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NCERT Solutions for Ab Kaha Dusro Ke Dukh Se Dukhi Hone WaleClass 10 Hindi

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पाठ - अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले

पाठ - अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले

पाठ - अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले

PPT पाठ -अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुखी होने वाले

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प्रश्न 1 अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं ?

उत्तर – अरब में लशकर को नूह के नाम से इसलिए याद करते हैं क्योंकि वे अत्यंत दयालु और संवेदनशील थे, हमेशा रोते रहते थे अर्थात दूसरों के दुःख में दुखी रहते थे।

एक बार एक कुत्ते को उन्होंने दुत्कार दिया उस कुत्ते का जवाब सुनकर वे बहुत दुखी हुए और उम्र भर पश्चाताप के आंसू बहाते रहे अपनी करुणा भाव के कारण ही वे नूंह के नाम से याद किए जाते हैं। नूह को ईश्वर का सन्देश वाहक भी कहा जाता है। 

 

प्रश्न 2 लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थी और क्यों ?

उत्तर – लेखक की माँ पशु पक्षियों और पेड़ पौधों के प्रति अत्यंत संवेदनशील थी। वे कहती थी कि सूरज ढले अर्थात शाम के समय पेड़ों से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए क्योंकि उस समय यदि पत्ते तोड़ोगे तो पेड़ रोएँगे । उनका मानना था कि ऐसा करने पर पेड़ों को दुख होता है और वे रोते हुए बद्दुआ देंते हैं ।

 

प्रश्न 3 प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ ?

उत्तर – प्रकृति में आए असंतुलन का बहुत अधिक भयानक परिणाम हुआ। विनाशकारी तूफान आने लगे, गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रहा, है बरसाती होने से जन धन और फसलें बर्बाद होने लगी।

भूकम्प, सैलाब, तूफ़ान आने लगे और नित नए रोग उत्पन्न होने लगे जिससे पशु पक्षी असमय मरने लगे और मानव का जीवन बहुत अधिक कठिन हो गया है।

 

प्रश्न 4 लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा ?

उत्तर – लेखक की माँ धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। वे इन्सानों से ही नहीं, पक्षियों से भी प्रेम करती थी। उनके घर के दलान में कबूतर ने दो अंडे दिए थे। उनमें से एक अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया तो लेखक की माँ ने स्टूल पर चढ़ कर दूसरे अंडे को बचाने की कोशिश की।

परन्तु इस कोशिश में दूसरा अंडा लेखक की माँ के हाथ से छूट गया और टूट गया। ये सब देख कर कबूतरों का जोड़ा परेशान हो कर इधर-उधर फड़फड़ाने लगा। कबूतरों की आँखों में उनके बच्चों से बिछुड़ने का दुःख देख कर लेखक की माँ की आँखों में आँसू आ गए। इस पाप को खुदा से माफ़ कराने के लिए लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा रखा।

 

प्रश्न 5 लेखक ने ग्वालियर से बम्बई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – लेखक ने ग्वालियर से बम्बई तक अनेक बदलावों को महसूस किया लेखक कहता है कि वर्सोवा में जहाँ लेखक का घर है, वहाँ लेखक के अनुसार किसी समय में दूर तक जंगल ही जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे और दूसरे जानवर थे। अब यहाँ समंदर किनारे लंबी चौड़ी बस्ती बन गई है।

इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों चरण दो से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं जो नहीं जा सके उन्होंने यहाँ वहाँ डेरा डाल लिया  

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प्रश्न 6 – ‘डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘डेरा’ डालने का आशय है अपने रहने की व्यवस्था करनी अर्थात अस्थाई घर। अस्थाई इसलिए क्योंकि कब कौन उनका घर तोड़ दे, कोई नहीं जनता। जिस तरह मनुष्य कुछ समय के लिए कहीं बाहर जाता है तो अपने रहने का अस्थायी ठिकाना बनाता है न।

इसी प्रकार पक्षी भी रहने और अंडे देने के लिए तथा बच्चों की देखभाल के लिए डेरा डालते हैं। बड़ी-बड़ी इमारतें बन जाने के कारण कई पक्षी बेघर हो गए और जब उन्हें अपना घोंसला बनाने की जगह नहीं मिली तो उन्होंने इन इमारतों में अपना डेरा डाल लिया।

 

प्रश्न 7 शेख अयाज़ के पिता अपनी बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़ कर क्यों उठ खड़े हुए?

