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Pathit Gadyansh “Diary Ka Ek Panna”Class 10 Hindi Chapter 9 With Answers

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डायरी का एक पन्ना

डायरी का एक पन्ना

                                                                 पठित गद्यांश

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26 जनवरी : आज का दिन तो अमर दिन है। आज के ही दिन सारे हिदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। और इस वर्ष भी उसकी पुनरावृत्ति थी जिसके लिए काफ़ी तैयारियाँ पहले से की गयी थीं। गत वर्ष अपना हिस्सा बहुत साधारण था। इस वर्ष जितना अपने दे सकते थे ,दिया था। केवल प्रचार में दो हज़ार रूपया खर्च किया गया था। सारे काम का भार अपने समझते थे अपने ऊपर है ,और इसी तरह जो कार्यकर्ता थे उनके घर जा -जाकर समझाया था।

बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और कई मकान तो ऐसे सज़ाएँ गए थे कि ऐसा मालूम होता था कि मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। कलकत्ते के प्रत्येक भाग में ही झंडे लगाए गए थे। जिस रास्ते से मनुष्य जाते थे ,उसी रास्ते में उत्साह और नवीनता मालूम होती थी। लोगों का कहना था कि ऐसी सजावट पहले नहीं हुई।

 

प्रश्न 1-  डायरी का एक पन्ना कहानी के लेखक कौन हैं ?

(क) सीताराम
(ख) सेकसरिया
(ग) सीताराम सेकसरिया
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 2– प्रतीकात्मक रूप में स्वतंत्रता दिवस हिंदुस्तान में पहली बार कब मनाया गया?

(क) २६ जनवरी १९३० में
(ख) २६ जनवरी १९३२ में
(ग) २६ जनवरी १९३३ में
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 3– स्वतंत्रता दिवस धूम-धाम से मनाने के लिए क्या -क्या किया?

(क) प्रचार पर दो हज़ार रुपये खर्च किए

(ख) घर -घर जाकर कार्यकर्ताओं को समझाया

(ग) सभी मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहराया गया

(घ) सभी सही हैं

 

प्रश्न 4– कलकत्ता वासियों के लिए २६ जनवरी १९३१ का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण था ?

(क) लोगो ने अंग्रेजी सरकार का डट कर विरोध किया
(ख) स्वतन्त्रता दिवस मनाया
(ग) स्वतन्त्रता की घोषणा पढ़ डाली
(घ) सभी

 

प्रश्न 5- बड़े बाज़ार के मकानों पर क्या फहराया गया था ?

(क) राष्ट्रीय झंडा
(ख) काला झंडा
(ग) केसरिया
(घ) हरा झंडा

 

समाधान

उत्तर 1 (ग) सीताराम सेकसरिया

उत्तर 2(क) २६ जनवरी १९३० में

उत्तर 3 (घ) सभी सही हैं

उत्तर 4 (ख) स्वतन्त्रता दिवस मनाया

उत्तर 5 (क) राष्ट्रीय झंडा

 

 

पुलिस अपनी पूरी ताकत के साथ पूरे शहर में पहरे के लिए घूम -घूम कर प्रदर्शन कर रही थी। मोटर गाड़ियों में गोरखे और सेना के अध्यक्ष हर मोड़ पर मौजूद थे। न जाने कितनी गाड़ियाँ शहर भर में घुमाई जा रही थी। घुड़सवारों का भी प्रबंध किया गया था।

ट्रैफ़िक पुलिस कही पर भी नहीं थी क्योंकि सभी पुलिस कर्मचारियों को शहर में पहरे के लिए घूमने का काम दिया गया था। बड़े – बड़े पार्कों और मैदानों को सवेरे से ही पुलिस ने घेर रखा था क्योंकि वही पर सभाएँ और समारोह होना था।

मोनुमेंट के निचे जहाँ शाम को सभा होने वाली थी उस जगह को तो भोर में छः बजे से ही पुलिस ने बड़ी संख्या में घेर लिया था ,पर तब भी कई जगह तो भोर में ही झंडा फहराया गया। श्रद्धानन्द पार्क में बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तो पुलिस ने उनको पकड़ लिया तथा और लोगों को मारा या हटा दिया।

तारा सुंदरी पार्क में बड़ा बाज़ार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद्र सिंह झंडा फहराने गए पर वे भीतर न जा सके। वहाँ पर काफी मारपीट हुई और दो – चार आदमियों के सर फट गए। गुजरती सेविका संघ की ओर से जुलूस निकला जिसमे बहुत सी लड़कियां थी उनको गिरफ्तार कर लिया।

 

प्रश्न 1– अविनाश बाबू कौन थे?

