Swar Sandhi Class 9 Hindi Course B
1 min readYou May Like –विडीओ – अर्थ के आधार पर वाक्य
दो निकटतम वर्णों के(पहले शब्द के अंतिम तथा दूसरे शब्द के पहले वर्ण) मेल से जो परिवर्तन आता है उसे संधि कहते हैं। संधि का शाब्दिक अर्थ है जोड़ या मेल, मुख्य रूप से वर्णों के मेल या जोड़ को संधि कहते हैं।
जैसे- परम+ अर्थ= परमार्थ (पहले शब्द परम के अंतिम वर्ण अ और दूसरे शब्द के पहले वर्ण अ के मेल से आ बदलाव आया इसलिए इसे परमार्थ कहा जाएगा, परमअर्थ नहीं। इस तरह परमार्थ के निकटतम वर्णों के मेल से जो परिवर्तन आया है वह परिवर्तन ही संधि है।)
देव+ आलय = देवालय
जगत+ नाथ= जगन्नाथ
दो समीपवर्ती वर्णों के पास-पास आने के कारण, उनमें जो विकार सहित मेल होता है, उसे संधि कहते हैं।
संधि -विच्छेद
यदि संधि के नियमों के अनुसार मिले हुए वर्णों को अलग-अलग करके, संधि से पहले की स्थिति में पहुँचा दिया जाए तो इसे संधि-विच्छेद कहा जाता है। संधि में दो ध्वनियों का मेल होता है तो संधि-विच्छेद में उन ध्वनियों को अलग-अलग करके दिखाया जाता है। जैसे-
शब्द संधि -विच्छेद
विद्यालय विद्या+ आलय
संधि के भेद
संधि के तीन भेद माने जाते हैं-
- स्वर संधि 2. व्यंजन संधि 3. विसर्ग संधि
- स्वर संधि- स्वर और स्वर के मिलने से जो विकार (परिवर्तन) आता है उसे स्वर संधि कहा जाता है। जैसे- सूर्य+ उदय= सूर्योदय (अ +उ =ओ)
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि स्वर के बाद, स्वर के मेल से, उनमें जो विकार सहित परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। जैसे – देव+ आलय = देवालय
स्वर संधि के पांच भेद होते हैं-
(क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि (ग) वृद्धि संधि (घ) यण सन्धि (ड़) अयादि संधि
(क) दीर्घ संधि (विकार – आ, ईँ, ऊ) – जब दो सवर्ण स्वर पास-पास आते हैं तो दोनों मिलकर उसी वर्ण का दीर्घ स्वर बनाते हैं। अ+अ, अ+आ, आ+अ तथा आ+आ=आ के मेल से ‘आ’, इ+इ इ+ई, ई+इ तथा ई+ ई के मेल से ‘ई’, उ+उ, उ+ऊ, ऊ+ उ= ऊ तथा ऊ+ ऊ= ऊ के मेल से ‘ऊ’ बनता है, इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
अ+अ=आ अ+आ=आ
- मत+अनुसार= मतानुसार 1. देव+आलय= देवालय
- वेद+अंत= वेदांत 2. नव+आगत= नवागत
- सूर्य+अस्त= सूर्यास्त 3. सत्य+आग्रह= सत्याग्रह
- चर+अचर= चराचर 4. गज+आनन = गजानन
- धर्म+अर्थ= धर्मार्थ 5. रत्न+आकर= रत्नाकर
आ+अ=आ आ+आ=आ
- रेखा+अंश= रेखांश 1. विद्या+आलय= विद्यालय
- विद्या+अर्थी= विद्यार्थी 2. कृपा+आलु= कृपालु
- सीमा+अंत= सीमांत 3. कारा+आवास= कारावास
- परा+अस्त= परास्त 4. वार्ता+लाप= वार्तालाप
- यथा+अर्थ= यथार्थ 5. महा+आत्मा= महात्मा