उत्तर – शेख अयाज़ के पिता अपनी बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़ कर क्यों उठ खड़े हुए क्योंकि वह अत्यंत दयालु और सहृदय व्यक्ति थे। वे जीवों के प्रति भी दयाभाव रखते थे। एक दिन वह कुँए से नहाकर लौटे। उनकी माँ ने भोजन परोसा।

उन्होंने जैसे ही रोटी का कोर तोड़ा उनकी नजर अपनी बाजू पर पड़ी वहाँ एक काला छोटा रेंग रहा था वह भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए माँ ने पूछा क्या बात है भोजन अच्छा नहीं लगा शेख अयाज़ के पिता बोले नहीं यह बात नहीं है मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है उस बेघर को कुएं पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ ।   

 

(ख) लिखित प्रश्नों के उत्तर ( 50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 2 – बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर – बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। जैसे जैसे आबादी बढ़ती गई मनुष्य की आवास और भोजन की जरूरतें भी बढ़ती गई और इसके लिए मनुष्य ने जंगलों को काटना आरंभ कर दिया ताकि लोगों के लिए घर बनाए जा सके इसके अलावा बढ़ती हुई आबादी ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया।

ताकि समुंदर किनारे बस्तियां बनाई जा सके इन दोनों ही कामों से पर्यावरण असंतुलित हो गया और अब गर्मी में ज्यादा गर्मी, बेवक्त बरसाते ,जलजले, सैलाब, तूफान और नित नए रोग, मानव और प्रकृति के इसी असंतुलन का परिणाम है। इस प्रकार बढ़ती आबादी ने पर्यावरण में जहर घोल दिया।

 

प्रश्न 2 – लेखक की पत्नी को खिड़की पर जाली क्यों लगानी पड़ी ?

उत्तर – लेखक की पत्नी को खिड़की पर जाली इसलिए लगानी पड़ी क्योंकि दो कबूतरों ने लेखक के फ्लैट में एक मचान में अपना घोंसला बना लिया और उसमें अंडे दे दिए, उन अंडों से बच्चे निकल आए थे। उनके पालन-पोषण की जिम्मेवारी के लिए कबूतर वहाँ बार बार आया जाया करते थे और उनके आने-जाने के कारण लेखक और लेखक के परिवार को बहुत परेशानी होती थी। कभी- कभी कबूतर चीज़ों को गिराकर तोड़ देते थे ।

परेशान हो कर लेखक की पत्नी ने कबूतरों के बच्चों को वहाँ से हटा दिया था। कबूतरों से होने वाली परेशानी से बचने के लिए लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली लगवानी पड़ी।

 

प्रश्न 3 – समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी ? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला ?

उत्तर – समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी -बिल्डरों का लालच एवं स्वार्थपरता। बिल्डरों ने समुद्र को पीछे धकेलकर उस पर ऊंची ऊंची इमारतें बनानी शुरू कर दी थीं। बेचारा समुद्र लगातार सिकुड़ता जा रहा था। पहले उसने अपनी फैली हुई टांगें समेटी, थोड़ा सिमटकर बैठ गया। फिर जगह कम पड़ी तो उकड़ू बैठ गया।

फिर खड़ा हो गया…. जब खड़े रहने की जगह कम पड़ी तो उसे गुस्सा आ गया। जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है परन्तु आता है तो रोकना मुश्किल हो जाता है, और यही हुआ उसने एक रात अपनी लहरों पर दौड़ते तीन जहाजों को उठाकर बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।

एक वर्ली के समुन्दर के किनारे पर आकर गिरा, दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के सामने औंधेमुंह और तीसरा गेटवे ऑफ इंडिया पर टूट फूट कर सैलानियों का नजारा बना बावजूद कोशिश के वे फिर से चलने फिरने के काबिल नहीं हो सके।