(क) कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ता 

(ख) प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री

(ग) कांग्रेस कमेटी के मंत्री

(घ) पुलिस कमिश्नर

 

प्रश्न 2– विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?

(क) पुलिस ने उनको पकड़ लिया
(ख) सभी लोगो को पुलिस ने मारा
(ग) सभी लोगो को पुलिस ने हटा दिया
(घ) सभी

 

प्रश्न 3– पुलिस ने मोन्यूमेंट को क्यों घेरा?

(क) स्वतंत्रता सेनानी वहाँ भाषण न दे सकें

(ख) जनसाधारण को डराने के लिए

(ग) स्वतंत्रता सेनानी वहाँ सभा न कर सकें

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 4- मोन्यूमेंट को पुलिस ने कितने बजे घेरा ?

(क) ४ बजे

(ख) ५ बजे
 (ग) ६ बजे
 (घ) 9 बजे

 

 प्रश्न 5– हरीश चंद्र सिंह ने झंडा कहाँ फहराया ?

(क) मोन्यूमेंट के नीचे
(ख) तारा सुंदरी पार्क में
(ग) श्रद्धानन्द पार्क में
(घ) कोई नहीं

 

समाधान

उत्तर 1(ख) प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री

उत्तर 2(ग) स्वतंत्रता सेनानी वहाँ सभा न कर सकें

उत्तर 3 (ग) ६ बजे

उत्तर 4 (ग) ६ बजे

उत्तर 5 (ख) तारा सुंदरी पार्क में

 

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11 बजे मारवाड़ी बालिका विद्यालय की छात्राओं ने अपने विद्यालय में झंडा फहराने का समारोह मनाया। वहाँ पर जानकी देवी ,मदालसा बजाज – नारायण आदि स्वयंसेवी भी आ गए थे। उन्होंने लड़कियों को समझाया कि उत्सव का क्या मतलब होता है ।

लेखक और उनके साथियों ने एक बार मोटर में बैठ कर सब तरफ घूमकर देखा तो बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। जगह – जगह पर लोग फोटो खींच रहे थे। लेखक और उनके साथियों ने भी फोटो खिचवानें का पूरा प्रबंध किया हुआ था। दो – तीन बाजे पुलिस कई आदमियों को पकड़ कर ले गई।जिनमें मुख्य कार्यकर्ता पूर्णोदास और पुरुषोत्तम राय थे।

सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था पर वह प्रबंध कर चुका था। स्त्री समाज अपनी तैयारी में लगा था। जगह – जगह से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकलने की तथा ठीक स्थान पर पहुँचने की कोशिश कर रही थी। मोनुमेंट के पास जैसे प्रबंध भोर में था वैसे करीब एक बजे नहीं रहा।

इससे लोगों को आशा होने लगी कि शायद पुलिस अपना रंग ना दिखलावे पर वह कब रुकने वाली थी। तीन बजे से ही मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना -बनाकर मैदान में घूमने लगे। आज जो बात थी वह निराली थी।

 

प्रश्न 1- सुभाष बाबू के जलूस का भार किस पर था ?

(क) पुलिस पर

(ख) स्त्रियो पर
(ग) पूर्णोदास पर
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 2– पकड़े गए आदमियों मे कौन -कौन शामिल था?

