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Smriti, Prashnottar , Sanchyan ,Class 9 Hindi Course B

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पाठ - स्मृति

पाठ - स्मृति

पाठ - स्मृति
पाठ – स्मृति

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बोध प्रश्न

प्रश्न 1– भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

उत्तर –  भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में भाई की मार का डर था। जब लेखक झरबेरी से बेर तोड़ रहा था तभी उसके भाई ने उसे बुला भेजा, भाई के बुलाने पर, घर लौटते समय, लेखक के मन में भाई के हाथ से पिटाई होने का डर था।

लेखक को लग रहा था कि बड़े भाई को बेर तोड़ने वाली बात पता चल गई होगी या किसी और शरारत का पता चल गया होगा। उसे आशंका थी कि कहीं बेर खाने के अपराध में उसकी पेशी न हो रही हो। पिटाई के ख्याल से ही लेखक का दिल दहल उठा था।

 

प्रश्न 2– मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

उत्तर – मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी और रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला ज़रूर फ़ेंकती थी। वे बच्चे ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें पता था कि कुएँ में साँप है, कुएँ में ढेला फ़ेंके जाने पर कुएँ से आने वाली आवाज़ को सुनकर उन्हें बहुत मज़ा आता था।

उस कुएँ के अंदर एक साँप गिर गया था। ढेला फ़ेंकने पर उस साँप की फ़ुफ़कार सुनाई देती थी, साँप की फ़ुफ़कार सुनने के बाद, अपनी बोली की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी, जिसे सुनकर सभी बच्चों को बहुत आनंद आता था।

 

प्रश्न 3– ‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगाया नहीं, यह बात अब तक स्मरण   नहीं’- कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

उत्तर – यह घटना 1908 में घटी थी लेकिन लेखक ने अपनी माँ को 1915 में सात साल बाद  बताया था। यह कथन लेखक कि इस मनोदशा को स्पष्ट करता है कि लेखक का डर के मारे बुरा हाल था। लेखक के भाई ने उन्हें चिट्ठियों को जल्दी से जल्दी डाकखाने में डालने को कहा था।

आदतानुसार जब लेखक ने ढ़ेला फेंकने के पहले अपनी टोपी उतारी तो चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरीं। उसके बाद तो लेखक का सारा ध्यान उन चिट्ठियों पर चला गया। उस समय वे चिट्ठियाँ लेखक के लिए, ढेले या कुएँ या साँप से अधिक महत्वपूर्ण थीं इसलिए लेखक इतना घबरा गया कि उसे इसका ध्यान ही नहीं रहा कि ढेला साँप को लगा या नहीं। 

 

प्रश्न 4–  किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

उत्तर – लेखक को उसके बड़े भाई ने चिट्ठी डाकखाने में डालने का काम सौंपा था।यदि वे डाकखाने में नहीं डाली जातीं तो घर पर मार पड़ती। लेखक चाहता तो चिट्ठियों को वहीं छोड़ देता और घर जाकर झूठ बोल देता। लेकिन लेखक ने तब तक झूठ बोलना नहीं जानता था और सच बोलने पर पिटने का भय था।

सच बोलकर पिटने का भय और झूठ बोलकर चिट्ठियों के न पहुँचने की ज़िम्मेदारी के बोझ से दबा बैठा वह सिसक रहा था। चिट्ठियाँ कुएँ में गिरी थीं वह झूठ नहीं बोल सकता था। उसका मन कहीं भाग जाने को करता था पर वह हर कीमत पर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना चाहता था इसलिए लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया।

 

प्रश्न 5– साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या क्या युक्तियाँ अपनाईं?

उत्तर – साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाई। उसने साँप को डंडे से मारने का ख़्याल छोड़ दिया। पहले उसने थोड़ी मिट्टी लेकर साँप की ओर फेंक दी जिससे साँप उसी ओर लपका और लेखक ने डंडे से चिट्ठियों को सरकाया। उसके बाद उसने डंडे से साँप का ध्यान बँटाया, डंडा लेखक की ओर खिंच आने से लेखक और साँप के आसान बदल गए और लेखक ने तुरंत ही लिफ़ाफ़े, पोस्टकार्ड चुन लिए। 

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प्रश्न 6– कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – लेखक की चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गई थीं। कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालाना साहस का काम था। लेखक ने इस चुनौती को स्वीकार किया और उसने अपनी पाँच धोतियों को जोड़कर उनमें डंडा बाँधा और एक सिरे को कुएँ में डालकर, उसके दूसरे सिरे को डेंग के चारों ओर चक्कर देकर, उसमें गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। धोती के सहारे वह कुएँ में उतरा,जब वह कुएँ के धरातल से चार-पाँच गज ऊपर था तो उसने साँप को फन फैलाए देखा, वह कुछ हाथ ऊपर लटक रहा था और साँप के पास उसके पैर लटकते थे।

