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NCERT Solutions , Kavita Jalate Chalo,Malhar

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                                    कविता – जलाते चलो  

                                 NCERT Solutions   

                                   (पृष्ठ सख्या 62-74)

 

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पाठ से
आइए, अब हम इस कविता से अपनी मित्रता को और घनिष्ठ बना लेते हैं। इसके लिए नीचे कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। हो सकता है कि इन्हें करने के लिए आप कविता को फिर से पढ़ने की आवश्यकता अनुभव करें।

मेरी समझ से
(
क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? 

प्रश्न 1 – निम्नलिखित में से कौन-सी बात इस कविता में मुख्य रूप से कही गई है?

  • भलाई के कार्य करते रहना
  • दीपावली के दीपक जलाना
  • बल्ब आदि जलाकर अंधकार दूर करना
  • तिमिर मिलने तक नाव चलाते रहना

उत्तर भलाई के कार्य करते रहना

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प्रश्न 2 – “जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की, चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी
यह वाक्य किससे कहा गया है?

  • तूफ़ान से
  • मनुष्यों से
  • दीपकों से
  • तिमिर से

उत्तर मनुष्यों से

 

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?


उत्तर – ये उत्तर ही इसलिए चुने क्योंकि भलाई का कार्य करते रहने से ही तो विश्व-कल्याण का सपना साकार किया जा सकता है क्योंकि प्रेम और ज्ञान का सहारा ले कर, यदि मनुष्य मिल-जुलकर आगे बढ़ेंगे, तो आपसी मतभेद होने की संभावना न के बराबर होगी। इसी का मार्गदर्शन कवि इस कविता में भी कर रहे हैं। और मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो मुसीबतों व् कठिनाइयों का डट कर सामना करने की क्षमता रखता है इसी कारण मनुष्य से कहा गया है कि उसी ने अज्ञान रूपी अन्धकार को भगाने के लिए ज्ञान रूपी दिए जलाए थे। 

 

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ शब्द यहाँ दिए गए है। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों और संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते है।

शब्द अर्थ या संदर्भ
1. अमावस 1. पूर्णमासी, वह तिथि जिस रात चंद्रमा पूरा दिखाई देता है।
2. पूर्णिमा 2. विद्युत दिये अर्थात बिजली से जलने वाले दीपक, बल्ब आदि उपकरण।
3. विद्युत-दिये 3. समय, काल, युग संख्या में चार माने गए हैं — सत्ययुग (सतयुग), त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग।
4. युग 4. अमावस्या, जिस रात आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता।

 

 

 

उत्तर

शब्द अर्थ या संदर्भ
1. अमावस 4. अमावस्या, जिस रात आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता।
2. पूर्णिमा 1. पूर्णमासी, वह तिथि जिस रात चंद्रमा पूरा दिखाई देता है।
3. विद्युत-दिये 2. विद्युत दिये अर्थात बिजली से जलने वाले दीपक, बल्ब आदि उपकरण।
4. युग 3. समय, काल, युग संख्या में चार माने गए हैं — सत्ययुग (सतयुग), त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग।

 

पंक्तियों पर चर्चा

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए।
आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए

“दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी,
जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।।
रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।।”

उत्तर  इन पंक्तियों के आधार पर कवि संदेश देना चाहते है कि जीवन में संघर्ष और सफलता की यात्रा लगातार चलती रहती है। हमें परिस्थितियों पर कभी निराश नहीं होना चाहिए और न ही कभी हिम्मत हारनी चाहिए, क्योंकि अगर ज्ञान रूपी एक दीपक भी जल रहा है, तो मानवता का प्रकाश कायम रहेगा। उस ज्ञान रूपी दीपक के द्वारा दुनिया में प्रेम, बलिदान और ज्ञान के संदेश फैलेंगे, और मनुष्य अपने जीवन के सही अर्थ को पहचानेगा।

 

सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए
(क) कविता में अँधेरे या तिमिर के लिए किन वस्तुओं के उदाहरण दिए गए हैं?
उत्तर – अमावस, निशा, तिमिर की सरिता, तिमिर की शिला, पवन, तूफ़ान

 

(ख) यह कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है? यह आशा क्यों की गई है?
उत्तर – यह कविता जीवन के ज्ञान रूपी दीप में स्नेह और प्रेम का तेल भरकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। निराशा के बीच भी आशा की एक