(क) मुख्य कार्यकर्ता पूर्णोदास और सुभाष बाबू

(ख) अविनाश बाबू और मुख्य कार्यकर्ता पूर्णोदास

(ग) मुख्य कार्यकर्ता पूर्णोदास और पुरुषोत्तम राय

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 3- जब पुलिस ने लाठियाँ बरसाई तो स्त्रियाँ कहाँ चली गई ?

(क) मोन्यूमेंट की तरफ झंडा फहराने
(ख) मोन्यूमेंट की तरफ
(ग) मोन्यूमेंट के नीचे
(घ) कोई नहीं

 

 प्रश्न 4– मारवाड़ी बालिका विद्यालय की छात्राओं ने क्या किया?

(क) झंडा फहराने का समारोह मनाया।

(ख) जुलूस निकाला

(ग) मोन्युमेंट पर झंडा फहराया

(घ) कुछ भी नहीं किया

 

प्रश्न 5–लोगों को क्या आशा होने लगी थी?

(क) शायद पुलिस अपना रंग  दिखलावे

(ख) शायद पुलिस अपना रंग ना दिखलावे

(ग) शायद पुलिस लाठियाँ चलाए

(घ) शायद पुलिस लाठियाँ न चलाए

 

समाधान

उत्तर 1 (ग) पूर्णोदास पर

उत्तर 2(ग) मुख्य कार्यकर्ता पूर्णोदास और पुरुषोत्तम राय

उत्तर 3(क) मोन्यूमेंट की तरफ झंडा फहराने

उत्तर 4(क) झंडा फहराने का समारोह मनाया।

उत्तर 5(ख)शायद पुलिस अपना रंग ना दिखलावे

 

 

 

जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी। पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था कि अमुक – अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती। जो लोग काम करने वाले थे उन सबको इंस्पेक्टरों के द्वारा नोटिस और सुचना दे दी गई थी कि आप यदि सभा में भाग लेंगें तो दोषी समझे जाएंगे।

इधर कौंसिल की ओर से नोटिस निकल गया था कि मोनुमेंट के निचे ठीक चार बजकर चैबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्वसाधारण की उपस्थिति होनी चाहिए। खुला चेलेंज देकर ऐसी सभा पहले कभी नहीं हुई थी।

ठीक चार बजकर दस मिनट पर सुभाष बाबू जुलूस ले कर आए। उनको चौरंगी पर ही रोका गया ,पर भीड़ की अधिकता के कारण पुलिस जुलूस को नहीं रोक सकी। मैदान के मोड़ पर पहुँचते ही पुलिस ने लाठियाँ चलना शुरू कर दी ,बहुत लोग घायल हुए ,सुभाष बाबू पर भी लाठियाँ पड़ी। सुभाष बाबू बहुत ज़ोर से वन्दे -मातरम् बोल रहे थे। ज्योतिर्मय गांगुली ने सुभाष बाबू से कहा ,आप इधर आ जाइए। पर सुभाष बाबू ने कहा आगे बढ़ना है।

 

प्रश्न 1– सुभाष बाबू को कहाँ रोका गया?

(क) लाल चौंक पर

(ख) चौरंगी पर

(ग) धर्मतल्ले के मोड़ पर

(घ) मोन्यूमेंट पर

 

प्रश्न 2– लेखक ने सभा ओपन लड़ाई की संज्ञा क्यों दी ?

(क) क्रांतिकारियों की खुली चुनौती के कारण
(ख) खुले मैदान के कारण
(ग) स्त्री समाज के कारण
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 3- पुलिस कमिश्नर ने क्या नोटिस निकाला था ?

(क) क्रांतिकारियों को सभा न करने की सलाह का
(ख) क्रांतिकारियों सहानुभूति का
(ग) क्रांतिकारियों के सहयोग का
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 4- कौंसिल के नोटिस में क्या था ?

(क) चार बज कर चौबीस मिनट पर झंडा फेहराया जायेगा
(ख) स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी
(ग) सर्वसधारण की उपस्तिथि जरूरी
(घ) सभी

 

प्रश्न 5- धर्म तल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया ?

