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Pathit Gadyansh “Teesri Kasam Ke Shilpkar Shailender”Class 10 Hindi Chapter 9 With Answers

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प्रह्लाद अग्रवाल

प्रह्लाद अग्रवाल

लेखक - प्रह्लाद अग्रवाल
लेखक – प्रह्लाद अग्रवाल

You May Like-NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 तीसरी क़सम के शिल्पकार

                                                       पठित गद्यांश

  संगमकी अद्भुत सफलता ने राजकपूर में गहन आत्मविश्वास भर दिया और उसने एक साथ चार फिल्मों के निर्माण की घोषणा की –मेरा नाम जोकर’, ‘अजंता’, ‘मैं और मेरा दोस्तऔर सत्यम शिवम् सुंदरम। पर जब 1965 में राजकपूर ने मेरा नाम जोकरका निर्माण आरम्भ किया तब संभवतः उसने भी यह कल्पना नहीं की होगी कि इस फिल्म का एक ही भाग बनाने में छह वर्षों का समय लग जायेगा।

इन छह वर्षों के अंतराल में राजकपूर द्वारा अभिनीत कई फ़िल्में प्रदर्शित हुईं, जिनमें सन 1966 में प्रदर्शित कवि शैलेंद्र कि तीसरी कसमभी शामिल है। यह वह फिल्म है जिसमें राजकपूर ने अपने जीवन की सर्वोत्कृष्ट भूमिका अदा की। यही नहीं तीसरी कसमवह फिल्म है जिसने हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक कृति को सैल्यूलाइड पर पूरी सार्थकता से उतारा। तीसरी कसमफिल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।

तीसरी कसमशैलेंद्र के जीवन की पहली और अंतिम फिल्म है। तीसरी कसमको राष्ट्रपति स्वर्णपदकमिला, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फिल्म और कई अन्य पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया। मास्को फिल्म फेस्टिवल में भी यह फिल्म पुरस्कृत हुई। इसकी कलात्मकता की लंबी-चौड़ी तारीफ़ें हुई। इसमें शैलेंद्र की संवेदनशीलता पूरी शिद्द्त के साथ मौजूद है। उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।

 

प्रश्न 1- तीसरी क़सम के शिल्पकार पाठ के लेखक कौन हैं ?

(क) शैलेंद्र

(ख) प्रह्लाद अग्रवाल

(ग) जय किशन

(घ) राजकपूर

 

प्रश्न 2- ‘सैल्युलाइड’ का क्या अर्थ है?

(क) कैमरे की रील में उतारना

(ख) चित्र प्रस्तुत करना

(ग) कैमरे की रील में उतार चित्र प्रस्तुत करना

(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 3- किस फ़िल्म की सफलता ने राजकपूर में गहन आत्मविश्वास भर दिया?

(क) संगम

(ख) मेरा नाम जोकर

(ग) अजंता

(घ) तीसरी क़सम

 

प्रश्न 4- कितने वर्षों के अंतराल में राजकपूर की फ़िल्में प्रदर्शित हुईं ?

(क) चार वर्षों के अंतराल में

(ख) तीन वर्षों के अंतराल में

(ग) दो वर्षों के अंतराल में

(घ) छह वर्षों के अंतराल में

 

प्रश्न 5– तीसरी फ़िल्म् को कौन से पुरस्कार मिले ?

(क) राष्ट्रपति से स्वर्ण पदक
(ख) सर्व श्रेष्ठ फ़िल्म् बङ्गाल फ़िल्म् एसोसिएशन जर्नलिस्ट से
(ग) मास्को फ़िल्म फ़ेस्तिवल से
(घ) सभी

 

समाधान

उत्तर1 (ख) प्रह्लाद अग्रवाल

उत्तर 2(ग) कैमरे की रील में उतार चित्र प्रस्तुत करना

उत्तर 3 (क) संगम

उत्तर 4 (घ) छह वर्षों के अंतराल में

उत्तर 5 (घ) सभी

 

