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Everest Meri Shikhar Yatra , Prashnottar Class 9

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पाठ -एवेरेस्ट मेरी शिखर यात्रा

पाठ -एवेरेस्ट मेरी शिखर यात्रा

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प्रश्न 1- नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर- नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को अच्छा लगा और वह भौंचक्की रह गई थीं। लेखिका को वहाँ से एवरेस्ट और अन्य श्रेणियाँ दिख रहीं थीं। लेखिका को टेढ़ी मेढ़ी ऊँची चोटियाँ, बहती हुई बर्फीली नदी की तरह लग रहीं थीं। उसे यह दृश्य हैरान करने वाला लग रहा था।

 

प्रश्न 2- डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
उत्तर- डॉ. मीनू मेहता ने निम्न महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं।

1.अल्युमिनियम की सीढ़ियों से अस्थाई पुल बनाना।

2.लट्ठों और रस्सियों का उपयोग।

3.बर्फ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना।

4.अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

 

प्रश्न 3- तेनज़िंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?
उत्तर- तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में कहा कि वह एक पक्की पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए। ऐसा लगता था कि जैसे पर्वतीय स्थानों की जानकारी उन्हें पहले से ही हो यद्यपि एवरेस्ट का उनका पहला अभियान था तेनज़िंग  का उनके कंधे पर हाथ रखकर प्रोत्साहन देना लेखिका को अच्छा लगा।

 

प्रश्न 4- लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर- लेखिका को की, जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी क्योंकि अभियान दल में ये तीनों उनकी यात्रा के साथी थे।

 

प्रश्न 5- लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ किया?
उत्तर- लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी से तम्बू का रास्ता साफ किया।जब लेखिका सो रही थी तभी सिर के पिछले हिस्से से कोई चीज़ टकराई और उनकी नींद खुल गई, कैंप के ठीक ऊपर लहोत्से ग्लेशियर से बर्फ़ का पिंड गिरा था जिसने कैंप को तहस-नहस कर दिया था।

लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी द्वारा ,लेखिका के पास से बड़े-बड़े हिमखंडों को हटाया और चारों तरफ फैली हुई कठोर बर्फ़ की खुदाई की ,तब जाकर लेखिका के बाहर निकलने का रास्ता साफ हो सका।

 

प्रश्न 6- साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरु की?
उत्तर- जैसे ही लेखिका साउथ कोल पहुँची उसने अगले दिन की अपनी महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी के लिए खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर इकट्ठे किए। इसके बाद लेखिका अपने दल के दूसरे साथियों की सहायता के लिए एक थर्मस में जूस और दूसरे में चाय भरने के लिए नीचे उतर गई।

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प्रश्न 1- उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर- उपनेता प्रेमचंद ने अग्रिम दल का नेतृत्व करते हुए पहली बड़ी बाधा खुंबू हिमपात की स्थिति से पर्वतारोहियों को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि उनके दल ने, कैंप एक जो हिमपात के ठीक ऊपर है वहाँ तक का रास्ता साफ कर दिया है।

उन्होंने बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिन्हित कर सभी बड़ी कठिनाइयों का जायज़ा ले लिया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना अभी जारी है। उन्होंने बताया कि हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव हो सकता है जिससे रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।

 

 

प्रश्न 2- हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर- हिमपात प्राय बर्फ़ के टुकड़ों के अव्यवस्थित तरीके से गिरने के कारण होता हैं, इससे अनेक परिवर्तन होते हैं। ग्लेशियर के बहने से बर्फ़ में प्रायः हलचल हो जाती है जिससे बड़ी-बड़ी बर्फ़ की चट्टानें तत्काल गिरने लगती हैं और खतरनाक स्थिति धारण कर लेती हैं।

धरातल में दरारें पड़ जाती हैं, ये दरारें अक्सर गहरी गहरी चौड़ी दरारों का रूप धारण कर लेती है। इस प्रकार पर्वतारोहियों की कठिनाइयाँ बहुत अधिक बढ़ जाती है और इन हिमपातों में कई पर्वतारोहियों की जानें चली जाती हैं।

  

प्रश्न 3- लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?
उत्तर- लेखिका गहरी नींद में सोई हुई थी। लगभग रात में 12.30 बजे के लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से किसी सख्त चीज़ के टकराने से नींद खुल गई। साथ ही एक जोरदार धमाका भी हुआ। लेखिका को महसूस हुआ कि एक ठंडी, बहुत भारी चीज़ लेखिका के शरीर पर से कुचलती हुई चली गई।

एक लम्बा बर्फ़ का पिंड कैंप के ठीक ऊपर लहोत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था और उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ़ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ़ के इस विशालकाय पुंज ने एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज गति और भीषण गर्जना के साथ सीधी ढलान से नीचे आते हुए, लेखिका के कैंप को तहस-नहस कर दिया। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी थी यह एक आश्चर्य ही था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी।

