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Pathit Kavyansh, Kavita -Manushyata ,Class 10

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कविता - मनुष्यता

कविता - मनुष्यता

कविता - मनुष्यता
कविता – मनुष्यता

विडीओ – मनुष्यता कविता की व्याख्या

विडीओ – मनुष्यता कविता के एम सी क्यू

ऑडीओ – मनुष्यता कविता की व्याख्या

विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु यों मरो कि याद जो करें सभी।
हुई न यों सुमृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए,
मारा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
वही पशु- प्रवृति  है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 
प्रश्न 1- “मनुष्यता ” कविता  के कवि कौन हैं?

(क) मैथिलीशरण गुप्त                 

(ख) सुमित्रानंदन पंत                  

(ग) महादेवी वर्मा 

(घ) हरिवंशराय बच्चन

 

प्रश्न 2- मनुष्य के मर्त्य होने का क्या आशय है ? 

(क) मारा हुआ मनुष्य

(ख) मनुष्य नश्वर है

(ग) मनुष्य अमर है

(घ) इनमें से कोई नही

 

प्रश्न 3 – उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है ?

(क) उसके चेहरे से
(ख) उसके महंगे कपड़ो से
(ग) उसकी गाडी से
(घ) उसके परोपकारी एवं विनम्र व्यवहार

 

प्रश्न 4 – कवि ने किसकी मृत्यु को सुमृत्यु माना है ?

(क) परोपकारी व्यक्ति की
(ख) पढ़े लिखे व्यक्ति की
(ग) अमीर व्यक्ति की
(घ) ज्ञानी की

 

प्रश्न 5 – कवि ने मनुष्यता के लिए क्या सन्देश दिया है ?

(क) परोपकार और अच्छे कर्म ही नुष्यता की पहचान है
(ख) अपना भला करना मनुष्य का काम है
(ग) अपनों का ध्यान रखना मनुष्य का काम है |
(घ) ईश्वर का स्मरण करने का

 

उत्तर 1-(क) मैथिलीशरण गुप्त                 

उत्तर 2-(ख) मनुष्य नश्वर है

उत्तर 3-(घ) उसके परोपकारी एवं विनम्र व्यवहार

उत्तर 4-(क) परोपकारी व्यक्ति की

उत्तर 5-(क) परोपकार और अच्छे कर्म ही मनुष्यता की पहचान है

 

उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती,
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखंड आत्म भाव जो असीम विश्व में भरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 

प्रश्न 1 – किन महान व्यक्तियों का गुणगान पुस्तकों में किया जाता है ?

(क) जो अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं
(ख) जो धनी होते हैं
(ग) जो परोपकार करते हैं
(घ) जो अहंकार करते हैं

 

प्रश्न 2- सरस्वती कौन है?

(क) विद्या की देवी

(ख) शक्ति की देवी

(ग) धन की देवी

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

प्रश्न 3- उदार व्यक्ति को कौन पूज़ता है?

(क) घर वाले

(ख) भगवान

(ग) समस्त सृष्टि

(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 4- ‘उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती’ क्या आशय हैं?

(क) उदार व्यक्ति से धरती प्रार्थना करती है

(ख) कवि धरती की उदारता को प्रकट करता है

(ग) उदार व्यक्ति धरती के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है

(घ) उदार व्यक्ति को पैदा करके धरती स्वयं को धन्य मानती है    

 

प्रश्न 5- असीम शब्द का विलोम है  –

(क) नसीम

(ख) कसीम 

(ग) ससीम

(घ) सीमित

 

उत्तर 1-(ग) जो परोपकार करते हैं

उत्तर 2-(क) विद्या की देवी

उत्तर 3- (ग) समस्त सृष्टि

उत्तर 4-(घ) उदार व्यक्ति को पैदा करके धरती स्वयं को धन्य मानती है    

उत्तर 5-(घ) सीमित

 

क्षुधार्त रंतिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,
तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजाल भी।
उशीनर क्षितीश ने स्वमांस दान भी किया,
सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर-चर्म भी दिया।
अनित्य देह के  लिए अनादि जीव क्या डरे?
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के  लिए मरे।।

प्रश्न 1- रंतिदेव कौन थे ?

(क) एक राजा
(ख) महाराजा
(ग) एक परम दानी राजा
(घ) कोई नहीं

 

प्रश्न 2– रंतिदेव ने कब आखिरी भोजन की थाली दान में दी थी ?

(क) जब शादी में थे
(ख) बातें करते हुए
(ग) कविता लिखते हुए
(घ) जब वे भूख से व्याकुल थे

 

प्रश्न 3-दधीचि ने परोपकार का कौन सा कार्य किया ?

(क) तप किया

(ख) देवताओं का सत्कार किया

(ग) महान ऋषि थे
(घ) अपनी अस्थियाँ दान में दी थी

 

प्रश्न 4 – उशीनर ने कबूतर को कैसे बचाया था ?

