MCQ ,Pathit Gadyansh -Vaigyanik Chetna Ke Vahak Dr Raman
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पठित गद्यांश
पेड़ से सेब गिरते हुए तो लोग सदियों से देखते आ रहे थे, मगर गिरने के पीछे छिपे रहस्य को न्यूटन से पहले कोई और समझ नहीं पाया था। ठीक उसी प्रकार विराट समुद्र की नील-वर्णीय आभा को भी असंख्य लोग आदिकाल से देखते आ रहे थे, मगर इस आभा पर पड़े रहस्य के परदे को हटाने के लिए हमारे समक्ष उपस्थित हुए सर चंद्रशेखर वेंकट रामन्।
बात सन् 1921 की है, जब रामन् समुद्री यात्रा पर थे। जहाज के डेक पर खड़े होकर नीले समुद्र को निहारना, प्रकृति-प्रेमी रामन् को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते लेकिन रामन् केवल भावुक प्रकृति-प्रेमी ही नहीं थे। उनके अंदर एक वैज्ञानिक की जिज्ञासा भी उतनी ही सशक्त थी। यही जिज्ञासा उनसे सवाल कर बैठी-‘आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?’ रामन् सवाल का जवाब ढूँढ़ने में लग गए। जवाब ढूँढ़ते ही वे विश्वविख्यात बन गए।
प्रश्न 1– पेड़ से सेब के गिरने के पीछे छिपे रहस्य को सबसे पहले किसने समझा था?
(क) लेखक ने
(ख) न्यूटन ने
(ग) चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने
(घ) इनमें से किसी ने नहीं
प्रश्न 2- रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
(क) एक किसान
(ख) एक वैज्ञानिक
(ग) एक व्यवसायी
(घ) एक अधिकारी।
प्रश्न 3- समुद्र को देखकर रामन् के मन में क्या जिज्ञासाएँ उठीं?
(क) समुद्र में जल का रंग नीला क्यों होता है।
(ख) किसी तरल पदार्थ में प्रकाश किस प्रकार बहता है
(ग) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(घ) ‘क’ और ‘ख’ कथन सत्य हैं
प्रश्न 4 – विशालकाय समुद्र के नील रंग की चमक के पीछे छिपे रहस्य को किसने समझा था?
(क) लेखक ने
(ख) न्यूटन ने
(ग) चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने
(घ) इनमें से किसी ने नहीं
प्रश्न 5 – किस सवाल का जवाब ढूँढ़ने के कारण रामन् संसार में प्रसिद्ध हो गए?
(क) पेड़ से सेब नीचे ही क्यों गिरता है?
(ख) प्रकाश की किरणों में कितने रंग होते हैं?
(ग) समुद्र का पानी खरा क्यों होता है?
(घ) आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?
समाधान
उत्तर 1 –(ख) न्यूटन ने
उत्तर 2–(ख) एक वैज्ञानिक (घ) ‘क’ और ‘ख’ कथन सत्य हैं
उत्तर 3 –(घ) ‘क’ और ‘ख’ कथन सत्य हैं
उत्तर 4 –(ग) चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने
उत्तर 5 –(घ) आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?
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रामन् का जन्म 7 नवंबर सन् 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में हुआ था। इनके पिता विशाखापत्तनम में गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। पिता इन्हें बचपन से गणित और भौतिकी पढ़ाते थे। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिन दो विषयों के ज्ञान ने उन्हें जगत-प्रसिद्ध बनाया, उनकी सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी। कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने पहले ए.बी.एन. कॉलेज तिरुचिरापल्ली से और फिर प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास से की।
बी.ए. और एम.ए.-दोनों ही परीक्षाओं में उन्होंने काफी ऊँचे अंक हासिल किए।
रामन् का मस्तिष्क विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने के लिए बचपन से ही बेचैन रहता था। अपने कॉलेज के ज़माने से ही उन्होंने शोधकार्यों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया था। उनका पहला शोधपत्र फ़िलॉसॉफ़िकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
उनकी दिली इच्छा तो यही थी कि वे अपना सारा जीवन शोध कार्यों को ही समर्पित कर दें, मगर उन दिनों शोध कार्य को पूरे समय के कैरियर के रूप में अपनाने की कोई खास व्यवस्था नहीं थी। प्रतिभावान छात्र सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित होते थे। रामन् भी अपने समय के अन्य सुयोग्य छात्रों की भाँति भारत सरकार के वित्त-विभाग में अफ़सर बन गए। उनकी तैनाती कलकत्ता में हुई।
प्रश्न 1- ‘चंद्रशेखर वेंकट रामन’ का जन्म कब हुआ था?
