उत्तर – समास का मुख्य उद्देश्य भाषा कोअधिक प्रभावी, संक्षिप्त और अर्थपूर्ण बनाना है। समास में दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर
एक नया शब्द बनता है, जिससे भाषा में संक्षिप्तीकरण आता है ।
उदाहरण –
डाकगाड़ी– डाक और गाड़ी शब्दों को मिलकर एक नया शब्द बनाया गया है, जो संक्षिप्त और अर्थपूर्ण है।
प्रश्न –अव्ययीभाव समास की क्या पहचान है ?
उत्तर – अव्ययीभाव समास की पहचान यह है कि इसमें पहला पद अव्यय होता है और वह पद समस्त पद का अर्थ देता है।
प्रश्न –अव्ययीभाव समास में अव्यय पद का क्या योगदान है?
उत्तर – अव्ययीभाव समास में अव्यय पद का मुख्य योगदान यह है कियह समास का पहला पद होता है और इसका अर्थ ही प्रधान होता है।
अव्यय के कारण ही समस्त पद अव्यय बन जाता है और उसका रूप नहीं बदलता।यह योगदान इसे एक महत्वपूर्ण और विशिष्ट प्रकार का समास बनाता है।
प्रश्न – अव्यायीभाव समास में अव्यय पद का क्या महत्व है ?
उत्तर – अव्ययीभाव समास में अव्यय पद का महत्व यह है कि यह समास का मुख्य आधार है । अव्ययीभाव समास में पहला पद अव्यय होता है और यही पद समस्त पद का अर्थ देता है। अव्ययीभाव समास में अव्यय पद का महत्व के अन्य कारण –
1.अव्यय पद के साथ मिलकर समस्त पद भी अव्यय बन जाता है, अर्थात उसका अर्थ भी स्थिर रहता है, उसमें लिंग, वचन, कारक आदि के अनुसार परिवर्तन नहीं होता है।
2.अव्ययीभाव समास में अधिकतर अव्यय पद उपसर्ग के रूप में आते हैं, जैसे अनु, प्रति, आ, यथा, हर आदि।
उदाहरण-
यथाशक्ति (यथा + शक्ति) = शक्ति के अनुसार
प्रतिवर्ष (प्रति + वर्ष) = प्रत्येक वर्ष
आजन्म ( आ+ जन्म) = जन्म से लेकर
प्रश्न – अव्ययीभाव समास में अव्यय पद का कार्य क्या होता है?
उत्तर – अव्ययीभाव समास में अव्यय पद क्रिया विशेषण का कार्य करता है। दूसरे शब्दों में, दो या दो से अधिक शब्द मिलकर बनने वाला नया शब्द, जिसमें पहला शब्द अव्यय हो और पूरा पद क्रिया विशेषण के रूप में कार्य करे, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
प्रश्न – अव्ययीभाव समास की विशेषता क्या है ?
उत्तर – अव्ययीभाव समास की निम्नलिखित विशेषताएँ है –
1.समास में दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है।
2.समास में शब्द पास-पास आकर नया शब्द बनाते हैं।
3.पदों के बीच विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है।
4.समास से बने शब्द में कभी उत्तर पद प्रधान होता है तो कभी पूर्व पद और कभी-कभी अन्य पद। इसके अलावा कभी कभी दोनों पद प्रधान होते हैं।
प्रश्न – द्विगु समास की विशेषता बताते हुए उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – 1.द्विगु समास का पहला पद संख्यावाची होता है ।जैसे दो, तीन, चार, पाँच आदि।
2.दूसरा पद हमेशा किसी समूह या समाहार का बोध कराता है।
उदाहरण – नवग्रह – नौ ग्रहों का समूह
प्रश्न – बहुव्रीहि समास की विशेषता बताते हुए उदाहरण दीजिए।
उत्तर-बहुव्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता बल्कि दोनो पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं।
उदाहरण – दशानन – दस हैं आनन जिसके अर्थात् रावण
प्रश्न – सामासिक पद की पहचान कैसे की जाती है ?
उत्तर – सामासिक पद की पहचान करने के लिए, कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए –
1.दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से बने शब्द को सामासिक पद कहते हैं. इसे समस्त पद भी कहा जाता है।
2.सामासिक पद में दो पद होते हैं, जिन्हें पूर्व पद और उत्तर पद कहते हैं।
3.सामासिक पद में शब्द पास-पास आकर नया शब्द बनाते हैं।
4.सामासिक पद में विभक्तियों के चिह्न लुप्त हो जाते हैं।
5.सामासिक पद में दो पदों का संक्षिप्त रूप होता है और वे एक विशेष अर्थ को व्यक्त करते हैं।
6.किसी सामासिक पद को अलग-अलग करने की प्रक्रिया समास विग्रह कहलाती है।
प्रश्न – द्वंद्व समास में दोनो पदों का महत्व कैसे रहता है ?
उत्तर – द्वंद्व समास में कोई एक पद प्रधान नहीं होता. द्वंद्व समास के दोनों पदों के बीच ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ या ‘और’ का प्रयोग होता है।द्वंद्व समास के सामासिक पद और / या / अथवा आदि संयोजक शब्दों के लोप कर देने से बनता है।द्वंद्व समास के दोनों शब्द प्रायः एक दूसरे के विलोम होते हैं इसलिए द्वंद्व समास में दोनो पदों का महत्व रहता है।
प्रश्न – समास भाषा में संक्षिप्तता कैसे लता है ?
उत्तर – समास में शब्दों को जोड़कर एक नया शब्द बनता है , जिससे भाषा में संक्षिप्तता आती है ।
जैसे – नौ ग्रहों का समूह = नवग्रह
प्रश्न – कर्मधारय समास में पूर्वपद और उत्तरपद के संबंध को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कर्मधारय समास में पूर्वपद और उत्तरपद के बीच विशेषण -विशेष्य या उपमान -उपमेय का संबंध होता है ।पूर्वपद विशेषण होता है और उत्तरपद विशेष्य, या पूर्वपद उपमान होता है और उत्तरपद उपमेय।
उत्तर -कर्मधारय समास में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
1.कर्मधारय समास में, पहला शब्द (पूर्वपद) दूसरे शब्द (उत्तरपद) की विशेषता बताता है। उदाहरण के लिए, “नीलकमल” में “नीला” कमल की विशेषता है, इसलिए “नीला” विशेषण है और “कमल” विशेष्य।
2.कर्मधारय समास में, एक शब्द दूसरे शब्द से तुलना करता है। उदाहरण के लिए, “मुखचंद्र” में “मुख” उपमेय है और “चंद्र” उपमान।
3.पूर्वपद गौण होता है और उत्तरपद प्रधान। पूर्वपद उत्तरपद की विशेषता बताता है, लेकिन उत्तरपद ही मुख्य शब्द होता है जिसका अर्थ समग्र रूप से दिया जाता है।