Term II 2021-22 Class 10 बोर्ड परीक्षा में आने वाले कुछ सम्भावित प्रश्न
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कविता- मनुष्यता ,कर चलें हम फ़िदा तथा पर्वत प्रदेश में पावस
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मनुष्यता
– मैथिली शरण गुप्त
(1) ‘मनुष्य को दूसरों के साथ उदारता से रहना चाहिए और मानवीय एकता को दृढ़ करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। उसे खुद भी सदैव उन्नति के पथ पर अग्रसर रहना चाहिए और दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए।‘
प्रश्न : ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर वर्तमान समय में इस कथन की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -‘मनुष्य को दूसरों के साथ उदारता से रहना चाहिए और मानवीय एकता को दृढ़ करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। उसे खुद भी सदैव उन्नति के पथ पर अग्रसर रहना चाहिए और दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए।वर्तमान समय में भी यह कथन पूर्णतः प्रासंगिक है क्योंकि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है। परोपकार ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम युगों तक लोगो के दिल में अपनी जगह बना सकते है और परोपकार के द्वारा ही समाज का कल्याण व समृद्धि संभव है और सब एक साथ ,एक होकर चलेंगे तो सारी बाधाएँ मिट जाएँगी और सबका कल्याण और समृद्धि होगी।
(2) मनुष्य मरणशील है अतः उसे चाहिए कि वह अपनी सुनिश्चित मृत्यु को अपने कर्मों द्वारा यादगार बना दे, ताकि उसके जाने के पश्चात भी लोग उसे याद करें। केवल अपने लिए चर कर पशुवत जीवन व्यतीत करने की अपेक्षा उसे परोपकार करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए।
प्रश्न : मैथिली शरण गुप्त जी ने कहा है,’आह! वही उदार है परोकार जो करें’ इस पंक्ति के संदर्भ में बताइए विश्व बंधुत्व की भावना का क्या है और इसका विस्तार क्यों आवश्यक है?
(3) कविता में कवि ने दधीचि ,कर्ण और महात्मा बुद्ध आदि महान व्यक्तियों के द्वारा हमें क्या बोध करवाने का प्रयास किया है और वही मार्ग अपनाने के लिए क्यों प्रेरित किया है ?
प्रश्न : ‘मनुष्यता ‘ कविता की एक पंक्ति है ” विरुद्धवाद बुद्ध का दया प्रवाह में बहा ” बुद्ध ने अपने विचारों से हिंसक लोगों को भी वश में कर लिया था, वर्तमान समय में क्या यह भाव सार्थक हो सकता है? कविता के आलोक में अपने विचारों को लिखिए।
उत्तर – कविता में कवि ने दधीचि ,कर्ण और महात्मा बुद्ध आदि महान व्यक्तियों के द्वारा हमें त्याग और परोपकार जैसे मूल्यों का बोध करवाने का प्रयास किया है। कवि ने बताना चाहा है कि इन दानवीरों और परोपकारियों का जीवन परोपकार और त्याग से भरपूर था। वही मार्ग अपनाने के लिए इसलिए प्रेरित किया है क्योंकि कवि चाहता है कि मनुष्य,उक्त महापुरुषों की तरह अनूठे कार्य करके मानवता की रक्षा करे और त्याग एवं परोपकार करके मनुष्यता को क़ायम रखे।
(4) भारत में हमें अपने विचार व्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता है । हमारे विचारों का विरोध भी हो सकता है। मत -मतांतर ,पक्ष – विपक्ष होना स्वतंत्र और सशक्त लोकतंत्र का परिचायक है। यह सबका अपना व्यक्तिग़त निर्णय कि वह किसी के विचारों से सहमत होता है या उसका विरोध करता है।यदि कोई आपके विचारों से असहमत होकर, आपके मत को अस्वीकार करता है तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
प्रश्न : ” विरुद्धवाद बुद्ध का दया प्रवाह में बहा ” वर्तमान समय में क्या यह भाव सार्थक हो सकता है? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर सस्पष्ट कीजिए। क्या आप इस बात से सहमत हैं अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर –” विरुद्धवाद बुद्ध का दया प्रवाह में बहा ” अर्थात् बुद्ध ने कब मानवता की भलाई हेतु कार्य किए और लोगों के साथ दयालुतापूर्ण व्यवहार किया तो जो उनका विरोध कर रहे थे वह सब भी उनके अनुयायी हो गए। वर्तमान में यह भाव पूर्णतः सार्थक हो सकता है और हम इस बात से पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि वर्तमान समय में भी इस तरह का विरोध दया प्रवाह में बह सकता है।वास्तव में दयालु वही है जो दूसरों की भलाई में लगा रहता है और दूसरों की भलाई के लिए जीने -मारने वाले ही सच्चे मनुष्य होते हैं।
प्रश्न : (5) कवि मैथिलीशरण गुप्त ने संपूर्ण सृष्टि में अखण्ड आत्मभाव भरने की बात की है। अखण्ड आत्मभाव का क्या तात्पर्य है यह भाव कैसे मनुष्य में रहता है ?मनुष्यता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न : (6) हमें सभी के साथ उदारतापूर्वक रहना चाहिए और आपसी एकता को और भी सुदृढ़ बनाने का प्रयास करना चाहिए। इससे हम परस्पर एक दूसरे को आगे बढ़ाते हुए स्वयं भी उन्नति कर सकेंगे इस सोच के आधार पर वर्तमान समय में मनुष्य कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
