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 वाराणसी यात्रा  Varanasi Trip (उत्तर प्रदेश UP)

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वाराणसी

वाराणसी

                                                         वाराणसी यात्रा  Varanasi Trip

वाराणसी
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                                                                     मेरा अनुभव

वाराणसी पर्यटन का यह ब्लॉग मेरे स्वयं के अनुभव पर आधारित है और मुझे उम्मीद है कि यह ब्लॉग पाठकों को वाराणसी घूमने के लिए प्रेरित तो करेगा ही , घूमने में सहायक भी सिद्ध होगा । 

हम चार दोस्तों ने मिलकर बनारस घूमने का प्रोग्राम बनाया था और घूमने के सारे इंतज़ाम हमने स्वयं ही किए थे ।  हमें दिल्ली से वाराणसी जाना था और हमने वन्दे भारत ट्रेन से जाने का निर्णय लिया । ट्रेन से जाने का हमारा निर्णय बहुत अच्छा था क्योंकि इससे पैसों की तो बचत हुई ही साथ ही हम सबको एक साथ समय बिताने का , गप्पें मारने का भी भरपूर समय मिला । ट्रेन रात की थी इसलिए बातें करने में और सोने में समय बीत गया और सुबह नौ बजे हम  वाराणसी जंक्शन स्टेशन पर पहुँच गए ।

जहाँ इक़बाल भाई अपने इरिक्शा के साथ हमारा इंतज़ार कर रहे थे। वाराणसी जाने से पहले ही हमने तीन दिन के लिए इरिक्शा बुक कर दिया था । तीनों दिन इक़बाल भाई ने ही हमें बनारस और सारनाथ घुमाया । इरिक्शा ही  इसलिए बुक किया था क्योंकि पर्यटकों के कारण वाराणसी में पूरे साल ट्रैफ़िक बहुत ज़्यादा रहता है और  टैक्सी की अपेक्षा इरिक्शा छोटी -छोटी गलियों से होते हुए, ट्रैफ़िक को नज़र अन्दाज़ करते हुए , हमें आसानी से हमारे गंतव्य तक पहुँचा सकता था ।

वाराणसी में रहने के लिए हमने कोई होटल बुक नहीं किया था , हमने Cheerful  three Bedroom Homstay book  किया था , जिसमें एक परिवार के रहने की सभी सुविधाएँ उपलब्ध थीं । रसोईघर था जिसमें चाय बनाने के सामान से लेकर खाना बनाने तक का पूरा सामान था । घर की चाबियाँ हमारे ही पास रहती थीं इसलिए हम अपनी सुविधानुसार आ – ज़ा सकते थे ।

Cheerful 3BHK Home stay-  https://bit.ly/3ln8XaB

E Rikshaw – Iqbal Bhai – 8576807421

Taxi – Pandey Ji – 9450305173

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बनारस का इतिहास जितना पुराना है उतना ही समृद्ध भी है,यह दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक है।  वाराणसी हिंदुओ का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल  हैं। यह उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध जिला हैं। वाराणसी जिला गंगा नदी के किनारे बसा हुआ हैं। यहाँ पर लाखों की संख्या में देश के लोग तो आते ही इसके अलावा विदेश से भी लोग भारत की संस्कृति को देखने के लिए आते हैं।

वाराणसी को काशी के नाम से भी जानते हैं। काशी के बारे में कहा जाता है कि  यह नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई हैं। सदियों से हिंदू धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का केंद्र रहा है। शहर का नाम उन दो नदियों से लिया गया है जो उत्तर में वरुणा और दक्षिण में असी के नाम से जानी जाती हैं ।

यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और संस्कृत विश्वविद्यालय सहित भारत के कुछ सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों का घर है। पूरे भारत से तीर्थयात्री पवित्र गंगा नदी में स्नान करने और इसके कई मंदिरों के दर्शन करने के लिए वाराणसी आते हैं। 

दोस्तों के साथ घूमने के लिए वाराणसी बहुत अच्छी जगह है , दो से चार दोस्त हों,समय तीन दिन और बजट केवल आठ हज़ार है । कम बजट में भी आप सिर्फ़ तीन दिनों में घूमने का पूरा आनंद ले सकते हैं ।

 

 

वाराणसी कैसे जाएँ ?

