Padbandh – Sparsh se udahran पाठ्यपुस्तक स्पर्श से पदबंधों के उदाहरण
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पाठ्यपुस्तक स्पर्श से पदबंधों के उदाहरण
पाठ्यपुस्तक स्पर्श से पदबंधों के उदाहरण

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क्रिया-विशेषण पदबंध
पदों का ऐसा बंध जो किसी ‘विशेषण पद’ के स्थान पर प्रयुक्त होकर वही कार्य करता हैं जो उस अकेले विशेषण पद द्वारा किया जा रहा था, तो उसे ‘विशेषण पदबंध’ कहते हैं।
पाठ – 1 बड़े भाई साहब
1.एक साल का काम दो साल में करते थे।
- वे हरदम किताबें खोले बैठे रहते थे।
- मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढूँगा।
- मैं खेलते कूदते दरजे मेँ अव्वल आ गया।
पाठ – 2 डायरी का पन्ना
- बड़े बाजार के मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था।
- सुभाष बाबू बड़े ज़ोर से वंदे मातरम बोलते थे।
- मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने अपने विद्यालय में झंडोत्सव मनाया।
- ठीक चार बजकर दस मिनट पर सुभाष बाबू जुलूस लेकर आए।
पाठ – 3 तताँरा वामीरो कथा
- कल मैं इसी चट्टान पर प्रतीक्षा करूँगा।
- अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ दौड़ पड़ी।
- कुछ समय बाद बासा गाँव में पशु पर्व का आयोजन हुआ।
- तताँरा दिन भर के अथक परिश्रम के बाद समुद्र किनारे टहलने निकल पड़ा।
पाठ – 4 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र
- राजकपूर ने इस फ़िल्म में उतनी ही तन्मयता के साथ काम किया।
- कहानी सुनकर उन्होंने बड़े उत्साह पूर्वक काम करना स्वीकार किया।
- कजरी नदी किनारे उकडू बैठा हीरामन गीत गाते हुए हीराबाई से पूछता है।
पाठ – 6 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
- एक दिन उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे।
- नूह ने दुत्कारते हुए कहा दूर हो जा गंदे कुत्ते।
- नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में देखने को मिला था।
- एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया।
पाठ – 7 पतझर में टूटी पत्तियाँ
- शाम को वह मुझे एक टी सेरेमनी में ले गए।
- कमर झुकाकर उसने हमें प्रणाम किया।
- दो झों (आइए तशरीफ लाइए) कह कर स्वागत किया।
- पहले दस पंद्रह मिनट तो मैं उलझन में पड़ा।
पाठ – 8 कारतूस
- कोई पाँच महीने हुकूमत की होगी।
- अपनी जानिसारों के साथ आजमगढ़ की तरफ भाग गया।
- अब ये कारवाँ इन जंगलों में कई साल से भटक रहा है।
- हमें अच्छी तरह मालूम है कि वो इन्हीं जंगलों में है।
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क्रिया पदबंध
वाक्य में प्रयुक्त क्रिया हमेशा पदबंध के रूप में ही होती है पता है अतः उसे क्रिया पदबंध ही कहा जाता है।
पाठ – 1 बड़े भाई साहब
- एक साल का काम दो साल में करते थे।
- वे हरदम किताब खोले बैठे रहते थे।
- मैं खेलते कूदते दरजे मेँ अव्वल आ गया।
- मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।
पाठ – 2 डायरी का पन्ना
बड़े बाजार के मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था।
- सुभाष बाबू बड़े ज़ोर से वंदे मातरम बोलते थे।
- मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने अपने विद्यालय में झंडोत्सव मनाया।
- ठीक चार बजकर दस मिनट पर सुभाष बाबू जुलूस लेकर आए।
पाठ – 3 तताँरा वामीरो कथा
- कल मैं इसी चट्टान पर प्रतीक्षा करूँगा।
- अचानक वामी रो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ दौड़ पड़ी।
- युवती कुछ झुँझला उठी।
- तताँरा दिन भर के अथक परिश्रम के बाद समुद्र किनारे टहलने निकल पड़ा।
पाठ – 4 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र
- राजकपूर ने इस फ़िल्म में उतनी ही तन्मयता के साथ काम किया।
- कहानी सुनकर उन्होंने बड़े उत्साह पूर्वक काम करना स्वीकार किया।
- व्यवसायिक सूझबूझ वाले भी चक्कर खा जाते थे।
- अच्छा कवि हृदय ही बना सकता था।
पाठ – 6 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
- एक दिन उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे।
- फौज आ रही है।
- नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में देखने को मिला था।
- एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया।
पाठ – 7 पतझर में टूटी पत्तियाँ
- शाम को वह मुझे एक टी सेरेमनी में ले गए।
- कमर झुकाकर उसने हमें प्रणाम किया।
- दो झों (आइए तशरीफ लाइए) कह कर स्वागत किया।
- जीना किसे कहते हैं, उस दिन मालूम हुआ।
पाठ – 8 कारतूस
- कोई पाँच महीने हुकूमत की होगी।
- अपनी जानिसारों के साथ आजमगढ़ की तरफ भाग गया।
- अब ये कारवाँ इन जंगलों में कई साल से भटक रहा है।
- दूर से गर्द उठती दिखाई दे रही है।
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