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कर चलें हम फ़िदा
– कैफ़ी आज़मी
प्रश्न : (1) एक देशभक्त और वीर व्यक्ति के मन में देश के लिए क्या इच्छाएँ होती है? इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह क्या- क्या करने के लिए तत्पर रहता है? ‘कर चलें हम फ़िदा’ कविता और ‘कारतूस’ एकांकी के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर – एक देशभक्त और वीर व्यक्ति कभी भी देश के मान – सम्मान को बचाने से पीछे नहीं हटते, फिर चाहे उन्हें अपनी जान ही क्यों ना गँवानी पड़े। देशभक्त और वीर व्यक्ति चाहते हैं कि उनके बलिदान के बाद देश की रक्षा के लिए देशभक्तों और वीरों की कमी नहीं होनी चाहिए। दुश्मन कभी भी उसके द्वारा खींची गई खून की लक्ष्मण रेखा पार ना कर पाए। वे चाहते हैं कि देश पर जान न्योछावर करने के मौके बहुत कम आते हैं, ये क्रम टूटना नहीं चाहिए।
प्रश्न : (2) कैप्टन विक्रम बत्रा जब पहली जून 1999 को कारगिल युद्ध के लिए गए तो उनके कंधों पर राष्ट्रीय श्रीनगर-लेह मार्ग के बिलकुल ठीक ऊपर महत्वपूर्ण चोटी 5140 को दुश्मन फ़ौज से मुक्त करवाने की ज़िम्मेदारी थी। युद्ध के दौरान घायल लेफ्टिनेंट नवीन को बचाते हुए जब एक गोली विक्रम बत्रा के सीने में लगी तो भारत माँ के इस लाल ने भारत माता की जय कहते हुए अंतिम साँस ली, इससे आहत सभी सैनिक गोलियों की परवाह किए बिना दुश्मन पर टूट पड़े और चोटी को आखिरकार फतह किया।
उपर्युक्त घटना और ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता से हमें यह पता चलता है कि एक देशभक्त सैनिक बलिदान के पलों को जश्न की तरह मनाता है, शहीद होना उसके लिए जश्न होती है । सैनिकों द्वारा बलिदान के पलों को जश्न की तरह मनाने के पीछे कौन-सी भावना व गुण कार्य करते हैं, विचार करके बताइए।
उत्तर – उपर्युक्त घटना और ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता से हमें यह पता चलता है कि एक देशभक्त सैनिक बलिदान के पलों को जश्न की तरह मनाता है। एक सच्चा सैनिक देश के लिए अपने जीवन का बलिदान करने को अपना परम धर्म तथा पुनीत कर्तव्य मानता है । वह कठिन से कठिन परिस्थितियों में रहते हुए भी देश की सुरक्षा में कमियां नहीं आने देते। वह सदा ही भारत माता के शत्रुओं से भारत माता की रक्षा के लिए तत्पर रहता है।
वह मानसिक रूप से देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए हमेशा तैयार रहता है।मरते समय भी उसे न तो मरने का दुख होता है न ही उसके जोश में कमी आती है क्योंकि सैनिक को इस बात का गर्व रहता है कि उसे अपना परम कर्तव्य निर्वाह करने का शुभ अवसर मिला जिसे उसने पूरी ईमानदारी से निभाया और जोश और उत्साह के साथ जश्न की तरह मनाएं तभी जीत का जश्न मनाने का अवसर मिलता है।
प्रश्न : (3) ‘कारतूस ‘एकांकी और ‘कर चले हम फ़िदा ‘ कविता में वज़ीर अली और सैनिकों के कथनों में आपको क्या अंतर और समानता नज़र आती है? अपने शब्दों में उत्तर लिखिए।
उत्तर – ‘कर चले हम फ़िदा ‘ कविता और ‘कारतूस ‘एकांकी’ में वज़ीर अली और सैनिकों के कथनों में समानता यह है की दोनों में ही वीरता, साहस, देशभक्ति और जाँबाज़ी का भाव प्रदर्शित हो रहा है और अंतर यह है कि कारतूस क़हानी में अकेला वज़ीर अली मुट्ठीभर सिपाहियों के साथ, अंग्रेजों की ताकतवर सेना के मुक़ाबले के लिए तैयार है और ‘कर चले हम फ़िदा ‘ कविता में दुश्मनों का मुक़ाबला करने के लिए देश की पूरी सेना है।
पर्वत प्रदेश में पावस
– सुमित्रानंदन पंत
प्रश्न : (1) पर्वत प्रदेश में पावस कविता में सुमित्रानंदन पंत ने पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में क्षण क्षण होने वाले परिवर्तनों और वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत चित्रण किया है।
वर्षाकाल में यहाँ का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है परंतु पहाड़ों पर रहने वाले लोगों के दैनिक जीवन में क्या क्या कठिनाइयाँ उत्पन्न होती होंगी इसके विषय में लिखिए।
प्रश्न : (2) कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा के समय पल पल परिवर्तित होने वाले दृश्यों को जादुई कहा गया है आप अपने यहाँ वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों के बारे में वर्णन करते हुए बताइए कि वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेशों में प्राकृतिक दृश्य जादुई क्यों लगते हैं?
