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Pathit Gadyansh , Ginni Ka Sona (Patjhar me tooti pattiyan) Cass 10

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गिन्नी का सोना

गिन्नी का सोना

गिन्नी का सोना
गिन्नी का सोना

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                                                                पठित गद्यांश

 शुद्ध सोना अलग है और गिन्नी सोना अलग। गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाया हुआ होता है, इसलिए वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मज़बूत भी होता है। औरतें अकसर इसी सोने के गहने बनवा लेती हैं।
फिर भी होता तो वह है गिन्नी का ही सोना।
शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते हैं। चंद लोग उनमें व्यवहारिकता का थोड़ा-सा ताँबा मिला देते हैं और चलाकर दिखाते हैं। तब हम लोग उन्हें ‘प्रेक्टिकल आइडियलिस्ट’ कहकर उनका बखान करते हैं।

प्रश्न 1- पतझर में टूटी पत्तियाँ का लेखक कौन है ?

(क) रवीन्द्र केलेकर
(ख) खुशवंत सिंह
(ग) मुंशी प्रेम चंद
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 2- सोने के आभूषणों में किस चीज़ की मिलावट होती है?

(क) पारे की
(ख) चाँदी की
(ग) ताम्बे की
(घ) पीतल की

 

प्रश्न 3– शुद्ध सोने का उपयोग कम क्यों किया जाता है?

(क) 24 कैरेट का होता है

(ख) मिलावट रहित होता है

(ग) क्योंकि यह नरम और लचीला होता है।

(घ) सभी सही है

 

प्रश्न 4- कौन से सोने को शुद्ध कहा जाता है ?

(क) गिन्नी का
(ख) २४ कैरट का
(ग) आभूषणों का
(घ) २३ कैरट

 

प्रश्न 5- शुद्ध सोना किस बात का प्रतीक है ?

(क) नेताओ का
(ख) रहस्यवादी लोगो का
(ग) आदर्शवादी लोगो का
(घ) अच्छा

 

प्रश्न 6-शुद्ध सोने और गिन्नी के सोने में क्या अंतर है ?

(क) शुद्ध सोने में मिलावट होती और गिन्नी के सोने में भी थोड़ा-सा ताँबा मिलाया

 जाता है  

(ख) शुद्ध सोने में मिलावट नहीं होती और गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा पीतल मिलाया

 जाता है  

(ग) शुद्ध सोने में मिलावट नहीं होती और गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा लोहा मिलाया

 जाता है  

(घ) शुद्ध सोने में मिलावट नहीं होती और गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाया

 जाता है  

प्रश्न 2- पतझर में टूटी पत्तिओं में दो प्रसंगो के माध्यम से लेखक ने किस बात की प्रेरणा दी है ?

(क) सक्रिय नागरिक बनने की
(ख) जागरूक रहने की
(ग) अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की
(घ) जागरूक रहने की

समाधान

उत्तर  1 (क) रवीन्द्र केलेकर

उत्तर 2(ग) ताम्बे की

उत्तर 3 (घ) सभी सही है

उत्तर 4 (ख) २४ कैरट का

उत्तर 5 (ग) आदर्शवादी लोगो का

उत्तर 6-(घ) शुद्ध सोने में मिलावट नहीं होती और गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाया जाता है  

उत्तर 7 – (क) सक्रिय नागरिक बनने की

 

ये बात न भूलें कि बखान आदर्शों का नहीं होता, बल्कि व्यावहारिकता का होता है। और जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रेक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यवहारिक सूझबूझ ही आने लगती है।

सोना पीछे रहकर ताँबा ही आगे आता है।
चंद लोग कहते हैं, गाँधी जी ‘प्रेक्टिकल आइडियालिस्टों’ थे। व्यावहारिकता को पहचानते थे। उसकी कीमत जानते थे। इसलिए वे अपने विलक्षण आदर्श चला सके। वरना हवा में ही उड़ते रहते। देश उनके पीछे न जाता।

प्रश्न 1– बखान किसका होता है?

(क) आदर्शों का

(ख) व्यावहारिकता का

(ग) प्रैक्टिकल आइडिया लिस्टों का

(घ) किसी का नहीं

 

प्रश्न 2- व्यावहारिकता की तुलना किससे की गई है?
(क) सोना

(ख) ताँबा
(ग) चाँदी
(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 3– जब व्यावहारिकता का बखान होता है तब प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों के जीवन से

क्या पीछे हटने लगते है ?