साँप आक्रमण करने की तैयारी में था। साँप को धोती से लटककर नहीं मारा जा सकता था, डंडा चलाने के लिए काफ़ी जगह चाहिए थी इसलिए उसने डंडा चलाने का इरादा छोड़ दिया क्योंकि कुएँ का व्यास  इतना नहीं था कि उसमें डंडा चलाया जा सके। पहले उसने थोड़ी मिट्टी लेकर साँप की ओर फेंक दी, जिससे साँप उसकी ओर लपका और लेखक ने डंडे से चिट्ठियों को सरकाया।

उसके बाद उसने डंडे से साँप का ध्यान बँटाया, साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों को छू गया और लेखक ने डंडे को एक ओर पटक दिया। डंडा लेखक की ओर खिंच आने से, देवी कृपा से लेखक और साँप के आसान बदल गए और वह चिट्ठियाँ उठाने में कामयाब हो गया।

 

प्रश्न 7– इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

उत्तर – इस पाठ से कई बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है –

बच्चे अक्सर पेड़ों से बेर, आम और अमरूद तोड़ कर खाया करते हैं।

वे बिना मतलब जहाँ-तहाँ ढ़ेले फेंकते हैं।

कठिन और जोखिम पूर्ण कार्य करते हैं।

स्कूल जाते समय रास्ते में शरारतें करते हैं।

कुएँ में ढेला फेंककर खुश होते हैं।

वे साँप को देखकर उसे मारने निकल पड़ते हैं।

जीव -जंतुओं को तंग करके उल्लसित होते हैं।

 

प्रश्न 8– मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती है – का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह हैं कि कभी कभी बड़ी से बड़ी योजना भी धरी रह जाती है। मनुष्य अपने अनुमान के आधार पर कुछ योजनाएँ बनाता है लेकिन उसका अनुमान गलत होने की दशा में वह कुछ नहीं कर पाता। कभी -कभी परिणाम मनुष्य की सोच के विपरीत निकलता है और ऐसा ही लेखक के साथ हुआ।

वह तो साँप को मारने के ख़्याल से कुएँ में उतरा था लेकिन कुएँ में इतनी जगह नहीं थी कि डंडे को ठीक से चलाया जा सके। वह डंडे से साँप के फ़न को कुचलने की कोशिश भी नहीं कर सकता था क्योंकि निशाना चूक जाने की स्थिति में साँप के जवाबी हमले का खतरा था। लेखक के पास भागने के लिए भी कोई जगह नहीं थी।

वह बड़ी ही मुश्किल स्थिति में फँसा हुआ था क्योंकि लेखक इन सब परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं था। समय और स्थिति के अनुसार उसे अपनी योजनाओं में परिवर्तन करना पड़ा। 

 

प्रश्न 9– ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’ – पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह हैं कि मनुष्य तो कर्म करता है, उसे फल देने का काम ईश्वर करता है। फल को पाना मनुष्य के वश में नहीं है। मनचाहा फल प्राप्त नहीं किया जा सकता।

यह तो फल देने वाले की इच्छा पर निर्भर है। दृढ़ संकल्प से सारी दुविधा मिट जाती है, हमें अपने कर्त्तव्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। लेखक ने जब कुएँ में उतरकर चिट्ठियाँ निकालने का दृढ़ संकल्प कर लिया तो उसने उसके परिणाम की चिंता छोड़ दी और अपने संकल्प को पूरा करने के लिए वह कुएँ में उतर गया और उसे सफलता भी मिली।

 

 

स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न

प्रश्न 1- लेखक की चिट्ठियाँ कुएँ में क्यों और कैसे गिर गईं?

प्रश्न 2- स्मृति पाठ के आधार पर  स्पष्ट कीजिए कि –‘कितने अच्छे थे वे दिन’ -इस पंक्ति में लेखक ने किन दिनों को और क्यों अच्छा माना है?

प्रश्न 3- लेखक का छोटा भाई क्यों रोने लगा?

प्रश्न 4- चक्षुश्रवा किसे और क्यों कहा जाता है?

प्रश्न 5- ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक का युक्ति कौशल अत्यंत प्रशंसनीय था।

प्रश्न 6- कुएँ की घटना सुनकर लेखक की माँ ने क्या प्रतिक्रिया ड़ी?

प्रश्न 7- ‘मेरा डंडा अनेक साँपों के लिए नारायण -वाहन हो चुका था’ – आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 8- यह क़हानी बाल मनोविज्ञान की परतों को किस प्रकार खोलती है? इस कथन की विवेचना कीजिए।

प्रश्न 9- स्मृति पाठ के आधार पर  स्पष्ट कीजिए कि –‘कितने अच्छे थे वे दिन’ -इस पंक्ति में लेखक ने किन दिनों को और क्यों अच्छा माना है?

प्रश्न 10- लेखक ने क्या काम किया जिससे वह भारी मुसीबत में फँस गया? वह मुसीबत क्या थी? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

 

 

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