प्रश्न : (3) ‘था इंद्र खेलता इंद्रजाल ‘के माध्यम प्रकृति में हो रहे परिवर्तनों का ज़िम्मेदार किसे और क्यों ठहरा रहे हैं?
उत्तर – ‘था इंद्र खेलता इंद्रजाल ‘के माध्यम से कवि प्रकृति में हो रहे परिवर्तनों का ज़िम्मेदार भगवान इन्द्र को ठहरा रहे हैं और इसलिए ठहरा रहे हैं क्योंकि भगवान इन्द्र को वर्षा ऋतु का देवता माना जाता हैं। इन्द्र बादलों के याँ में बैठकर इंद्रजाल अर्थात् माया की लीला दिखा रहे हैं।
कारतूस
(1) देशभक्ति किसी के लिए उसके देश के प्रति प्यार और निष्ठा और अपने नागरिकों के साथ गठबंधन की भावना को प्रकट करता है l ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर उदहारण के साथ स्पष्ट कीजिए कि जाँबाज़ तथा एक सच्चा देशभक्त वज़ीर अली के जीवन का लक्ष्य अंग्रेज़ों को इस देश से बाहर करना था।
उत्तर – जाँबाज़ वज़ीर अली अत्यंत साहसी, वीर तथा पराक्रमी था। वह अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का बेटा था l वह जब स्वयं अवध के तख्त़ पर बैठा था, तो मात्र पाँच महीने के शासन में ही उसने अवध के दरबार को अंग्रेज़ी प्रभाव से पूर्णतया मुक्त कर दिया था l उसके अंग्रेज़ विरोधी कार्य को देखते हुए अंग्रेजों ने अपने षड्यंत्रों द्वारा उसे तख्त़ से हटाकर उसके पिता के भाई सआदत अली को नवाब घोषित कर दिया था।
वज़ीर अली ने विषम परिस्थितियों से भी हार नहीं मानी तथा वह सदैव अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए प्रयत्नशील रहा l उसने अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिंदुस्तान पर आक्रमण करने का आमंत्रण दिया ताकि अंग्रेज़ों की शक्ति तथा सैन्य बल क्षीण हो सके। वह लगातार अपने बहादुर सिपाहियों के साथ नेपाल की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा था ताकि वहाँ पहुँचकर वह अपनी शक्ति का विस्तार कर सके l
वजीर अली के पीछे अंग्रेज़ी फ़ौज के साथ-साथ नवाब सआदत अली के सिपाही भी लगे हुए थे, पर वह किसी के भी हाथ नहीं आ पा रहा था । उसका मुख्य लक्ष्य अभी उससे दूर था और उसी को पाने के लिए वह प्रत्येक कठिनाई का सामना कर रहा था ।
(२) लेफ्टिनेंट – सुना है ये वज़ीर अली अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिन्दुस्तान पर हमला करने की दावत (आमंत्रण) दे रहा है।
कर्नल – अफ़गानिस्तान को हमले की दावत सबसे पहले असल में टीपू सुल्तान ने दी फिर वजीर अली ने भी उसे दिल्ली बुलाया और फिर शमसुद्दौला ने भी।
लेफ्टिनेंट – कौन शमसुद्दौला ?
कर्नल – नवाब बंगाल का निस्बती (रिश्ते) भाई। बहुत ही खतरनाक आदमी है।
लेफ्टिनेंट – इसका तो मतलब ये हुआ कि कंपनी के ख़िलाफ़ सारे हिन्दुस्तान में एक लहर दौड़ गई है।
प्रश्न : भारतीय नवाबों ने अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने के लिए विदेशी शासकों का भी सहारा लिया। इसमें वे कितना सफल रहे पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भारतीय नवाबों ने अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने के लिए विदेशी शासकों का भी सहारा लिया। देश में अलग-अलग स्थानों पर राजा एवं नवाब कंपनी का विरोध कर रहे थे I दक्षिण भारत में टीपू सुल्तान अंग्रेजों को भगाने के लिए कटिबद्ध था, उसने अफ़गान शासक शाहेज़मा से मदद माँगी थी I
पूर्व में बंगाल के नवाब का भाई शमसुद्दौला भी अंग्रेजों को पसंद नहीं करता था ,उसने भी शाहेज़मा को आमंत्रित किया था I अवध के पूर्व नवाब, वजीर अली के मन में भी अंग्रेजों के विरुद्ध नफरत कूट-कूटकर भरी हुई थी, वह शाहेज़मा के हमले के इंतजार में था ताकि शाहेज़मा का साथ देकर अंग्रेजों को भारत से खदेड़ सके
भारतीय नवाबों ने अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने के लिए विदेशी शासकों का सहारा तो लिया लेकिन इसमें वे पूर्णत सफल नही हो पाए।
(6) कर्नल – उसके अफ़साने सुनकर रॉबिनहुड के कारनामे याद आ जाते हैं। अंग्रेजों के खिलाफ़ उसके दिल में किस कदर नफ़रत है। कोई पाँच महीने हुकूमत की होगी। पर इस पाँच महीने में वो अवध के दरबार को अंग्रेजी असर से बिलकुल पाक कर देने में तक़रीबन कामयाब हो गया था।
प्रश्न : पाठ के आधार पर वजीर अली की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए.