सड़क, वायु और ट्रेन मार्ग आदि  के द्वारा वाराणसी पहुँचा जा सकता है।

वाराणसी शहर में  लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो भारत के अन्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

वाराणसी के तीन स्टेशन हैं -वाराणसी जंक्शन, बनारस रेलवे स्टेशन, मंडावोड । ये  रेलवे स्टेशन सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़े हुए हैं। बनारस जाने के लिए आप, बनारस के किसी भी रेलवे स्टेशन पर उतर सकते  हैं। ट्रेन से जाना चाहते हैं तो वन्दे भारत ट्रेन से जाएँ , इस ट्रेन में आप हवाई जहाज़ का लुत्फ़ उठा पाएँगे । यह ट्रेन बहुत तेज़ गति से चलने वाली ट्रेन है और इसमें बहुत-सी अतिरिक्त सुविधाएँ भी मौजूद हैं ।

यदि आप दिल्ली, मुंबई या फिर अन्य किसी शहर से वाराणसी आना चाहते है तो  आप किसी भी साधारण या डिलक्स बस के द्वारा आप वाराणसी पहुँच सकते हैं।

 

वाराणसी घूमने के लिए अनुकूल समय……

वाराणसी घूमने का सही समय अक्टूबर से लेकर मार्च तक हैं। आप इस मौसम में वाराणसी में अच्छे से घूम सकते हैं। इस दौरान यहाँ का मौसम यात्रा के लिए अनुकूल और काफी सुहावना होता हैं। नवंबर में हर साल वाराणसी में एक पाँच दिवसीय उत्सव गंगा महोत्सव मनाया जाता है, यह उत्सव आने वाले पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है।

गर्मी में बनारस घूमने के लिए सही नही हैं क्योंकि इस दौरान यहाँ पर कड़ाके की धूप होती हैं इसलिए पर्यटकों को गर्मी की अपेक्षा सर्दियों के मौसम में घूमने आना चाहिए।  

 

वाराणसी घूमने में  खर्च…….

वाराणसी घूमने के लिए आपके पास कम से कम 10 से 12,000 रुपए होने चाहिए।

 

वाराणसी में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें…

 काशी विश्वनाथ मंदिर, तुलसी मानस मंदिर, दुर्गा माता मंदिर, संकट मोचन मंदिर,  शिवाला घाट,अस्सी घाट, दशाश्वमेघ घाट, मणिकर्णिका घाट, पंचगंगा घाट, इस्कॉन वाराणसी, प्राचीन बौद्ध स्थल, ललिता घाट, सारनाथ, रामनगर किला ,अशोक स्तंभ आदि ।

वाराणसी के आस -पास 300 किमी के भीतर वाराणसी में घूमने के लिएघूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें… सारनाथ, बोधगया, पटना, कानपुर, खजुराहो, लखनऊ, सिंहपुर चंदौली, मिर्जापुर , सोनभद्र, कैमूर, इलाहाबाद आदि ।

 

वाराणसी घूमने के लिए समय…

वाराणसी घूमने के लिए कम से कम तीन  दिनों की यात्रा की योजना बनानी चाहिए। आप आस-पास के पर्यटक आकर्षणों विशेष रूप से सारनाथ और बोधगया को भी देखने की योजना बना सकते हैं।

 

वाराणसी में रहने के लिए सुविधाजनक स्थान…

  वाराणसी में ठहरने के लिए सबसे अच्छी जगह  हैं – ताज गंगा, रैडिसन होटल, पैलेस ऑन द गंगा, होटल फोर सीज़न्स, होटल डायमंड, रमाडा पैलेस और होटल सूर्य कैसर पैलेस।

Palace on ganges होटल में रुकने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि यह होटल अस्सी घाट के किनारे पर है और अस्सी घाट पर रोज़ सुबह चार बजे गंगा आरती होती है । आप बनारस जाएँ तो अस्सी घाट की सुबह की आरती ज़रूर देखें। 