(क) 7 नवंबर सन् 1888 को
(ख) 10 अगस्त 1850 को
(ग) 12 सितंबर सन् 1932 को
(घ) 7 नवंबर सन् 1898 को।
प्रश्न 2- वेंकट रामन के पिता क्या कार्य करते थे?
(क) वे नौकाएँ बनाने का कार्य करते थे
(ख) वे एक उद्योगपति थे
(ग) वे गणित और भौतिकी के शिक्षक थे
(घ) वे एक कृषक थे।
प्रश्न 3- रामन् के पिता रामन् को बचपन से ही पढ़ाते थे?
(क) गणित और विज्ञान
(ख) विज्ञान और हिंदी
(ग) गणित और फ़िज़िक्स (भौतिकी)
(घ) फ़िज़िक्स और विज्ञान
प्रश्न 4 – बचपन से ही, रामन् का मस्तिष्क किसको सुलझाने के लिए बेचैन रहता था?
(क) गणित के सवालों को
(ख) विज्ञान के रहस्यों को
(ग) पिता द्वारा पूछे प्रश्नों को
(घ) इनमें से किसी ने नहीं
प्रश्न 5 – रामन् किस सरकारी नौकरी को कर रहे थे?
(क) वित्त-विभाग
(ख) गृह मंत्रालय
(ग) शिक्षा विभाग
(घ) सुरक्षा विभाग
समाधान
उत्तर 1 –(क) 7 नवंबर सन् 1888 को
उत्तर 2–(ग) वे गणित और भौतिकी के शिक्षक थे
उत्तर 3 –(ग) गणित और फ़िज़िक्स (भौतिकी)
उत्तर 4 –(ख) विज्ञान के रहस्यों को
उत्तर 5 –(क) वित्त-विभाग
रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुज़रती है तो गुज़रने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। वजह यह होती है कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फ़ोटॉन जब तरल या ठोस रवे से गजरते हुए इनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणामस्वरूप, वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं।
दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण (रंग) में बदलाव लाती हैं। एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंजनी रंग के प्रकाश में होती है। बैंजनी के बाद क्रमशः नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है। इस प्रकार लाल-वर्णीय प्रकाश की ऊर्जा सबसे कम होती है। एकवर्णीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गजरते हुए जिस परिमाण में ऊर्जा खोता या पाता है, उसी हिसाब से उसका वर्ण परिवर्तित हो जाता है।
रामन् की खोज की वजह से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। पहले इस काम के लिए इंफ़्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता
था। यह मुश्किल तकनीक है और गलतियों की संभावना बहुत अधिक रहती है। रामन् की खोज के बाद पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाने लगा। यह तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर, पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इस जानकारी की वजह से पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो गया है।
प्रश्न 1- एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा किस रंग के प्रकाश में होती है?
(क) लाल
(ख) बैंजनी
(ग) सफ़ेद
(घ) काला
प्रश्न 2 – एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद क्या होता है?
(क) उसके वर्ण में परिवर्तन
(ख) प्रकाश की किरणें बिखर जाती है
(ग) प्रकाश गायब हो जाता है
(घ) तरल या ठोस रवेदार पदार्थ की तरह हो जाता है
प्रश्न 3 – एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में बैंगनी के बाद क्रम के अनुसार किसका नंबर आता है?
(क) आसमानी, हरे, पीले, नीले, नारंगी और लाल
(ख) आसमानी, हरे, नीले, पीले, नारंगी और लाल
(ग) आसमानी, नीले, हरे, पीले, नारंगी और लाल
(घ) नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल
प्रश्न 4 – किस रंग की प्रकाश की ऊर्जा सबसे कम होती है?
