AgniPath , Pathit Kavyansh & NCERT Solutions for Class 10 Hindi
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हरिवंशराय बच्चन
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अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
प्रश्न 1– प्रस्तुत काव्यांश के कवि का नाम लिखिए।
(क) सियराराम शरण गुप्त
(ख) हरिवंशराय बच्चन
(ग) अरुण कमल
(घ) सुमित्रानंदन पंत
प्रश्न 2– कविता का मूल भाव क्या है?
(क) वैभवपूर्ण जीवन
(ख) पीछे मुड़कर देखना
(ग) जीवन में निरंतर संघर्ष करना
(घ) गरीबों की सेवा करना
प्रश्न 3– कविता में वृक्ष शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(क) स्वार्थी मनुष्यों के लिए
(ख) कठिन समय में मदद करने वालों के लिए
(ग) आलसी मनुष्यों के लिए
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4 – एक पत्र छाँह भी माँग मत पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) दूसरों से किसी भी प्रकार की सहायता की आशा न रखना
(ख) दूसरों के आश्रम में ना रहना
(ग) दूसरों के बल पर आगे बढ़ना
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 5– कवि मनुष्य को किसी से सहायता या सुख की अपेक्षा न रखने की बात क्यों कह रहा है ?
(क) ताकि वह अपमानित न हो
(ख) ताकि उसका स्वाभिमान कायम रहे
(ग) ताकि वह मेहनती बन सके
(घ) ताकि वह दूसरों पर आश्रित न रहकर स्वयं अपने बलबूते पर आगे बढ़ सके
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समाधान
उत्तर 1-(ख) हरिवंशराय बच्चन
उत्तर 2–(ग) जीवन में निरंतर संघर्ष करना
उत्तर 3-(ख) कठिन समय में मदद करने वालों के लिए
उत्तर 4-(क) दूसरों से किसी भी प्रकार की सहायता की आशा न रखना
उत्तर 5-(घ) ताकि वह दूसरों पर आश्रित न रहकर स्वयं अपने बलबूते पर आगे बढ़ सके
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी! कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
प्रश्न 1– कवि मनुष्य को किस बात की शपथ लेने के लिए कहता है ?
(क) कभी न रुकने की ।
(ख) कभी न भी न थकने की, कभी न रुकने की और कभी पीछे मुड़कर न देखने की।
(ग) लक्ष्य को न भूलने की।
(घ) कभी काम न करने की
प्रश्न 2 –कौन-सा मनुष्य अपनी मंजिल को हासिल कर लेता है?
(क) कठिन समय में हार मानने वाला
(ख) जीवन में हमेशा दूसरों पर निर्भर रहने वाला
(ग) जीवन के अंत में हार मानने वाला
(घ) किसी भी परिस्थिति में हार न मानने वाला
प्रश्न 3 – मुड़ने का तात्पर्य क्या है?
(क) यादों में लौटना
(ख) मंजिल प्राप्त करना
(ग) मंजिल प्राप्त किए बिना लौटना
(घ) थक जाना
प्रश्न 4 – शपथ का क्या अर्थ है?
(क) पथ
(ख) प्रतिज्ञा
(ग) परिश्रम
(घ) कामना
प्रश्न 5– कवि मानव को थकने और थमने से क्यों मना करता है?
(क) क्योंकि लक्ष्य पाने के लिए निरंतर परिश्रम ज़रूरी है
(ख) क्योंकि थकना व थमना कायरता है
(ग) क्योंकि ऐसा करने से लक्ष्य में बाधा आती है
(घ) उपरोक्त सभी
समाधान
उत्तर 1-(ख) कभी भी न थकने की, कभी न रुकने की और कभी पीछे मुड़कर न देखने की
उत्तर 2-–(घ) किसी भी परिस्थिति में हार न मानने वाला
उत्तर 3- (ग) मंजिल प्राप्त किए बिना लौटना
उत्तर 4-(ख) प्रतिज्ञा
उत्तर 5-(क) क्योंकि लक्ष्य पाने के लिए निरंतर परिश्रम ज़रूरी है
यह महान दृश्य है
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
प्रश्न 1 – कवि के अनुसार महान दृश्य क्या है?
(क) कठिन समय में भी आगे बढ़ते हुए मनुष्यों को देखना
(ख) महान व्यक्तियों के दर्शन करना
(ग) जीवन के अंत में हार मानाने वालों को देखना
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2 – इस कविता के अनुसार किस प्रकार का मनुष्य पूजनीय है?
(क) आलसी और असफल व्यक्ति
(ख) अमीर और पढ़ाकू व्यक्ति
(ग) मूर्ख और अहंकारी व्यक्ति
(घ) दृढ़ ,संघर्षी और परिश्रमी व्यक्ति
प्रश्न 3 – कविता में शब्दों की पुनरावृत्ति बार -बार क्यों की गई है?
(क) बात पर ज़ोर देने के लिए
(ख) मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिए
(ग) सुर,लय, ताल बनाए रखने के लिए
(घ) इनमें से कोई नही
प्रश्न 4 – कवि के अनुसार ‘अग्नि-पथ’ का अर्थ है?
(क) जिस रास्ते पर आग लगी हो
(ख) संघर्ष पूर्ण जीवन
(ग) आग से सना हुआ रास्ता
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 5 – संघर्षमय जीवन के सुंदर रूप को कविता की किस पंक्ति में दर्शाया गया है?
