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Pathit Gadyansh , Dukh Ka Adhikar,Class 9 , Hindi Course B

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पाठ - दुःख का अधिकार

पाठ - दुःख का अधिकार

पाठ - दुःख का अधिकार
पाठ – दुःख का अधिकार

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                                                      पठित गद्यांश

    मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज़ा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाज़े खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं।

उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

प्रश्न 1 – पाठ और पाठ के लेखक का नाम लिखिए।

(क) दुख का अधिकार, शरद जोशी     

(ख) दूख का अधिकार, यशपाल   

(ग) दुख का अधिकार, यशपाल     

(घ) दुख का अधिकार, गणेश शंकर विद्यार्थी

 

प्रश्न 2 – मनुष्य के लिए पोशाक का क्या महत्त्व है?

 (क) पोशाके ही समाज में मनुष्य का अधिकार निश्चित करती हैं।     

 (ख) पोशाके ही समाज में मनुष्य का दर्जा निश्चित करती हैं।         

 (ग) उपरोक्त दोनों सही हैं।          

 (घ) उपरोक्त सभी गलत हैं।

 

प्रश्न 3- जब हम समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति करना चाहते हैं तब पोशाक क्या करती हैं ?

(क) अनेक बंद दरवाज़े खोल देती हैं    

(ख) विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं।    

(ग) पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है।         

(घ) समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती हैं।

 

प्रश्न 4 – हमारी पोशाक निम्न आदमी के दुख का अहसास करने से हमें कैसे रोकती हैं ?

(क) हमें झुक सकने से रोकें रहती हैं।     

(ख) सहसा भूमि पर नहीं गिरने देतीं   

(ग) विभिन्न श्रेणियों में बाॅँट देती हैं।         

(घ) सभी गलत हैं।     

 

प्रश्न 5- लेखक ने अपनी तुलना किससे की है ?

(क) वायु की लहरों से     

(ख) बंद दरवाज़े से    

(ग) कटी हुई पतंग से     

(घ) पोशाक से

 

समाधान

उत्तर 1 –(ग) दुख का अधिकार, यशपाल     

उत्तर 2-(ग) उपरोक्त दोनों सही हैं।          

उत्तर 3 -(ग) पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है।         

उत्तर 4 -(क) हमें झुक सकने से रोकें रहती हैं।     

उत्तर 5 -(ग) कटी हुई पतंग से     

 

  बाजार में, फुटपाथ पर कुछ खरबूज़े डलिया  में और कुछ ज़मीन पर बिक्री के लिए रखे जान पड़ते थे। खरबूजों के समीप एक अधेड़ उम्र की औरत बैठी रो रही थी। खरबूज़े बिक्री के लिए थे, परन्तु उन्हें खरीदने के लिए कोई कैसे आगे बढ़ता? खरबूजों को बेचने वाली तो कपड़े से मुँह छिपाए सिर को घुटनों पर रखे फफक-फफककर रो रही थी।

पड़ोस की दुकानों के तख्तों पर बैठे या बाजार में खडे़ लोग घृणा से उसी स्त्री के संबंध में बात कर रहे थे। उस स्त्री का रोना देखकर मन में एक व्यथा-सी उठी, पर उसके रोने का कारण जानने का उपाय क्या था? फुटपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में मेरी पोशाक ही व्यवधान बन खड़ी हो गई।

प्रश्न 1- फुटपाथ पर डलिया  में क्या रखा था?

(क) तरबूज़

(ख) ख़रबूज़े

(ग) आम

(घ) अमरूद

 

प्रश्न 1- खरबूज़ों को खरीदने के लिए कोई आगे क्यों नहीं बढ़ रहा था ?

(क) क्योंकि वहाँ खरबूज़ों को बेचने वाला कोई था ही नहीं।    

(ख) क्योंकि खरबूज़ों को बेचने वाली तो कपड़े में मुँह छिपाए फफक-फफक कर रो रही थी।          

(ग) क्योंकि लोग, बुढ़िया से घृणा करते थे।   

(घ) फुटपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में पोशाक ही व्यवधान बन खड़ी हो गई।

 

प्रश्न 2लेखक किसके रोने का कारण   नहीं जान सका ?
(क) बच्चे के रोने का
(ख) बुढ़िया के रोने का

(ग) दुकान वाले के रोने का
(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 3 – लेखक की व्यथा का कारण स्पष्ट कीजिए ।

(क) पोशाक ही व्यवधान बनना                 

(ख) संभ्रांत महिला का रोना    

(ग) खरबूज़ो का न बिकना                    

(घ) उस स्त्री का रोना

 

प्रश्न 4– लेखक के लिए क्या बंधन और अड़चन बन गई थी ?