किरण दिखाती है। यह कविता बताती है कि यदि मानवता और विश्व का कल्याण करना है तो हमें महापुरुषों के द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना होगा। प्रेम, अपनेपन और सभी को एक सामान समझने से जीवन खुशहाल बनता है। इस कविता में आशा की गई है कि नई पीढ़ी इतिहास के महान लोगों से प्रेरणा लेकर विश्व के उज्जवल भविष्य की नींव रखेगी। इसके साथ ही यह कविता मनुष्य के हृदय में विश्व बंधुत्व की आशा को भी जगाती है।

 

(ग) कविता में किसे जलाने और किसे बुझाने की बात कही गई है?
उत्तर – कविता में मनुष्य को ज्ञान रूपी दीपक को जलाकर रखने की बात की गई है। क्योंकि स्नेह से भरे दीपक चारों ओर रोशनी फैलाते हैं। जबकि बिना स्नेह वाले विद्युत दीपक को बुझा देने की बात कही गई है, क्योंकि कृत्रिम चीजें केवल कुछ पल का प्रकाश कर सकती है। जीवन की सही राह केवल ज्ञान से ही प्राप्त की जा सकती है।

 

मिलान

स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई है। मिलते-जुलते भाव वाली पंक्तियों को रेखा खींचकर जोड़िए

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा। 1. विश्व की भलाई का ध्यान रखे बिना प्रगति करने से कोई लाभ नहीं होगा।
2.  जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर। 2. विश्व में सुख-शांति क्यों कम होती जा रही है?
3.  मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी।  3. विश्व की समस्याओं से एक न एक दिन छुटकारा अवश्य मिलेगा।
4. बिना स्नेह विद्युत-दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा। 4. दूसरों के सुख-चैन के लिए प्रयास करते रहिए।

 

उत्तर – 

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा। 3. विश्व की समस्याओं से एक न एक दिन छुटकारा अवश्य मिलेगा।
2.  जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर। 4. दूसरों के सुख-चैन के लिए प्रयास करते रहिए।
3.  मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी।  2. विश्व में सुख-शांति क्यों कम होती जा रही है?
4. बिना स्नेह विद्युत-दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा। 1. विश्व की भलाई का ध्यान रखे बिना प्रगति करने से कोई लाभ नहीं होगा।

 

 

अनुमान या कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए

(क) दिये और तूफ़ान की यह कहानी

चली आ रही और चलती रहेगी
दीपक और तूफ़ान की यह कौन-सी कहानी हो सकती है जो सदा से चली आ रही है?
उत्तर  दीपक और तूफ़ान के बीच की यह कहानी जीवन के संघर्ष और सफलता की कहानी हो सकती है। दीपक का जलना जीवन के साहस का प्रतीक है, जबकि तूफ़ान बाहरी चुनौतियों और संघर्षों का प्रतीक है। यह कहानी यह दिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, दीपक अर्थात ज्ञान, या आत्मविश्वास हमेशा जलता रहेगा, और तूफ़ान अर्थात चुनौतियों को मिटाता रहेगा। जीवन में अच्छा और बुरा दोनों ही समय आता है, लेकिन अंत में केवल सत्य और अच्छाई की जीत होती है।

 

(ख) जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी
दीपक की यह सोने जैसी लौ क्या हो सकती है जो अनगिनत सालों से जल रही है?
उत्तर – दीपक की यह सोने जैसी लौ ज्ञान और सच्चाई का प्रतीक हो सकती है, जो समय के साथ हमेशा बढ़ती और मजबूत होती रहती है। क्योंकि ज्ञान और सच्चाई का कोई अंत नहीं होता। समय चाहे निरंतर बदलता है, परन्तु यह लौ भौतिक, मानसिक और आत्मिक दृष्टि से निरंतर जलती रहती है। ज्ञान और सच्चाई कभी समाप्त नहीं होते इसी लिए कहा गया है कि इनकी लौ अनगिनत सालों से जल रही है। 

 

शब्दों के रूप
“कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी”

‘अमावस’ का अर्थ है ‘अमावस्या’। इन दोनों शब्दों का अर्थ तो समान है लेकिन इनके लिखने-बोलने में थोड़ा-सा अंतर है। ऐसे ही कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनसे मिलते-जुलते दूसरे शब्द कविता से खोजकर लिखिए। ऐसे ही कुछ अन्य शब्द आपस में चर्चा करके खोजिए और लिखिए।

