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Varn Vichar, वर्ण विचार (वर्ण,स्वर,व्यंजन,अनुस्वार, अनुनासिक,विसर्ग, अयोगवाह)

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    व्याकरण                                                     

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प्रश्न 1- वर्ण विचार किसे कहते हैं ?

उत्तर - वर्ण विचार व्याकरण के उस भाग को  कहते हैं,जिसमें वर्णों के आकार, भेद, 
उच्चारण तथा उनके मेल से शब्द बनाने के नियमों का निरूपण होता है|

 

प्रश्न 2- वर्ण क्या है?

उत्तर – भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है। इसके और टुकड़े नहीं हो सकते। बोलने-सुनने में जो ध्वनि है, लिखने-पढ़ने में वह वर्ण है।
वर्ण शब्द का प्रयोग ध्वनि और ध्वनि-चिह्न दोनों के लिए होता है। इस तरह वर्ण भाषा के मौखिक और लिखित दोनो रूपों के प्रतीक हैं। 

अतः हम वर्ण की परिभाषा इस प्रकार दे सकते हैं- वर्ण वह ध्वनि है जिसके और खंड नहीं किए जा सकते।

 

प्रश्न 3- वर्णमाला किसे कहते हैं?

उत्तर – किसी भाषा के सभी वर्गों के व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध समूह को उसकी वर्णमाला कहते हैं।

हिंदी वर्णमाला में संयुक्त व्यंजनों सहित 52 वर्ण हैं। संयुक्त वर्ण दो वर्णों के मेल से बनते हैं इसलिए कुछ विद्वान इन्हें अलग से वर्णमाला में शामिल नहीं करते।संयुक्त वर्णों को वर्णमाला में न जोड़ने पर वर्णों की संख्या अड़तालीस मानी जाती है।

 

प्रश्न 4- हिंदी वर्णमाला के कितने प्रकार हैं?

 उत्तर – हिंदी वर्णमाला  में वर्ण दो प्रकार के होते हैं –

(i) स्वर

(ii) व्यंजन

 

प्रश्न 5- स्वर किसे कहते हैं?

उत्तर – जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है अर्थात जिन वर्णों के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती  उन्हें स्वर कहते हैं ।

 

प्रश्न 6- हिंदी वर्णमाला में कितने और कौन कौन से स्वर हैं?

हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर हैं-   

, ,, ,, , ,, ,, , 2 आयोगवाह हैंअं, अः

 

प्रश्न 7स्वरों की विशेषताएँ बताइए।

  • स्वर स्वतंत्र ध्वनि माने जाते हैं।
  • स्वर व्यंजनों के उच्चारण में मदद करते हैं।
  • इन के उच्चारण में हवा मुँह से बिना किसी रुकावट के बाहर आती है।
  • स्वरों का प्रयोग दो रूपों में किया जाता है  –
  • व्यंजन से पहले अपने मूल रूप में जैसे-आज़ादी , ईमान, एकता आदि।
  • व्यंजन के बाद मात्रा के रूप में जैसे –चार (च +आ), कील (क + ई ) आदि।

 

प्रश्न 8स्वर के कितने भेद होते हैं ?

उत्तर – स्वर के तीन भेद होते हैं –

1.ह्रस्व स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है, उन्हें

 ह्रस्व स्वर कहा जाता है। ये चार हैं- अ, इ, उ, ऋ।

2.दीर्घ स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से लगभग दुगुना समय लगता है, वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं। ये सात हैं– , आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

3.प्लुत स्वर- प्लुत स्वर का प्रयोग अब चलन में नहीं है।जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लगता हैं, वे प्लुत स्वर कहलाते हैं; जैसे-ओउम्। इसका प्रयोग बहुत कम होता है ,इसका आकार अंग्रेजी के एस ऽ की तरह होता है। किसी को पुकारने में आवाज को लंबा खींचने के लिए , इसे लगाने का चलन आज भी है ।जैसे- ए ऽऽ , ए ऽऽऽ आदि।

 

प्रश्न 9अनुस्वार किसे कहते हैं?

उत्तर – जिस स्वर के उच्चारण में हवा केवल नाक से निकलती है, उसे अनुस्वार कहते हैं,इस ध्वनि का उच्चारण न् या म् के  समान होता है । जैसे- संत , गंगा , चंपा आदि।

(बिंदी यानी अनुस्वार की ध्वनि सीखने के लिए केवल तीन वर्ण याद रखें न् , म् , अं ) किसी शब्द में यही वर्ण जिस स्वर के बाद सुनाई दे  उसके ऊपर नियमानुसार बिंदी लगा देनी चाहिए।

जैसे स न त ( संत), च म पा ( चंपा), क अं घी ( कंघी) आदि।

न् , म् की ध्वनि के बाद यदि य,र,ल,व सुनाई दे या आगे भी पंचम वर्ण हो तो इन्हें बिंदी के रूप में नहीं लगाया जाता, आधा न ही लिखा जाता है|जैसे अन्य जन्म उन्होंने ,गन्ना आदि।

प्रश्न 10अनुनासिक किसे कहते हैं?

