Bade Bhai Sahab ,Pathit Gadyansh, NCERT,Class 10
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बड़े भाई साहब

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इस तरह अंग्रेज़ी पढ़ोगे, तो जिंदगी-भर पढ़ते रहोगे और एक हर्फ़ न आएगा ।अंग्रेज़ी पढ़ना कोई हँसी-खेल नहीं है कि जो चाहे पढ़ ले, नहीं ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा सभी अंग्रेज़ी के विद्वान हो जाते । यहाँ रात-दिन आँखें फोड़नी पड़ती हैं और खून जलाना पड़ता है, तब कहीं यह विद्या आती है । और आती क्या है, हाँ कहने को आ जाती है । बड़े-बड़े विद्वान भी शुद्ध अंग्रेज़ी नहीं लिख सकते, बोलना तो दूर रहा ।
और मैं कहता हॅू, तुम कितने घोंघा हो कि मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते। मैं कितनी मेहनत करता हॅू, यह तुम अपनी आँखें से देखते हो, अगर नहीं देखते, तो यह तुम्हारी आँखों का कसूर है, तुम्हारी बुद्धि का कसूर है । इतने मेले-तमाशे होते हैं, मुझे तुमने कभी देखने जाते देखा है ? रोज़ ही क्रिकेट और हॉकी-मैच होते हैं ।
मैं पास नहीं फटकता। हमेशा पढ़ता रहता हूँ । उस पर भी एक-एक दरजे में दो-दो, तीन-तीन साल पड़ा रहता हूँ , फिर भी तुम कैसे आशा करते हो कि तुम यों खेल-कूद में वक्त गँवाकर पास हो जाओगे ?
(1) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए ।
(क) मुंशी प्रेमनाथ
(ख) मुंशी प्रेमचंद
(ग) मुंशी प्रेमकुमार
(घ) मुंशी प्रेमराज
(2) बड़े भाई साहब ने इस गद्यांश में अंग्रेज़ी के बारे में क्या विचार प्रकट किए हैं ?
(क) विद्वान भी शुद्ध अंग्रेज़ी नहीं लिख सकते।
(ख) अंग्रेज़ी पढ़ोगे पर एक हर्फ़ न आएगा।
(ग) अंग्रेज़ी पढ़ना कोई हँसी-खेल नहीं।
(घ) सभी
(3) छोटे भाई से बड़े भाई ने अपने बारे में क्या कहा ?
(क) हमेशा रोता रहता हूँ।
(ख) हमेशा सोता रहता हूँ।
(ग) हमेशा पढ़ता रहता हूँ।
(घ) हमेशा उपदेश देता रहता हूँ।
(4) ’’ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा’’ – मुहावरे का सही अर्थ है –
(क) समझदार व्यक्ति
(ख) बेकार व्यक्ति
(ग) महत्वहीन व्यक्ति
(घ) आलसी व्यक्ति
(5) ‘घोंघा होना’ – मुहावरे का सही अर्थ है –
(क) चालक होना
(ख) बुद्धिमान होना
(ग) मूर्ख होना
(घ) बेमिसाल होना
समाधान –
(1) (ख) मुंशी प्रेमचंद
(2) (घ) सभी
(3) (ग) हमेशा पढ़ता रहता हूँ।
(4) (ग) महत्वहीन व्यक्ति
(5) (ग) मूर्ख होना
शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा । उसे यह अभिमान हुआ था कि ईश्वर का उससे बढ़कर सच्चा भक्त कोई है ही नहीं । अंत में यह हुआ कि स्वर्ग से नरक में ढकेल दिया गया । शाहेरूम ने भी एक बार अहंकार किया था । भीख माँग- माँगकर मर गया । तुमने तो कभी केवल एक दरजा पास किया है और अभी से तुम्हारा सिर फिर गया, तब तो तुम आगे पढ़ चुके । यह समझ लो कि तुम अपनी मेहनत से नहीं पास हुए, अंधे के हाथ बटेर लग गई ।
मगर बटेर केवल एक बार हाथ लग सकती है, बार-बार नहीं लग सकती । कभी-कभी गुल्ली डेंडे में भी अंधा-चोट निशाना पड़ जाता है । इससे कोई सफल खिलाड़ी नहीं हो जाता । सफल खिलाड़ी वह है, जिसका कोई निशाना खाली न जाए ।
(1) शैतान को अभिमान क्यों हुआ था ? अभिमान करने से क्या परिणाम निकला?
(क) कि ईश्वर का उससे बढ़कर सच्चा भक्त कोई है ही नहीं।स्वर्ग से नरक में ढकेल दिया गया ।
(ख) कि वह ईश्वर सच्चा भक्त है ही और उसे स्वर्ग में ढकेल दिया गया ।
(ग) कि वह अमीर व्यक्ति है और उसे नर्क़ में ढकेल दिया गया ।
(घ) कि वह बहुत बुद्धिमान है और उसे स्वर्ग भेज दिया गया ।
(2) भीख माँग- माँगकर कौन मरा था और क्यों ?
