NCERT Solutions for Shukra Tare Ke Sanman Class 9 Hindi Sparsh
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लेखक - स्वामी आनंद
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मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1– महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे?
उत्तर –महादेव भाई मित्रों के बीच अपने को गांधी जी का हम्माल कहते थे और कभी-कभी अपना परिचय पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर के रूप में देते थे। जिसका अर्थ है सभी प्रकार के काम सफलतापूर्वक करने वाला।
प्रश्न 2–यंग इंडिया साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?
उत्तर –यंग इंडिया साप्ताहिक में लेखों की कमी इसलिए रहने लगी थी क्योंकि यंग इंडिया नामक अंग्रेजी साप्ताहिक में लिखने वाले मुख्य संपादक हार्नीमैन को गाँधी जी का अनुयायी होने के कारण देश निकाले की सजा देकर इंग्लैंड भेज दिया गया था। जिससे यंग इंडिया में लेखों की कमी पड़ने लगी थी।
प्रश्न 3– गाँधी जी ने यंग इंडिया प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया ?
उत्तर –गाँधीजी ने यंग इंडिया प्रकाशित करने के विषय में यह निश्चय किया कि वह यंग इंडिया साप्ताहिक पत्र को हफ़्ते में केवल दो बार प्रकाशित करेंगे क्योंकि सत्याग्रह आंदोलन में व्यस्त रहने के कारण गांधी जी का काम बहुत बढ़ गया था।
प्रश्न 4– गांधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई कहा नौकरी करते थे?
उत्तर –गांधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे।
प्रश्न 5–महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?
उत्तर –महादेव भाई के झोलों में ताजे से ताज़े समाचार पत्र, मासिक पत्र, चर्चाओं से संबंधित पुस्तकें भरी होती थी।
प्रश्न 6-महादेव भाई ने गांधी जी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?
उत्तर –महादेव भाई ने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया, जो यंग इंडिया नामक पत्र में छपता रहा।
प्रश्न 7-अहमदाबाद से कौन से दो साप्ताहिक पत्र निकलते थे?
उत्तर –अहमदाबाद से यंग इंडिया और नवजीवन दो साप्ताहिक पत्र निकलते थे।
प्रश्न 8-महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?
उत्तर –महादेव भाई दिन में लगातार काम करते थे। लगातार चलने वाली यात्राएँ, विशाल समुदायों, समाजों की मुलाकातों, चर्चाओं और बातचीत के बीच स्वयं, कब खाते, कब नहाते और कब सोते? किसी को इसका कोई पता नहीं चल पाता था।वे चार घंटे का काम, एक घंटे में कर लेते थे और दिन में लगभग 17-18 घंटे काम करते थे।
प्रश्न 9-महादेव भाई से गांधी जी के निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?
उत्तर –महादेव भाई से गाँधी जी की निकटता, भर्तृहरि के भजन की इस पंक्ति से होती है ‘ऐ रे जख्म जोगे नाहि जशे’ जिसका अर्थ है कि यह घाव कभी योग से नहीं भरेगा। महादेव भाई की मृत्यु के बाद गांधी जी जब भी अपने नए कार्यकर्ता प्यारेलाल जी को बुलाते तो उनके मुँह से आनायास महादेव ही निकलता था। इससे महादेव भाई से गाँधी जी की निकटता का पता चलता है। गाँधीजी उन्हें भुला नहीं पाए थे।
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लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1.गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा?
उत्तर- सन् 1919 में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद जब पलवल स्टेशन पर गांधी जी को गिरफ़्तार किया गया था, तब गांधी जी ने महादेव को अपने उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया था और तभी उन्होंने महादेव को अपना वारिस कहा था।
2.गांधी जी से मिलने आने वालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?
उत्तर- महादेव भाई गांधी जी से मिलने आने वालों की बातों का संक्षिप्त नोट तैयार करके, उनको गांधी जी के सामने पेश करते थे और आने वालों की गांधी जी से मुलाक़ात करवाते थे। गांधी जी के सामने अंग्रेज़ों के जुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ पेश करने के लिए आने वाले पीड़ितों के दल के दल ग्राम देवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे, जो गांधी जी से मिलने के लिए आते थे। उनसे पहले महादेव भाई मुलाकात कर उनकी समस्याएँ सुनते थे फिर उनकी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करके उन्हें गांधी जी के सामने पेश करते थे।
3.महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?