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शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं। राजकुमार ने अपने अनन्य सहयोगी की फिल्म में उतनी ही तन्मयता के साथ काम किया, किसी पारिश्रमिक की अपेक्षा किए बगैर। शैलेंद्र ने लिखा था कि वे राजकपूर के पास तीसरी कसमकी कहानी सुनाने पहुँचे तो कहानी सुनकर उन्होनें बड़े उत्साहपूर्वक काम करना स्वीकार कर लिया।

पर तुरंत गंभीरता पूर्वक बोले- मेरा पारिश्रमिक एडवांस देना होगा।शैलेंद्र को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि राजकपूर जिंदगी-भर की दोस्ती का ये बदला देंगे। शैलेंद्र का मुरझाया हुआ चेहरा देखकर राजकपूर ने मुस्कुराते हुए कहा, “निकालो एक रूपया, मेरा पारिश्रमिक! पूरा एडवांस।

शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना मस्ती से परिचित तो थे, लेकिन एक निर्माता के रूप में बड़े व्यावसायिक सूझबूझ वाले भी चक्कर खा जाते हैं, फिर शैलेंद्र तो फिल्म-निर्माता बनाने के लिए सर्वथा अयोग्य थे।

 

प्रश्न 1– राजकपूर की भावनाओं को शब्द किसने दिए ?

(क) जयकिशन ने

(ख) राजकपूर ने

(ग) शैलेंद्र ने

(घ) किसी ने नहीं

 

प्रश्न 2- राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?

(क) जब राजकपूर ने काम करने के लिए मन कर दिया

(ख) जब राजकपूर ने करोड़ रूपये  पारिश्रमिक माँग

(ग) जब राजकपूर ने अपना पारिश्रमिक एडवांस माँग

(घ) सभी ठीक हैं

 

प्रश्न 3- तीसरी क़सम फ़िल्म को ख़रीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?

(क) मसालेदार फ़िल्म नेह थी 

(ख) साहित्यिक फ़िल्म थी

(ग) फ़िल्म की क़हानी से किसी प्रकार की छेड़-छाड़ नहीं की गई थी 

(घ) सभी ठीक हैं

 

प्रश्न 4- राजकपूर कितना पारिश्रमिक लेते थे ?

(क) एक सौ
(ख) एक रुपैया
(ग) एक हजार रुपैया
(घ) एक लाख

 

प्रश्न 5- राजकपूर की बात सुनकर शैलेन्द्र की क्या दशा हुई ?

(क) चेहरा खिल गया
(ख) चेहरा हैरान हो गया
(ग) चेहरा मुरझा गया
(घ) चेहरा फीका पड़ गया

 

समाधान

उत्तर 1 (ग) शैलेंद्र ने

उत्तर 2(ग) जब राजकपूर ने अपना पारिश्रमिक एडवांस माँग

उत्तर 3 (घ) सभी ठीक हैं

उत्तर 4 ख) एक रुपैया

उत्तर 5 (ग) चेहरा मुरझा गया

 

 

राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फिल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया। पर वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार सम्पति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।

तीसरी कसमकितनी ही महान फिल्म क्यों न रही हो, लेकिन यह एक दुखद सत्य है कि इसे प्रदर्शित करने के लिए बमुश्किल वितरक मिले। बावजूद इसके कि  तीसरी कसममें राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामज़द सितारे थे, शंकर-जयकिशन का संगीत था, जिनकी लोकप्रियता उन दिनों सातवें आसमान पर थी और इसके गीत भी फ़िल्म के प्रदर्शन के पूर्व ही बेहद लोकप्रिय हो चुके थे, लेकिन इस फिल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था।

दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी। उसमें रची-बसी करुणा तराज़ू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी। इसीलिए बमुश्किल जब तीसरी कसमरिलीज़ हुई तो इसका कोई प्रचार नहीं हुआ। फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।

 

प्रश्न 1- तीसरी कसम में किसने अभिनय किया ?