अगर आप Cheerful 3BHK Home stay में रहते हैं तो उसके भी अपने फ़ायदे हैं । तुलसी मानस मंदिर, दुर्गा माता मंदिर, संकट मोचन मंदिर Cheerful 3BHK Home stay के बहुत पास हैं आप पैदल ही ज़ा सकते हैं और Home stay में रहकर घर का लुत्फ़ उठा सकते हैं ।

वाराणसी में खाने के लिए प्रसिद्ध भोजन…

बनारस के मंदिर जितने प्रसिद्ध हैं उससे कही अधिक प्रसिद्ध हैं यहाँ का भोजन ।  बनारस के लोग सुबह की शुरुआत पूड़ी सब्जी के द्वारा करते हैं। पूड़ी सब्जी,  दम आलू, बाटी, के अलावा यहाँ की गर्म जलेबी, लॉन्ग लत्ता आदि फेमस भोजन हैं।

वाराणसी

 

चाची की दुकान ( पता – संकट मोचन रोड, साकेत कॉलोनी, लंका, वाराणसी) ,काशी चाट भण्डार , दीना चाट भण्डार , भोकाल चाट , दीपक ताम्बूल भण्डार , कुबेर पान भण्डार , केशव ताम्बूल भण्डार , पहलवान लस्सी ,  बाबा ठंडाई , बादल ठंडाई , क्षीर सागर , श्री रजई सरदार स्वीट्स , श्री राजबन्धु स्वीट्स , श्रीजी स्वीट्स , पिजेरिया वाटिका , लक्ष्मी चाय वाले , गौरी शंकर कचोडी वाले , मधुर जलपान , द राम भण्डार आदि प्रसिद्ध शॉपस हैं |

                                              वाराणसी में लोकप्रिय पर्यटक स्थल  

काशी विश्वनाथ मंदिर

यहाँ पर शिव जी के कई मंदिर बने हुए हैं लेकिन यहां का प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर हैं,यह मंदिर गंगा के पास स्थित हैं।।यदि आप बनारस घूमने आए और काशी विश्वनाथ मंदिर न घूमे तो आपका वाराणसी घूमने आना बेकार हो जाएगा। बनारस आने वाले सभी भक्त सबसे पहले पवित्र गंगा में स्नान करने के बाद बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए जाते हैं।     

मंदिर के अंदर भगवान शिव की बड़ी प्रतिमा स्थापित हैं। यह मंदिर शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक हैं। मंदिर में प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं। 

  भक्तो का मानना है की गंगा में स्नान करने में बाद शिव के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मंदिर में यदि आप दर्शन करना चाहते है.तो आपको से सुबह से ही लाइन में लगना होगा तभी आपको काशी बाबा के दर्शन प्राप्त हो पाएँगे। काशी विश्वनाथ मंदिर सुबह चार बजे खुलता हैं।

 

                                                   वाराणसी का तुलसी मानस मंदिर

वाराणसी

इस मंदिर को तुलसी मानस मंदिर इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि यह माना जाता है कि  यहाँ पर तुलसीदास जी ने रामायण की रचना की थी।तुलसी मानस मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ हैं। सन 1964 में इस मंदिर को कोलकाता के प्रसिद्ध व्यापारी ने बनवाया था।

मंदिर के प्रत्येक खंभे पर रामचरित मानस लिखा हुआ हैं। यह मंदिर दो मंजिल का बना हैं, जिसमे राम, सीता लक्ष्मण, हनुमान, शिव और अन्नपूर्ण माता की प्रतिमा स्थापित हैं। वही दूसरी मंजिल पर संत तुलसीदास जी की मूर्ति लगी हुई हैं।

  तुलसी मानस मंदिर प्रत्येक सुबह 5:30 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक खुलता हैं। इसके बाद मदिर के पट बंद हो जाते हैं और दोबारा 3 बजे से लेकर रात्रि के 9 बजे मंदिर के पट खोल  दिए जाते हैं।