उत्तर- महादेव भाई की साहित्य में बहुत रुचि थी, महादेव भाई देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र में गांधी जी की प्रतिदिन की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते रहते थे। इन्होंने टैगोर द्वारा रचित नाटिका ‘विदाई का अभिशाप’ एवं शरतचंद्र की कहानियों का अनुवाद किया था महादेव जी की साहित्यिक देन यह थी कि उन्होंने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद किया था। वे प्रतिदिन डायरी लिखते थे, उनकी डायरी और अनगिनत अभ्यास पुस्तकें आज भी मौजूद है।
4.महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर- असहनीय गर्मी, अत्यधिक काम का दबाव, रोज़ रोज़ की सेवा ग्राम तक की पैदल यात्रा आदि अनेक कारण हैं जिनके कारण महादेव भाई की अकाल मृत्यु हो गई। महादेव भाई वर्धा की असहनीय गर्मी में प्रतिदिन सुबह पैदल चलकर सेवाग्राम पहुँचते थे। वहाँ दिन भर काम करके शाम को पैदल वापस आते थे, आते-आते पूरे 11 मील तक उन्हें प्रतिदिन चलना पड़ता था। यह सिलसिला लंबे समय तक चला ,इसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और यह उनकी अकाल मृत्यु का कारण बन गया।
5.महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधी जी क्या कहते थे?
उत्तर- महादेव भाई की लेखन प्रतिभा अद्वितीय थी, उनके समान शुद्ध और सुंदर अक्षर लिखने वाला कहीं खोजने पर भी नहीं मिलता था। अन्य लोगों के लिखे लेखों में चाहे कमियाँ या खामियाँ मिल जाए परंतु महादेव जी की डायरी में या नोट में कहीं कॉमा या मात्रा तक की भी गलती नहीं मिल सकती थी। जब पत्रकार अपने मैटर को फाइनल करवाने के लिए गांधी जी के पास ओके कराने के लिए जाते थे तो गांधी जी महादेव के लिखे नोट के साथ मिलान करने को कहते, जिससे वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ न के बराबर रहें और लोग दाँतों तले उंगलियाँ दबा कर रह जाते थे।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
1.पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या क़हर बरसाया?
उत्तर- पंजाब में हो जी नहीं फ़ौजी शासन ने यह कहर बरसाया कि वहाँ के अधिकतर नेताओं को गिरफ़्तार करके फ़ौजी कानून के अंतर्गत उम्रकैद की सज़ा देकर, कालापानी के लिए भेज दिया। लाहौर के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक पत्र ट्रिब्यून के संपादक श्री कालीनाथ को 10 साल की जेल की सज़ा दी गई। लोगों को तरह-तरह की यातनाएँ दी गईं, जिनको सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते थे। जो भी हाथ लगा उसी को जेल भेज दिया गया।
2.महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?
