हम्पी यात्रा Hampi Trip ( Karnataka)
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आजकल घूमना हर किसी को बहुत पसंद है और घूमने के शौक़ीन लोग, घूमने के लिए नई-नई जगह तलाश करते हैं। ऐसी ही एक जगह है हम्पी, जहाँ पर घूमने के लिए बहुत कुछ है।
हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजय नगर की राजधानी थी । तुंगभद्र नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी नाम से जाना जाता है और अब यह केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर युनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल किया गया है।हम्पी का विशाल फैलाव ,गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष…. आदि असंख्य इमारतें हैं।
आज के इस ब्लाग में आपको हम्पी के बारे में पूरी जानकारी दी जा रही हैं। यहाँ के ऐतिहासिक साइट के बारे में, रथ मंदिर के बारे में,हम्पी कैसा है? कहाँ पर स्थित है? यहाँ आप किस प्रकार पहुँच सकते हैं? यहाँ रुकने की अच्छी जगह कौन -सी हैं? कैसे घूम सकते हैं? कितना खर्चा आएगा? इत्यादि सभी के बारे में पूरी जानकारी दी ज़ा रही हैं।
हम्पी कैसे जाएँ ?
हम्पी पहुँचने के लिए लगभग सभी प्रकार के विकल्प जैसे कि हवाई मार्ग, रेल मार्ग, सड़क मार्ग उपलब्ध है। आप किसी भी मार्ग से जा सकते हैं।
सड़क मार्ग- कर्नाटक में सभी शहरों के लिए बस सर्विस से जुड़ा हुआ है। कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की बस के अलावा कई अन्य प्राइवेट और टूरिस्ट बसें भी हम्पी शहर के लिए चलती हैं।
रेल मार्ग – हॉस्पेट जंक्शन हम्पी का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। यह हम्पी से 13 किलोमीटर दूर है और देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल मार्ग के ज़रिए जुड़ा है। हॉस्पेट जंक्शन से कैब और बसें आराम से मिल जाती हैं और आप आराम से हम्पी घूम सकते हैं।
हवाई मार्ग- कर्नाटक में हुबली एयरपोर्ट हम्पी के सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट में से एक है। हम्पी, हुबली एयरपोर्ट से 166 किलोमीटर की दूरी पर है। हुबली एयरपोर्ट से कैब और बस आराम से उपलब्ध हो जाती है।
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हम्पी घूमने के लिए अनुकूल समय
हम्पी घूमने के लिए पाँच दिन का समय काफ़ी है और घूमने के लिए अक्टूबर से फरवरी तक का समय बहुत ही अच्छा समय होता है। हम्पी में पूरे साल मध्यम और शुष्क मौसम ही पाया जाता है। यहाँ लगभग दोपहर को छोड़कर मौसम ठंडा रहता है। ग्रीष्म काल में यहाँ पर उच्च तापमान होता है इसीलिए मार्च से जून तक का समय यहाँ घूमने के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता है।
हम्पी में ज़्यादातर भारी बारिश होती है, जिसकी वजह से दुर्घटनाएँ भी होने की संभावना रहती है, इसीलिए ऐसे इलाकों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है जो अक्तूबर,नवंबर के महीने से शुरू होता है।
हम्पी घूमने में कितना पैसा खर्च होगा?