(क) पुलिस की लाठियों के कारण
(ख) भीड़ के कारण
(ग) कोई नहीं
(घ) सभी

 

समाधान

उत्तर 1 –-(क) क्रांतिकारियों की खुली चुनौती के कारण

उत्तर 2(क) क्रांतिकारियों की खुली चुनौती के कारण

उत्तर 3 (क) क्रांतिकारियों  को सभा न करने की सलाह का

उत्तर 4 (घ) सभी

उत्तर 5 (क) पुलिस की लाठियों के कारण

 

 

 

सुभाष बाबू को भी पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठा कर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया। कुछ देर बाद ही स्त्रियाँ वहाँ से जन समूह बना कर आगे बढ़ने लगी। उनके साथ बहुत बड़ी भीड़ भी इकठ्ठी हो गई। कुछ समय के लिए लगा की पुलिस ठंडी पड़ गई है अब लाठी नहीं बरसाएगी परन्तु पुलिस बीच-बीच में लाठियाँ चलाना शुरू कर देती थी। इस बार भीड़ ज्यादा थी तो आदमी भी ज्यादा जख्मी हुए। धर्मतल्ले के मोड़ पर आते-आते जुलूस टूट गया और लगभग 50 से 60 स्त्रियाँ वही मोड़ पर बैठ गई। उनके आसपास बहुत बड़ी भीड़ इकठ्ठी हो गई थी। जिन पर पुलिस बीच -बीच में लाठियाँ चलाया करती थी।

इस प्रकार करीब पौने घंटे के बाद पुलिस की लारी आई और उनको लालबाज़ार ले जाया गया। और भी कई आदमियों को पकड़ा गया। वृजलाल गोयनका जो कई दिन से अपने साथ काम कर रहा था और दमदम जेल में भी अपने साथ था ,पकड़ा गया। पहले तो वह डंडा लेकर वन्दे -मातरम बोलता हुआ मोनुमेंट की और इतनी जोर से दौड़ा कि अपने आप ही गिर पड़ा और उसे एक अंग्रेजी घुड़सवार ने लाठी मारी फिर पकड़ कर कुछ दूर लेजाने के बाद छोड़ दिया। इस पर वह स्त्रियों के जुलूस में शामिल हो गया और वह पर भी उसको छोड़ दिया। तब वह दो सौ आदमियों का जुलूस बनाकर लालबाज़ार गया और वहाँ पर गिरफ्तार हो गया।

 

प्रश्न 1– सुभाष बाबू को पकड़कर कहाँ भेज दिया गया?  

(क) धर्मतल्ले के मोड़ पर

(ख) मोनुमेंट के नीचे

(ग) लालबाज़ार लॉकअप में

(घ) घर में

 

प्रश्न 2- जुलूस के लाल बाजार आने पर लोगो का क्या हाल हुआ ?

(क) बुरा हाल
(ख) लाठियाँ बरसी
(ग) जुलूस एक बड़ी भीड़ बन गया
(घ) सभी

 

प्रश्न 3- धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया ?

(क) पुलिस की लाठियों के कारण
(ख) भीड़ के कारण
(ग) कोई नहीं
(घ) सभी

 

प्रश्न 4– धर्मतल्ले के मोड़ पर स्त्रियों ने क्या किया?

(क) जुलूस में चलती रहीं

(ख) आपस में लड़ने लगीं

(ग) पुलिस से छिपने की कोशिश करने लगीं

(घ) लगभग 50 से 60 स्त्रियाँ वही मोड़ पर बैठ गई।

 

प्रश्न 5– जुलूस को रोकने के लिए पुलिस ने क्या किया ?

(क) कुछ नहीं किया

(ख) गोलियाँ  चलाईं

(ग) लाठियाँ चलाईं
(घ) कोई नहीं

 

समाधान

उत्तर 1 (ग) लालबाज़ार लॉकअप में

उत्तर 2(घ) सभी

उत्तर 3 (क) पुलिस की लाठियों के कारण

उत्तर 4 (घ) लगभग 50 से 60 स्त्रियाँ वही मोड़ पर बैठ गई।

उत्तर 5 (ग) लाठियाँ चलाईं

 

 

 

 

 

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