द्वारकाधीश मंदिर:द्वारका के दर्शन और यात्रा (Dwarkadhish Temple Dwarka Trip)
1 min readद्वारकाधीश मंदिर
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यह हिंदू मंदिर भगवान श्री विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और यह भारत के गुजरात के द्वारका में स्थित है। यह शहर गुजरात के जिले जामनगर में पड़ता है जो भारत के पश्चिम तट पर अरब सागर के किनारे स्थित हैं पाँच मंज़िला इमारत का मुख्य मंदिर जगत मंदिर या निज मंदिर के रूप में जाना जाता है। द्वारकाधीश के मूल मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के वंशज और उनके पड़पोते वज्रनाभ ने करवाया था जबकि द्वारकापुरी का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण ने विश्वकर्मा जी से करवाया था।आज कई खोजों के बाद, समुद्र के गर्भ में द्वारका नगरी के अनेक अवशेष मिले हैं जिन पर लगातार शोध जारी है ।
मंदिर की पूरी ऊँचाई लगभग 157 फीट है। इस मंदिर के शिखर पर एक झंडा लगा हुआ है, मंदिर के ऊपर का ध्वज सूर्य और चंद्रमा को दर्शाता है, जो यह दर्शाता है कि जब तक सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी पर मौजूद रहेंगे तब तक श्री कृष्ण रहेंगे। ध्वज को दिन में 5 बार बदला जाता है, इस ध्वज की लंबाई 52 गज है, हर बार समान प्रतीक के साथ, अलग रंग का ध्वज फहराया जाता है। इस ध्वज को कई मील दूर से भी देखा जा सकता है। मंदिर का शिखर 78.3 मीटर ऊँचा है। मंदिर का निर्माण चूना-पत्थर से हुआ है, जो अभी भी प्राचीन स्थिति में ही है। मंदिर में क्षेत्र पर शासन करने वाले राजवंशों के उत्तराधिकारियों द्वारा की गई जटिल मूर्तिकला का विस्तार दिखाया गया है।
गोमती नदी के तट पर स्थापित यह मंदिर बहुत ही सुंदर व अद्भुत है यही नहीं इस स्थान पर गोमती नदी अरब सागर से मिलती है। द्वारकाधीश उपमहाद्वीप पर भगवान विष्णु का 108वाँ दिव्य मंदिर है, दिव्य प्रधान की महिमा पवित्र ग्रंथों भी मानी जाती है। द्वारकाधीश मंदिर हिंदूओं का पवित्र धाम चार धाम में से एक तीर्थ माना जाता है।
द्वारकाधीश मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा | Mythology related to Dwarkadhish temple
एक किंवदंती के अनुसार, द्वारका नगरी का निर्माण श्रीकृष्ण के आग्रह पर भगवान विश्वकर्मा द्वारा (देवताओं के शिल्पकार एवं वास्तुकार) गोमती नदी के तट पर समुद्री भूमि के एक टुकड़े पर किया गया था। कहते हैं कि विश्वकर्माजी द्वारा केवल एक रात्रि में ही इस भव्य नगरी का निर्माण पूरा हो गया था। उस समय यह द्वारका नगरी स्वर्ण द्वारका के नाम से जानी जाती थी क्योंकि उस काल के दौरान अपनी धन, वैभव और समृद्धि के कारण यहाँ स्वर्ण का दरवाजा लगा हुआ था। एक बार दुर्वासा ऋषि श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणीजी से मिलने गए, उनसे मिलने के बाद उन्होंने श्रीकृष्ण से उनके निवास स्थान, द्वारका नगरी पर चलने का अनुरोध किया।