  1. दिया   ——————-   
  2. उजेला ——————-  
  3. अनगिन ——————    
  4. —————————
  5. —————————
  6. —————————

उत्तर

  1. दिया – दीप
  2. उजेला – उजाला
  3. अनगिन – अनगिनत
  4. दिन – दिवस
  5. धरा – धरती
  6. सिल – शिला

 

अर्थ की बात


(
क) जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर
इस पंक्ति में चलोके स्थान पर रहोशब्द रखकर पढ़िए। इस शब्द के बदलने से पंक्ति के अर्थ में क्या अंतर आ रहा है? अपने समूह में चर्चा कीजिए।
उत्तर – इस पंक्ति में ‘चलो’ के स्थान पर ‘रहो’ शब्द रखकर कोई विशेष अर्थ परिवर्तन नहीं होता।

 

(ख) कविता में प्रत्येक शब्द का अपना विशेष महत्व होता है। यदि वे शब्द बदल दिए जाएँ तो कविता का अर्थ भी बदल सकता है और उसकी सुंदरता में भी अंतर आ सकता है।
नीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। पंक्तियों के सामने लगभग समान अर्थों वाले कुछ शब्द दिए गए हैं। आप उनमें से वह शब्द चुनिए, जो उस पंक्ति में सबसे उपयुक्त रहेगा

  1. बहाते चलो ———— तुम वह निरंतर (नैया, नाव, नौका)
    कभी तो तिमिर का ————–  मिलेगा।। (तट, तीर, किनारा)
    2. रहेगा ————- पर दिया एक भी यदि (धरा, धरती, भूमि)
    कभी तो निशा को ————– मिलेगा।। (प्रात:, सुबह, सवेरा)
    3. जला दीप पहला तुम्हीं ने ————– की (अंधकार, तिमिर, अँधेरे)
    चुनौती ———— बार स्वीकार की थी। (प्रथम, अव्वल, पहली)

उत्तर
1. बहाते चलो नैया तुम वह निरंतर
कभी तो तिमिर का  किनारा  मिलेगा।।
2. रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।।
3. जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी। 

प्रतीक
(क) “कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा”

निशा का अर्थ है— रात।
सवेरा का अर्थ है— सुबह।

आपने अनुभव किया होगा कि कविता में इन दोनों शब्दों का प्रयोग ‘रात’ और ‘सुबह’ के लिए नहीं किया गया है। अपने समूह में चर्चा करके पता लगाइए कि ‘निशा’ और ‘सवेरा’ का इस कविता में क्या-क्या अर्थ हो सकता है।
(संकेत–निशा से जुड़ा है ‘अँधेरा’ और सवेरे से जुड़ा है ‘उजाला’)
उत्तर – 
निशा – सवेरा
अँधेरा – उजाला
बुराई – अच्छाई
अज्ञान – ज्ञान
द्वेष  प्रेम

 

(ख) कविता में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में मिलकर इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें उपयुक्त स्थान पर लिखिए।

दिये अँधेरा अमावस पूर्णिमा दिवस तिमिर  नाव किनारा
शिला ज्योति उजेला तूफ़ान लौ स्वर्ण जलना बुझना

उत्तर –
सवेरा – दिये, ज्योति, उजेला, पूर्णिमा, दिवस, लौ, स्वर्ण, जलना
निशा – शिला, अँधेरा, अमावस, तूफ़ान, तिमिर, नाव, किनारा, किनारा

 

पंक्ति से पंक्ति
जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी

कविता की इस पंक्ति को वाक्य के रूप में इस प्रकार लिख सकते हैं–
“तुम्हीं ने पहला दीप जला तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी।”
अब नीचे दी गई पंक्तियों को इसी प्रकार वाक्यों के रूप में लिखिए–
1. बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर।
2. जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर।
3. बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा।
4. मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी।

उत्तर 1 – तुम वह नाव निरंतर बहाते चलो।
2 – तुम ये दिये स्नेह से भर-भरकर जलाते चलो।
3 – इन्हें बुझाओ, नहीं तो इस प्रकार पथ नहीं मिल सकेगा।
4 – मगर आज विश्व पर दिवस के समय ही अमावस की निशा-सी क्यों घिरी आ रही है?