(क) उसके मौजे     

(ख) उसकी अँगूठी  

(ग) उसकी पोशाक 

(घ) उसका पैन

 

समाधान

उत्तर  1 -(ख) ख़रबूज़े

उत्तर 2 –(ख) क्योंकि खरबूज़ों को बेचने वाली तो कपड़े में मुँह छिपाए फफक-फफक कर रो रही थी।          

उत्तर 3-(ख) बुढ़िया के रोने का

उत्तर 4 -(घ) उस स्त्री का रोना

उत्तर 5 -(ग) उसकी पोशाक 

 

पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर पता लगा-उसका तेईस बरस का जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती हैं। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में कछियारी करके परिवार का निर्वाह करता था। खरबूजो की डलिया बाजार में पहुँचाकर कभी लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता, कभी माँ बैठ जाती। लड़का परसों सुबह मुँह-अँधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुन रहा था। गीली मेड़ की तरावट में विश्राम करते हुए एक साँप पर लड़के का पैर पड़ गया। साँप ने लड़के को डँस लिया ।

लड़के की बुढ़िया माँ बावली होकर ओझा को बुला लाई। झाड़ना-फूँकना हुआ। नागदेव की पूजा हुई। पूजा के लिए दान-दक्षिणा चाहिए। घर में जो कुछ आटा और अनाज था, दान-दक्षिणा में उठ गया। माँ, बहू और बच्चे ‘भगवाना’ से लिपट-लिपटकर रोए, पर भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला। सर्प के विष से उसका सब बदन काला पड़ गया था।
प्रश्न 1 – खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया के बेटे का क्या नाम था ?

(क) भगवाना
(ख) भगावना
(ग) भागवाना
(घ) भागवन

 

प्रश्न 2– बुढ़िया का बेटा कितने वर्ष का था ?

(क) 22 वर्ष का         

(ख) 21 वर्ष का             

(ग) 12 वर्ष का                     

(घ) 23 वर्ष का

 

प्रश्न 3– बुढ़िया का पुत्र क्या करता था ?

(क) दवाई बेचता था         

(ख) कपड़े बेचता था     

(ग) कछिहारी करता था       

(घ) जूते बनाता था   

 

प्रश्न 4दो खेतों के बीच की सीमा के लिए एक शब्द है –

(क) रेखा     

(ख) रेनु      

(ग) भेड़      

(घ) मेड़                                                                 

                                                        

प्रश्न 5 – बुढ़िया माँ बावली होकर किसे बुला लाई।    

(क) डॉक्टर को    

(ख) पंडित को

(ग) वैद्य को       

(घ) ओझा को                                                         

 

श्न 6 – बुढ़िया के बेटे की मृत्यु कैसे हुई ?
(क) दुर्घटना से
(ख)  बीमारी से
(ग) साँप के काटने से
(घ) खेत में गिरने से

 

प्रश्न 7– सर्प के विष से उसका बदन कैसा हो गया था ?

(क) काला    

(ख) नीला   

(ग) पीला     

(घ) सफेद

 

समाधान

उत्तर  1 –(क) भगवाना

उत्तर 2 -(घ) 23 वर्ष का

उत्तर 3 -(ग) कछिहारी करता था    

उत्तर 4 -(घ) मेड़                                                                 

उत्तर 5 -(घ) ओझा को                                                         

उत्तर 6 –(ग) साँप के काटने से

उत्तर 7-(क) काला

 

 

ज़िंदा आदमी नंगा भी रह सकता है, परंतु मुर्दे को नंगा कैसे विदा किया जाए? उसके लिए तो बजाज की दुकान से नया कपड़ा लाना ही होगा, चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।भगवाना परलोक चला गया। घर में जो कुछ चूनी भूसी थी सो उसे विदा करने में चली गई। बाप नहीं रहा तो क्या, लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।

दादी ने उन्हें खाने के लिए खरबूजे दे दिए लेकिन बहू को क्या देती? बहू का बदन बुखार से तवे की तरह तप रहा था। अब बेटे के बिना बुढ़िया को दुअन्नी-चवन्नी भी कौन उधार देता।
बुढ़िया रोते-रोते और आँखें पोंछते-पोंछते भगवाना के बटोरे हुए खरबूजे डलिया में समेटकर बाजार की ओर चली – और चारा भी क्या था?
बुढ़िया खरबूजे बेचने का साहस करके आई थी, परंतु सिर पर चादर लपेटे, सिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफकर रो रही थी।

 

प्रश्न 1 – पुत्र की मृत्यु के अगले ही दिन ,बुढ़िया को  बाज़ार क्या बेचने गई ?