द्वितीय सत्र बोर्ड परीक्षा
कुछ सम्भावित प्रश्न
झेन की देन
(1) बार -बार कोरोना की नई लहर के कारण घर में बंद रहकर और ऑनलाईन पढ़-पढ़कर मेरे तो सिर में दर्द रहने लगा है। दोस्तों से मिले साल भर से ज्यादा हो गया। मुझे तो भविष्य अंधकारमय नज़र आने लगा है। कोविड से पहले कितने अच्छे दिन थे, खुशियाँ ही खुशियाँ , जहाँ चाहो,वहाँ जाओ, जो चाहो,वह करो, जो खाओ ,जो पियो ; कोई रोक-टोक नहीं थी। बीते दिन बहुत याद आते हैं ,आनेवाले दिन भी कैसे होंगे ? कोई नही कह सकता।
प्रश्न – ‘झेन की देन ‘ पाठ के आधार पर एक विद्यार्थी की मनोदशा की समीक्षा कीजिए। मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों को क्या करना चाहिए ? स्थिति को देखते हुए अपने विचार लिखिए।
उत्तर 2 (क) – कोरोना के इस समय में विद्यार्थियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दोस्तों से मिल नहीं पाते, घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ रही है। इस सब के कारण विद्यार्थियों के सिर में दर्द रहने लगा है ,ठीक से नींद नहीं आती, ज़रा ज़रा सी बात पर चिड़चिड़े हो जाते हैं और उदास रहने लगे हैं, विद्यार्थियों की मनोदशा भी बिगड़ रही है।
मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों को एकांत में ध्यान लगाना चाहिए, अपने कार्यों को करने के लिए योजना बनानी चाहिए, भूत और भविष्य के बारे में न सोचकर वर्तमान समय का सामना समझदारी से और संतुलन बना कर करना चाहिए।
(2) ‘प्रतिस्पर्धा के युग में लोग अनेक रुग्ण मनोवृतियों के शिकार बन रहे हैं।भागकर आगे निकलने के प्रयास में मानसिक तनाव बढ़ जाता है और व्यक्ति मानसिक रोगों का शिकार हो जाता।‘
प्रश्न – ‘झेन की देन ‘ पाठ के आलोक में कथन की समीक्षा कीजिए और अपना सुझाव दीजिए कि मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर 2 (क) – प्रतिस्पर्धा ………..शिकार हो जाता है। उपरोक्त कथन पूर्णतः सत्य है अत्यधिक सुख सुविधाएं पाने की लालसा, भौतिकवादी सोच और विकसित बनने की चाहत ने व्यक्ति की जिंदगी की गतिशीलता में वृद्धि की है। आधुनिक जीवनशैली अपनाने के लिए लोगों की जिंदगी में भी भागमभाग मची हुई है।
लोगों के पास अपने लिए भी समय नहीं बचा है। चलने की जगह दौड़ रहे हैं बोलने की जगह बक रही है और इसे भी दो कदम आगे बढ़कर मनोरोगी होने लगे हैं। भूतकाल एवं भविष्यत् काल के मिथ्या होने को समझकर सहजता से जीते हुए कर्मरत रहकर, तनवरहित होकर स्वस्थ जीवन व्यतीत करके मानसिक संतुलन बनाकर जीया जा सकता है।
(3) शर्मा जी अपने दैनिक कार्य सुचारु रूप से करते हैं। सुबह 6:00 बजे उठकर सबसे पहले योगा करते हैं, मॉर्निंग वॉक के लिए जाते हैं, समय पर ऑफिस जाते हैं और समय पर ही वापस आते हैं। ऑफिस में भी उनकी खूब प्रशंसा होती है। परन्तु कुछ समय से वे चुपचाप, बिल्कुल शांत रहने लगे हैं, अकेले में अपने आप से न जाने क्या बड़बड़ाते रहते हैं।
प्रश्न : स्थिति का विश्लेषण करते हुए बताइए के पाठ झेन की देन से मिली सीख शर्मा जी को इस स्थिति से बाहर निकलने में मददगार साबित हो सकती है।तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर – शर्मा जी अपने दैनिक कार्य सुचारु रूप से करते थे लेकिन कुछ समय से वे चुपचाप, बिल्कुल शांत रहने लगे हैं, अकेले में अपने आप से न जाने क्या बड़बड़ाते रहते हैं। इससे पता चलता है कि शर्मा ज़ी मानसिक तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं।पाठ झेन की देन से मिली सीख शर्मा जी को इस स्थिति से बाहर निकलने में मददगार साबित हो सकती है। मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए शर्मा ज़ी को एकांत में ध्यान लगाना चाहिए, अपने कार्यों को करने के लिए योजना बनानी चाहिए, भूत और भविष्य के बारे में न सोचकर वर्तमान समय का सामना समझदारी से और संतुलन बना कर करना चाहिए।