इ+इ= ई इ+ई= ई
- कवि+इंद्र= कवींद्र 1. कवि+ईश्वर= कवीश्वर
- अति+इव= अतीव 2. कपि+ईश= कपीश
- कपि+इंद्र= कपींद्र 3. परि+ईक्षा= परीक्षा
- अभि+इष्ट= अभीष्ट 4. प्रति+ईक्षा= प्रतीक्षा
- मुनि+इंद्र= मुनींद्र 5. शशि+इंद्र= शशींद्र
ई+इ= ई ई+ ई= ई
- नदी+इंद्र=नदींद्र 1. नदी+ईश=नदीश
- नारी+इंद्र=नारींद्र 2. रजनी+ईश=रजनीश
- देवी+इच्छा=देवीच्छा 3. श्री+ईश=श्रीश
- मही+इंद्र=महींद्र 4. योगी+ईश्वर=योगीश्वर
- अवनी+इंद्र=अवनींद्र 5. जानकी+ईश=जानकीश
उ+उ=ऊ उ+ऊ=ऊ
- गुरु+उपदेश=गुरूपदेश 1. सिंधु+ऊर्मि= सिंधूर्मि
- सु+उक्ति=सूक्ति 2. लघु+ऊर्मि=लघूर्मि
- भानु+उदय=भानूदय 3. अंबु+ऊर्जा=अंबूर्जा
ऊ+ उ= ऊ ऊ+ ऊ= ऊ
- वधू+उत्सव=वधूत्सव 1. वधू+ऊर्मि= वधूर्मि
- भू+उद्धार=भूद्धार 2. भू+ ऊर्जा = भूर्जा
- भू+उत्सर्ग=भूत्सर्ग 3. भू+ऊष्मा= भूष्मा
(ख) गुण संधि ( विकार – ए,ओ, अर्) – जब अ या आ के बाद इ या ई हो तो दोनों के स्थान पर ‘ए’, यदि उ या ऊ हो तो दोनों के स्थान पर ‘ओ’ और यदि ऋ हो तो ‘अर्’ हो जाता है। इसे ही गुण संधि कहा जाता है।
ए का विकार अर्थात् परिवर्तन – अ/आ+इ/ई=ए अर्थात् अ-आ, इ-ई किसी भी रूप में मिलें,उनके मिलने से ‘ए’ बनता है।
अ+ इ=ए अ+ ई=ए
- स्व+इच्छा= स्वेच्छा 1. गण+ईश= गणेश
- भारत+इंदु= भारतेंदु 2. परम+ईश्वर= परमेश्वर
- सुर+इंद्र= सुरेंद्र 3. नर+ईश= नरेश
आ+ इ=ए आ+ ई=ए
- यथा+इष्ट= यथेष्ट 1. महा+ईश्वर= महेश्वर
- यथा+इच्छा= यथेच्छा 2. राका+ईश= राकेश
- महा+इंद्र= महेंद्र 3. महा+ईश= महेश
ओ का विकार अर्थात् परिवर्तन – अ/आ+ उ/ऊ=ओ अर्थात् अ-आ ,उ-ऊ किसी भी रूप में मिलें,उनके मिलने से ‘ओ’ बनता है।
अ+उ=ओ अ+ऊ=ओ
- पुरुष+उत्तम= पुरुषोत्तम 1. नव+ऊढ़ा= नवोढ़ा
- हित+उपदेश= हितोपदेश 2. जल+ऊर्मि= जलोर्मि
- भाग्य+उदय= भाग्योदय 3. सूर्य+ऊष्मा= सूर्योष्मा
आ+उ=ओ आ+ऊ=ओ
- महा+उदय= महोदय 1. गंगा+ऊर्मि= गंगोर्मि
2.महा+उत्सव= महोत्सव 2. महा+ऊष्मा= महोष्मा
3.गंगा+उदक= गंगोदक 3. दया+ ऊर्मि = दयोर्मि
‘अर्’ का विकार अर्थात् परिवर्तन- अ/आ+ऋ= अर्’ अर्थात अ-आ के ऋ से मिलने पर ‘अर्’ बनता है। जैसे –
अ+ऋ= अर् आ+ऋ= अर्
- देव+ऋषि= देवर्षि 1. महा+ऋषि= महर्षि
- सप्त+ऋषि= सप्तर्षि 2. राजा+ऋषि= राजर्षि
- वसंत+ऋतु=वसंतर्तु 3. वर्षा+ऋतु= वर्षर्तु
You May Like – MCQ – Arth Ke Aadhar Per Vakya,Class 9, Hindi Course B
( घ) वृद्धि संधि ( विकार – ऐ,औ)
जब अ या आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों के स्थान पर ‘ऐ’, यदि ओ या औ हो तो दोनों के स्थान पर ‘औ’ हो जाता है।
ऐ का विकार अर्थात् परिवर्तन -दूसरे शब्दों में अ/आ+ए/ऐ=ऐ अर्थात् अ-आ, ए-ऐ से किसी भी रूप में मिलें, उनसे ‘ऐ’ बनता है। जैसे –
