Kavita Geet -Ageet , Ques. & Ans., Class 9,Hindi Course B
1 min read
You May Like- विडियो – गीत -अगीत कविता की व्याख्या
1.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।
उत्तर – नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब सोच रहा है कि यदि परमात्मा ने मुझे भी स्वर दिए होते तो मैं भी अपने पतझड़ के दिनों की व्यथा का गीत संसार को सुनाता। इससे संबंधित पंक्तियाँ हैं –
देते स्वर यदि मुझे विधाता
अपनी पतझड़ के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।
(ख) जब शुक गाता है तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – जब शुक गाता है तो शुकी उसके प्रेम में मग्न हो जाती है और उसका हृदय प्रफुल्लित हो उठता है।वह अपने पंख फैलाकर अंडे सेती हुई मग्न हो जाती है।अपने स्नेह को व्यक्त करने के लिए उसे स्वर नहीं मिल पाते ।
(ग) प्रेमी जब गाता है तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है?
उत्तर – प्रेमी जब गाता है तब प्रेमिका की इच्छा होती है कि काश वह अपने प्रेमी के गीत की कड़ी बन जाती और कड़ी के द्वारा अपने भावों को कह पाती।
(घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति – चित्रण को लिखिए।
उत्तर – प्रथम छंद में प्रकृति – चित्रण करते हुए कवि कहता है कि वन के सुनसान वातावरण में, नदी तीव्र गति से बहती चली जा रही है और अपने मन को हल्का करने के लिए जैसे किनारों से कुछ कहती हुई आगे बढ़ रही है।
गुलाब अपने भाग्य को लेकर मायूस हैं वह किनारे पर चुपचाप खड़ा है। नदी और गुलाब दोनों ही अपनी व्यथा को व्यक्त कर रहे हैं।
(ड़) प्रकृति के साथ पशु – पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – प्रकृति के साथ, पशु-पक्षियों का संबंध बहुत घनिष्ठ है। प्रकृति की सुंदरता पशु-पक्षियों को भी गुनगुनाने तथा चहचहाने के लिए प्रेरित कर देती है।
नर और मादा दोनों में प्रेम उमड़ने लगता है उनके क्रियाकलाप प्रकृति के सौंदर्य के प्रेम में विलीन हो जाते हैं। कविता के दूसरे छंद में शुक-शुकी के माध्यम से कवि ने प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंधों का वर्णन किया है।
पशु-पक्षी भी प्रकृति का ही एक अंग है और प्रकृति के ऊपर ही आश्रित हैं। पशु-पक्षी ,नदी, नालों, पेड़, पर्वतों आदि सभी को मिलाकर ही प्रकृति का रूप बनता है।
You May Like- Pathit Kavyansh , Kavita -Geet -Ageet,Class 9, Hinsdi Course B
(च) मनुष्य को प्रकृति किस इस रूप में आंदोलित करती है अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर –मनुष्य को प्रकृति अनेक रूपों में आंदोलित करती है। प्रकृति मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित करके उसे अपने सानिध्य में आने के लिए प्रेरित करती है। प्रकृति का स्वच्छ वातावरण मनुष्य को प्रभावित करता है।
मनुष्य जब कल-कल करती बहती नदी को देखता है तो उसके संगीत में खो जाता है, बारिश होती है तो उसमें भीगकर उसमें सराबोर हो जाना चाहता है।
(छ)सभी कुछ गीत है,अगीत कुछ नहीं होता।कुछ गीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सभी कुछ गीत है,अगीत कुछ नहीं होता। गीत और अगीत में थोड़ा-सा अंतर है, मन के भावों को प्रकट करने से गीत बनता है और उन्हें मन ही मन में गुनगुनाना अगीत है।गीत शब्दों की मधुर अभिव्यक्ति है जबकि अगीत उसके पूर्व की स्थिति है, जहाँ विचार मन के अंदर ही उमड़ कर रह जाते हैं बाहर नहीं आते ।
अगीत किसी भी क्षण गीत के रूप में हो सकता है। प्रकृति के कण-कण में गीत ही विद्यमान हैं। बहती हुई नदी, ठंडी हवा, पर्वत, पेड़-पौधे, झरने आदि सभी कुछ ना कुछ कह रहे हैं इसलिए अगीत कुछ भी नहीं है।
(ज) गीत-अगीत के केंद्रीय भाव को लिखिए।
उत्तर – गीत-अगीत कविता में कवि ने प्रत्यक्ष भावना अर्थात गीत और छुपी हुई भावना अर्थात अगीत की तुलना की है और यह तुलना प्रकृति में छुपे सौंदर्य के सहारे की गई है। इस कविता में प्रकृति के सौंदर्य एवं जीव जंतुओं के महत्त्व एवं मानवीय राग और प्रेम भाव का चित्रण किया गया है।
प्रकृति के प्रत्येक कण में गीत विद्यमान हैं चारों तरफ गीतों की स्वर फूट रहे हैं और प्रकृति तथा जीव -जंतु हमें कुछ ना कुछ कहने के लिए आतुर हैं। इस कविता का केंद्रीय भाव यह है कि जिस भाव या विचार को स्वर के माध्यम से अभिव्यक्ति मिल जाती है वह गीत है परंतु इसके साथ संगीत के महत्त्व को भी भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि मन ही मन में भावों को अनुभव करना भी एक सुन्दर एहसास है और गीत मन में उमड़ घुमड़ कर रह जाते हैं।
इस मधुर अहसास की गूँज सुनी तो नहीं जा सकती पर अनुभव की जा सकती है। नदी के गाने की तुलना, गुलाब के मौन से की गई है ।शुक के गाने की तुलना, शुकी के मौन से की गई है। प्रेमी के गाने की तुलना, प्रेमिका के मौन से की गई है। इस तरह से कवि ने गीत और अगीत दोनों के महत्त्व को दर्शाने का प्रयत्न किया है।
2. संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) अपने पतझड़ के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।
उत्तर –प्रस्तुत पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक स्पर्श भाग एक में संकलित कविता गीत -अगीत के उस भाग से ली गई है जिसमें नदी की सुंदरता का वर्णन है।
जब नदी गीत गाते हुए और किनारों से बात करते हुए आगे बढ़ती है तब नदी के तट पर अकेला खड़ा, गुलाब चुपचाप सोचता है कि यदि ईश्वर उसे स्वर दे देते तो वह भी अपने पतझड़ के सपनों के गीत संसार को सुना पाता।
(ख) गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक स्पर्श भाग एक में संकलित कविता गीत-अगीत के उस भाग से ली गई है जिसमें शुक और शुकी के प्रेम का वर्णन है जब पत्तियों से छनकर आने वाली किरणें तोते के पंखों का स्पर्श करती है तो तोता गाने लगता है।
(ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
विधना यो मन में गुनती है।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक स्पर्श भाग एक में संकलित कविता गीत-अगीत के उस भाग से ली गई है जिसमें प्रेमी और प्रेमिका का वर्णन है जब प्रेमी गीत गाता है तो प्रेमी के गीत पर मुग्ध होकर वह सोचती है कि काश विधाता उसे इस मधुर गीत की कड़ी बना देते।
2,240 total views, 2 views today
Very nice
Thanks Madhu Ma’am