(क) राज कपूर ने
(ख) राजेश खन्ना ने
(ग) शम्मी कपूर ने
(घ) निदा फ़ाज़ली

 

प्रश्न 2- तीसरी फिल्म के संगीतकार कौन हैं ?

(क) शंकर जय किशन

(ख) मदन मोहन
 (ग) लक्ष्मी कांत प्यारे लाल
 (घ) प्यारे लाल

 

प्रश्न 3- तीसरी कसम में राज कपूर ने किसकी भूमिका निभाई?

(क) एक गाड़ीवान हीरामन की
(ख) नायक की
(ग) किसी की नहीं
(घ) हीरो की

 

प्रश्न 4– इस फिल्म की संवेदना किसकी समझ से परे थी।

(क) तीन से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी।

(ख) दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी।

(ग) चार से छह बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी।

(घ) सभी ठीक हैं

 

प्रश्न 5– उसमें रची-बसी करुणा कैसी थी ?

(क) तराज़ू पर तौली जा सकने वाली चीज़ थी।

(ख) बिलकुल बेकार थी।

(ग) तराज़ू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी।

(घ) बहुत उमदा थी

 

समाधान

उत्तर 1 (क) राज कपूर ने

उत्तर 2(क) शंकर जय किशन

उत्तर 3 (क) एक गाड़ीवान हीरामन की

उत्तर 4 (ख) दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी।

उत्तर 5 (ग) तराज़ू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी।

 

 

 

ऐसा नहीं है कि शैलेंद्र बीस सालों तक फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे। परन्तु उन में उलझकर वे अपनी आदमियता नहीं खो सकते थे। ‘श्री 420’ का एक लोकप्रिय गीत है – ‘प्यार हुआ, इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल।’

इसके अंतरे की एक पंक्ति- ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की। उनका ख्याल था कि दर्शक ‘चार दिशाएँ तो समझ सकते हैं- ‘दस दिशाएँ’ नहीं। लेकिन शैलेंद्र परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए। उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए।

कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। और उनका यकीन गलत नहीं था। यही नहीं, वे बहुत अच्छे गीत भी जो उन्होंने लिखे बेहद लोकप्रिय हुए। शैलेंद्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रणव थे-दुरूह नहीं।

‘मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिस्तानी, सर पे लाल टोपी रुसी, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’ -यह गीत शैलेंद्र ही लिख सकते थे। शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई लिए हुए। यही विशेषता उनकी जिंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फिल्म के द्वारा भी साबित किया था।

 

प्रश्न 1– प्यार हुआ, इकरार हुआ है, गीत किस फ़िल्म का है?

(क) ‘श्री 420’ का

(ख) सत्यम शिवम् सुंदरम
(ग) मेरा नाम जोकर
(घ) अजंता

 

प्रश्न 2– प्यार हुआ, इकरार हुआ है, अंतरे की एक पंक्ति पर किसने आपत्ति की?

(क) कैफ़ी आजमी

(ख) लक्ष्मी कांत प्यारे लाल

(ग) मदन मोहन

(घ) संगीतकार जयकिशन ने

 

प्रश्न 3– शैलेंद्र का क्या दृढ़ मंतव्य था ?

(क) दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए।

(ख) दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर थोपना चाहिए।

(ग) दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन देखना चाहिए।

(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 4– कलाकार का क्या कर्तव्य है?  

(क) वह उपभोक्ता की रुचियों का पतन करने का प्रयत्न करे।

(ख) वह उपभोक्ता की रुचियों को पूरा करने का प्रयत्न करे।

(ग) वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।

(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 5–  शैलेंद्र के गीत कैसे थे?भाव-प्रणव थे-दुरूह नहीं।

(क) भाव-प्रणव नहीं -दुरूह थे।

(ख) भाव-प्रणव भी थे और दुरूह भी।

(ग) (क) और(ख) दोनों

(घ) भाव-प्रणव थे-दुरूह नहीं।

 