उत्तर – उच्चारण करते समय जब वायु मुख के साथ-साथ नासिका से भी बाहर निकले, तो ऐसे स्वर अनुनासिक कहलाते हैं, जैसे- पाँच, आँख, चाँद, गाँव आदि।

अनुनासिक से जुड़ा एक विशेष नियम – शिरोरेखा के ऊपर निकली मात्राओं के साथ अनुनासिक को बिंदी के रूप में लगाते हैं| जैसे- मैं, नहीं, सिंचाई, चौंसठ  आदि। यहाँ यह भी ध्यान रखें कि मात्राओं पर लगी हर बिंदी अनुनासिक नहीं होती, अगर उसमें न ,म की ध्वनि आए तो वह अनुस्वार ही होगी यदि ध्वनि न सुनाई दें तो वह अनुनासिक होगी।

जैसे – हिंदी, बिंदिया   ( न् ध्वनि सुनाई देने के कारण यहाँ अनुस्वार है)

सिंचाई, खिंचाई   ( इँ ध्वनि सुनाई देने के कारण अनुनासिक है)

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प्रश्न 11- विसर्ग का प्रयोग कहाँ किया जाता है?

उत्तर – विसर्ग – विसर्ग (:) का प्रयोग केवल संस्कृत (तत्सम) शब्दों में ही किया है; जैसे-अतः प्रातः अंततः फलतः आदि। विसर्ग ध्वनि का उच्चारण ह  के समान होता है।

 

प्रश्न 12- अयोगवाह किसे कहते हैं?

उत्तर – अयोगवाह –अनुस्वार (अं) और विसर्ग (:) दोनों ध्वनियाँ न स्वर हैं और न व्यंजन। इन दोनों के साथ योग नहीं है; अतः ये अयोगवाह कहलाती है। ये केवल दो हैं- अं और अः।

 

प्रश्न 13- उच्चारण स्थान किसे कहते हैं ?

उत्तर – मुख के वे भाग जो वर्णों के उच्चारण में मदद करते हैं उच्चारण स्थान कहलाते हैं वर्णों के उच्चारण के समय जिह्वा इन्हीं भागों को छूकर निकलती है ।  

 

प्रश्न 14- उच्चारण स्थान कौन-कौन से हैं?

उत्तर – प्रमुख उच्चारण स्थान है कंठ, तालु, मूर्धा, दंत ,ओष्ठ और नासिका आदि।

 

प्रश्न 15- स्वरों के उच्चारण स्थान कौन-कौन से हैं?

उत्तर – स्वरों के उच्चारण स्थान

अ, आ (कंठ)

इ, ई( तालु)

उ, ऊ (ओष्ठ)

ऋ (मूर्धा)

ए, ऐ (कंठ व तालु)

ओ, औ ( कंठ व ओष्ठ)

अः (कंठ)

अं (नासिका)

 

प्रश्न 16- व्यंजन किसे कहते है ?

उत्तर – जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते है। ये संख्या में 33 है।

 

प्रश्न 17- व्यंजन के कितने भेद हैं ?

उत्तर – व्यंजन के तीन भेद हैं-      1. स्पर्श        2. अंत:स्थ         3. ऊष्म

 

प्रश्न 18- स्पर्श व्यंजनों के कितने वर्ग हैं?

उत्तर – स्पर्श व्यंजनों के पाँच वर्ग हैं।

 

प्रश्न 19- स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं?

उत्तर – जिन व्यंजनों का उच्चारण कंठ, होठ, जिह्वा आदि के स्पर्श द्वारा होता है, वे स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं। ‘क्’ से लेकर ‘म्’ तक स्पर्श व्यंजन हैं। इन व्यंजनों के पाँच वर्ग हैं।

 

प्रश्न 20स्पर्श व्यंजन के पाँच वर्ग कौन -कौन से हैं?

उत्तर –

क वर्ग – क , ख , ग , घ , ङ.

च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ

ट वर्ग – ट , ठ , ड , ढ , ण   

त वर्ग – त , थ , द , ध , न

प वर्ग – प , फ , ब , भ , म

 

 

प्रश्न 21- अंत:स्थ व्यंजन किसे कहते हैं?

उत्तर – अंत:स्थ का अर्थ है बीच में स्थित। इनके उच्चारण में जीभ मुख के किसी भाग को नहीं छूती है ,इसी कारण इन्हें अंत:स्थ व्यंजन कहा जाता है । 

ये केवल चार हैं- य, र, ल, व।

 

प्रश्न 22- अंत:स्थ व्यंजन कितने हैं?