द्वारका नगरी की तरफ कुछ दूर जाने के बाद ही रुकमणि देवी थक गईं और उन्होंने श्रीकृष्ण से पानी पीने का अनुरोध किया। जिसके बाद श्रीकृष्ण ने देवी रुक्मिणी की प्यास बुझाने के लिए एक पौराणिक छेद से गंगा नदी की धारा को प्रवाहित कर दिया। इस घटना से महृषि दुर्वासा को ऐसा लगा कि रुकमणि देवी ने उन्हें द्वारका जाने से रोकने का प्रयास कर रहीं हैं, जिससे क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने रुकमणि ज़ी को उसी स्थान पर रहने का श्राप दे दिया। माना जाता है कि जिस स्थान पर रुक्मणी देवी श्राप के समय खड़ी हुई थी, उसी स्थान पर द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण किया गया।
द्वारकाधीश के लिए कितने दिनों की योजना बनाएँ –
यदि आप केवल द्वारकाधीश मंदिर और अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों को देखना चाहते हैं, तो आपको 2 से 3 दिन का समय पर्याप्त होगा। यदि आप द्वारका के आसपास के दर्शनीय स्थलों को भी देखना चाहते हैं, जैसे कि बेट द्वारका और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, तो आपको कम से कम 4 से 5 दिन का समय चाहिए।
कैसे पहुँचे द्वारकाधीश –
नई दिल्ली और द्वारका के बीच कोई सीधी परिवहन मोड कनेक्टिविटी नहीं है। नई दिल्ली से द्वारका पहुँचने का सबसे सस्ता तरीका अहमदाबाद जंक्शन तक ट्रेन है, फिर द्वारका तक बस है और इसमें 36 घंटे 45 मिनट लगते हैं। नई दिल्ली से द्वारका पहुँचने का सबसे तेज़ तरीका राजकोट हवाई अड्डे के लिए उड़ान है, फिर द्वारका के लिए कैब और 6 घंटे 44 मिनट लगते हैं।
दिल्ली से द्वारका तक यात्रा करने के लिए आप उत्तरांचल एक्सप्रेस या हरिद्वार-ओखा उत्तरांचल लिंक एक्सप्रेस ले सकते हैं। दिल्ली से सोमनाथ के लिए सीधी ट्रेनें भी उपलब्ध हैं। दिल्ली से द्वारका सड़क मार्ग द्वारा: दिल्ली और द्वारका के बीच की दूरी लगभग 1362 किमी है और बहुत से लोग इस दूरी को कैब के माध्यम से तय करना पसंद नहीं करते हैं।
- नई दिल्ली से द्वारका तक 2 साप्ताहिक ट्रेनें चलती हैं।
- नई दिल्ली से द्वारका के लिए पहली ट्रेन 13:20 बजे है
- नई दिल्ली से द्वारका के लिए आखिरी ट्रेन 14:07 बजे है
- नई दिल्ली से द्वारका के बीच सबसे तेज़ ट्रेन उत्तरांचल एक्सप्रेस है
फ्लाइट से द्वारकाधीश मंदिर कैसे पहुँचें –
द्वारका का निकटतम हवाई अड्डा जामनगर में लगभग 145 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के बाद, आप या तो टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या द्वारका पहुँचने के लिए बस ले सकते हैं। भारत की वायु सेना के स्वामित्व में, जामनगर हवाई अड्डे पर प्रतिदिन 800 यात्रियों की आवाजाही है । यह हवाई अड्डा मुंबई हवाई अड्डे और अन्य उड़ानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और आप एयर इंडिया की उड़ान ले सकते हैं जो कि एकमात्र उड़ान उपलब्ध है। हवाई यात्रा के माध्यम से पहुँचने का एक और तरीका है । आप अहमदाबाद के लिए एक उड़ान ले सकते हैं जो पूरे देश से बेहतर कनेक्टिविटी और लगातार उड़ानें प्रदान करता है। अहमदाबाद पहुँचने के बाद जो लगभग 463 किमी है, आप बाद में बस या टैक्सी ले सकते हैं।
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द्वारकाधीश मंदिर घूमने जाने का आदर्श समय – Ideal time to visit Dwarkadhish Temple
