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NCERT Solutions for Kallu Kumhar Ki Unakoti Class 10 Hindi Sanchyan

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unakoti

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You May Like –विडियो – कल्लू कुम्हार की उनाकोटी                                        

प्रश्न 1– ‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर – ‘उनाकोटी’ का अर्थ हैएक कोटि अर्थात् एक करोड़ में एक काम। उनाकोटी में शिव की एक करोड़ में एक कम मूर्तियाँ हैं। इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह पार्वती का भक्त था। वह शिव-पार्वती के साथ उनके निवास कैलाश पर्वत जाना चाहता था ।

पार्वती के ज़ोर देने पर शिव ,कल्लू कुम्हार को कैलाश पर्वत ले जाने के लिए तैयार हो गए, लेकिन उन्होंने यह शर्त रखी कि उसे एक ही रात में शिव की एक करोड़ मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू धुन के पक्के व्यक्ति की तरह अपने काम में जुट गया, लेकिन जब गिनती हुई तो मूर्तियाँ एक कोटि में कम निकली।

कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े, शिव ने इसी बात का बहाना बनाते हुए कल्लू को अपनी मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया। यह स्थान भगवान शिव की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहाँ शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं।

 

प्रश्न 2– पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगा अवतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – पौराणिक कथा के अनुसार उनाकोटी की एक विशाल चट्टान पर, ऋषि भागीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगावतरण की पौराणिकता को चित्रित किया गया है। भागीरथ किस तरह गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे, इसमें यह दिखाया गया है।

ऐसा विश्वास है कि  गंगा अवतरण के धक्के से कहीं पृथ्वी धँसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसके लिए शिव को मनाया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और इसके बाद उसे धीरे-धीरे धरती पर बहने दें। शिव का चेहरा एक चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हैं। भारत में यह शिव की सबसे बड़ी आधार मूर्ति है। पूरे साल बहने वाला एक जलप्रपात पहाड़ों से उतरता है ,जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है।

 

प्रश्न 3– कल्लू कुमार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?

उत्तर – कल्लू कुम्हार को उनाकोटी के पहाड़ों के अंदर बनी विशाल आधार मूर्तियों का निर्माता माना जाता है। स्थानीय आदिवासियों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार पार्वती का भक्त था ।वह शिव पार्वती के निवास कैलाश जाना चाहता था लेकिन इसके लिए शिवजी ने शर्त रखी कि उसे एक रात में शिव की एक करोड़ मूर्तियाँ बनानी होंगी।

कल्लू धुन के पक्के व्यक्ति की तरह अपने काम में जुट गया, लेकिन जब गिनती हुई तो मूर्तियाँ एक कोटि में कम निकली और शिव उसे मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़कर चले गए इस तरह कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से जुड़ गया।

 

प्रश्न 4– ‘मेरी रीढ़ में झुरझुरी-सी दौड़ गई’ – लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है?

उत्तर –‘मेरी रीढ़ में झुरझुरी-सी दौड़ गई’ – लेखक के इस कथन के पीछे वह घटना जुड़ी है जब लेखक अपनी शूटिंग में व्यस्त था, उसे यह ख्याल ही नहीं था कि यह सुंदर तथा शांतिपूर्ण लगने वाला जंगल विद्रोहियों से घिरा हुआ भी हो सकता है।

सभी अपने काम में व्यस्त थे, उस समय तक डर की कोई गुंजाइश नहीं थी क्योंकि सी आर पी एफ कर्मी लेखक को सुरक्षा प्रदान कर रहे थे लेकिन जब सी आर पी एफ कर्मी ने पहाड़ियों पर इरादतन रखें दो पत्थरों की तरफ लेखक का ध्यान आकृष्ट किया और बताया कि दो दिन पहले उनका एक जवान यहीं विद्रोहियों द्वारा मार डाला गया था तो सी आर पी एफ कर्मी की यह सुनकर लेखक की रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई।

 

प्रश्न 5– त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना?

उत्तर – त्रिपुरा में बाहरी लोगों का आना लगातार बना रहता है और इसी के चलते यह राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण भी बना है। त्रिपुरा में 19 अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व मौजूद है। त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोगों के आने से कुछ समस्याएँ तो पैदा हुई है लेकिन बाहरी लोग अपनी संस्कृति एवं धर्म साथ लेकर आए, जिससे यह बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बन गया।

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प्रश्न 6– टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ, समाज कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?

