Madhu kalash.

कुछ सीखें / खुद को खर्च करें / ताकि दुनिया आपको सर्च करे ।

MCQ Pad-Raidas,Class 9, Hindi CourseB

1 min read
पद- रैदास

पद- रैदास

पद- रैदास
पद- रैदास

You May Like – विडीओ – एम सी क्यू, पद -रैदास                        

                                                             एम सी क्यू

1.यदि भगवान् चंदन है तो भक्त क्या है?

      (क) पानी              (ख) मोर         (ग) चकोर            (घ) बत्ती

 

2.यदि भगवान् बादल है तो भक्त क्या है?

    (क) पानी       (ख) मोर            (ग) चकोर          (घ) बत्ती

 

3.यदि भगवान् चाँद है तो भक्त क्या है?
(क) पानी (ख) मोर             (ग) चकोर           (घ) बत्ती

 

4.यदि भगवान् दीपक है तो भक्त क्या है?
(क) पानी             (ख) मोर            (ग) चकोर            (घ) बत्ती

 

5.यदि भगवान् मोती है तो भक्त क्या है?
(क) पानी             (ख) मोर             (ग) धागा              (घ) बत्ती

 

6.यदि भगवान् स्वामी है तो भक्त क्या है?
(क) दास         (ख) मोर        (ग) चकोर         (घ) बत्ती

 

7.भगवान् के माथे पर क्या शोभा दे रहा है?
(क) पानी (ख) मुकुट (ग) मोर        (घ) बत्ती

 

8.भगवान् किसका कल्याण बिना भेदभाव के करते है?
(क) अमीरों का (ख) भक्तों का

(ग) अछूत मनुष्यों का       (घ) इनमें से किसी का नहीं

 

9.कवि किसे अपना सबकुछ मानते है?
(क) भगवान् को (ख) संतों को (ग) अछूत मनुष्यों को     (घ) भक्तों को

 

10.दूसरे पद में कवि ने किसका गुणगान किया है?
(क) भगवान (ख) संतों (ग) अछूत             (घ) भक्तों

 

11.प्रभु अछूत के मस्तक पर क्या रखता  हैं

(क) तिलक      (ख) फूल        (ग ) मोर पंख         (घ)  छत्र 

 

12.गरीब निवाजु का क्या अर्थ  है ?       

(क)  गरीब के घर में निवास करने वाला 

(ख) दीन – दुखियों पर दया करने वाला

(ग)  गरीबी में रहने वाले लोग          

(घ)  गरीब के घर भोजन करने वाला

 

13.कवि ने इस पद में किन-किन कवियों का उल्लेख किया है?

(क) नामदेव , गोविंद , हरिजीउ             

(ख) नामदेव , गोविंद , सैनु , कबीर

(ग) नामदेव , कबीर , गोविंद , सधना , सैनु  

(घ) नामदेव , कबीर , त्रिलोचन , सधना , सैनु

 

14. रैदास की भक्ति किस प्रकार की है –

(क) आत्मा और मन की          (ख)  तन और मन की

(ग)  तन और धन की             (घ)  धन और मन

 

15.सुहागा के लिए सही अर्थ है –

(क) सोना चमकाने का पदार्थ       (ख) पीतल चमकाने का पदार्थ

(ग)  घिसने वाला पदार्थ            (घ) ताम्बा चमकाने का पदार्थ

You May Like –MCQ , Dukh Ka Adhikar, Sparsh ,Class 9

16.सेाना के लिए पर्यायवाची छाँटिए –

(क)  धतूरा       (ख)  सुहागा      (ग)   स्वर्ण      (घ) सुनहरा

 

17.कवि को किसकी लगन लगी है –

(क) पढ़ाई          (ख) संतान     (ग) ईश्वर      (घ)संसार

 

18.चितवत चंद चकोरा – पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है –

(क)  यमक     (ख) अनुप्रास     (ग)  उपमा       (घ) अतिशयोक्ति

 

19.इन पदों की रचना किसने की है?

(क) कबीर (ख) रैदास         (ग) मीराबाई        (घ) रहीम

 

20.कवि को किसके नाम की रट लग गई है ?

(क) पिता ब्रह्म देव     (ख) भगवान           (ग) राम    (घ) भक्त  

 

21.छोति के लिए प्रचलित शब्द छाँटिए –

(क)  छूना       (ख) अछूत      (ग)   छुआछूत      (घ)    छूत

 

22.कवि ने प्रभु की तुलना चंदन और पानी से क्यों की है ?

(क) चंदन पानी में मिलकर उसे पीला कर देता है।        

(ख) चंदन पानी में मिलकर उसे अपनी सुगंध से महका देता है।

(ग) चंदन, पानी मिलकर सुंदर लगता है   

(घ) चंदन का तिलक शुभ माना जाता है ।

 

23. प्रस्तुत पद में बासका क्या अर्थ है ?