 

                                                               दुर्गा माता मंदिर

वाराणसी

  मंदिर के अंदर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित हैं। इस मंदिर का निर्माण 18वी शताब्दी में बंगाल की महारानी के करवाया था। मंदिर को बनाने के लिए लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया हैं। माता दुर्गा के अलावा मंदिर में माँ  काली, माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी और भैरवनाथ आदि की प्रतिमा भी स्थापित हैं।

दुर्गा माता मंदिर में भक्तों का आना-जाना लगा रहता हैं। माता के मंदिर में सबसे अधिक भीड़ नवरात्रि के समय होती हैं। इस दौरान भक्तों की काफी भीड़ माँ के दर्शन करने के लिए आती हैं। सावन के महीने में दुर्गा माता मंदिर में एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता हैं। यह मेला पूरे एक माह तक चलता हैं। वाराणसी घूमने आने पर माता के मंदिर में जाना न भूले।

संकट मोचन मंदिर

हनुमान जी का यह मंदिर, माता दुर्गा के मंदिर में पास में स्थित हैं। इस मंदिर को 19वीं शताब्दी में पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनवाया था। यहाँ के रहने वाले लोग इस मंदिर को वानर मंदिर के नाम से जानते हैं क्योंकि इस मंदिर के आस-पास बहुत सारे बंदर रहते हैं।

यहाँ के पंडित के अनुसार एक बार तुलसीदास जी यहाँ पर लेटे हुए थे, तुलसीदास को पहली बार हनुमान जी का स्वप्न यहीं पर आया था। इसके बाद उन्होंने इस जगह पर हनुमान जी की मूर्ति को स्थापित की थी।

इसके बाद मंदिर, संकट मोचन मंदिर के नाम से मशहूर हो गया। जो भी भक्त इस मंदिर के दर्शन कर लेता है, उसके सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं। आप दर्शन के लिए इस मंदिर में ज़रूर आए।

 

बनारस  के  घाट

काशी में कुल 84 घाट बने हुए हैं।अस्सी घाट, दशाश्वमेघ घाट ,मणिकर्णिका घाट यहाँ के सबसे  प्रसिद्ध घाट हैं।  

 

  मणिकर्णिका घाट

   यह घाट, बनारस के सबसे पवित्र घाटों में से एक हैं। इस घाट की सबसे खास बात यह है कि  इसके चारो तरफ मंदिर ही मंदिर बने हुए हैं। इस घाट के चारो तरफ चिताएँ जलती रहती हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि इस घाट में अंतिम संस्कार होने से व्यक्ति को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।

वाराणसी का अस्सी घाट

बनारस के 84 घाटों में सबसे प्रमुख अस्सी घाट है। अस्सी घाट की उत्पत्ति गंगा और अस्सी घाट के संगम से हुई हैं। अस्सी घाट के किनारे बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं। यहीं पर बाबा जग्गनाथ का मंदिर भी बना हुआ है, जो कि  काफ़ी  प्रसिद्ध हैं।

प्रत्येक वर्ष इस जगह पर मेले का आयोजन किया जाता हैं। बनारस घूमने आने पर आप अस्सी घाट ज़रूर आए। यहाँ प्रतिदिन सुबह और  शाम के समय गंगा आरती की जाती हैं। इस आरती में शामिल होने के लिए भक्तों की काफ़ी भीड़ लगी रहती हैं।सुबह चार बजे से गंगा आरती की तैयारी आरंभ हो जाती है ,पाणिनि महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा यह आरती संपन्न होती है ।

आरती के समय का दृश्य बहुत अद्भुत होता है, गंगा तट के किनारे पर एक ओर हवन के साथ मंत्रोच्चारण , गुरुकुल की कन्याओं द्वारा संस्कृत शलोकोच्चारण, आरती और गुरुकुल के युवा बालकों द्वारा गंगा आरती वहीं दूसरी ओर बहती हुई गंगा के दूसरे तट से धीमे -धीमे उदय होता सूर्य इतना अद्भुत , रोमांचक दृश्य कि जीवन पर्यंत इस आरती की अनुभूति ताज़ा रहेगी और सिर्फ़ इसी एक पल को जीने के लिए आप बार -बार  बनारस आना चाहेंगे।   