अगर हम्पी शहर घूमना चाहते हैं तो इसका खर्चा आप पर निर्भर करता है लेकिन हम्पी घूमने में कम से कम 20 से ₹25000 तक का खर्चा आता है।अगर सुविधाजनक तरीके से पूरा शहर घूमना चाहते हैं तो बजट 30 से ₹35000 तक होगा और इस बजट में हम्पी के आस-पास की अन्य जगह भी घूमी ज़ा सकती हैं।
अगर आप अधिक खर्चा करते हैं तो आप एक गाड़ी किराए पर ले सकते हैं, जिसके जरिए आप बहुत सारी जगह घूम सकते हैं। अगर आप बस के द्वारा घूमते हैं, तो सीमित जगह पर ही घूम सकते हैं।
हम्पी में रहने के लिए सुविधाजनक स्थान
वैसे तो हम्पी में रुकने के लिए बहुत सारी जगह फेमस है। यहाँ पर बहुत सारे होटल है, जो कम दरों पर मिल जाते हैं, परंतु ऐसे में अगर आप बादामी जो कि एक फेमस जगह है, तो अच्छा रेग क्योंकि यह रुकने के लिए बहुत ही शानदार जगह है, परंतु बहुत ही कम लोग यहां पर रुकने का प्लान बनाते हैं।
अक्सर लोग दिनभर में शहर घूम कर वापस चले जाते हैं। बादामी में बहुत सारे होटल मौजूद हैं, जैसे कि मौर्य चालुक्या, क्लार्कस, इन बदामी और कृष्णा हेरिटेज होटल इत्यादि इन होटलों में सभी प्रकार की सुविधाएँ मौजूद हैं।
हम्पी में खाने के लिए प्रसिद्ध भोजन
जिस तरह से हम्पी घूमने के लिए तो प्रसिद्ध है , खाने के लिए भी प्रसिद्ध है। सबसे ज़्यादा यहाँ दक्षिण भारतीय भोजन मिलता हैं लेकिन और भी अलग-अलग प्रकार के व्यंजन आसानी से मिल जाते हैं। पीटा ब्रेड, रेस्तरां केक, हममस, पास्ता,के अलावा और भी खाने की चीजें मिल जाती है।
हम्पी में घूमने की जगह –
हम्पी एक बेहद प्राचीन स्थल रहा है। इसका इतिहास विजयनगर साम्राज्य से कहीं ज्यादा जुड़ा हुआ है। कर्नाटका की तुंगभद्रा नदी के पास स्थित यह जगह मंदिरों के लिए बहुत फेमस है। इस पर्यटक स्थल से विजयनगर साम्राज्य के समय की वस्तु कला की सुंदरता को देखा जा सकता है।
हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। आज यह जगह यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल है। इससे इस जगह की महत्ता और भी अधिक बढ़ गई है।
इस जगह ने कई राजाओं का शासन काल देखा। यहाँ की वस्तु कला में तथा अलग-अलग मंदिरों में विमान, गोपुरम, मंडप इत्यादि के माध्यम से यहाँ की पारंपरिक स्थापत्य शैली के बारे में जाना जा सकता है।
हम्पी की लोकप्रियता यहाँ के बाजारों से भी जुड़ी हुई है।हम्पी की ख़ूबसूरती को सिर्फ़ पढ़कर महसूस नहीं किया ज़ा सकता ।आप स्वयं यहाँ आएँ और इस जगह की भव्यता को अपनी आँखों से देखें और महसूस करें ।
श्री विरूपाक्ष मंदिर
श्री विरूपाक्ष मंदिर हम्पी बस स्टैंड से 400 मीटर दूरी पर स्थित है। यह सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है। विरुपाक्ष भगवान शिव का ही एक दूसरा नाम था। यह मंदिर तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है। यह पर्यटक स्थल यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल है। इस मंदिर को पंपापति मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर लगभग सातवीं शताब्दी ईस्वी से निर्मित है।
यहाँ फरवरी में वार्षिक रथ त्यौहार और दिसंबर में विरुपाक्ष और पंपा के विवाह उत्सव में इस मंदिर को बहुत ही अच्छे तरीके से सजाया जाता है, और यह प्रमुख त्योहार माना जाता है।
विट्ठल मंदिर
हम्पी का यह खूबसूरत भव्य मंदिर 10 वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। इस मंदिर में स्थित है पत्थर से बना एक रथ। अतः यहां पर विट्ठल भगवान अर्थात भगवान विष्णु भक्त आते हैं और इस मंदिर के दर्शन करते हैं।
विठाला मंदिर परिसर निःसंदेह सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। इसके मुख्य हॉल में लगे ५६ स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत लहरियाँ निकलती हैं।हॉल के पूर्वी हिस्से में प्रसिद्ध शिला-रथ है जो वास्तव में पत्थर के पहियों से चलता था।
हम्पी की प्राचीन मतंग पहाड़ी –