उत्तर – अंत:स्थ व्यंजन केवल चार हैं।

 

प्रश्न 23- अंत:स्थ व्यंजन कौन -कौन से हैं?

उत्तर – अंत:स्थ व्यंजन केवल चार- य, र, ल, व।

 

 प्रश्न 24- ऊष्म व्यंजन किसे कहते हैं?

उत्तर – इन वर्णों के उच्चारण से मुख में हल्की सी गर्माहट महसूस होती है इसी कारण इन्हें ऊष्म व्यंजन कहा जाता है ।

ये भी चार हैं- श, ष, स्, ह।

 

प्रश्न 25- अन्य वर्ण कौन कौन से हैं ?

उत्तर – इनमें ड़ तथा ढ़ ध्वनियाँ हैं। इन वर्णों से कोई शब्द शुरू नहीं होता ये कहीं भी आ जाते हैं |जैसे- लड़का, सड़क, पढ़ाई, लकड़ी, साड़ी आदि ।

 

प्रश्न 26- संयुक्त व्यंजन एवं संयुक्ताक्षर  किसे कहते हैं?

उत्तर – हिन्दी वर्णमाला में एक से अधिक वर्णों के मेल से बने चार व्यंजन हैं श्र, क्ष, ज्ञ, त्र । इन वर्णों को वर्णमाला में संयुक्त व्यंजन कहा जाता है।

संयुक्त व्यंजनों से बनने वाले शब्द हैं – श्रम, श्रमिक, कक्षा, रक्षा, ज्ञान, अज्ञात, पत्र, चित्र आदि ।

इसके अलावा भी कुछ वर्ण एक से अधिक वर्णों के मेल से बने हैं । इन वर्णों को संयुक्ताक्षर कहा जाता है म्ह, स्न, प्र० ज्य, क्य, श्य, त्व, ण्य, स्व, त्य आदि। संयुक्ताक्षर से बनने वाले शब्द हैं – कुम्हार, निम्न, तुम्हारा, प्रचार, प्रभात, न्याय, क्यारी, क्यों, पश्चिम,पश्चात, महत्त्व, त्योहार, प्यास, स्वागत, स्वाद आदि।

 

प्रश्न 27- आगत यानी विदेशी वर्ण किसे कहते हैं?

उत्तर – विदेशी भाषाओं से जो वर्ण हिंदी में आ गए हैं उन्हें आगत वर्ण कहा जाता है ।

 

प्रश्न 28- आगत यानी विदेशी वर्ण कितने हैं?

उत्तर – आगत यानी विदेशी वर्ण तीन हैं।

 

प्रश्न 29- आगत यानी विदेशी वर्ण कौन-कौन से हैं?

उत्तर – ये तीन हैं – ज़ , फ़ ,ऑ

 

ज़– यह आगत वर्ण फारसी से लिया गया है अंग्रेज़ी में इसके लिए जे़ड (Z)  का प्रयोग किया जाता है ; जैसे- सज़ा (saza) ,ज़मीन (Zameen) आदि।
विशेष ‘ड’ और ‘ढ’ ध्वनियाँ ‘ड़’ और ‘ढ़’ से भिन्न हैं। ये दोनों कभी शब्द के प्रारंभ में नहीं आती।

फ़ – यह आगत वर्ण अरबी से लिया गया है अंग्रेज़ी में इसके लिए एफ ( F ) का प्रयोग किया जाता है जैसे –

शरीफ़ ( shareef) ,  कफ़न (kafan),  नफ़रत ( Nafarat) आदि ।

 – आधे चाँद के रूप में लगने वाली इस ध्वनि का प्रयोग केवल अंग्रेजी के शब्दों में किया जाता है। यह ‘आ’ और ‘ओ’ के बीच की ध्वनि है।जैसे—बॉल, कॉल, हॉल, डॉक्टर, डॉल आदि।

 

प्रश्न 30व्यंजनों के उच्चारण स्थान कौन-कौन से हैं?

उत्तर –

उच्चारण स्थान                             वर्ण

कंठ                                        क, ख, ग, घ, ङ., ह              ( इन्हें कंठ्य कहते हैं)

तालु                                     च, छ, ज, झ, ञ य, श         ( इन्हें तालव्य कहते हैं)

मूर्धा                                     ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष              ( इन्हें मूर्धन्य कहते हैं

दंत                                       त, थ, द, ध, न, ल, स           ( इन्हें दंत्य कहते हैं)

ओष्ठ                                      प, फ, ब, भ, म                   ( इन्हें ओष्ठ्य कहते हैं)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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