वैसे तो पर्यटक वर्ष के किसी भी समय द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा कर सकते हैं लेकिन द्वारका जाने का आदर्श समय नवम्बर से फ़रवरी के आख़िरी तक है जब शहर में ठंडा मौसम रहता है । अगर आप विशेष रूप से द्वारकाधीश मंदिर में भव्य रूप से मनाए जाने वाले जन्माष्टमी महोत्सव के उत्सव में भाग लेना चाहते हैं तो अगस्त और सितंबर के दौरान शहर की यात्रा करना अच्छा होगा इसलिए सितंबर से मार्च द्वारका जाने के लिए सबसे अच्छे महीने हैं ।
द्वारकाधीश मंदिर का प्रवेश शुल्क – Entrance fee of Dwarkadhish Temple
द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन और प्रवेश के लिए कोई भी शुल्क नही है मंदिर में पर्यटक और श्रद्धालु दोनों ही बिना किसी प्रवेश शुल्क का भुगतान किये द्वारका के राजा श्री कृष्ण के दर्शन कर सकते है।
द्वारकाधीश में रहने के लिए सुविधाजनक स्थान…
गुजरात राज्य में स्थित द्वारका भारत के सबसे पवित्र शहरों और तीर्थ स्थलों में से एक है जिस वजह से यहाँ तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के रुकने लिए पर्याप्त विकल्प मौजूद है। द्वारकाधीश मंदिर या जगत मंदिर की यात्रा में आपको सभी बजट के होटल्स और धर्मशालाएँ मिल जाएँगी,जिनको आप अपने बजट और सुविधानुसार सिलेक्ट कर सकते है।
1.फ़र्न सटवा रिज़ॉर्ट, द्वारका (The Fern Sattva Resort, Dwarka)
2.होटल रोमा क्रिस्टो (Hotel Roma Kristo)
3.स्वाति होटल द्वारका (Swati Hotel Dwarka)
4.होटल सिटी पैलेस (Hotel City Palace)
समय समय पर द्वारकाधीश की आरती देखी जा सकती है –
सुबह होने वाली आरतियाँ भोग और श्रृंगार
- मंगला आरती : सुबह 6.30
- मंगला दर्शन ; 7.00 से 8.00
- अभिषेक : 8.00 से 9.00
- श्रृंगार दर्शन : 9.00 से 9.30
- स्ननभोग : 9.30 से 9.45
- श्रृंगार दर्शन : 9.45 से 10.15
- श्रृंगारभोग : 10.15 से 10.30
- श्रृंगार आरती : 10.30 से 10.45
- ग्वाल भोग: 05 से 11.20
- दर्शन : 11.20 से 12.00
- राजभोग : 12.00 से 12.20
- दर्शन बंद : 1.00
- शाम के समय होने वाली आरती और भोग
- उथप्पन प्रथम दर्शन : 5 बजे
- उथप्पन भोग : 5.30 से 5.45
- दर्शन : 5.45 से 7.15
- संध्या भोग : 7.15 से 7.30
- संध्या आरती : 7.30 से 7.45
- शयनभोग : 8.00 से 8.10
- दर्शन : 8.10 से 8.30
- शयन आरती : 8.30 से 8.35
- दर्शन : 8.35 से 9.00
- बंटभोग और शयन : 9.00 से 9.20
- मंदिर बंद : 9.30 बजे
द्वारकाधीश मंदिर के आसपास घूमने जगहें – Places to visit around Dwarkadhish Temple In Hindi
गुजरात में स्थित द्वारका हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान और चार धामों में से एक है, जहाँ द्वारकाधीश मंदिर के साथ -साथ नीचे दिए गए अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर और पर्यटक स्थल मौजूद है।
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
- बेट द्वारका आइलैंड
- द्वारका बीच
- रुक्मणीदेवी मंदिर
- लाइटहाउस
- गोमती घाट
- गोपी तालाब
- भड़केश्वर महादेव मंदिर
- गीता मंदिर
- सुदामा सेतु
- इस्कॉन
- स्वामी नारायण मंदिर
- डनी पॉइंट
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