(क) बासी (ख) सुगंध        (ग) दुर्गंध (घ) गंध

 

24.सोने में सुहागे को क्यों मिलाया जाता है ?

(क) पीला रंग देने के लिए ।        (ख) शुद्ध करने के लिए 

(ग) कोमल करने के लिए ।              (घ) चमक बढ़ाने के लिए

 

25.‘हरिजीउ ते सभै सरैका आशय स्पष्ट कीजिए  

(क) सभी जीव हरि के सेवक है।    

(ख) हरिजीउ सरोवर में रहते हैं ।

(ग) हरि जीवों के सिरमौर हैं ।         

 (घ) हरि अर्थात प्रभु के लिए कुछ भी असंभव नहीं।

 

26.कवि का प्रभु उन पर दया करता है जिन्हें समाज ——– मानता है।

(क) अपना ईश्वर       (ख) गरीब        (ग) अछूत       (घ)अमीर

 

27.‘ऐसी लाल तुझ बिन कउनु करैइस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ?

(क) कोई ऐसा काम नही कर सकता ।        

(ख) कोई भी प्रभु से तुलना करने की क्षमता नहीं रखता ।

(ग) ईश्वर के अलावा और कोई गरीबों पर इतनी कृपा नहीं कर सकता

(घ) ईश्वर उन्हीं की मदद करता है जो अपनी मदद करते हैं ।   

 

28.रैदास के प्रभु की एक विशेषता बताइए ।

(क) वह गले में माला पहनते हैं ।        

(ख)  वह कुछ भी कर सकते हैं ।

(ग) वह हर जगह हैं ।

(घ) उन्होंने निम्न कुल के भक्तों को भी सम्मानित स्थान दिया है।

 

समाधान

उत्तर 1 () पानी

उत्तर 2 () मोर

उत्तर 3 () चकोर

उत्तर 4 () बत्ती

उत्तर 5 () धागा

उत्तर 6 () दास

उत्तर 7() मुकुट

उत्तर 8() अछूत मनुष्यों का

उत्तर  9() भगवान को

उत्तर  10() भगवान

उत्तर 11–(घ)  छत्र

उत्तर 12-(ख) दीन – दुखियों पर दया करने वाला

उत्तर 13 -(घ) नामदेव , कबीर , त्रिलोचन , सधना , सैनु

उत्तर  14(क) आत्मा और मन की

उत्तर  15(क) सोना चमकाने का पदार्थ

उत्तर  16 -(ग)   स्वर्ण

उत्तर 17-(ग) ईश्वर

उत्तर 18 -(ख) अनुप्रास

उत्तर 19-(ख) रैदास

उत्तर  20(ग) राम

उत्तर 21–(ग)   छुआछूत

उत्तर 22-(ख) चंदन पानी में मिलकर उसे अपनी सुगंध से महका देता है।

उत्तर 23– (ख) सुगंध

उत्तर 24-(घ) चमक बढ़ाने के लिए

उत्तर 25-(घ) हरि अर्थात प्रभु के लिए कुछ भी असंभव नहीं।

उत्तर 26–(ग) अछूत

उत्तर 27(ग) ईश्वर के अलावा और कोई गरीबों पर इतनी कृपा नहीं कर सकता

उत्तर 28(घ) उन्होंने निम्न कुल के भक्तों को भी सम्मानित स्थान दिया है।

         

मुख्य बिंदु 

    पहले पद में भगवान् की तुलना चंदन से, बादल से, चाँद से, मोती से, दीपक से, सुहागे से और भक्त की तुलना पानी से, मोर से, चकोर से, धागा से, बाती से और सोने से की गई है।

 पहले पद का केंद्रीय भाव यह है कि जब किसी को राम नाम की रट लग जाती है तो वह  छूट नहीं सकती। कवि को भी राम नाम की रट लग गई है और अब वह छूट नहीं सकती। रैदास ने राम नाम को अपने अंग-अंग में समा लिया है। वह उनका अनन्य भक्त बन चुका है। वे अपने ईश्वर से कुछ इस प्रकार से घुलमिल गए हैं कि उन्हें अपने प्रभु से अलग करके देखा ही नहीं जा सकता।
दूसरे पद का केंद्रीय भाव यह है कि प्रभु सर्वगुण संपन्न, समदर्शी, दीन दयालु , कृपालु , सर्वसमर्थ तथा निडर हैं। वे अपनी कृपा से नीच को उच्च बना सकते हैं। वे उद्धारकर्ता हैं, सर्वशक्तिमान हैं।

  दूसरे पद में भगवान को ‘गरीब निवाजु’ कहा गया है क्योंकि भगवान गरीबों हूँ ठीक है जी ठीक है ओके हाँ जी हाँ जी ठीक है ओके ओकेऔर दीन-दुःखियों पर दया करने वाले हैं।जिस व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा होती है वह मोक्ष प्राप्त कर लेता हैI नीच से नीच व्यक्ति का उद्धार भी प्रभु करते हैंI   