अ+ए=ऐ अ+ऐ=ऐ
- एक+एक=एकैक 1. मत+ऐक्य=मतैक्य
- लोक+एषण=लोकैषणा 2. स्व+ऐच्छिक =स्वैच्छिक
- पुत्र+एषण =पुत्रैषणा 3. परम+ऐश्वर्य =परमैश्वर्य
आ+ए=ऐ आ+ऐ=ऐ
- तथा+एव=तथैव 1.महा+ऐश्वर्य= महैश्वर्य
- सदा+एव=सदैव 2.राजा+ऐश्वर्य= राजैश्वर्य
औ का विकार अर्थात् परिवर्तन – अ/आ+ ओ/औ=औ अर्थात् अ-आ, ओ-औ से किसी भी रूप में मिलें, उनसे ‘औ’ बनता है। जैसे –
अ+ओ=औ अ+औ=औ
- जल+ओध=जलौध 1.परम+औषध=परमौषध
- दंत+ओष्ठ=दंतौष्ठ 2.वन+औषध=वनौषध
- परम+ओज=परमौज 3.अत्यंत+औदार्य=अत्यंतौदार्य
आ+ ओ=औ आ+औ=औ
- महा+ओज=महौज 1. महा+औषध = महौषध
- महा+ओध=महौध 2. महा+ औदार्य =महौदार्य
- महा+ओजस्वी=महौजस्वी 3. गंगा+औदार्य = गंगौदार्य
(ड़) यण संधि ( विकार – य् ,व् और र् )- जब इ या ई के बाद इ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो इ-ई के स्थान पर ‘य्’ , यदि उ या ऊ के बाद उ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो उ या ऊ का ‘व्’ तथा ऋ के बाद ऋ के अतिरिक्त कोई भिन्न स्वर आता है तो ऋ का ‘र्’ हो जाता है।
य् का विकार अर्थात् परिवर्तन – इ या ई के बाद इ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो इ या ई का ‘य्’ हो जाता है।
इ + अ = य अति + अंत = अत्यंत
इ + आ = या परि + आवरण = पर्यावरण
इ + उ = यु अभि + उदय = अभ्युदय
इ + ऊ = यू नि + ऊन = न्यून
इ + ए = ये प्रति + एक = प्रत्येक
ई + अ =य नदी +अर्पण = नद्यर्पण
ई + आ =या सखी + आगमन =सख्यागमन
ई + उ =यु सखी +उल्लास =सख्युल्लास
ई + ऊ =यू नदी + ऊर्मि =नद्यूर्मि
व् का विकार अर्थात् परिवर्तन – उ या ऊ के बाद उ वर्ण के अतिरिक्त अन्य स्वर आए तो उ या ऊ का ‘व् ‘हो जाता है।
उ + अ = व अनु + अय = अन्वय
उ + आ =वा सु + आगत =स्वागत
उ + इ =वि अनु + इत = अन्वित
उ + ई =वी अनु + ईक्षण = अन्वीक्षण
उ + ए =वे अनु + एषण = अन्वेषण
ऊ + आ =वा वधू + आगमन = वध्वागमन
र् का विकार अर्थात् परिवर्तन – ऋ के बाद ऋ के अतिरिक्त कोई भिन्न स्वर आता है तो ऋ का ‘र्’ हो जाता है।
ऋ + अ =र पितृ + अनुमति = पित्रनुमति
ऋ + आ =रा पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
ऋ + इ =रि पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा
ऋ + उ =रु पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश
अयादि संधि – ए या ऐ के बाद ए वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ए का ‘अय्’ तथा ऐ ‘आय्’ हो जाता है। यदि ओ या औ के बाद ओ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ओ का ‘अव्’ तथा औ का ‘आव्’ हो जाता है। इसे अयादि संधि के नाम से जाना जाता है।