लेखिका की नींद टूटी तो उन्हें लगा कि उनका सिर किसी भारी चीज़ से टकरा गया है।

 
प्रश्न 4- लेखिका को देखकर की हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर- लेखिका जब शरबत व चाय लेने के लिए नीचे गई तो की लेखिका को देखकर हक्का-बक्का रह गया। लेखिका को अपने दल के अन्य सदस्यों जय,की और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। वह  साउथ कोल, अपने सहयोगियों से पहले पहुँच गई थी लेकिन थकान की परवाह किए बिना ही वह अपने साथियों की सहायता के लिए पुनः दुर्गम पहाड़ियों से नीचे उतरी,

जय ने उसे आगे जाने से रोकने की कोशिश भी की परन्तु लेखिका भी अपने को औरों की तरह एक पर्वतारोही समझती थी। इतने दुर्लभ रास्ते को तय करके लेखिका दोबारा वहाँ पहुँच गई इसलिए उसे वहाँ देखकर की हक्का-बक्का रह गया।

 

प्रश्न 5- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल पाँच कैंप बनाए गए थे-

पहला कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर था। जो हिमपात के ठीक ऊपर था।

एक बेस कैम्प था, यह मुख्य कैंप था।

कैंप तीन लहोत्से की बर्फीली सीधे डाल ढलान पर बनाया गया था।

कैंप चार 7900 मीटर की ऊँचाई पर था।

एक कैम्प साउथ कोल कैंप था, यहाँ से इन्हें एवरेस्ट की चढ़ाई करनी थी, यह अंतिम कैंप था।

 

प्रश्न 6- चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
उत्तर- चढ़ाई के समय एवरेस्ट पर जमी बर्फ़ सीधी और ढलाउ थी। चट्टानें इतनी बुरी थी मानो शीशे की चादर बिछी हो। लेखिका को बर्फ़ काटने के लिए फावड़े का प्रयोग करना पड़ा। ऊँचाई पर तेज हवा के झोंके भुरभुरी बर्फ़ के कणों को चारों ओर उड़ा रहे थे, जिससे दृश्यता शून्य तक पहुँच गई थी।

पर्वत की शंकु चोटी इतनी तंग थी कि दो आदमी वहाँ खड़े नहीं हो सकते थे। ढलान सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक थी वहाँ स्वयं को स्थिर खड़ा करना बहुत कठिन था इसलिए उन्होंने फ़ावड़े से बर्फ़ को तोड़कर अपने खड़े होने योग्य स्थान बनाया।

 

प्रश्न 7- सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उत्तर- बचेंद्री के व्यवहार से सहयोग और सहायता की भावना का परिचय तब मिलता है जब उसने अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद करने का निश्चय किया। बचेंद्री जूस और चाय लेने के लिए स्वयं ही नीचे चली गई जबकि यह काम शेरपाओं को करना होता है। की और जय के मना करने पर भी वह अपनी बात पर अडिग रही। उनका कहना था कि वह शारीरिक रूप से ठीक है इसलिए उन्हें अपने दल के सदस्यों की मदद करनी चाहिए।

 
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1- एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि एवरेस्ट अभियान के दौरान रास्ते इतने खतरनाक होते हैं कि वहाँ दुर्घटनाओं का होना आम बात है अतः इन दुर्घटनाओं को सहज भाव से लिया जाता है यदि व्यक्ति इन दुर्घटनाओं को देखकर चिंतित हो जाएगा तो वह इस अभियान में सफल नहीं हो पाएगा।

 

प्रश्न 2- सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे चौड़े हिम विदर में बदल जाने का मात्र ख़्याल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा ।

उत्तर- उपरोक्त पंक्तियों का आशय यह है कि कभी-कभी बर्फ़ की बड़ी चट्टानों में दरार पड़ जाने के कारण, इन दरारों के बीच इतनी गहरी खाई बन जाती है कि यदि कोई व्यक्ति इनमें गिर जाए तो उसकी मृत्यु निश्चित है। लेखिका इस बात से भयभीत थी कि इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं के कारण वह और उसके सहयोगी पर्वतारोही हर क्षण खतरों से घिरे रहेंगे। यहाँ पर जान माल की हानि की घटनाएँ बहुत ज़्यादा होती रहती है।

 

प्रश्न 3- बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी सी पूजा अर्चना की और इनको बर्फ में गाड़ दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता पिता का ध्यान आया।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि लेखिका की दुर्गा और हनुमान में गहरी श्रद्धा थी। ये दोनों शक्ति के प्रतीक हैं लेखिका ने इस अभियान के सफल होने पर अपनी भक्ति भावना का परिचय दिया, अपने आराध्य की पूजा की और माता पिता को याद कर अपनी मातृ पितृ भक्ति का परिचय दिया।

 

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