हम्पी का यह पर्यटक स्थल बेहद प्राचीन है। इसका संबंध रामायण कालीन संस्कृति से जुड़ा हुआ है।
इस मतंग हिल से अनेक पौराणिक कथाएं मिल जाती है। माना जाता है कि यह स्थल मतंग मुनि का उपदेश स्थल था। यहीं पर वे अपने शिष्यों को उपदेश दिया करते थे।
आजकल ट्रेकिंग के लिए यह हिल बेहद प्रसिद्ध है। इसकी ऊँची चोटी पर पहुँच पाना सबके बस की बात नहीं है पर हम इसके शिखर पर पहुँचकर, हम्पी शहर के खूबसूरत नज़ारे का भरपूर लुत्फ़ उठाया। यह यहाँ की सर्वाधिक ऊँची चोटी है और यहाँ से समस्त शहर का बेहद खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है।
हम्पी की विशाल शिवलिंग –
हम्पी शहर में स्थित यह विशाल शिवलिंग शिलाखंड से निर्मित की गई है। यह शिवलिंग पानी के बीचो -बीच स्थित है। इस शिवलिंग की ऊँचाई 3 मीटर है। यह इस स्थल का सबसे बड़ा शिवलिंग है।
लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर
हम्पी का यह प्रसिद्ध पवित्र मंदिर शेषनाग पर विराजमान नरसिंह भगवान की मूर्ति के लिए बेहद प्रसिद्ध है।
नरसिंह भगवान ,श्री विष्णु का ही एक अवतार माने जाते हैं जो सात प्रमुख सर्पो का आश्रय बनते हैं।
लक्ष्मी जी की मूर्ति उन्हीं के साथ सुशोभित है। इस मंदिर में स्थित मूर्तिकला विश्व भर में प्रसिद्ध है।
इसके अतिरिक्त इस मंदिर की नक्काशी और महीन बारीक कारीगरी बेहद सराहनीय है। इतिहास प्रेमी यहाँ स्वयं आकर ही यहाँ की प्राचीन मंदिर स्थापत्य कला के स्तर को बेहतरीन तरीक़े से जान सकते है।
कोरेकल राइड coracle Ride
तुंगभद्रा नदी के किनारे यह स्थान देखने में बहुत ही सुंदर है। यहाँ आप Coracle Ride कोरेकल यानि कि round basket-boat में बैठकर तुंगभद्रा नदी की सैर कर सकते हैं। यह अपने आपमें बिलकुल अलग और आपके लिए काफी मज़ेदार व मनोराजक साबित हो सकती है।
कोरेकल राइड, सुबह भौर के समय तीन से चार बजे करना सही रहता है। भौर का समय, जब आसमान में तारे छिपने की तैयारी में होते हैं, आज भी सोचती हूँ तो यादें ताज़ा हो जाती हैं, लगता है कल ही की बात है। नदी में तैरती Coracle (round basket-boat) में बैठे हम , चारों ओर अंधेरा ,तारों से भरा आसमान , मंद -मंद बहती हवा और नदी की लहरों से निकलता मधुर संगीत । अपने आप में अनोखा , अद्भुत अनुभव था। ऐसा अनुभव जीवन में एक बार लेना ज़रूरी है ।
श्री कृष्ण मंदिर
यह मंदिर बस स्टैंड से 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर हम्पी के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर को विश्व विरासत स्मारकों में सम्मिलित किया जाता है।
कहा जाता है, इस मंदिर का निर्माण 1513 ईसवी में कृष्णदेव राय के द्वारा किया गया था। यहाँ पर वास्तु कला को बहुत ही शानदार तरीके से दिखाया गया है।
महानवमी डिब्बा
यह बस स्टैंड से लगभग 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, इसे हाउस ऑफ विजय के नाम से भी जाना जाता है। इसी के साथ इसे दशहरा डब्बा भी कहा जाता है। इसका निर्माण 1513 ईसवीं में , कृष्णदेव राय के द्वारा किया गया था।
यह महानवमी डिब्बा हंपी शहर का केंद्र बिंदु है। महानवमी डिब्बा एक मंच नुमा आकार पर बना हुई एक शाही संरचना है।महानवमी डिब्बा के माध्यम से, विजयनगर साम्राज्य के दरबारी जीवन की झलक हमें मिल सकती है।
हजारा राम मंदिर
यह हम्पी बस स्टैंड से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित किया हुआ है। इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में किया गया था। इसका निर्माण देवराय द्वितीय ने किया था। इस मंदिर को राजाओं का निजी मंदिर और विजय नगर के शाही परिवार का माना जाता था।
इस मंदिर में रामायण की पूरी कहानी बताई जाती है, जैसे कि राम जन्म, विवाह, जंगल में उनका निर्वासन, सीता का अपहरण, राम रावण के बीच की लड़ाई, सभी चीजों को एपिसोड के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