(क) दवा लगा कर
(ख) दवा खिला कर
(ग) पानी पिला कर
(घ) अपना मांस दे कर

 

प्रश्न 5- कबूतर को बचाने के लिए अपना मांस किसने दिया था ?

(क) रंतिदेव ने
(ख) उशीनर के राजा शिबि ने
(ग) प्रह्लाद ने
(घ) राजा ने

 

उत्तर 1-(ग) एक परम दानी राजा

उत्तर 2-(घ) जब वे भूख से व्याकुल थे

उत्तर 3-(घ) अपनी अस्थियाँ दान में दी थी

उत्तर 4-(घ) अपना मांस दे कर

उत्तर 5-(ख) उशीनर के राजा शिबि ने

 

 

सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धभाव बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा ?
अहा ! वही उदार है परोपकार जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 

प्रश्न 1– “सहानुभूति चाहिए , महाविभूति है यहीका क्या भाव है ?

(क) दया और करुणा का भाव सबसे बड़ा धन है
(ख) धन ही सबसे बड़ा है
(ग) दया नहीं करनी चाहिए
(घ) दौलत

 

प्रश्न 2- महाविभूति का क्या अर्थ है ?

(क) बहुत बड़ा सागर
(ख) बहुत बड़ा धन
(ग) बहुत बड़ा व्यक्ति
(घ) देश का राजा

 

प्रश्न 3- कवि के अनुसार मनुष्य के मन में क्या होना चाहिए ?

(क) स्वार्थ
(ख) लालच
(ग) क्रोध
(घ) करुणा और दया भाव

 

प्रश्न 4- बुद्ध का विरोध किस में बह गया ?

(क) उनकी दया भावना में

(ख) उनके विरोध में

(ग) उनके उपदेश में

(घ) उनके वचनों में

 

प्रश्न 5- लोग किसके सामने झुक गए ?

(क) महात्मा बुद्ध के सामने

(ख) दया प्रवाह के सामने

(ग) विरोध के सामने

(घ) किसी के सामने नहीं सिर्फ  

 

 

उत्तर 1-(क) दया और करुणा का भाव सबसे बड़ा धन है

उत्तर 2-(ग) बहुत बड़ा व्यक्ति

उत्तर 3-(घ) करुणा और दया भाव

उत्तर 4-(क) उनकी दया भावना में

उत्तर 5-(क) महात्मा बुद्ध के सामने

 

 

रहो न भूल के कभी मदांघ तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीन बन्धु के बड़े विशाल हाथ हैं।
अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

प्रश्न 1- मदांध का क्या अर्थ है ?

(क) गर्व से भरा
(ख) गर्व से महान
(ग) गर्व से भरपूर
(घ) गर्व से अँधा

 

प्रश्न 2- हमें किन बातों का घमण्ड नहीं करना चाहिए ?

(क) संपत्ति पर
(ख) यश पर
(ग) अपनों का
(घ) सभी का

 

प्रश्न 3- कवि के अनुसार कोई भी व्यक्ति अनाथ क्यों नहीं है ?

(क) क्योंकि सब बड़े हैं
(ख) क्योंकि सब कमाते हैं
(ग) क्योंकि सब समझदार हैं
(घ) क्योंकि सब का पिता वह ईश्वर एक है

 

प्रश्न 4- कवि ने असली मनुष्य किसको माना है ?

(क) जो संसार को भाईचारे के भाव में बांधता है
(ख) जो दूसरो की चिंता करता है
(ग) जो दया और परोपकारी भाव रखता है
(घ) सभी

 

प्रश्न 5- भाग्यहीन कौन होता है?  

(क) जो बहुत खुश होता है

(ख) जो बहुत दुखी होता है  

(ग) जो सोता रहता है

(घ) जो अधीर होता है

 

उत्तर 1-(घ) गर्व से अँधा

उत्तर 2-(क) संपत्ति पर

उत्तर 3-(घ) क्योंकि सब का पिता वह ईश्वर एक है

उत्तर 4-(ग) जो दया और परोपकारी भाव रखता है

उत्तर 5-(घ) जो अधीर होता है

अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े,
समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े-बड़े।
परस्परावलंब से उठो तथा बढ़ो सभी,
अभी अमर्त्य-अंक में अपंक हो चढ़ो सभी।
रहो न यां कि एक से न काम और का सरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

प्रश्न 1आकाश में कौन खड़ा है ?

(क) तारे
(ख) चाँद
(ग) सूरज
(घ) असंख्य देवता

 

प्रश्न 2- आकाश में देवता क्यों खड़े हैं ?

(क) अच्छे काम करने वाले लोगो की प्रशंसा करने के लिए
(ख) तालियाँ बजाने के लिए
(ग) सब पर नज़र रखने के लिए
(घ) सबको आशीर्वाद देने के लिए  

 

प्रश्न 3- देवता किन्हे गोद में लेंगे ?