(क) शाहेरूम, अत्याचार के कारण
(ख) शाहेरूम, विद्रोह के कारण
(ग) शाहेरूम, अहंकार के कारण
(घ) शाहेरूम, बग़ावत के कारण
(3) सफल खिलाड़ी किसे कहते हैं ?
(क) जिसके सभी निशाना खाली जाए
(ख) जिसका कोई निशाना खाली न जाए
(ग) जिसके दो निशाने खाली न जाए
(घ) जिसका सिर्फ़ एक निशाना खाली जाए
(4) ‘दांतों पसीने आना’ मुहावरे का सही वाक्यों में प्रयोग है –
(क) कक्षा में प्रथम आने पर दाँतों पसीने आ जाते हैं।
(ख) मैंने पढ़ाई नही की तो माँ के दाँतों पसीने आ गए।
(ग) बेटी की शादी करने में तो दाँतों पसीने आ जाते हैं।
(घ) क्रिकेट मैच में खिलाड़ियो के दाँतों पसीने आ जाते हैं।
(5) ‘अंधे के हाथ बटेर लगना’ मुहावरे का सही अर्थ है –
(क) चोरी चोरी प्रवेश करना
(ख) योग्यता ना होने पर भी मूल्यवान वस्तु मिल जाना
(ग) योग्यता होने पर भी मूल्यवान वस्तु मिल जाना
(घ) योग्यता होने पर भी मूल्यवान वस्तु ना मिल जाना
समाधान –
(1) (क) कि ईश्वर का उससे बढ़कर सच्चा भक्त कोई है ही नहीं।स्वर्ग से नरक में ढकेल दिया गया ।
(2) (ग) शाहेरूम, अहंकार के कारण
(3) (ख) जिसका कोई निशाना खाली न जाए
(4) (ग) बेटी की शादी करने में तो दाँतों पसीने आ जाते हैं।
(5) (ख) योग्यता ना होने पर भी मूल्यवान वस्तु मिल जाना
उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया, लेकिन तालीम जैसे महत्त्व के मामले में वह जल्दबाज़ी से काम लेना पसंद न करते थे । इस भवन की बुनियाद खूब मज़बूत डालना चाहते थे, जिस पर आलीशान महल बन सके । एक साल का काम दो साल में करते थे । कभी-कभी तीन साल भी लग जाते थे । बुनियाद की पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने ।
(1) बड़े भाई साहब ने किस उम्र में पढ़ना शुरू किया था ?
(क) उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब लेखक शुरू किया।
(ख) बड़े भाई साहब पढ़ते ही नही थे।
(ग) बड़ी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब लेखक ने पढ़ना छोड़ा।
(घ) कम उम्र में पढ़ना शुरू किया था।
(2) बड़े भाई साहब तालीम जैसे महत्त्व के मामले में जल्दबाज़ी से काम लेना क्यों नहीं पसंद करते थे ?
(क) आलीशान महल की बुनियाद खूब मज़बूत डालना चाहते थे।
(ख) क्योंकि एक साल का काम दो साल में करना चाहते थे।
(ग) तालीम के भवन की बुनियाद खूब मज़बूत डालना चाहते थे।
(घ) क्योंकि मकान पायेदार बना चाहते थे।
(3) ’बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ।
(क) बुनियाद पुख़्ता होगी तभी मकान बनेगा।
(ख) अगर नींव मज़बूत नही होगी तो मकान कैसे मज़बूत बनेगा।
(ग) बुनियाद ही पुख्ता नही होगी तो मकान नहीं बन पाएगा।
(घ) नींव होगी तभी मकान पायेदार बनेगा।
(4) ‘बुनियाद की पुख्ता’ का अर्थ है –
(क) तालीम मज़बूत होना
(ख) मकान मज़बूत होना
(ग) पाये मज़बूत होना
(घ) नींव मज़बूत होना
(5) ‘बड़े भाई साहब’ एक साल का काम कितने सालों में करते थे?
(क) एक साल का काम तीन साल में करते थे ।
(ख) एक साल का काम दो साल में करते थे ।
(ग) एक साल का काम दो और कभी कभी तीन साल में करते थे ।
(घ) एक साल का काम तीन साल में और कभी कभी चार साल में करते थे ।
समाधान –
(1) (क) उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब लेखक शुरू किया।
(2) (ग) तालीम के भवन की बुनियाद खूब मज़बूत डालना चाहते थे।
(3) (ख) अगर नींव मज़बूत नही होगी तो मकान कैसे मज़बूत बनेगा।
(4) (घ) नींव मज़बूत होना
(5) (ग) एक साल का काम दो और कभी कभी तीन साल में करते थे ।
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