(4) प्रतिस्पर्धा के युग में लोग अनेक रोग मनोवृत्तियों के शिकार बन रहे हैं। भाग कर आगे निकलने के प्रयास में मानसिक तनाव बढ़ता जाता है और व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक रूप से बिखरने लगता है। जब हम चैन से बैठ सके और शांत रह पाए तभी जीवन को पूरी तरह से जी पाएंगे।
प्रश्न : क्या आप इस कथन से सहमत हैं पाठ झेन की देन मैं वर्णित परिस्थितियों का विश्लेषण करते हुए बताइये कि आज आत्म अवलोकन करने की आवश्यकता का महत्व क्यों बढ़ गया है?
उत्तर – हाँ मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ कि प्रतिस्पर्धा के युग में लोग अनेक रोग मनोवृत्तियों के शिकार बन रहे हैं। भाग कर आगे निकलने के प्रयास में मानसिक तनाव बढ़ता जाता है और व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक रूप से बिखरने लगता है। जब हम चैन से बैठ सके और शांत रह पाए तभी जीवन को पूरी तरह से जी पाएँगे।
पाठ झें की दें में भी वर्णित है कि आधुनिक जीवनशैली अपनाने के लिए लोगों की जिंदगी में भी भागमभाग मची हुई है। लोगों के पास अपने लिए भी समय नहीं बचा है। चलने की जगह दौड़ रहे हैं बोलने की जगह बक रही है और इसे भी दो कदम आगे बढ़कर मनोरोगी होने लगे हैं। भूतकाल एवं भविष्यत् काल के मिथ्या होने को समझकर सहजता से जीते हुए कर्मरत रहकर, तनवरहित होकर स्वस्थ जीवन व्यतीत करके मानसिक संतुलन बनाकर जीया जा सकता है।
(5) ज़िंदगी में आई तेज़ी के साथ लोगों के लिए समय और भी कीमती हो गया है,विकास और प्रगति की रफ्तार को पाने के लिए 24 घंटे जैसे कम पड़ने लगे हैं हमारा देश तेजी से विकास कर रहा है परंतु उसकी हमें कुछ कीमत भी चुकानी पड़ रही है।
प्रश्न : ‘झेन की देन ‘ पाठ के आलोक में उपरोक्त कथन की समीक्षा कीजिए और बताइए कि मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए? स्थिति को देखते हुए अपने विचार लिखिए।
उत्तर – आधुनिक जीवनशैली अपनाने के लिए लोगों की जिंदगी में भी भागमभाग मची हुई है। लोगों के पास अपने लिए भी समय नहीं बचा है। चलने की जगह दौड़ रहे हैं बोलने की जगह बक रही है ज़िंदगी में आई तेज़ी के साथ लोगों के लिए समय और भी कीमती हो गया है,विकास और प्रगति की रफ्तार को पाने के लिए 24 घंटे जैसे कम पड़ने लगे हैं हमारा देश तेजी से विकास कर रहा है परंतु उसकी हमें कुछ कीमत भी चुकानी पड़ रही है।
और इसे भी दो कदम आगे बढ़कर मनोरोगी होने लगे हैं। मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए एकांत में ध्यान लगाना चाहिए, अपने कार्यों को करने के लिए योजना बनानी चाहिए, भूत और भविष्य के बारे में न सोचकर वर्तमान समय का सामना समझदारी से और संतुलन बना कर करना चाहिए।
(6) बीते पल लाख चाहने पर भी वापस नहीं लाए जा सकते और भविष्य के लिए कोई भी अनुमान लगाना व्यर्थ होता है क्योंकि भविष्य में क्या होगा , कोई नहीं जानता। ‘झेन की देन’ पाठ में भी लेखक ने भूत और भविष्य को मिथ्या बताया है। यदि आपका एक मित्र अपने अतीत में और दूसरा भविष्य के रंगीन सपनों में खोकर अपना जीवन बेकार कर रहे हों, तो ‘झेन की देन’ पाठ से सीख लेकर आप उन्हें किन शब्दों में समझाएँगे? विचार करके लिखिए।
उत्तर – यदि मेरा एक मित्र अपने अतीत में और दूसरा भविष्य के रंगीन सपनों में खोकर अपना जीवन बेकार कर रहे हों, तो ‘झेन की देन’ पाठ से सीख लेकर मै उन्हें समझाऊँगा कि बीते पल लाख चाहने पर भी वापस नहीं लाए जा सकते और भविष्य के लिए कोई भी अनुमान लगाना व्यर्थ होता है क्योंकि भविष्य में क्या होगा , कोई नहीं जानता इसलिए भूतकाल एवं भविष्यत् काल के मिथ्या होने को समझकर सहजता से जीते हुए कर्मरत रहकर, तनवरहित होकर स्वस्थ जीवन व्यतीत करके मानसिक संतुलन बनाकर जीया जा सकता है।
