घ) धन दिखाकर करोड़ों को वश में करना

 

प्रश्न 3- पाश्चात्य देशों में धनी लोग क्या करते हैं ?

(क) धन के आधार पर लोगों का शोषण        

(ख) गरीबों को धन दिखाकर वश में करना

(ग) रंग के आधार पर भेदभाव               

(घ) गरीबों से बहुत काम करवाया जाता है।

 

प्रश्न 4- हमारे देश में धर्म के ठेकेदार मूर्ख लोगों को किस प्रकार बहकाते हैं ?

(क) शोषण का भय दिखाकर            

(ख) गरीबी का भय दिखाकर

(ग) धर्म का भय दिखाकर                   

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 5- कुछ बड़े लोग किसलिए लोगों को बहकाते हैं ?

(क) अपना काम निकलवाने के लिए           

(ख) अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए

(ग) दूसरों से काम निकलवाने के लिए         

(घ) दूसरों का दुरुपयोग करने के लिए 

 

उत्तर 1-(घ)  उपरोक्त सभी

उत्तर 2-(घ) धन दिखाकर करोड़ों को वश में करना

उत्तर 3- क) धन के आधार पर लोगों का शोषण      

उत्तर 4-(ग) धर्म का भय दिखाकर  

उत्तर 5-(ख) अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए

 

3.धर्म की उपासना के मार्ग में कोई भी रूकावट न हो । जिसका मन जिस प्रकार चाहे, उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगावे । धर्म और ईमान, मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच का सम्बन्ध हो, आत्मा को शद्ध करने और ऊँचे उठाने का साधन हो । वह, किसी दशा में भी, किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने या कुचलने का साधन न बने ।

आपका मन चाहे, उस तरह का धर्म आप मानें, और दूसरों का मन चाहे, उस प्रकार का धर्म वह माने । दो भिन्न धर्मों के मानने वालों के टकरा जाने के लिए कोई भी स्थान न हो । यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं ज़बरदस्ती टाँग अड़ाते हों, तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाए।

 

प्रश्न 1- लेखक ने धर्म और ईमान को मन का सौदा क्यों कहा है ?

(क) क्योंकि जिसका मन चाहे वह उस धर्म को माने   

(ख) क्योंकि धर्म अपने आप बनता है।

(ग) क्योंकि सबका अपना-अपना धर्म है।       

(घ) क्योंकि धर्म के आधार पर भेदभाव होता है।

 

 

प्रश्न 2- धर्म क्या होना चाहिए ?

(क) अलग-अलग होना चाहिए।          

(ख) मन का सौदा होना चाहिए।

(ग) सबका एक जैसा होना चाहिए।            

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 5- आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचे उठाने का साधन क्या होगा?

(क) धर्म की उपासना

(ख) ईश्वर और आत्मा

(ग) पूजा-पाठ  

(घ) धर्म और ईमान

 

 

प्रश्न 3- किस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाना चाहिए ।

(क) जो दूसरों के धर्म को कुचलें              

(ख) जो दूसरों के धर्म को बदलें

(ग) जो दूसरों के धर्म में जबरदस्ती टाँग अड़ाते हों    

(घ) जो दूसरों के धर्म को न मानें

 

प्रश्न 4- आज देश में बढ़ने वाले झगड़ों का क्या कारण है?

(क) सच्चाई      (ख) खुरापात     (ग) धर्म        (घ) ईमान

 

 

उत्तर 1-(क) क्योंकि जिसका मन चाहे वह उस धर्म को माने

उत्तर 2- (ख) मन का सौदा होना चाहिए।

उत्तर 3-(घ) धर्म और ईमान

उत्तर 4-(ग) जो दूसरों के धर्म में जबरदस्ती टाँग अड़ाते हों  

उत्तर 5-(ग) धर्म

 

4.अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दबाने और नमाज़ पढ़ने का नाम धर्म नहीं है । शुद्धाचरण और सदाचार ही धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं । दो घन्टे तक बैठकर पूजा कीजिए और पंच वक्ता नमाज़ भी अदा कीजिए, परन्तु ईश्वर को इस प्रकार रिश्वत के दे चुकने के पश्चात्, यदि आप अपने को दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ़ पहुँचाने के लिए आज़ाद समझते हैं तो, इस धर्म को, अब आगे आने वाला समय कदापि नहीं टिकने देगा ।

अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी । सबके कल्याण की दृष्टि से, आपको अपने आचरण को सुधारना पड़ेगा और यदि आप अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री आपको देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देशभर में उत्पातों का कीचड़ उछालने के लिए आज़ाद न छोड़ सकेगी।

 

प्रश्न 1- लेखक ने किन बाह्यडंबरों का यहाँ उल्लेख किया है ?

(क) तिलक लगाना, राम नाम जपना          

(ख) नमाज़ पढ़ना, भजन करना

(ग) अजाँ देना, शंख बजाना                  

(घ) सभी

 

प्रश्न 2- धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं ?

(क) पूजा-पाठ करना                  

(ख) शुद्ध आचरण और सदाचार

(ग) दूसरों की सहायता करना           

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 3- लेखक ने किस बात पर बल दिया है ?

(क) आचरण की शुद्धता पर             

(ख) पढ़ाई-लिखाई पर

(ग) भजन-कीर्तन पर                  

(घ) धर्म की शुद्धता पर

 

प्रश्न 4- लोग धर्म की आड़ में क्या-क्या करते हैं ?

(क) दूसरों पर अत्याचार               

(ख) बेईमानी और अत्याचार

(ग) गरीबों का शोषण            

(घ) सभी  

 

प्रश्न 5- भलमनसाहत की कसौटी क्या है?

(क) सदाचार

(ख) आपका आचरण

(ग) पूजा-पाठ करना    

(घ) सभी  

 

उत्तर 1-(घ) सभी

उत्तर 2-(ख) शुद्ध आचरण और सदाचार

उत्तर 3-(क) आचरण की शुद्धता पर     

उत्तर 4-(घ) सभी   

उत्तर 5-(ख) आपका आचरण

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