(क) तू ना थकेगा कभी
(ख) तू ना थमेगा कभी
(ग) अग्निपथ अग्निपथ
(घ) यह महान दृश्य है
समाधान
उत्तर 1-(क) कठिन समय में भीaa आगे बढ़ते हुए मनुष्यों को देखना
उत्तर 2-(घ)दृढ़ ,संघर्षी और परिश्रमी व्यक्ति
उत्तर 3-(ख) मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिए
उत्तर 4- ख) संघर्ष पूर्ण जीवन
उत्तर 5- (घ) यह महान दृश्य है
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
उत्तर – कवि ने ‘अग्नि पथ’ संघर्षमय जीवन के प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है। अग्नि पथ का अर्थ है आग से घिरा रास्ता अर्थात् कठिनाइयों से घिरा रास्ता। जीवन बहुत ही संघर्षमय है ।
इसी संघर्षमय मार्ग का नाम कवि ने ‘अग्नि पथ’ रखा है क्योंकि जीवन का रास्ता अग्नि के समान है, जहाँ प्रत्येक कदम पर कठिनाइयाँ ही कठिनाइयाँ हैं।
(ख) ‘माँग मत’ ‘कर शपथ’ ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर – ‘माँग मत’ ‘कर शपथ’ ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि मनुष्य को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है। ‘माँग मत’ के द्वारा कवि कहना चाहता है कि जीवन के संघर्षमत पथ मनुष्य को सुखों की चाह नहीं करनी चाहिए।
‘कर शपथ’ के द्वारा कवि कें चाहता है कि मनुष्य को शपथ लेनी चाहिए कि अग्निपथ रूपी जीवन संघर्ष का सामना वह ,पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ करेगा। लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में आने वाली कठिन परिस्थितियों से डरकर रुकेगा नहीं, मुड़कर पीछे नहीं हटेगा। ‘लथपथ’ की पुनरावृत्ति द्वारा कभी यह कहना चाहता है कि खून, पसीने से लथपथ होकर भी मनुष्य का अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहना चाहिए।
(ग) ‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय है कि अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में मनुष्य को दूसरों से सुख प्राप्ति की आशा नहीं रखनी चाहिए। इस पंक्ति के माध्यम से कवि मनुष्य को प्रेरणा देता है कि वह दृढ़ संकल्प होकर मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का सामना करते हुए निरंतर अपने मार्ग पर अग्रसर रहे।
प्रश्न 2- निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि जब तक मनुष्य को अपनी मंज़िल न मिल जाए, तब तक से रुकना नहीं है। सदा अपने लक्ष्य पर नज़र रखनी है, मुड़कर नहीं देखना है और ना ही रुकना है। इन पंक्तियों के माध्यम से बाधाओं का डटकर मुक़ाबला करके लक्ष्य को प्राप्त करने की सीख दी गई है।
(ख) चल रहा मनुष्य है, अश्रु -स्वेद रक्त से लथपथ, लथपथ
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि संघर्ष करने वाला व्यक्ति ख़ून- पसीने में लाथपथ होकर, कष्टों में आँसुओं की परवाह किए बिना भी निरंतर आगे बढ़ता रहता है और यह हमारे लिए प्रेरणादायक हो सकता है। कवि कहता है कि मनुष्य को कभी भी रुकना नहीं चाहिए,उसे ख़ून में लथपथ होते हुए भी कठिनाइयों से हार नहीं माननी चाहिए।
प्रश्न 3- इस कविता का मूल भाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस कविता का मूल भाव जीवन में निरंतर संघर्ष करना है। इस कविता के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहता है कि यह जीवन अग्निपथ के समान है।
इस पथ पर कदम -कदम पर चुनौतियों और कष्टों का सामना करना पड़ता है।जीवन पथ में चाहे कितने भी कष्ट क्यों ना आएँ, मनुष्य को विचलित नहीं होना चाहिए, जीवन रूपी अग्निपथ की कठिन राहों पर बिना रुके,बिना थमें और बिना मुड़े निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
उसे किसी से भी सुख की आशा नहीं करनी चाहिए। इस मार्ग पर चलते हुए आँसू, पसीना बहाकर तथा ख़ून से लथपथ होकर भी उसे निरंतर संघर्ष करते रहना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति संघर्ष से पीछे नहीं हटता वही जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न
प्रश्न 1- कवि ने अपनी कविता में बार-बार ‘अग्नि पथ’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है?
प्रश्न 2- मनुष्य को किसी भी सहारे की चाह क्यों नहीं रखनी चाहिए?
प्रश्न 3- कवि क्यों चाहता है कि मनुष्य कभी भी न थके,न थमें, न मुड़े?
प्रश्न 4- कवि किस दृश्य को महान मानता है?
प्रश्न 5- वृक्ष किसका बोध करवाते हैं?
प्रश्न 6- कवि ने मनुष्य से किस बात की शपथ लेने के लिए कहा है और क्यों?
प्रश्न 7- कवि मनुष्य से क्या अपेक्षा करता है?
प्रश्न 8- ‘चल रहा मनुष्य है’ में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 9- क्या घने वृक्ष भी हमारे मार्ग की बाधा बन सकते हैं?
प्रश्न 10- कविता के आधार पर ‘अग्निपथ’ का अर्थ बताकर ‘अग्निपथ’ की दो विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
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