कारतूस
(1) देशभक्ति किसी के लिए, देश के प्रति उसके प्यार, निष्ठा और अपने नागरिकों के साथ गठबंधन की भावना को प्रकट करती है।’कारतूस’ पाठ के आधार पर, उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए कि जाँबाज़ तथा एक सच्चे देशभक्त वज़ीर अली के जीवन का लक्ष्य अंग्रेज़ों को इस देश से बाहर करना था।
उत्तर – जाँबाज़ वज़ीर अली अत्यंत साहसी, वीर तथा पराक्रमी था l वह अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का बेटा था l वह जब स्वयं अवध के तख्त़ पर बैठा था, तो मात्र पाँच महीने के शासन में ही उसने अवध के दरबार को अंग्रेज़ी प्रभाव से पूर्णतया मुक्त कर दिया था l उसके अंग्रेज़ विरोधी कार्य को देखते हुए अंग्रेजों ने अपने षड्यंत्रों द्वारा उसे तख्त़ से हटाकर उसके पिता के भाई सआदत अली को नवाब घोषित कर दिया था l
वज़ीर अली ने विषम परिस्थितियों से भी हार नहीं मानी तथा वह सदैव अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए प्रयत्नशील रहा l उसने अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिंदुस्तान पर आक्रमण करने का आमंत्रण दिया ताकि अंग्रेज़ों की शक्ति तथा सैन्य बल क्षीण हो सके l वह लगातार अपने बहादुर सिपाहियों के साथ नेपाल की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा था ताकि वहाँ पहुँचकर वह अपनी शक्ति का विस्तार कर सके l
वजीर अली के पीछे अंग्रेज़ी फ़ौज के साथ-साथ नवाब सआदत अली के सिपाही भी लगे हुए थे, पर वह किसी के भी हाथ नहीं आ पा रहा था l उसका मुख्य लक्ष्य अभी उससे दूर था और उसी को पाने के लिए वह प्रत्येक कठिनाई का सामना कर रहा थाl
(2) लेफ्टिनेंट – सुना है ये वज़ीर अली अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिन्दुस्तान पर हमला करने की दावत (आमंत्रण) दे रहा है।
कर्नल – अफ़गानिस्तान को हमले की दावत सबसे पहले असल में टीपू सुल्तान ने दी फिर वजीर अली ने भी उसे दिल्ली बुलाया और फिर शमसुद्दौला ने भी।
लेफ्टिनेंट – कौन शमसुद्दौला ?
कर्नल – नवाब बंगाल का निस्बती (रिश्ते) भाई। बहुत ही खतरनाक आदमी है।
लेफ्टिनेंट – इसका तो मतलब ये हुआ कि कंपनी के ख़िलाफ़ सारे हिन्दुस्तान में एक लहर दौड़ गई है।
प्रश्न : भारतीय नवाबों ने अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने के लिए विदेशी शासकों का भी सहारा लिया। इसमें वे कितना सफल रहे पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भारतीय नवाबों ने अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने के लिए विदेशी शासकों का भी सहारा लिया। देश में अलग-अलग स्थानों पर राजा एवं नवाब कंपनी का विरोध कर रहे थे I दक्षिण भारत में टीपू सुल्तान अंग्रेजों को भगाने के लिए कटिबद्ध था, उसने अफ़गान शासक शाहेज़मा से मदद माँगी थी I
पूर्व में बंगाल के नवाब का भाई शमसुद्दौला भी अंग्रेजों को पसंद नहीं करता था ,उसने भी शाहेज़मा को आमंत्रित किया था I अवध के पूर्व नवाब, वजीर अली के मन में भी अंग्रेजों के विरुद्ध नफरत कूट-कूटकर भरी हुई थी, वह शाहेज़मा के हमले के इंतजार में था ताकि शाहेज़मा का साथ देकर अंग्रेजों को भारत से खदेड़ सके
भारतीय नवाबों ने अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने के लिए विदेशी शासकों का सहारा तो लिया लेकिन इसमें वे पूर्णत सफल नही हो पाए।
(3) कर्नल – उसके अफ़साने सुनकर रॉबिनहुड के कारनामे याद आ जाते हैं। अंग्रेजों के खिलाफ़ उसके दिल में किस कदर नफ़रत है। कोई पाँच महीने हुकूमत की होगी। पर इस पाँच महीने में वो अवध के दरबार को अंग्रेजी असर से बिलकुल पाक कर देने में तक़रीबन कामयाब हो गया था।
प्रश्न : पाठ के आधार पर वजीर अली की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए.