(क) फूलों  को
(ख) तारों को
(ग) बुरे लोगों को
(घ) अच्छे काम करने वाले परोपकारी लोगों को

 

प्रश्न 4- कवि के अनुसार सभी मनुष्य क्या हैं ?

(क) मतभेदी
(ख) दुश्मन
(ग) दोस्त
(घ) भाई-बन्धु

 

प्रश्न 5- स्वबाहु जो बढ़ा रहेका अर्थ है

(क) अपनी बाँहें बढ़ा रहे हैं

(ख) स्वागत करने को तत्पर रहना

(ग) ऊंचा उठाना

(घ) बुलाना

 

उत्तर 1-(घ) असंख्य देवता

उत्तर 2-(घ) सबको आशीर्वाद देने के लिए  

उत्तर 3-(घ) अच्छे काम करने वाले परोपकारी लोगों को

उत्तर 4-(घ) भाईबन्धु

उत्तर 5-(क) अपनी बाँहें बढ़ा रहे हैं

 

 ‘मनुष्य मात्रा बन्धु हैं’ यही बड़ा विवेक है,
पुराणपुरुष स्वयंभू पिता प्रसिद्ध एक है।
फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद हैं,

परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद हैं।
अनर्थ है कि बन्धु ही न बन्धु की व्यथा हरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 

 

प्रश्न 1- सच्चा मनुष्य कौन है ?                                                           

(क) जो स्वयं को सर्वोच्च समझे                      

(ख) जो धनी हो

(ग) जो परमार्थ में अपने प्राण भी दे दे                

(घ) जो ईश्वर पर विश्वास न करे

 

 

प्रश्न 2-मनुष्य के लिए सबसे बड़ा विवेक क्या है ?  

(क) सभी मनुष्यों को अपना बंधु माने

(ख) सभी मनुष्यों को अपना शत्रु समझे

(ग) स्वयं को भगवान समझे

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

 

प्रश्न 3- अनर्थ की बात क्या है?

(क) एक व्यक्ति दूसरे को खुश रखें

(ख) एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को दुखी रखें

(ग) एक व्यक्ति दूसरे के कष्टों को दूर न करें

(घ) किसी का ध्यान रखें हाँ

 

 

प्रश्न 4- वेद की इस बात को प्रमाणित करते हैं?

(क) मनुष्य की एकता को

(ख) आत्मा की एकता को

(ग) सभी की एकता को

(घ) इनमें से कोई नहीं

 

 

प्रश्न 5-मनुष्य मात्र में कौन सा सै अलंकार है ?

(क) अनुप्रास

(ख) यमक  

(ग) श्लेष

(घ) रूपक

 

उत्तर 1-(ग) जो परमार्थ में अपने प्राण भी दे दे                

उत्तर 2-(क) सभी मनुष्यों को अपना बंधु माने

उत्तर 3-(ग) एक व्यक्ति दूसरे के कष्टों को दूर न करें

उत्तर 4- ख) आत्मा की एकता को

उत्तर 5-(क) अनुप्रास

 

 

 

चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए

विपत्ति,विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क  एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 

 

प्रश्न 1- कवि ने किस बात की प्रेरणा सब को दी है ?

(क) एक होकर चलने की
(ख) अनेकता की
(ग) एकता में अनेकता की
(घ) भिन्नता की

 

 

प्रश्न 2- कवि ने सब को एक होकर चलने को क्यों कहा है ?

(क) कल्याण और समृद्धि के लिए
(ख) आपसी समझ न बिगाड़ने के लिए
(ग) भेदभाव न हो
(घ) सभी

 

 

प्रश्न 3- व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन जीना चाहिए ?

(क) परोपकारी एवं सर्वहितकारी
(ख) स्वार्थकारी
(ग) अपनों के बारे में सोचते हुए
(घ) सभी

 

प्रश्न 4-मनुष्य को अपने चुने हुए मार्ग पर किस तरह चलना चाहिए ?

(क) मजबूती से
(ख) दुखी ह्रदय से
(ग) मन से
(घ) ख़ुशी से

 

प्रश्न 5-  अतर्क  एक पंथ से कवि का आशय हैं-

(क) अतर्क एक रास्ता है

(ख) तर्क न करना मूर्खता है

(ग) एकता की राह विवाद रहित है

(घ) तर्क करने से एकता बढ़ती है

 

उत्तर 1-(क) एक होकर चलने की

उत्तर 2-(क) कल्याण और समृद्धि के लिए

उत्तर 3-(क) परोपकारी एवं सर्वहितकारी

उत्तर 4-(घ) ख़ुशी से

उत्तर 5-(ग) एकता की राह विवाद रहित है

 

 

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