दूसरे शब्दों में अलग स्वरों के साथ मेल होने पर ए का ‘अय्’ तथा ऐ ‘आय्’ और ओ का ‘अव्’ तथा औ का ‘आव्’ हो जाता है। इन विकारों को अयादि संधि कहते हैं।
ए + अ = अय् ने + अन = नयन
ऐ + अ = आय् नै + अक = नायक
ऐ + इ = आयि नै + इका = नायिका
ओ + अ = अव् पो + अन = पवन
ओ + इ = अवि पो + इत्र = पवित्र
औ + अ = आव पौ + अन =पावन
औ + इ = आवि नौ + इक = नाविक
औ + उ + आवु भौ + उक = भावुक
एम सी क्यू
प्रश्न 1- संधि कितने प्रकार की होती है?
(क) दो (ख) तीन
(ग) पाँच (घ) चार
प्रश्न 2- दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार या परिवर्तन को क्या कहते हैं?
(क) समास (ख) संधि
(ग) संयोग (घ) विग्रह
प्रश्न 3- दीर्घ संधि,गुण संधि, यण संधि, अयादि संधि , संधि के किस मूल भेद के अंतर्गत
आते हैं?
(क) विसर्ग संधि (ख) स्वर संधि
(ग) व्यंजन संधि (घ) स्वरा संधि
प्रश्न 4- ‘राजैश्वर्य’ में कौन सी संधि है?
(क) वृद्धि संधि (ख) अयादि संधि
(ग) यण सन्धि (घ) दीर्घ संधि
प्रश्न 5- ‘प्रत्येक’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है?
(क) प्रती + एक (ख) प्रत + एक
(ग) प्रति + एक (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 6- किसी संधि शब्द को अलग-अलग करके लिखना क्या कहलाता है?
(क) संधि-विग्रह (ख) संधि -विच्छेद
(ग) (क) और (ख) दोनों (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 7- ‘नायक’ में कौन सी संधि है
(क) अयादि संधि (ख) वृद्धि संधि
(ग) यण सन्धि (घ) दीर्घ संधि
प्रश्न 8- ‘पित्रुपदेश’ का सही संधि -विच्छेद होगा –
(क) पित्रउपदेश (ख) पितृ + उपदेश
(ग) पितरीउपदेश (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 9- अति + अंत का सही संधि शब्द होगा –
(क) अतिअंत (ख) अतियंत
(ग) अत्यंत (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 10-‘अय्’,‘ आय्’ ,‘अव्’ तथा ‘आव्’ किस संधि के विकार हैं?
(क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि
(ग) वृद्धि संधि (घ) अयादि संधि
प्रश्न 11– ‘श्रद्धालु ’ शब्द का सही संधि विच्छेद है?
(क) श्रद्धा+आलु (ख) श्रद्ध+आलु
(ग) श्रद्धा+ लु (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 12- ‘अन्वय’ में प्रयुक्त संधि है –
(क) दीर्घ संधि (ख) यण संधि
(ग) गुण संधि (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 13- ‘अनु + इत’ किस संधि का उदाहरण है?
(क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि
(ग) यण संधि (घ) अयादि संधि
प्रश्न 14- ‘मतानुसार’ शब्द का सही संधि विच्छेद है?
(क) मता+अनुसार (ख) मता+नुसार
(ग) मतानु + सार (घ) मत+अनुसार
प्रश्न 15– ‘श्रीश’ शब्द का सही संधि विच्छेद है?