 (क) ख़रबूज़े बेचने
(ख) सब्ज़ी खरीदने
(ग) घूमने

(घ) कपड़े ख़रीदने

प्रश्न 2 – कपड़े में मुँह छिपाकर कौन रो रहा था ?

(क) बुढ़िया     

(ख) बुढ़िया का बेटा  

(ग) बुढ़िया की बहु    

(घ) बुढ़िया की बेटी

 

प्रश्न 3 –पुत्र की मृत्यु के अगले दिन बुढ़िया को कहाँ जाना पड़ा ?
(क) जंगल
(ख) मॉल
(ग) बाज़ार
(घ) इन में से किसी को नहीं

 

प्रश्न 4 बेटे के बिना बुढ़िया को कोई क्या देने को तैयार नहीं था?

(क) रुपया-पैसा

(ख) ज़मीन-जायदाद

(ग) हीरे -जवाहरात

(घ) दुअन्नी-चवन्नी

 

प्रश्न 5 – ख़रबूज़े किसके बटोरे हुए थे?

(क) बुढ़िया के

(ख) भगवान के

(ग) आदमी के

(घ) बजाज

 

समाधान

उत्तर 1 –(क) ख़रबूज़े बेचने

उत्तर 2 -(क) बुढ़िया

उत्तर 3 – (ग) बाज़ार

उत्तर 4 -(घ) दुअन्नी-चवन्नी

उत्तर 5 -(ख) भगवान के

 

कल जिसका बेटा चल बसा, आज वह बाजार में सौदा बेचने चली है, हाय रे पत्थर-दिल। उस पुत्र-वियोगिनी के दुःख का अंदाजा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा। वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी। उन्हें पंद्रह-पंद्रह मिनट बाद पुत्र-वियोग से मूर्छा आ जाती थी और मूर्छा न आने की अवस्था में आँखों से आँसू न रुक सकते थे।

दो-दो  डॉक्टर हरदम सिरहाने बैठे रहते थे। हरदम सिर पर बर्फ रखी जाती थी। शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे।जब मन को सूझ का रास्ता नहीं मिलता तो बेचैनी से कदम तेज़ हो जाते हैं। उसी हालत में नाक ऊपर उठाए, राह चलतों से ठोकरें खाता मैं चला जा रहा था। सोच रहा था –  शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है।

 

प्रश्न 1 – लेखक ने पुत्र वियोगिनी किसे कहा है ?

(क) संभ्रांत महिला को      

(ख) बुढ़िया को      

(ग) संभ्रांत महिला व बुढ़िया दोनों को     

(घ) किसी को नहीं

 

प्रश्न 2 – बुढ़िया के दुःख को देख कर लेखक को किसकी याद आई ?
(क) अपनी माँ की
(ख) गाँव की 

(ग) संभ्रांत महिला की

(घ) बच्चों की

 

प्रश्न 3 डॉक्टर हरदम किसके सिरहाने बैठे रहते थे ?

(क) बुढ़िया के पुत्र के       

(ख) बुढ़िया के    

(ग) गरीब महिला के      

(घ) संभ्रांत महिला के

 

प्रश्न 4 – लेखक के अनुसार किसे दुःख मनाने का अधिकार नहीं है ?
(क) बुढ़िया को 
(ख) पड़ोसी को 
(ग) गरीबों को
(घ) बच्चों को

 

प्रश्न 5 – संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद पलंग से उठ न सकी।

(क) तीन  मास तक

(ख) अढ़ाई मास तक

(ग) डेढ़ मास तक

(घ) पाँच मास तक

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समाधान

उत्तर 1 –(ख) बुढ़िया को      

उत्तर 2-(ग) संभ्रांत महिला की

उत्तर 3 -(घ) संभ्रांत महिला के

उत्तर 4 -(ग) गरीबों को

उत्तर 5 -(ख) अढ़ाई मास तक

 

 

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