उत्तर- महादेव भाई की ‘विनय-विवेकयुक्त’ चेतना ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था। महादेव जी गांधी जी के सहयोगी थे। उनका अधिकतर समय गांधी जी के साथ देश भ्रमण तथा उनकी प्रतिदिन की गतिविधियों पर बीता था, वे समय-समय पर गांधी जी की गतिविधियों पर टीका- टिप्पणी करते रहते थे। पत्र-पत्रिकाओं में लिखे उनके संयमित लेख, कट्टर से कट्टर विरोधियो के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा बरतना, निष्पक्ष होकर लिखना, तीव्र मतभेद और विरोधी प्रचार होने पर भी संयमित भाषा का प्रयोग करना, सबके साथ विनम्रता, समरसता का व्यवहार करना ऐसे गुण हैं जिनके कारण वे सभी के लाड़ले बन गए।
3.महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर- महादेव जी गाँधी के पत्रों को लिखते थे, उनकी लिखावट बहुत ही सुन्दर थी। पूरे भारतवर्ष में उनका कोई सानी नहीं था। उनके पत्रों की लिखावट देखकर वाईसराय भी लंबी-लंबी साँसें लेते थे। वे बहुत तेज गति से लिख सकते थे, उनकी लिखावट में कॉमा तक की भी गलती नहीं मिलती थी। उनसे सुंदर अक्षर लिखने वाला खोजने पर भी मिलना मुश्किल था। उनके लेख को देखकर, देखने वाला ठगा-सा रह जाता था। गवर्नर भी कहते थे कि पूरे ब्रिटिश प्रशासन में महादेव जैसा लिखने वाला कोई नहीं। पढ़ने वालों को उनकी लेखनी मंत्रमुग्ध कर देती थी।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
1.‘अपना परिचय उनके पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे’।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों में गांधी जी के निजी सचिव महादेव भाई जी की निष्ठा, समर्पण और उनकी प्रतिभा का वर्णन किया गया है। महादेव भाई गांधी जी के खास आदमी थे।जब कोई व्यक्ति उनसे उनका परिचय पूछता था तो वे हँसकर बड़ी सहजता से कहते थे कि मैं गाँधी जी का पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर हूँ अर्थात मेरी कोई विशेष पहचान नहीं है। गाँधी जी जो भी कहते हैं, मैं वह काम कर देता हूँ। ऐसा कहते हुए उनके चेहरे पर गौरव का भाव रहता था।
2.इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि महादेव भाई और उनके जिगरी दोस्त नरहरि भाई ने वकालत की पढ़ाई एक साथ की थी, दोनों ने एक साथ अहमदाबाद में वकालत प्रारंभ की। लेखक का कहना है कि वकालत का पेशा ऐसा होता है जिसमें वकीलों को झूठ बोलने की फ़ीस मिलती है, वे अपने मुकदमे को जीतने के लिए झूठ का सहारा लेने से भी नहीं हिचकते। इस व्यवसाय में वकील अपना दिमाग लगाकर, सबूतों और दलीलों के बल पर स्याह को सफे़द और सफे़द को स्याह अर्थात् गलत को सही और सही को गलत सिद्ध कर देते हैं।
3.देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि महादेव भाई बहुत ही प्रतिभा सम्पन्न थे, उनका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक था। लोग उनकी प्रतिभा को देखकर दाँतों तले अंगुली दबाते थे ।उनके व्यक्तित्व की यह चमक अधिक दिन तक कायम न रह सकी। जिस प्रकार नक्षत्र मंडल में तेजस्वी शुक्रतारा शाम के समय या बड़े सवेरे केवल एक-दो घंटे के लिए दिखाई देता है, उसी प्रकार महादेव भाई भी थोड़े समय के लिए अपने गुणों की चमक बिखेरकर हमारे बीच से चले गए।
4. उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस -उसाँस लेते रहते थे।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि महादेव भाई द्वारा लिखे नोट टिप्पणियाँ तथा पत्र अद्भुत होते थे। गांधी जी के अधिकांश पत्र महादेव भाई ही लिखते थे। उनकी लिखावट इतनी सुन्दर थी कि पढ़ने वाला मंत्रमुग्ध हो उठता था। उनके द्वारा लिखे गांधी जी के पत्र जब वाइसराय पढ़ते थे तो यह स्वीकार करते थे कि महादेव भाई जैसा लिखने वाला पूरे ब्रिटिश प्रशासन में नहीं है।
स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न
प्रश्न 1- शुक्रतारा आकाश में कब दिखाई देता है?
प्रश्न 2- गांधी जी के जीवन में महादेव भाई का क्या स्थान था?
प्रश्न 3- ‘बॉम्बे क्रानिकल’ में किस चीज़ की तंगी हमेशा बनी रहती थी और क्यों ?
प्रश्न 4- महादेव भाई को कौन -सी ईश्वरीय देन प्राप्त थी?
प्रश्न 5- ‘आँखों में तेल डालकर देखने’ से क्या तात्पर्य है?
प्रश्न 6- महादेव भाई किस प्रकार सबके लाड़ले बन गए?
प्रश्न 7- महादेव भाई की मृत्यु से लगा घाव क्यों नहीं भरा?
प्रश्न 8- गांधी जी और महादेव भाई के संबंधों पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 9- ‘’महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में ही विदा हो गए’’– अर्थ स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 10- शीर्षक ‘शुक्रतारे के समान’ की उपमेयता को स्पष्ट कीजिए।a
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