 

सा/सी/से का प्रयोग

“घिरी आ रही है अमावस निशा-सी
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”
इन पंक्तियों में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची है। इनमें ‘सी’ शब्द पर ध्यान दीजिए। यहाँ ‘सी’ शब्द समानता दिखाने के लिए प्रयोग किया गया है। ‘सा/सी/से’ का प्रयोग जब समानता दिखाने के लिए किया जाता है तो इनसे पहले योजक चिह्न (-) का प्रयोग किया जाता है।
अब आप भी विभिन्‍न शब्दों के साथ ‘सा/सी/से’ का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से पाँच वाक्य अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।

उत्तर
वह बच्ची तितली-सी चंचल है।
उसका चेहरा चाँद-सा सुंदर है।
उसकी आवाज़ मिश्री-सी मीठी है।
वह व्यक्ति पर्वत-सा अडिग है।
नदी का पानी आईना-सा निर्मल है।

 

पाठ से आगे

(क) “रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा”
यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य समझ ले और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे तो पूरी दुनिया सुंदर बन जाएगी। आप भी दूसरों के लिए प्रतिदिन बहुत-से अच्छे कार्य करते होंगे। अपने उन कार्यों के बारे में बताइए ।

उत्तर  यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य समझ लें और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे, तो पूरी दुनिया सुंदर बन जाएगी। मैं भी हर दिन दूसरों की भलाई के लिए कोई न कोई कार्य करने की कोशिश करता रहता हूँ। एक उदाहरण के लिए मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले गरीब बच्चों को मुफ़्त में टूशन दी और अपनी पुरानी किताबें व् कपडे भी जरूरतमंदों को दान कीं। मैं इन्हें अपने अच्छे कार्यों में गिनता हूँ।

 

(ख) इस कविता में निराश न होने, चुनौतियों का सामना करने और सबके सुख के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है। यदि आपको अपने किसी मित्र को निराश न होने के लिए प्रेरित करना हो तो आप क्या करेंगे? क्या कहेंगे? अपने समूह में बताइए ।
उत्तर – इस कविता में निराश न होने, चुनौतियों का सामना करने और सबके सुख के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है। यदि मुझे अपने किसी मित्र को निराश न होने के लिए प्रेरित करना हो तो मैं उसके सामने महापुरषों के सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करूँगा। मैं उसे हिम्मत दूँगा और मेहनत और आत्मविश्वास से हर चुनौती का सामना करने के लिए प्रोत्साहित करूँगा। मैं उसे संझाउंगा कि जीत और हार जीवन के दो पहलू हैं। यदि कभी हार भी जाओ तो बिना घबराए हमें मेहनत करते रहनी चाहिए। मेहनत ही जीत की चाबी है। 

 

(ग) क्या आपको कभी किसी ने कोई कार्य करने के लिए प्रेरित किया है? कब? कैसे? उस घटना के बारे में बताइए।
उत्तर – हाँ, अपनी दसवीं की कक्षा में मैं कठिन पढ़ाई देखकर निराश हो गया था। तब मेरे पिता जी ने मुझे पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया था। उन्होंने कहा था कि मैं ऐसे बिना मेहनत के हार नहीं मान सकता। जब तक मैं कोशिश नहीं करूँगा कैसे सफलता पाउँगा। उनके से शब्द मुझे आज तक प्रोत्साहित करते हैं। 

 

अमावस्या और पूर्णिमा

(क) भले शक्ति विज्ञान में है निहित वह
कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी

आप अमावस्या और पूर्णिमा के बारे में पहले ही पढ़ चुके हैं। क्या आप जानते हैं कि अमावस्या और पूर्णिमा के होने का क्या कारण है?

उत्तर  अमावस्या और पूर्णिमा चंद्रमा की कलाओं के महत्वपूर्ण चरण हैं। अमावस्या वह समय होता है जब चंद्रमा का कोई भी भाग हमें दिखाई नहीं देता, और पूर्णिमा वह समय होता है जब चंद्रमा को हम पूरी तरह से प्रकाशित देखते हैं। इन दोनों स्थितियों के बीच प्रकृति के अद्भुत चक्र कई चरण होते हैं।
इसका अर्थ हम अपने जीवन में इस प्रकार ले सकते हैं कि अंधकार अर्थात अमावस्या और प्रकाश अर्थात पूर्णिमा दोनों का जीवन में होना स्वाभाविक है। अमावस्या हमें जीवन में संघर्ष और धैर्य का महत्व सिखाती है, जबकि पूर्णिमा हमें सिखाती है कि हर कठिनाई के बाद उजाला अर्थात सफलता आती है। यह चक्र चंद्रमा की सुंदरता और जीवन के संघर्षों को दर्शाता है।