(क) आदर्श

(ख) व्यावहारिकता

(ग) शाश्वत मूल्य

(घ) सभी सही है

 

प्रश्न 4- जो व्यक्ति व्यावहारिक होने के साथ-साथ आदर्शों को भी अपने व्यवहार में लाता है उसे क्या कहते हैं –
(क) प्रैक्टिकल न्यूरोलॉजिस्ट
(ख) प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट
(ग) प्रैक्टिकल व्यवहारवादी
(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 5- शुद्ध आदर्शों की तुलना किसके साथ की गयी है ?

(क) गिन्नी के साथ
(ख) ताम्बे के साथ
(ग) शुद्ध सोने के साथ
(घ) सोने के साथ

 

प्रश्न 6- प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किस कोटि के लोगों की ओर इंगित करता है?

(क) जो लोग आदर्शों अपनाते हैं

(ख) जो लोग आदर्शों के साथ-साथ व्यवहारिकता को भी अपनाते हैं

(ग) जो लोग केवल व्यवहारिकता अपनाते हैं

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

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समाधान

उत्तर  1 (ख) व्यावहारिकता का

उत्तर 2(ख) ताँबा

उत्तर 3 (क) आदर्श

उत्तर 4 (ख) प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट

उत्तर 5 (ग) शुद्ध सोने के साथ

उत्तर 6-(ख) जो लोग आदर्शों के साथ-साथ व्यवहारिकता को भी अपनाते हैं

 

हाँ,  पर गाँधी जी कभी आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर उतरने नहीं देते थे। बल्कि व्यवहारिकता को आदर्शों के स्तर पर चढ़ाते थे। वे सोने में ताँबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे।
इसलिए सोना ही हमेशा आगे आता रहता था।
व्यवहारवादी लोग हमेशा सजग रहते हैं। लाभ-हानि का हिसाब लगाकर ही कदम उठाते हैं। वे जीवन में सफल होते हैं, अन्यों से आगे भी जाते हैं पर क्या वे ऊपर चढ़ते हैं।

खुद ऊपर चढ़ें और अपने साथ दूसरों को भी ऊपर लें चलें, यही महत्व की बात है। यह काम तो हमेशा आदर्शवादी लोगों ने ही किया है। समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है। व्यवहारवादी लोगों ने तो समाज को गिराया ही है।

 

प्रश्न 1– गांधीजी के नेतृत्व में कैसी क्षमता थी?

(क) व्यावहारिक

(ख) आदर्शवादी

(ग) अद्भुत

(घ) सभी सही है

 

प्रश्न 2– गाँधीजी प्रैक्टिकल आइडललिस्ट थे, कैसे?

(क) उनकी दृष्टि आदर्श से नहीं हटती थीं

(ख) आदर्शों से समझौता नहीं करते थे

(ग) उनका व्यवहार मर्यादित और श्रेष्ठ था

(घ) सभी सही है

     

 प्रश्न 3 – समाज को शाश्वत मूल्य किसने दिए हैं ?
(क) व्यवहारवादी लोगों ने

(ख) आदर्शवादी लोगों ने
(ग) रहस्यवादी लोगों ने
(घ) लोगों ने

 

प्रश्न 4 – गांधी जी सोने की क़ीमत कैसे बढ़ाते थे?

 (क) सोने में ताँबा

(क) ताँबे में सोना मिलाकर

(ग) (क) (क) दोनों सही हैं

(घ) सभी ग़लत हैं

 

प्रश्न 5– समाज को किसने गिराया है?

(क) व्यवहारवादी लोगों ने

(ख) आदर्शवादी लोगों ने

(ग) प्रेक्टिकल आइडियालिस्टों ने

(घ) किसी ने नहीं

 

प्रश्न 6-क्या व्यवहारवादी लोगों को सफल माना जा सकता है, क्यों ?

(क) नहीं, क्योंकि उनकी सफलता समाज को पतन की ओर ले जाती है।

(ख) हाँ , क्योंकि उन्हें जीवम में सफलता मिलती है।

(ग) (क) और (ख) दोनों

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

 

समाधान

उत्तर1 (ग) अद्भुत

उत्तर 2(घ) सभी सही है

उत्तर 3 (ख) आदर्शवादी लोगों ने

उत्तर 4 (क) ताँबे में सोना मिलाकर

उत्तर 5 (क) व्यवहारवादी लोगों ने

उत्तर 6-(क) नहीं, क्योंकि उनकी सफलता समाज को पतन की ओर ले जाती है।

 

           

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