  संसार के लोग नीच जाति में उत्पन्न होने वाले जिन लोगों को अछूत  मानते हैं ईश्वर उन लोगों पर भी कृपा करते हैं, उनका उद्धार करते हैं क्योंकि उनकी दृष्टि में भक्त की भक्ति ही श्रेष्ठ है, उसका प्रेम ही सर्वोपरि है I इसलिए प्रभु को पतित पावन भक्त-वत्सल, दीनानाथ कहा जाता हैI 

  रैदास ने अपने स्वामी को गुसईआ (गोसाई) और गरीब निवाजु (गरीबों का उद्धार करने वाला) पुकारा है।

  भगवान इतने महान हैं कि वह कुछ भी कर सकते हैं। भगवान के बिना कोई भी व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता।

  भगवान यदि चाहें तो निचली जाति में जन्म लेने वाले व्यक्ति को भी ऊँची श्रेणी दे सकते हैं। क्योंकि भगवान् कर्मों को देखते हैं,जाति को नहीं।

  भगवान उस चंदन के समान हैं जिसकी सुगंध अंग-अंग में समा जाती है।

  जैसे चकोर हमेशा चांद को देखता रहता है वैसे कवि भी भगवान् को देखते रहना चाहता है।  भगवान यदि एक दीपक हैं तो भक्त उस बाती की तरह है जो प्रकाश देने के लिए दिन रात जलती रहती है।

  -रैदास के स्वामी निराकार प्रभु है वे अपनी असीम कृपा से नीच को भी ऊंचे और अछूत को महान बना देते हैं।

 कभी अपने आपको प्रभु का परम भक्त मानते हैं इसलिए उन्हें राम नाम की रट लग गई है। प्रभु से एकाकार होने के कारण उनके अंग अंग में प्रभु भक्ति समा गई है इसलिए उन्हें राम नाम नहीं भूलता।

 बिलकुल रहे दास ने स्वयं को पानी और प्रभु को चंदन इसलिए माना है क्योंकि पानी तो रंग गंध और स्वाद रहित होता है लेकिन प्रभु रूपी चंदन से मिलकर रंग और सुगंध पास जाता है। यदि उसमें कोई गुण भी विद्यमान हैं तो ईश्वर की भक्ति के कारण है ईश्वर ही सभी गुणों को प्रदान कर अपने भक्त को गुणवान बना देता है। 

  रैदास ने प्रभु को अपना सर्वस्व माना है और स्वयं को उनकी कृपा पर आश्रित जिस प्रकार चकोर चाँद को एकटक निहारता है वैसे ही कभी भी प्रभु भक्ति में निरंतर लगे रहते हैं।

 सोने व सुहागे का आपस में घनिष्ठ संबंध है सुहागे का अलग से अपना कोई अस्तित्व नहीं है किंतु जब वह सोने के साथ मिल जाता है तो उसमें चमक उत्पन्न कर देता है।

  -कभी के प्रभु में अनेक ऐसी विशेषताएँ है जो उन्हें अन्य देवताओं से श्रेष्ठ सिद्ध करती है –

1.वे केवल झूठी प्रशंसा या स्तुति नहीं चाहते।

2.वे जाति प्रथा या छुआछूत को महत्व नहीं देते, वे समदर्शी है।

3.उनके लिए भावनाप्रधान हैं, वे भक्तवत्सल है।

4.वे दीन दुखियों वो शोषितों की विशेष रूप से सहायता करते हैं। वे गरीब निवाजु हैं। 

 दास्य भक्ति के अंतर्गत भक्त स्वयं को लघु तुच्छ और दास कहता है तथा प्रभु को दीनदयाल भक्तवत्सल कहता है वे स्वयं को पानी और प्रभु को चंदन मानते हैं वे स्वयं को मोर जैसा तुच्छ और प्रभु को धन जैसा विराट मानते हैं वे प्रभु को गरीब निवाज उन निडर व दयालु कहते हैं ये सब दास्य भक्ति के भाव हैं।

 रविदास को अछूत माना जाता था क्योंकि जाति से वे चमार थे। लोग उन्हें छूने में भी पाप समझते थे। ऐसा नीच माने जाने पर भी उन पर प्रभु की कृपा हुई और वे प्रसिद्ध संत बन गए। उन्हें समाज के उच्च वर्ग ने भी सम्मानित किया इसलिए उन्हें लगा कि उन पर प्रभु की विशेष कृपा है क्योंकि प्रभु उन पर द्रवित है।

 

 

 

 

 

 

                

 

 650 total views,  2 views today

3 thoughts on “MCQ Pad-Raidas,Class 9, Hindi CourseB

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright ©2022, All rights reserved. | Newsphere by AF themes.
error: Content is protected !!