(क) श्र+ईश (ख) श्री+ईश
(ग) श्रि+ईश (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 16- यथा+इष्ट की संधि से कौन सा शब्द बनता है?
(क) यथेष्ट (ख) यथाष्ट
(ग) यथिष्ट (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 17- गुरु+उपदेश किस संधि का उदाहरण है?
(क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि
(ग) यण सन्धि (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 18- ‘चराचर’ शब्द का सही संधि विच्छेद है?
(क) चरा + चर (ख) च + आचर
(ग) चर + आचार (घ) चर+अचर
प्रश्न 19- ‘गणेश’ में प्रयुक्त संधि है –
(क) गुण संधि (ख) दीर्घ संधि
(ग) यण सन्धि (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 20- ‘परीक्षा’ शब्द का सही संधि विच्छेद है?
(क) परी + क्षा (ख) परि+ईक्षा
(ग) परी + ईक्षा (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 21- ‘जलोर्मि’ में प्रयुक्त संधि है –
(क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि
(ग) यण सन्धि (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 22- ने + अन का सही संधि शब्द होगा –
(क) नयन (ख) नेअन
(ग) नेयन (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 23- ‘सूक्ति’ शब्द का सही संधि विच्छेद है?
(क) सु+उक्ति (ख) सू +उक्ति
(ग) स + ऊक्ति (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 24- कृपा+आलु की सही संधि है?
(क) कृप+आलु (ख) कृपालु
(ग) (क) और (ख) दोनों (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 25- भौ + उक का सही संधि शब्द होगा –
(क) भावुक (ख) भौउक
(ग) भौवुक (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 26- नै + अक किस संधि का उदाहरण है?
(क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि
(ग) वृद्धि संधि (घ) अयादि संधि
प्रश्न 27- ‘स्वैच्छिक’ में कौन सी संधि है
(क) वृद्धि संधि (ख) गुण संधि
(ग) दीर्घ संधि (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 28- ‘देवर्षि’ शब्द का सही संधि विच्छेद है?
(क) देव + र्षि (ख) दे + वर्षि
(ग) देव + रिषि (घ) देव+ऋषि
प्रश्न 29- ‘पित्राज्ञा’ शब्द का सही संधि विच्छेद है?
(क) पितृ + आज्ञा (ख) पित्रा + ज्ञा
(ग) पित्रा + आज्ञा (घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 30- वसंत+ऋतु का सही संधि शब्द होगा –
(क) वसंतर्तु (ख) वसंतऋतु
(ग)वसंर्तु (घ) इनमें से कोई नहीं
समाधान
उत्तर 1 –(ख) तीन
उत्तर 2–(ख) संधि
उत्तर 3 –(ख) स्वर संधि
उत्तर 4 –(क) वृद्धि संधि
उत्तर 5 –(ग) प्रति + एक
उत्तर 6– संधि -विच्छेद
उत्तर 7–(क) अयादि संधि
उत्तर 8–(ख) पितृ + उपदेश
उत्तर 9–(ग) अत्यंत
उत्तर 10–(घ) अयादि संधि
उत्तर 11-(क) श्रद्धा+आलु
उत्तर 12–(ख) यण संधि
उत्तर 13 –(ग) यण संधि
उत्तर 14–(घ) मत+अनुसार
उत्तर 15–(ख) श्री+ईश
उत्तर 16 –(क) यथेष्ट
उत्तर 17–(क) दीर्घ संधि
उत्तर 18 –(घ) चर+अचर
उत्तर 19-(क) गुण संधि
उत्तर 20-(ख) परि+ईक्षा
उत्तर 21-(ख) गुण संधि
उत्तर22-(क) नयन
उत्तर 23-(क) सु+उक्ति
उत्तर 24-(ख) कृपालु
उत्तर 25-(क) भावुक
उत्तर 26-(घ) अयादि संधि
उत्तर 27-(क) वृद्धि संधि
उत्तर 28-(घ) देव+ऋषि
उत्तर 29-(क) पितृ + आज्ञा
उत्तर 30-(क) वसंतर्तु
2,431 total views, 2 views today