उत्तर- वज़ीर अली बहुत साहसी, निडर, वीर, हिम्मती और चतुर व्यक्ति था उसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना था I वह अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों का मुकाबला कर रहा था I अवध की नवाबी छिनने के बाद वह अंग्रेजों का दुश्मन बन गया था I
उसके मन में अपना लक्ष्य पाने और अंग्रेजों को भारत से भगाने की भावना प्रबल हो गयी थी I उसने अपनी शक्ति का विस्तार किया और अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने की दृढ़ प्रतिज्ञा कर ली I वजीर अली ने कंपनी के वकील की हत्या के बाद विद्रोह आरंभ कर दिया, अपने शत्रु के खेमे में पहुँच कर उससे कारतूस हासिल करने के बाद , जाते -जाते कर्नल को यह भी बता दिया कि वही वजीर अली है I ऐसा करके उसने सिद्ध कर दिया कि वह एक जाँबाज सिपाही है देश की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान न्योछावर करने के लिए भी तत्पर हैं I
(4) लेफ्टिनेंट – मगर सआदत अली को अवध के तख़्त पर बिठाने में क्या मसलेहत थी ?कर्नल – सआदत अली हमारा दोस्त है और बहुत ऐश पसंद आदमी है इसलिए हमें अपनी आधी मुमलिकत (जायदाद, दौलत) दे दी और दस लाख रूपये नगद। अब वो भी मज़े करता है और हम भी।
प्रश्न : सआदत अली सत्ता लोलुप था और अवध की सत्ता सआदत अली को सौंपने से अंग्रेजों को क्या लाभ हुआ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- सआदत अली सत्ता लोलुप था और अवध की सत्ता सआदत अली को सौंपने से अंग्रेजों को बहुत लाभ हुआ। सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का यह मकसद अवध की धन संपत्ति पर अधिकार करना था I सआदत अली अंग्रेजों का मित्र था, वह एक अवसरवादी व्यक्ति था I
वह वजीर अली को गद्दी से हटाकर अवध का नवाब बनना चाहता था और कर्नल ने इस बात का फायदा उठाया I अंग्रेजों ने उसे शासक बना कर अवध की आधी संपत्ति, दस लाख रुपये तथा अन्य वस्तुएँ प्राप्त कर ली I सआदत अली को तख्त पर बिठाने से अवध पर कंपनी का अधिकार लगभग निश्चित हो गया I
मनुष्यता
– मैथिली शरण गुप्त
(1) ‘मनुष्य को दूसरों के साथ उदारता से रहना चाहिए और मानवीय एकता को दृढ़ करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। उसे खुद भी सदैव उन्नति के पथ पर अग्रसर रहना चाहिए और दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए।‘
प्रश्न : ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर वर्तमान समय में इस कथन की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
(2) मनुष्य मरणशील है अतः उसे चाहिए कि वह अपनी सुनिश्चित मृत्यु को अपने कर्मों द्वारा यादगार बना दे, ताकि उसके जाने के पश्चात भी लोग उसे याद करें। केवल अपने लिए चर कर पशुवत जीवन व्यतीत करने की अपेक्षा उसे परोपकार करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए।
प्रश्न : मैथिली शरण गुप्त जी ने कहा है,’आह! वही उदार है परोकार जो करें’ इस पंक्ति के संदर्भ में बताइए विश्व बंधुत्व की भावना का क्या है और इसका विस्तार क्यों आवश्यक है?
(3) कविता में कवि ने दधीचि ,कर्ण और महात्मा बुद्ध आदि महान व्यक्तियों के द्वारा हमें क्या बोध करवाने का प्रयास किया है और वही मार्ग अपनाने के लिए क्यों प्रेरित किया है ?