उत्तर – टिलयामुरा कस्बे में लेखक का परिचय गायक हेमंत कुमार जमातिया और गायिका मंजु  ऋषिदास से हुआ। हेमंत कुमार जमातिया ,यहाँ के एक प्रसिद्ध लोकगायक है, जो 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी हो चुके हैं। हेमंत कोकबरोक बोली में गाते हैं जो त्रिपुरा की कबीलाई बोलियों में से है।

जवानी के दिनों में हेमंत कुमार जमातिया पिपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के कार्यकर्ता थे पर अब वे जिला परिषद के सदस्य बन गए थे। टिलयामुरा शहर के वार्ड नंबर तीन में लेखक की मुलाकात एक और गायक मंजु ऋषिदास से हुई ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है लेकिन जूते बनाने के अलावा इस समुदाय के कुछ लोगों की विशेषज्ञता, थाप वाले वाद्यों जैसे तबला और ढोलक के निर्माण और उनकी मरम्मत के काम में भी है।

मंजु ऋषिदास आकर्षक महिला थीं और रेडियो कलाकार होने के अलावा नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं ।उन्हें अपने वार्ड की सबसे बड़ी आवश्यकता यानी स्वच्छ पेयजल के बारे में उन्हें पूरी जानकारी थी। नगर पंचायत को वे अपने वार्ड में नल का पानी पहुँचाने और इसकी मुख्य गलियों में ईंटें बिछाने के लिए राजी कर चुकी थी।

 

प्रश्न 7– कैलासशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?

उत्तर – कैलासशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को विशेष जानकारी दी। जिलाधिकारी ने बताया कि टी पी एस की खेती को त्रिपुरा में, खासकर उत्तरी जिले में किस तरह सफलता मिली है।

आमतौर पर आलू की बुआई के लिए पारंपरिक आलू के बीजों की जरूरत, दो मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर पड़ती है जबकि टी पी एस की सिर्फ 100 ग्राम मात्रा ही एक हेक्टेयर की बुआई के लिए काफ़ी होती है। त्रिपुरा से टी पी एस का निर्यात अब ना केवल असम,मिज़ोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को बल्कि बांग्लादेश, मलेशिया और वियतनाम को भी किया जा रहा है।

 

प्रश्न 8– त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए, अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए।

उत्तर – त्रिपुरा में आलू की खेती तो की ही जाती है। अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें  तैयार करना भी त्रिपुरा के लोकप्रिय घरेलू उद्योगों में से एक है। अगरबत्तियाँ बनाने के लिए इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है ताकि अगरबत्तियाँ तैयार की जा सके। इसके अलावा बाँस से बनने वाली अन्य चीजें भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। जैसे बाँस की टोकरियाँ, कुर्सियाँ और लैंपशेड फ़ोटो फ़्रेम आदि अन्य सजावटी वस्तुएँ इत्यादि।

 

स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न

प्रश्न 1-  त्रिपुरा के विद्रोहियों के प्रति आपका क्या दृष्टिकोण है? क्या उन्हें यह रास्ता छोड़ देना चाहिए?

प्रश्न 2- मनु नदी के पुल के विषय में लेखक ने क्या लिखा है?

प्रश्न 3- किस घटना के कारण लेखक त्रिपुरा के उनाकोटी क्षेत्र की यादों में खो गया?

प्रश्न 4- लेखक ने त्रिपुरा में प्रचलित धर्मों के बारे में क्या कहा है?

प्रश्न 5- ‘कल्लू कुम्हार की उनाकोटी’ पाठ में लेखक ने त्रिपुरा में कहाँ -कहाँ शूटिंग की?

प्रश्न 6- ‘सुंदर और अत्यंत शांतिपूर्ण प्रतीत होने वाले जंगलों में हमें घेरे हुए किसी जगह विद्रोही छिपे हो सकते हैं’’, लेखक ने ऐसा क्यों कहा?

प्रश्न 7- त्रिपुरा में आलू की का निर्यात कहाँ -कहाँ किया जा सकता है?

प्रश्न 8- त्रिपुरा के हिंसाग्रस्त क्षेत्र में लेखक ने किस प्रकार यात्रा की? वह किस बात से भयभीत था?

प्रश्न 9- कल्लू कुम्हार की उनाकोटी’ पाठ के आधार पर त्रिपुरा के सामाजिक जीवन की विशेषताएँ बताइए।

प्रश्न 10- कल्लू कुम्हार की उनाकोटी’ पाठ में लेखक की त्रिपुरा यात्रा का क्या उद्देश्य था? अपने शब्दों में लिखिए।

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