Madhu kalash.

कुछ सीखें / खुद को खर्च करें / ताकि दुनिया आपको सर्च करे ।

Pathit Kavyansh, Chetak ki Veerta , Class 6, Malhar,NCERT चेतक की वीरता

1 min read

 

 You May Like-MCQ, Chetak Ki Veerta,चेतक की वीरता, class 6,Malhar, NCERT

रण-बीच चौकड़ी भर-भरकर
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा को पाला था।
गिरता न कभी चेतक-तन पर
राणा प्रताग का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर
या आसमान पर घोड़ा था।

प्रश्न 1.घोड़ा किसका था ?
(क) राणा प्रताप का

(ख) कवि का
(ग) विदेशी का
(घ) माता का
 

प्रश्न 2.चेतक कैसा बन गया था ?
(क) हवा

(ग) निराला
(ख) जल
(घ) निराश
You May Like –https://youtu.be/P_Xcfx4Vp_w 

 प्रश्न 3.राणा प्रताप का घोड़ा कैसे निराला बन गया था?
(क) युद्ध-भूमि के बीच चौकड़ी भर-भरकर

(ख) हवा में उड़कर
(ग) युद्ध करके
(घ) घूम-फिर कर
 

प्रश्न 4.चेतक के तन पर राणा प्रताप का कोड़ा क्यों नहीं गिर पाता था?
(क) राणा के पास कोड़ा होता ही नहीं था

(ख) राणा प्रताप उसे मारना नहीं चाहते थे
(ग) चेतक बिना कोड़ा खाए राणा की बात समझ जाता था।
(घ) पत्ता नहीं

 

प्रश्न 5.-‘चेतक को आसमान पर घोड़ा था’ –क्यों कहा गया है?
(क) वह आसमान का ही घोड़ा था

(ख) वह ऐसे दौड़ता था मानो आसमान में दौड़ लगा रहा हो
(ग) वह आसमान से आया था
(घ) वह आसमानी रंग का था
 

उत्तर

(1) (क) राणा प्रताप का  

(2) (ग) निराला  

(3) (क) युद्ध-भूमि के बीच चौकड़ी भर-भरकर   

(4) (ग) चेतक बिना कोड़ा खाए राणा की बात समझ जाता था।

(5) (ख) वह ऐसे दौड़ता था मानो आसमान में दौड़ लगा रहा हो

  

रण-बीच चौकड़ी भर-भरकर
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा को पाला था।
गिरता न कभी चेतक-तन पर
राणा प्रताग का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर
या आसमान पर घोड़ा था।

 

प्रश्न 1.राणा प्रताप का घोड़ा कैसे निराला बन गया था?
(क) युद्ध-भूमि के बीच चौकड़ी भर-भरकर

(ख) हवा में उड़कर
(ग) युद्ध करके
(घ) घूम-फिर कर
 

प्रश्न 2.चेतक के तन पर राणा प्रताप का कोड़ा क्यों नहीं गिर पाता था?
(क) राणा के पास कोड़ा होता ही नहीं था

(ख) राणा प्रताप उसे मारना नहीं चाहते थे
(ग) चेतक बिना कोड़ा खाए राणा की बात समझ जाता था।
(घ) पत्ता नहीं
  

प्रश्न 3.‘चेतक को आसमान पर घोड़ा था’ –क्यों कहा गया है?
(क) वह आसमान का ही घोड़ा था

(ख) वह ऐसे दौड़ता था मानो आसमान में दौड़ लगा रहा हो
(ग) वह आसमान से आया था
(घ) वह आसमानी रंग का था
 

प्रश्न 4.राणा प्रताप के घोड़े का नाम क्या था? उसकी क्या विशेषता थी?
(क) राणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था।   

(ख) हवा जितनी तेजी से दौड़ता था।

(ग) वह शत्रुओं के मस्तक पर दौड़ लगाता जान पड़ता था।  

(घ) सभी ठीक हैं।

 

प्रश्न 5.चेतक के तन पर राणा प्रताप का कोड़ा क्यों नहीं पड़ पाता था?
(क) राणा प्रताप का चेतक जागरूक और समझदार था

(ख) आज्ञा एवं इशारे को पहले ही भाँप जाता था।  

(ग) (क) और (ख) दोनों ठीक हैं।

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर –

(1) (क) युद्ध-भूमि के बीच चौकड़ी भर-भरकर  

(2) (ग) चेतक बिना कोड़ा खाए राणा की बात समझ जाता था।   

(3) (ख) वह ऐसे दौड़ता था मानो आसमान में दौड़ लगा रहा हो  

(4) (घ) सभी ठीक हैं।

(5) (ग) (क) और (ख) दोनों ठीक हैं।

  

जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था।
कौशल दिखलाया चालों में
उड़ गया भयानक भालों में।
निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौड़ा करवालों में।

 

प्रश्न 1.हवा से बाग के हिलने पर चेतक क्या करता था?
(क) अपने सवार को लेकर उड़ जाता था

(ख) वह स्वयं हवा हो जाता था
(ग) वह रुक जाता था
(घ) वह हिनहिनाने लगता था

 

प्रश्न 2.कविता में किसकी पुतली फिरने की बात कही है?
(क) घोड़े की

(ख) कवि की
(ग) जनता की
(घ) राणा प्रताप की

प्रश्न 3.चेतक की निर्भीकता किसमें प्रकट होती थी?
(क) ढालों के बीच में

(ख) तलवारों के बीच में
(ग)  क-ख दोनों
(घ) कहीं भी
 

प्रश्न 4.चेतक और राणा का क्या संबंध था?
(क) चेतक अपने सवार राणा के साथ गहरे रूप में जुड़ा था।

(ख) वह अपने मालिक का इशारा भली-भाँति समझता था।  

(ग) यदि लगाम हिल जाती तो उसे लगता था कि लगाम सवार ने हिलाई है।

(घ) सभी ठीक हैं।

 

प्रश्न 5.चेतक का कौशल कहाँ-कहाँ दिखाई देता था?
(क) राणा प्रताप के घोड़े चेतक का कौशल युद्ध-भूमि में दिखाई देता था।

(ख) वह भालों, ढालों तथा तलवारों की परवाह किए बिना निडर होकर

   शत्रुओं के बीच घुस जाता था।

(ग) इनके मध्य वह सरपट दौड़ा चला ज़ाता था।

(घ) ये सभी ठीक हैं।

 

उत्तर

(1) (क) अपने सवार को लेकर उड़ जाता था   

(2) (घ) राणा प्रताप की

(3) (ग) दोनों क-ख

(4) (घ) ये सभी ठीक हैं।

(5) (घ) ये सभी ठीक हैं।

  

 

है यहीं रहा, अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा है वहाँ नहीं।
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरि-मस्तक पर कहाँ नहीं।
बढ़ते नद-सा वह लहर गया
वह गया गया फिर ठहर गया।
विकराल बज्न-मय बादल-सा
अरि की सेना पर घहर गया।
भाला गिर गया, गिरा निषंग,
हय-टापों से खन गया अंग।
वैरी-समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंगा

 

प्रश्न 1.चेतक शत्रु-सेना पर कैसे टूट पड़ता था?
(क) बज्रमय बादल के समान

(ख) बहती नदी के समान
(ग) ठहर-ठहर कर
(घ) सभी रूपों में
 

प्रश्न 2.वैरी समाज क्या वेखकर दंग रह गया?
(क) घोड़े का अनोखा रंग देखकर

(ख) घोड़े की चाल देखकर
(ग) घोड़े के करतब देखकर

(घ) अपनी हार देखकर
 

 

प्रश्न 3.चेतक कहाँ दिखाई देता था?
 (क) चेतक कहीं एक जगह दिखाई नहीं देता था।

(ख) वह अभी यहाँ होगा तो दूसरे क्षेण कहीं ओर।

(ग) (क) और (ख) दोनों ठीक हैं।  

(घ) सभी ठीक हैं।

 

प्रश्न 4.चेतक के लिए क्या-क्या उपमाएँ दी गई हैं?
(क) चेतक के लिए बहती नदी और बज्रमय बादल की उपमाएँ दी गई हैं।

(ख) वह बहती नदी के समान लहराता चलता था तो शत्रु पर बिजली बनकर गिरता था।

(ग) वह तो बज्रमय बादल के समान था जो शत्रु सेना पर टूट पड़ता था।

(घ) सभी ठीक हैं।

 

प्रश्न 5.चेतक की वीरता का पराक्रम देखकर कौन दंग रह गए?
(क) वैरी दल
(ख) मित्र दल
(ग) नदी

(घ) राणा प्रताप

 

उत्तर

(1) (क) बज्रमय बादल के समान  

(2) (क) घोड़े का अनोखा रंग देखकर

 (3) (ग) (क) और (ख) दोनों ठीक हैं।    

(4) (घ) सभी ठीक हैं।

 (5) (क) वैरी दल

  

 

 731 total views,  123 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright ©2022, All rights reserved. | Newsphere by AF themes.
error: Content is protected !!