 

प्रश्न 4 –मिट्टी से मिट्टी मिले,
खो के सभी निशान।
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान।।
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ?स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि उस ईश्वर ने हम सभी प्राणधारियों को अनेक प्रकार की मिट्टी से बनाया है पर ये मिट्टियां आपस में मिलकर अपना रूप रंग गंध खो देती हूँ और सब मिलकर एक हो जाती है और किसी का कोई निशान नहीं रह जाता कि कौन सी मिट्टी किस प्राणी की है।

भाव यह हुआ कि लेखक कहना चाहता है व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व पर घमण्ड नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कोई नहीं जानता कि उसमें कितनी मनुष्यता है और कितनी पशुता अर्थात मनुष्य में भी सद्गुणों और दुर्गुणों का मेल है किसमें कितना सद्गुण है और कितना दुर्गुण यह कह पाना कठिन है।

 

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

(1) नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है. नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बम्बई में देखने को मिला था।

उत्तर – प्रकृति अत्यंत उदार और सहनशील है। मनुष्य की ज्यादतियों और छेड़छाड़ को वह एक सीमा तक सहन करती है और जब अति हो जाती है तो वह अपनी विनाशलीला दिखाना शुरू कर देती है। इस शोध के सामने जो भी आता है उसे वह नहीं छोड़ती और और प्रकृति के एक गुस्से का नमूना बम्बई में देखने को मिला जब समुद्र ने अपनी लहरों पर तैरते तीन जहाजों को अलग अलग दिशाओं में फेंक दिया।

 

(2) जो जितना बड़ा होता है उसको गुस्सा उतना ही कम आता है।

उत्तर -यह सत्य है कि बड़े लोग प्रायः शांत स्वभाव वाले, उदार और महान होते हैं। उनमें सहनशीलता भी बहुत अधिक होती है परन्तु जब उन्हें क्रोध आता है तो उनका क्रोध भी बहुत विनाशकारी होता है। ऐसी ही कुछ स्थिति विशालकाय समुद्र की होती है। अपने स्वार्थ के लिए जब मनुष्य ने समुद्र को पाटना शुरू कर दिया, तब समुद्र को गुस्सा आ गया।

कहा जाता है कि जो जितना बड़ा होता है उसको गुस्सा उतना ही कम आता है परन्तु जब आता है तो उनके गुस्से को कोई शांत नहीं कर सकता। समुद्र के साथ भी वही हुआ जब समुद्र को गुस्सा आया तो एक रात उसने अपनी लहरों पर दौड़ते हुए तीन जहाज़ों को उठा कर बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।

 

(3) इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिन्दों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़ कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।

उत्तर – लेखक ने ग्वालियर से बम्बई तक अनेक बदलावों को महसूस किया लेखक कहता है कि वर्सोवा में जहाँ लेखक का घर है, वहाँ लेखक के अनुसार किसी समय में दूर तक जंगल ही जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे और दूसरे जानवर थे। अब यहाँ समंदर किनारे लंबी चौड़ी बस्ती बन गई है। इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों चरण दो से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं जो नहीं जा सके उन्होंने यहाँ वहाँ डेरा डाल लिया  

 

(4) शेख अयाज़ के पिता बोले,’नहीं यह बात नहीं है। मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुँए पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – – शेख अयाज़ के पिता अत्यंत दयालु और सहृदय व्यक्ति थे। वे जीवों के प्रति भी दयाभाव रखते थे। एक दिन वह कुँए से नहाकर लौटे। उनकी माँ ने भोजन परोसा।

उन्होंने जैसे ही रोटी का कोर तोड़ा उनकी नजर अपनी बाजू पर पड़ी वहाँ एक काला छोटा रेंग रहा था वह भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए माँ ने पूछा क्या बात है भोजन अच्छा नहीं लगा शेख अयाज़ के पिता बोले नहीं यह बात नहीं है मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है उस बेघर को कुएं पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ ।   

 

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