(क) नीले
(ख) पीले
(ग) लाल
(घ) आसमानी
प्रश्न 5 – रामन् की खोज की वजह से किसका ज्ञान आसान हो गया?
(क) पदार्थों के अणुओं का
(ख) पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन
(ग) परमाणुओं की आंतरिक संरचना का
(घ) इनमें से किसी ने नहीं
समाधान
उत्तर 1 –(ख) बैंजनी
उत्तर 2–(क) उसके वर्ण में परिवर्तन
उत्तर 3 –(घ) नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल
उत्तर 4 –(ग) लाल
उत्तर 5 –(ख) पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन
रामन् प्रभाव की खोज ने रामन् को विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों की पंक्ति में ला खड़ा किया। पुरस्कारों और सम्मानों की तो जैसे झड़ी-सी लगी रही। उन्हें सन् 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया। सन् 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई। ठीक अगले ही साल उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार-भौतिकी में नोबेल पुरस्कार-से सम्मानित किया गया।
उन्हें और भी कई पुरस्कार मिले, जैसे रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूज़ पदक, फ़िलोडेलफ़िया इंस्टीट्यूट का फ़्रेंकलिन पदक, सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार आदि। सन् 1954 में रामन् को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।वे नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले वैज्ञानिक थे। उनके बाद भारतीय नागरिकता वाले किसी अन्य वैज्ञानिक को अभी तक नहीं मिल पाया है। उन्हें अधिकांश सम्मान उस दौर में मिले जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था। उन्हें मिलने वाले सम्मानों ने भारत को एक नया आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास दिया। विज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने एक नयी भारतीय चेतना को जाग्रत किया।
प्रश्न 1- नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक कौन थे?
(क) लेखक
(ख) न्यूटन
(ग) चंद्रशेखर वेंकट रामन्
(घ) इनमें से किसी ने नहीं
प्रश्न 2– सन् 1924 में चंद्रशेखर वेंकट रामन् किसने सम्मानित किया?
(क) इंडियन रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से
(ख) इंडियन सोसाइटी
(ग) रॉयल सोसाइटी
(घ) इनमें से कोई नही
प्रश्न 3- सन् 1929 में वेंकट रामन् को कौन -सी उपाधि प्रदान की गई।
(क) ‘आइंस्टाइन’ की उपाधि
(ख) ‘सर’ की उपाधि
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नही
प्रश्न 4- चंद्रशेखर वेंकट रामन् को कौन -कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
(क) रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूश पदक
(ख) रॉयल सोसाइटी का ह्यूश पदक, फ़िलोडेलफ़िया इंस्टीट्यूट का फ़्रेंकलिन पदक
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नही
प्रश्न 5 – वेंकट रामन् को मिलने वाले सम्मानों ने भारत को क्या दिया?
(क) सम्मान और आत्म-विश्वास
(ख) प्यार और आत्म-विश्वास
(ग) आत्म-सम्मान और विश्वास
(घ) आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास
समाधान
उत्तर 1 –(ग) चंद्रशेखर वेंकट रामन्
उत्तर 2–(ग) रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से
उत्तर 3 –(ख) ‘सर’ की उपाधि
उत्तर 4 –(ग) (क) और (ख) दोनों
उत्तर 5 –(घ) आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास
भारतीय संस्कृति से रामन् को हमेशा ही गहरा लगाव रहा। उन्होंने अपनी भारतीय पहचान को हमेशा अक्षुण्ण रखा। अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद भी उन्होंने अपने दक्षिण भारतीय पहनावे को नहीं छोड़ा। वे कट्टर शाकाहारी थे और मदिरा से सख्त परहेज़ रखते थे।
जब वे नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने स्टाकहोम गए तो वहाँ उन्होंने अल्कोहल पर रामन् प्रभाव का प्रदर्शन किया। बाद में आयोजित पार्टी में जब उन्होंने शराब पीने से इंकार किया तो एक आयोजक ने परिहास में उनसे कहा कि रामन् ने जब अल्कोहल पर रामन् प्रभाव का प्रदर्शन कर हमें आह्लादित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, तो रामन् पर अल्कोहल के प्रभाव का प्रदर्शन करने से परहेज़ क्यों?