समाधान

उत्तर 1 (क)श्री 420’ का

उत्तर 2(घ) संगीतकार जयकिशन ने

उत्तर 3 (क) दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए।

उत्तर 4 (ग) वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।

उत्तर 5 (घ) भाव-प्रणव थे-दुरूह नहीं।

 

 

अभिनय के दृष्टिकोण से ‘तीसरी कसम’ राजकपूर की जिंदगी की सबसे हसीन फिल्म है। राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कला-मर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते हैं, ‘तीसरी कसम’ में मासूमियत के चर्मोत्कर्ष को छूते हैं।

अभिनेता राजकपूर जितनी ताकत के साथ ‘तीसरी कसम’ में मौजूद हैं, उतना ‘जागते रहो’ में भी नहीं। ‘जागते रहो’ में राजकपूर के अभिनय को बहुत सराहा गया था, लेकिन ‘तीसरी कसम’ वह फिल्म है जिसमें राजकपूर अभिनय नहीं करता। वह हिरामन के साथ एकाकार हो गया है। खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं। जिसके लिए मोहब्बत के सीवा किसी दूसरी चीज़ का कोई अर्थ नहीं।

बहुत बड़ी बात यह है कि ‘तीसरी कसम’ राजकपूर के अभिनय-जीवन का वह मुकाम है, जब वह एशिया के सबसे बड़े शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे। उनका अपना व्यक्तित्व एक किंवदंती बन चूका था। लेकिन ‘तीसरी कसम’ में वह महिमामय व्यक्तित्व पूरी तरह हिरामन की आत्मा में उतर गया है। वह कही हिरामन का अभिनय नहीं करता, अपितु खुद हिरामन में ढल गया है।

हीराबाई की फेनू-गिलासी बोली पर रीझता हुआ, उसकी ‘मनुआ-नटुआ’ जैसी भोली सूरत पर न्योछावर होता हुआ और हीराबाई की तनिक-सी उपेक्षा पर अपने अस्तित्व से जूझता हुआ सच्चा हिरामन बन गया है।
‘तीसरी कसम’ की पटकथा मूल कहानी के लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने स्वयं तैयार की थी। कहानी का रेशा-रेशा, उसकी छोटी-से-छोटी बारीकियाँ फिल्म में पूरी तरह उतर आई।

 

प्रश्न 1– अभिनय के दृष्टिकोण से राजकपूर की जिंदगी की सबसे हसीन फिल्म कौन सी थी?

(क) संगम

(ख) मेरा नाम जोकर

(ग) तीसरी कसम

(घ) अजंता

 

प्रश्न 2- फिल्म समीक्षक राज कपूर को किस तरह का कलाकार मानते हैं ?

(क) उम्दा
(ख) बेहतरीन
(ग) आँखों से बात करने वाला
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 3– तीसरी क़सम के अतिरिक्त राजकपूर के अभिनय को किस फ़िल्म सराहा गया ?

(क) ‘जागते रहो’ में

(ख) मेरा नाम जोकर

(ग) अजंता

(घ) तीसरी क़सम

 

प्रश्न 4– तीसरी कसमराजकपूर के अभिनय-जीवन का कौन -सा मुकाम है?

(क) जब वह एशिया के सबसे छोटे शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे।

(ख) जब वह सबसे बड़े शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे।

(ग) जब वह एशिया के सबसे बड़े शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे।

(घ) सभी ठीक हैं

 

प्रश्न 5– तीसरी कसमकी पटकथा मूल कहानी के लेखक कौन हैं?

(क) फणीश्वरनाथ रेणु

(ख) प्रह्लाद अग्रवाल

(ग) जय किशन

(घ) राजकपूर

 

समाधान

उत्तर 1 (ग) तीसरी कसम

उत्तर 2(ग) आँखों से बात करने वाला

उत्तर 3 (क) जागते रहोमें

उत्तर 4 (ग) जब वह एशिया के सबसे बड़े शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे।

 

उत्तर 5 (क) फणीश्वरनाथ रेणु

 

 

          

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