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Anuched Lekhan Definition, Topics, Tips and Examples – Class 9

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अनुच्छेद लेखन

अनुच्छेद लेखन

अनुच्छेद लेखन

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  अनुच्छेद लेखन के समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • विषय का आरंभ मुख्य विषय से करना चाहिए।
  • वाक्य छोटे-छोटे, सरल तथा परस्पर संबद्ध होने चाहिए।
  • अनुच्छेद एक ही गद्यांश में लिखें। कई गद्यांश लिखने से आपका अनुच्छेद, अनुच्छेद ना रह कर निबंध बन जाता है।
  • अनुच्छेद का आकार सीमित होना चाहिए (लगभग 80 से 100 शब्द )
  • अनुच्छेद की भाषा अत्यंत सरल,सहज और स्पष्ट होनी चाहिए ,भाषा में जटिलता नहीं होनी चाहिए ताकि पढ़ने वाला अनुच्छेद से प्रभावित हो सके।
  • अनुच्छेद लेखन के संकेत बिन्दुओं के आधार पर ही विषय का क्रम तैयार करना चाहिए।
  • संकेत बिंदुओं को अनुच्छेद में लिखकर, उन्हें रेखांकित करना चाहिए।
  • एक ही बात को बार-बार न दोहराएँ क्योंकि एक ही बात को दोहराने से अनुच्छेद को सीमित शब्दों में पूरा नहीं किया जा सकता।
  • अनुच्छेद में अनावश्यक शब्दों का प्रयोग तथा कहानी घटना आदि का उल्लेख नहीं करना चाहिए।
  • अनावश्यक विस्तार से बचें और विषय से ना हटे। अनुच्छेद भले ही संक्षेप में पूरा करना है परंतु इस बात का ध्यान रखना है कि आप अपने विषय से ना भटके।
  • अनुच्छेद का आरंभ मुख्य विषय से करना चाहिए।
  • वाक्य छोटे-छोटे, सरल तथा परस्पर संबद्ध होने चाहिए, वाक्य समूह में उद्देश्य की एकता होनी चाहिए। अप्रासंगिक बातों को नहीं लिखना चाहिए।
  • प्रश्न में पहले से ही संकेत बिंदु आदि दिए जाते हैं, उन्हीं संकेत बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद लिखना चाहिए।
  • अनुच्छेद में विषय के एक ही पक्ष का वर्णन करना चाहिए क्योंकि अनुच्छेद में शब्द सीमित होते हैं और हमें अनुच्छेद संक्षेप में लिखना होता है।
  • पूरे अनुच्छेद में एकरूपता होनी चाहिए, ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप जो लिख रहे हैं वह दिए गए विषय से अलग हो और पढ़ने वाले का ध्यान विषय से भटक जाए।
  • अनुच्छेद को पढ़ने पर निष्कर्ष समझ में आ जाना चाहिए यानि कि विषय समझ में आ जाना चाहिए।
  • अनुच्छेद किसी एक भाव या विचार को एक ही बार व्यक्त करता है इसमें बहुत सारे विचार नहीं होते।
  • अनुच्छेद एक स्वतंत्र और पूर्ण रचना है इसमें कोई भी अनावश्यक वाक्य नहीं होना चाहिए।
  • अनुच्छेद में विचारों को इस क्रम में रखा जाना चाहिए कि उनका आरंभ, मध्य और अंत आसानी से व्यक्त हो सके।

 

 

 

