Madhu kalash.

कुछ सीखें / खुद को खर्च करें / ताकि दुनिया आपको सर्च करे ।

“Top” Explanation ,Class 10 Hindi Chapter 7

1 min read
कवि -वीरेन डंगवाल

कवि -वीरेन डंगवाल

                            तोप

कविता -तोप
कविता -तोप

कवि परिचय

कवि – वीरेन डंगवाल
जन्म – 5 अगस्त 1947 (उत्तराखंड)

You May Like –  विडियो – कविता ‘तोप’

                         

कंपनी बाग़ के मुहाने पर

धर रखी गई है यह 1857 की तोप

इसकी होती है बड़ी सम्हाल, विरासत में मिले

कंपनी बाग़ की तरह

साल में चमकाई जाती है दो बार।

कंपनी बाग़ – ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाए गए बाग

मुहाने – प्रवेश द्वार पर

धर रखी –  रखी गई

सम्हाल – देखभाल

विरासत – पूर्व पीढ़ियों से प्राप्त वस्तुएँ

चमकाई जाती – साफ़ की जाती है 

व्याख्या -: इन पंक्तियों में कवि ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इस्तेमाल की गई तोप का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में अंग्रेजों द्वारा अपना भय बनाए रखने के लिए कंपनी ने जो तोप कंपनी बाग़ के प्रवेश द्वार पर रखी गई है आज इसकी बहुत देखभाल की जाती है।

जिस तरह यह कंपनी बाग़ हमें विरासत में अंग्रेजों से मिला है, उसी तरह यह तोप भी हमें अंग्रेजों से ही विरासत में मिली है। जिस तरह कंपनी बाग़ की साल में दो बार ( 26 जनवरी 15 अगस्त) अच्छे से देखरेख की जाती है उसी तरह इस तोप को भी साल में दो बार चमकाया जाता है।

 

सुबह शाम आते हैं कंपनी बाग़ में बहुत से सैलानी
उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर
उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे अच्छे सूरमाओं के धज्जें
अपने ज़माने में

सैलानी – दर्शनीय स्थलों पर आने वाले यात्री
जबर – ताकतवर
सूरमा – वीर
धज्जें – चिथड़े – चिथड़े करना

ज़माना – समय

 

व्याख्या -: इन पंक्तियों में कवि बताना चाहता है कि स्वतंत्र भारत में आज कंपनी बाग घूमने फिरने की जगह बन गई है जहाँ सैलानी सुबह शाम घूमने फिरने आते हैं। अब लोग यहाँ बेफिक्र होकर आते हैं उन्हें तोप का डर नहीं है।

यह तोप उन्हें अपने बारे में बताती है कि मैं अपने ज़माने में बहुत ताकतवर थी। उस समय तोप का डर हर इंसान को था और मैंने अच्छे अच्छे वीरों के चिथड़े उड़ा दिए थे अर्थात इस तोप से 1857 में अनेक क्रांतिकारियों और वीरों को उड़ा दिया गया था।  

You May Like – Pathit Gadyansh “Top”Class 10 Hindi Chapter 7 MCQ Question With Answers

अब तो बहरहाल
छोटे बच्चों की सवारी से अगर यह फारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती है गपशप
कभी -कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं
खासकर गौरैयें

वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद।

बहरहाल फ़िलहाल
फारिग मुक्त, खाली

गपशप – खाली समय में की जाने वाली बातें

शैतानी- शरारत

खास कर- विशेष रूप से

दरअसल – वास्तव में

मुँह बंद होना- शांत होना

 

व्याख्या -: इन पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि किसी भी बुराई को हिम्मत और होंसलों के सहारे खत्म किया जा सकता है। कवि कहते हैं कि कंपनी बाग में रखी है तोप ने भले ही 1857 में बड़े बड़े वीरों की धज्जियां उड़ा दीं परंतु अब तोप की स्थिति बहुत ख़राब है, अब यह है अत्यंत साधारण सी वस्तु बन गई है।