आप आकाश में रात को चंद्रमा अवश्य देखते होंगे। क्या चंद्रमा प्रतिदिन एक-सा दिखाई देता है? नहीं। चंद्रमा घटता-बढ़ता दिखाई देता है। आइए जानते हैं कि ऐसा कैसे होता है। आप जानते ही हैं कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है जबकि पृथ्वी सूर्य की। आप यह भी जानते हैं कि चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं होता। वह सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है। लेकिन पृथ्वी के कारण सूर्य के कुछ प्रकाश को चंद्रमा तक जाने में रुकावट आ जाती है। इससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जो प्रतिदिन घटती-बढ़ती रहती है। सूरज का जो प्रकाश बिना रुकावट चंद्रमा तक पहुँच जाता है, उसी से चंद्रमा चमकदार दिखता है। इसी छाया और उजले भांग की आकृति में आने वाले परिवर्तन को चंद्रमा की कला कहते हैं।
चंद्रमा की कला धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और पूर्णिमा की रात चंद्रमा पूरा दिखने लगता है। इसके बाद कला धीरे-धीरे घटती रहती है और अमावस्या वाली रात चाँद दिखाई नहीं देता। चंद्रमा की कलाओं के घटने के दिनों को ‘कृष्ण पक्ष’ को कहते हैं। ‘कृष्ण’ शब्द का एक अर्थ काला भी है। इसी प्रकार चंद्रमा की कलाओं के बढ़ने के दिनों को ‘शुक्ल पक्ष’ कहते हैं। ‘शुक्ल’ शब्द का एक अर्थ ‘उजला’ भी है। 

(ख) अब नीचे दिए गए चित्र में अमावस्या, पूर्णिमा, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को पहचानिए, और ये नाम उपयुक्त स्थानों पर लिखिए
(
यदि पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।)

उत्तर
अमावस्या – यह वह चरण है जब चंद्रमा बिल्कुल दिखाई नहीं देता।
पूर्णिमा – यह वह चरण है जब चंद्रमा पूरी तरह से प्रकाशित होता है।
कृष्ण पक्ष – यह चंद्रमा का वह चरण है जब पूर्णिमा के बाद चंद्रमा धीरे-धीरे घटने लगता है।
शुक्ल पक्ष – यह चंद्रमा का वह चरण है जब अमावस्या के बाद चंद्रमा धीरे-धीरे बढ़ने लगता है।

चित्र में पहचान
सबसे काले चरण को अमावस्या कहेंगे।

सबसे चमकीले चरण को पूर्णिमा कहेंगे।
अमावस्या से पूर्णिमा के बीच वाला चरण शुक्ल पक्ष कहलाते हैं।
पूर्णिमा से अमावस्या के बीच वाला चरण कृष्ण पक्ष कहलाते हैं।

 

तिथिपत्र

आपने तिथिपत्र (कैलेंडर) अवश्य देखा होगा। उसमें साल के सभी महीनों की तिथियों की जानकारी दी जाती है।
नीचे तिथिपत्र के एक महीने का पृष्ठ दिया गया है। इसे ध्यान से देखिए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए–

 

(क) दिए गए महीने में कुल कितने दिन हैं?
उत्तर – इस महीने में कुल 31 दिन हैं।

 

(ख) पूर्णिमा और अमावस्या किस दिनाँक और वार को पड़ रही है?
उत्तर

पूर्णिमा – 6 जनवरी, शुक्रवार।
अमावस्या – 21 जनवरी, शनिवार।

 

 

(ग) कृष्ण पक्ष की सप्तमी और शुक्ल पक्ष की सप्तमी में कितने दिनों का अंतर है?
उत्तर –

कृष्ण पक्ष की सप्तमी – 14 जनवरी।
शुक्ल पक्ष की सप्तमी – 28 जनवरी।
इन दोनों के बीच 14 दिनों का अंतर है।

 

(घ) इस महीने में कृष्ण पक्ष में कुल कितने दिन हैं?
उत्तर – कृष्ण पक्ष में कुल 15 दिन होते हैं (7 जनवरी से 21 जनवरी तक)।

 

(ङ) वसंत पंचमीकी तिथि बताइए ।
उत्तर – वसंत पंचमी 26 जनवरी, गुरुवार को है।

 

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