 प्रदूषण

संकेत बिंदु-

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण के परिणाम

प्रदूषण को रोकने के उपाय

चारों ओर के वातावरण को पर्यावरण कहते हैं। जब पर्यावरण प्रदूषित होने लगता है तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण आदि ।जब घरों और कारखानों का गंदा जल, स्वच्छ जल में आकर मिलता है तो जल प्रदूषण होता है ।यह प्रदूषण जल को बहुत नुकसान पहुँचाता है। ध्वनि प्रदूषण कारखानों आदि के शोर से उत्पन्न होता है। इससे कई प्रकार की मानसिक बीमारियाँ उत्पन्न होने का खतरा रहता है। वायु प्रदूषण वायु में जहरीली गैसों के मिलने से होता है। वाहनों और कारखानों द्वारा छोड़ा गया धुआँ वायु को प्रदूषित कर देता है। कूड़े कचरे व प्लास्टिक की थैलियों के मिट्टी में मिलने से मिट्टी में अनेक प्रकार के कीड़े पैदा हो जाते हैं। प्रदूषण से मौसम में काफी परिवर्तन आता है। ईंधन जलने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा प्रतिवर्ष बढ़ रही है जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है जो हमें प्रकृति से विरासत में मिला है। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर व आसपास की सफाई रखकर तथा वाहनों पर नियंत्रण रखकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

 

खेलों का महत्त्व

संकेत बिंदु-

-खेल हमारे जीवन का अनिवार्य अंग

-विभिन्न गुणों का विकास

-मनुष्यता की ओर ले जाने में सहायक

स्वास्थ्य शरीर, धर्म साधन की पहली आवश्यकता है इसलिए व्यायाम और खेल दोनों ही हमारे स्वस्थ और सफल जीवन के अनिवार्य अंग हैं। खेल से मन मस्तिष्क का विकास होता है। खेल के मैदान की गई मित्रता और भाईचारे का कोई जवाब नहीं होता। खेल भावना हमें जीवन की खुशी और हार के दुख से ऊपर उठाकर समरसता की ओर ले जाती है, यही समरसता व्यक्ति को जीवन में समुन्नत और सफल बनाती है। खेल अनुशासन, संगठन, पारस्परिक सहयोग, साहस, विश्वास, आज्ञाकारिता, सहानुभूति ,समरसता आदि गुणों का विकास करके हमें देश का सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बनाते हैं। खेल हमारे अंदर निर्णय लेने की शक्ति का विकास करते हैं ।ऐसा कोई गुण नहीं है जो खेलों से प्राप्त होता हो। खेलों से हमारे अंदर सामाजिकता एवं सहनशीलता की भावना का उदय होता है तथा हमारी संकुचितवृत्ति नष्ट होती है। अच्छा

 

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पराधीनता-एक अभिशाप

संकेत बिंदु-

पराधीनता का आशय

पराधीनता-एक अभिशाप

पराधीनता से मुक्ति का साधन-त्याग एवं बलिदान

पराधीनता’ शब्द ‘पर’ और ‘अधीनता’ के मेल से बना है, जिसका अर्थ है-दूसरों की अधीनता। अर्थात् हमारा जीवन, व्यवहार, कार्य आदि का दूसरों की इच्छा पर निर्भर होना। वास्तव में पराधीनता एक अभिशाप है। पराधीन मनुष्य की ज़िंदगी उसी तरह हो जाती है, जैसे-पिंजरे में बंद पक्षी। ऐसा जीवन जीने वाला मनुष्य सपने में भी सुखी नहीं हो सकता है। उसे दूसरों का गुलाम बनकर, अपनी इच्छाएँ और मन मारकर जीना होता है। पराधीन व्यक्ति को कितनी भी सुविधाएँ क्यों न दी जाएँ, वह सुखी नहीं महसूस कर सकता है क्योंकि उसकी मानसिकता गुलामों जैसी हो चुकी होती है।पराधीन व्यक्ति का मान-सम्मान और स्वाभिमान सभी कुछ नष्ट होकर रह जाता है। पराधीनता से मुक्ति पाने का साधन त्याग एवं बलिदान है। हमारा देश भी अंग्रेज़ों की पराधीनता झेल रहा था, परंतु क्रांतिकारी एवं देशभक्त युवाओं ने अपना सब कुछ त्याग कर, स्वयं को संघर्ष की आग में झोंक दिया। उन्होंने अंग्रेज़ों के अत्याचार सहे, जेलों में प्राणांतक यातनाएँ सही। हज़ारों-लाखों ने अपनी कुरबानी दी। यह संघर्ष रंग लाया और हमें पराधीनता के अभिशाप से मुक्ति मिली। अब हम स्वतंत्र रहकर अभावों में भी सुख का अनुभव करते हैं।