हम्पी शहर का प्रसिद्ध अच्युतराय मंदिर –
यह अच्युत राय मंदिर शिव को समर्पित है। इस मंदिर को तिरुवेंगलनाथ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की संरचना द्रविड़ स्थापत्य शैली से प्रेरित है।
यह मंदिर बेहद महीन कारीगरी का एक अद्भुत उदाहरण है। इस मंदिर की खूबसूरती, इसकी संरचना और यहाँ पर निहित आध्यात्मिकता में यहाँ की अद्भुत कला,संस्कृति के दर्शन होते हैं । देश भर से अनेक शिव भक्त इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं।
कदेलकुल्लू गणेश मंदिर –
हम्पी का यह बेहद प्राचीन मंदिर है जो हेमकुंत पहाड़ी पर स्थित है। यह गणेश जी का मंदिर है।
इसका निर्माण 1517 में हुआ था यहां पर गणेश जी की एक विशाल मूर्ति स्थित है।
रिवर साइड रुइन
यह पावन स्थल बैकुंठ धाम के अधिपति भगवान विष्णु और अन्य हिंदू धर्म के देवताओं को समर्पित किया गया है। इसी के साथ इस मंदिर में सपाट चट्टानी सतह पर नक्काशी धार शिवलिंग स्थापित है।
शिवलिंग का आंशिक रूप जलमग्न है। यहाँ पर 108 शिवलिंग और वर्गाकार में 1008 लिंगो की एक पंक्ति भी स्थापित की हुई है। यह जगह देखने में बहुत ही खूबसूरत नजर आती है।
कमल महल
यह जगह हज़ारा राम मंदिर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। अगर बस स्टैंड से इसकी दूरी देखी जाए तो लगभग 3.5 किलोमीटर की है। इसे चित्र गनी महल भी कहा जाता है। यह एक कमल के आकार का महल है जिसे कमल के फूल का पूरा आकार दिया गया है, जो प्रवेश द्वार है वहाँ पर भी कमल के पंखुड़ियों के समान संरचना की हुई है।
यहाँ की नक्काशी देखने में काफी सुंदर प्रतीत होती है। इस महल की खासियत यह है, कि यहाँ पर ऊपरी मंजिलों में पानी के चैनल स्थित हैं, जो महल को हम्पी के गर्म दिनों में गर्मियों से ठंडा बनाए रखने के लिए मेहराब के बीच में काम करते हैं।
हाथी अस्तबल
हम्पी का यह हाथी अस्तबल विजयनगर साम्राज्य में एक शाही अस्तबल हुआ करता था। यहाँ पर साम्राज्य के शाही हाथियों को लाकर रखा गया था।
यह गुंबद आकार अस्तबल बहुत सारे कक्षों से निर्मित है। इसके गुंबद और मीनारों को देखते हुए इसकी स्थापत्य शैली का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह indo-islamic शैली से प्रेरित कर बनाई गई है।
इतिहास प्रेमी यहां के पर्यटक स्थलों पर आकर इसकी प्राचीनता को महसूस कर सकते हैं।
हम्पी का हिप्पी द्वीप –
हम्पी शहर का यह हिप्पी द्वीप तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है। इसके आस-पास की जगह एकदम खंडहर हो चुकी है। यह हिप्पी द्वीप ज़्यादा दूर नहीं है, नाव से आप 5 मिनट में पहुँच सकते हैं। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य बेहद आकर्षक है। पर्यटक यहाँ पर आकर एक सुहावने और मनमोहक वातावरण की अनुभूति करते हैं। यहाँ पर चारों और हरियाली फैली हुई।
हम्पी का लोकप्रिय यानागुंडी गाँव –
हम्पी शहर में स्थित यह यानागुंडी गाँव तुंगभद्रा नदी के किनारे है। यह गाँव यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में भी शामिल है। इससे इस गाँव की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। यह एक बेहद प्राचीन गाँव है। हम्पी शहर के ऐतिहासिक स्थलों में इस गाँव का नाम सर्वोपरि है।पर्यटक जब यहाँ पर आते हैं तो इसके संस्कृति , वातावरण, रंग में रंग जाते हैं। यानागुंडी गाँव की वस्तुकला भी बेहद लोकप्रिय है। अगर दोस्तों आप जब यहाँ आएँ तो इस यानागुंडी गाँव आना ना भूलें ।
क्लिफ जंपिंग हंपी
जिन लोगों को डाइविंग करना बहुत ही ज्यादा पसंद है, उनके लिए यह जगह बहुत ही ज्यादा अच्छी साबित हो सकती है। यहाँ पर केवल आपको हानि पहुँचाने वाली चीज जैसे कि मगरमच्छ इत्यादि से संभलकर रहने की आवश्यकता होती है। यह गतिविधि हम्पी की प्रमुख गतिविधियों में से एक मानी जाती है।
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