छोटे बच्चे इस पर बैठ कर घुड़सवारी का खेल खेलते हैं। जब बच्चे इस पर नहीं खेल रहे होते तब चिड़ियाँ इस पर बैठ कर आपस में बातचीत करने लग जाती हैं। कभी – कभी शरारती चिड़ियाँ खासकर गौरैयें तोप के अंदर घुस जाती हैं। वो छोटी-सी चिड़िया ऐसा करके हमें बताना चाहती हैं कि  कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो एक ना एक दिन उसका भी अंत निश्चित होता है।

—————————————————————————

प्रस्तुत कविता ‘तोप’ के कवि वीरेन डंगवाल हैं।कविता में कवि ने बताना चाहा है कि पराधीन भारत में अंग्रेजों ने अपना खौफ कायम करने के लिए कंपनी बाग में प्रवेश द्वार पर ही एक तोप रखवा दी थी. वर्ष 1857 में रखी गई उस तोप की तब बड़ी देखभाल होती थी पर आज यह साल में दो बार कंपनी बाग में चमकाई जाती है।जिंस तोप ने अपने समय में अनेक शूरमाओं को उड़ा दिया था वहीं दो बार सैलानियों के मनोरंजन की वस्तु बनी हुई है आज स्थिति यह है कि कोई भी उस से नहीं डरता।

इससे पता चलता है कि समय सदा एक सा  नहीं रहता कितनी भी बड़ी तोप हो एक ना एक  दिन तो उसका मुँह बंद होना ही होता है।

प्रस्तुत कविता हमें याद दिलाती है की कभी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी परंतु धीरे धीरे वह हमारी शासक बन गई उन्होंने कुछ बाग बगीचे बनाए और उनके प्रवेश द्वार पर वह तो परखी जो 1857 में स्वतंत्रता सेनानियों को खत्म करने के लिए प्रयोग की गई थी। परन्तु अभी है तो बहुत बहुत बुरी स्थिति में हैं बच्चे इस पर बैठकर घुड़सवारी करते हैं चिड़ियाँ इस पर बैठकर गपशप करती है यह तो हमें बताती है कि ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि ताकत हमेशा नहीं रहती।जिस प्रकार कंपनी बाग हमें अंग्रेजों से विरासत में मिले हैं उसी प्रकार यह तो भी हमें अंग्रेजों से ही विरासत में मिली है।

विरासत अर्थात धरोहर, जिन्हें देखकर या जिनके बारे में जानकर हम अपने देश और समाज की प्राचीन उपलब्धियों के बारे में जान सकते हैं या वह चीज़ जो हमें बताती है कि हमारे पूर्वजों से कब क्या गलती हुई थी जिसके कारण देश की कई पीढ़ियों को गहरे दुख और कष्टों को झेलना पड़ा।कंपनी बाग में रखी इस तोप ने कई जांबाजों को मौत के घाट उतार दिया था और एक  दिन ऐसा भी आया जब जब स्वतंत्रता संग्रामियों ने अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंका। इस तोप के माध्यम से हमें यह याद रखना होगा कि भविष्य में कोई और इस तरह हम पर हुकूमत ना कर पाए।

इस कविता के द्वारा कभी हमें यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपनी विरासत की रक्षा करते हुए उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए, हमें अपनी शक्ति और धन पर घमंड किए बिना सभी के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करना चाहिए। अपनी शक्ति से कभी भी दूसरों पर अत्याचार नहीं करना चाहिए क्योंकि समय सदा एक-सा नहीं रहता। शक्ति के बल पर मानव को अधिक दिनों तक दबाया नहीं जा सकता। बुरे कार्यों में प्रयुक्त शक्ति का अंत करने के लिए लोगों को एकजुट होने और बलिदान देने के लिए तैयार रहने का संदेश भी कवि ने दिया है।

 554 total views,  2 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright ©2022, All rights reserved. | Newsphere by AF themes.
error: Content is protected !!