 

दशाश्वमेध घाट, वाराणसी

  माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान ब्रह्मा ने दशा अश्वमेध यज्ञ किया था। यह घाट एक धार्मिक स्थल है और यहाँ कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। यह घाट हर शाम आयोजित होने वाली गंगा आरती के लिए  प्रसिद्ध है, और हर दिन सैकड़ों लोग इसे देखने आते हैं।

गंगा आरती देखना एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। आप चाहे वाराणसी अकेले आ रहे हैं या परिवार के साथ जा रहे हैं, अस्सी घाट की सुबह की आरती और दशाश्वमेध  घाट की संध्या आरती देखना ना  भूलें।

 

गोदौलिया मार्केट –

महेशपुर में स्थित शॉपिंग जंक्शन गोदौलिया मार्केट को वाराणसी का सबसे बड़ा कपड़ा, सबसे व्यस्त मार्केट माना जाता है और यह मार्केट पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का विशेष केंद्र है। अगर आप वाराणसी घूमने जाते हैं तो इस मार्किट में जाना ना भूलें । यहाँ आपको  दैनिक जरूरत की सभी चीजें आसानी से मिल जाएँगी।

 

वाराणसी का रामनगर किला

यह किला बनारस के सबसे प्राचीन किलों में से एक हैं। इस किले की दूरी रेलवे स्टेशन से करीब 14 किमी की हैं। रामनगर किले का निर्माण वर्ष 1750 में किया गया था, जो कि काशी के राजा बलवंत सिंह ने बनवाया था। इस किले के महाराज आज के समय में अनंत नारायण जी हैं।

किले के निर्माण के लिए इसमें चुनार बालू का इस्तेमाल किया गया हैं। रामनगर किले के अंदर जाने के लिए चार गेट हैं। किले का मुख्य दरवाज़ा लाल रंग से रंगा हुआ हैं। वहीं किले में करीब 1000 से अधिक कमरे बने हुए हैं।

रामनगर किले को देखने के लिए आपको सुबह 10 बजे जाना होगा। किले के बंद होने का समय 5 बजे हैं। किले में प्रवेश करने के लिए आपको 15 रुपये की टिकट लेनी होगी जबकि विदेशी पर्यटक को 400 रुपए की टिकट लेनी होगी। बच्चों के लिए सिर्फ 10 रुपए की टिकट रखी गई हैं।

                                                                  सारनाथ 

वाराणसी से 13 किमी की दूरी पर स्थित सारनाथ भारत के प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। वाराणसी के आस-पास घूमने वाली जगहों में यह एक बेहद खास स्थान है।  माना जाता है कि बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने भगवान बुद्ध अपने पूर्व साथियों की तलाश में सारनाथ आये थे और उन्होंने यहाँ अपना पहला उपदेश दिया था।

सारनाथ के लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों में चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, धमेख स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, मूलगंध कुटी विहार, चीनी, थाई मंदिर और मठ शामिल हैं।

सारनाथ, बौद्ध धर्म में चार सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से है। वाराणसी के उत्तर-पूर्व में स्थित यह भारत के प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है। यह वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध ने सबसे पहले धर्म की शिक्षा दी थी और कोंडाना के ज्ञान के माध्यम से बौद्ध संघ अस्तित्व में आया था।

अशोक स्तंभ, मूलंगंधा कुटी विहार, पुरातत्व संग्रहालय, चीनी और थाई मंदिर और मठ यहाँ के आसपास देखने लायक स्थान  हैं।

सारनाथ घूमने के बाद आप उसी दिन आसानी से वापस भी आ सकते हैं। यह बौद्धों, जैनियों और हिंदुओं के लिए एक तीर्थ स्थान है और हमेशा पर्यटकों और भक्तों से भरा रहता है। 

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