 

 

कंप्यूटर का महत्त्व

संकेत बिंदु-

हमारे जीवन में कंप्यूटर का प्रवेश इंटरनेट के लाभ

जीवन के सभी क्षेत्रों में उपयोगी

कंप्यूटर से हानि

आज हमारे जीवन के हर क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रवेश हो चुका है इंटरनेट सूचना के क्षेत्र में नया सुपर हाइवे है जो कंप्यूटर को ही आधार बनाकर अविष्कृत किया गया है। कंप्यूटर गणना करते है मशीने चलाते हैं शिक्षण का कार्य करते हैं। कंप्यूटर की मदद से कमजोर और अशक्त विकलांग लोग अपना कार्य सामान्य ढंग से कर रहे हैं। आज विद्यालयों कॉलेजों तथा कार्यालयों में भी कंप्यूटर पहुँच गए हैं। ये बही खाते बनाने रेखाचित्र बनाने इंजीनियरिंग के कार्य करने में हमारी सहायता करते हैं। ये अंतरिक्ष अनुसंधान और चिकित्सा जगत की जटिल समस्याओं को भी हल करते हैं अर्थात ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जो कंप्यूटर से अछूता हो। लाभ के साथ साथ कंप्यूटर से अनेक हानियाँ भी हैं। कंप्यूटर का बहुत अधिक उपयोग करने से आंखें खराब हो जाती है अनेक प्रकार की मानसिक बीमारियां लग जाती है इन बीमारियों से बचने का एकमात्र उपाय है कि कंप्यूटर का प्रयोग बहुत सोच समझकर और सीमित समय में ही किया जाए। जी बहुत हूँ

 

                      

मोबाइल फ़ोन की क्रांति

संकेत बिंदु-

भूमिका

बढ़ता उपयोग

दुरुपयोग

विज्ञान ने मनुष्य को नाना प्रकार के उपकरण दिए हैं, उनमें मोबाइल फ़ोन बहुत तेज़ी से लोकप्रिय हुआ है। इसका उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसने संचार की दुनिया में क्रांति ला दी है। शहर तो शहर गाँवों में भी लोगों को इसका प्रयोग करते  देखा जा सकता है। उच्च अधिकारियों के साथ-साथ साधारण लोग भी इसका प्रयोग कर रहे हैं। बड़े उद्योगपति से रिक्शेवाले तक के पास मोबाइल फ़ोन मिल जाता है। युवा वर्ग में मोबाइल फ़ोन रखने का ज़बरदस्त फ़ैशन है। मोबाइल फ़ोन संचार का अद्भुत उपकरण है, जिसकी उपयोगिता निस्संदेह है। इसकी मदद से हम हर समय किसी व्यक्ति की पहुँच में बने रहते हैं। दफ़्तर में रहकर भी अपने वृद्ध माता-पिता से जुड़े रह सकते हैं, उनकी आवश्यकताओं को जान सकते हैं। व्यक्ति से सीधे बात हो जाने के कारण हम परिजनों, मित्रों की असमय मदद कर सकते हैं और मदद ले सकते हैं। इसके अलावा यह हमारे मनोरंजन का साधन बन गया है, जिस पर संगीत सुनना, फ़िल्म देखना, यादगार पलों की फ़ोटो देखना, फ़ोटो खींचना, इंटरनेट का प्रयोग आदि कर सकते हैं।इसका दुरूपयोग भी किया जा रहा है। आज लोगों की शांति भंग करने में मोबाइल फ़ोन सबसे आगे है। असमय फ़ोन की घंटी बज जाने से हम परेशान हो उठते हैं, फिर भी मोबाइल फ़ोन के कारण आज क्रांति का आ चुकी है।

 

                                    

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