रामन् का वैज्ञानिक व्यक्तित्व, प्रयोगों और शोधपत्र-लेखन तक ही सिमटा हुआ नहीं था।
उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्हें अपने शुरुआती दिन हमेशा ही याद रहे, जब उन्हें ढंग की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा था इसीलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध-संस्थान की स्थापना की जो बंगलोर में स्थित है और उन्हीं के नाम पर ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से जानी जाती है।
भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने इंडियन जरनल ऑफ़ फ़िज़िक्स नामक शोध-पत्रिका प्रारंभ की। अपने जीवनकाल में उन्होंने सैकड़ों शोध-छात्रों का मार्गदर्शन किया। जिस प्रकार एक दीपक से अन्य कई दीपक जल उठते हैं, उसी प्रकार उनके शोध-छात्रों ने आगे चलकर काफ़ी अच्छा काम किया। उन्हीं में कई छात्र बाद में उच्च पदों पर प्रतिष्ठित हुए।
विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वे करेंट साइंस नामक एक पत्रिका का भी संपादन करते थे। रामन् प्रभाव केवल प्रकाश की किरणों तक ही सिमटा नहीं था; उन्होंने अपने व्यक्तित्व के प्रकाश की किरणों से पूरे देश को आलोकित और प्रभावित किया।
उनकी मृत्यु 21 नवंबर सन् 1970 के दिन 82 वर्ष की आयु में हुई।
रामन् वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की साक्षात प्रतिमूर्ति थे।
उन्होंने हमें हमेशा ही यह संदेश दिया कि हम अपने आस-पास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन एक वैज्ञानिक दृष्टि से करें। तभी तो उन्होंने संगीत के सुर-ताल और प्रकाश की किरणों की आभा के अंदर से वैज्ञानिक सिद्धांत खोज निकाले।
हमारे आस-पास ऐसी न जाने कितनी ही चीज़े बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं। ज़रूरत है रामन् के जीवन से प्रेरणा लेने की और प्रकृति के बीच छुपे वैज्ञानिक रहस्य का भेदन करने की।
प्रश्न 1 – रामन् की मृत्यु कब हुई?
(क) 25 नवंबर सन् 1970
(ख) 20 नवंबर सन् 1970
(ग) 23 नवंबर सन् 1970
(घ) 21 नवंबर सन् 1970
प्रश्न 2- रामन् द्वारा स्थापित प्रयोगशाला और शोध-संस्थान का क्या नाम है?
(क) चंद्रशेखर रिसर्च इंस्टीट्यूट
(ख) रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट
(ग) चंद्रशेखर वेंकट रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट
(घ) वेंकट रिसर्च इंस्टीट्यूट
प्रश्न 3- स्टाकहोम में रामन् ने किस पर, कौन से प्रभाव का प्रदर्शन किया?
(क) अल्कोहल पर रामन् प्रभाव का
(ख) रामन् पर अल्कोहल प्रभाव का
(ग) रामन् पर रिसर्च इंस्टीट्यूट का
(घ) रिसर्च इंस्टीट्यूट पर रामन् प्रभाव का
प्रश्न 4- विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए रामन् किस पत्रिका का संपादन करते थे?
(क) करेंट साइंस
(ख) साइंस रिपोर्टर
(ग) टैल मी व्हाई
(घ) फिलॉसॉफिकल मैगजीन
प्रश्न 5- रामन् किसकी साक्षात प्रतिमूर्ति थे?
(क) वैज्ञानिक चेतना और आत्मविश्वास की
(ख) चेतना और दृष्टि की
(ग) वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की
(घ) इनमें से कोई नही
समाधान
उत्तर 1 –(घ) 21 नवंबर सन् 1970
उत्तर 2–(ख) रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट
उत्तर 3 –(क) अल्कोहल पर रामन् प्रभाव का
उत्तर 4 –(क) करेंट साइंस
उत्तर 5 –(ग) वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की
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