उत्तर 1 (क) – कविता में कवि ने दधीचि ,कर्ण और महात्मा बुद्ध आदि महान व्यक्तियों के द्वारा हमें त्याग और परोपकार जैसे मूल्यों का बोध करवाने का प्रयास किया है। कवि ने बताना चाहा है कि इन दानवीरों और परोपकारियों का जीवन परोपकार और त्याग से भरपूर था।
वही मार्ग अपनाने के लिए इसलिए प्रेरित किया है क्योंकि कवि चाहता है कि मनुष्य,उक्त महापुरुषों की तरह अनूठे कार्य करके मानवता की रक्षा करे और त्याग एवं परोपकार करके मनुष्यता को क़ायम रखे।
प्रश्न : ‘मनुष्यता ‘ कविता की एक पंक्ति है ” विरुद्धवाद बुद्ध का दया प्रवाह में बहा ” बुद्ध ने अपने विचारों से हिंसक लोगों को भी वश में कर लिया था, वर्तमान समय में क्या यह भाव सार्थक हो सकता है? कविता के आलोक में अपने विचारों को लिखिए।
(4) भारत में हमें अपने विचार व्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता है । हमारे विचारों का विरोध भी हो सकता है। मत -मतांतर ,पक्ष – विपक्ष होना स्वतंत्र और सशक्त लोकतंत्र का परिचायक है। यह सबका अपना व्यक्तिग़त निर्णय कि वह किसी के विचारों से सहमत होता है या उसका विरोध करता है।यदि कोई आपके विचारों से असहमत होकर, आपके मत को अस्वीकार करता है तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
प्रश्न : ” विरुद्धवाद बुद्ध का दया प्रवाह में बहा ” वर्तमान समय में क्या यह भाव सार्थक हो सकता है? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर सस्पष्ट कीजिए। क्या आप इस बात से सहमत हैं अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर 2 (ख) –” विरुद्धवाद बुद्ध का दया प्रवाह में बहा ” अर्थात् बुद्ध ने कब मानवता की भलाई हेतु कार्य किए और लोगों के साथ दयालुतापूर्ण व्यवहार किया तो जो उनका विरोध कर रहे थे वह सब भी उनके अनुयायी हो गए।
वर्तमान में यह भाव पूर्णतः सार्थक हो सकता है और हम इस बात से पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि वर्तमान समय में भी इस तरह का विरोध दया प्रवाह में बह सकता है।वास्तव में दयालु वही है जो दूसरों की भलाई में लगा रहता है और दूसरों की भलाई के लिए जीने -मारने वाले ही सच्चे मनुष्य होते हैं।
प्रश्न : (5) कवि मैथिलीशरण गुप्त ने संपूर्ण सृष्टि में अखण्ड आत्मभाव भरने की बात की है। अखण्ड आत्मभाव का क्या तात्पर्य है यह भाव कैसे मनुष्य में रहता है ?मनुष्यता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न : (6) हमें सभी के साथ उदारतापूर्वक रहना चाहिए और आपसी एकता को और भी सुदृढ़ बनाने का प्रयास करना चाहिए। इससे हम परस्पर एक दूसरे को आगे बढ़ाते हुए स्वयं भी उन्नति कर सकेंगे इस सोच के आधार पर वर्तमान समय में मनुष्य कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
(ग) मैथिलीशरण गुप्त ने गर्वरहित जीवन बिताने के लिए क्या तर्क दिए हैं ?
Ans :– मैथिलीशरण गुप्त ने गर्वरहित जीवन बिताने के लिए तर्क देते हुए कहा है कि धन एक तुच्छ वस्तु है, जो आता है और जाता है l अतः उसका गर्व नहीं करना चाहिए l हमें अपने सनाथ होने का भी घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस संसार में ईश्वर के होते हुए कोई भी अनाथ नहीं है l इस प्रकार जो धैर्यशाली हैं, वह दूसरों के काम आते हैं तथा जो अभिमानरहित हैं, वही मनुष्य कहलाने के योग्य है l
कर चलें हम फ़िदा
– कैफ़ी आज़मी
प्रश्न : (1) एक देशभक्त और वीर व्यक्ति के मन में देश के लिए क्या इच्छाएँ होती है? इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह क्या- क्या करने के लिए तत्पर रहता है? ‘कर चलें हम फ़िदा’ कविता और ‘कारतूस’ एकांकी के आधार पर उत्तर दीजिए।
प्रश्न : (2) कैप्टन विक्रम बत्रा जब पहली जून 1999 को कारगिल युद्ध के लिए गए तो उनके कंधों पर राष्ट्रीय श्रीनगर-लेह मार्ग के बिलकुल ठीक ऊपर महत्वपूर्ण चोटी 5140 को दुश्मन फ़ौज से मुक्त करवाने की ज़िम्मेदारी थी। युद्ध के दौरान घायल लेफ्टिनेंट नवीन को बचाते हुए जब एक गोली विक्रम बत्रा के सीने में लगी तो भारत माँ के इस लाल ने भारत माता की जय कहते हुए अंतिम साँस ली, इससे आहत सभी सैनिक गोलियों की परवाह किए बिना दुश्मन पर टूट पड़े और चोटी को आखिरकार फतह किया।
उपर्युक्त घटना और ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता से हमें यह पता चलता है कि एक देशभक्त सैनिक बलिदान के पलों को जश्न की तरह मनाता है, शहीद होना उसके लिए जश्न होती है l सैनिकों द्वारा बलिदान के पलों को जश्न की तरह मनाने के पीछे कौन-सी भावना व गुण कार्य करते हैं, विचार करके बताइए l
Ans :– उपर्युक्त घटना और ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता से हमें यह पता चलता है कि एक देशभक्त सैनिक बलिदान के पलों को जश्न की तरह मनाता है l एक सच्चा सैनिक देश के लिए अपने जीवन का बलिदान करने को अपना परम धर्म तथा पुनीत कर्तव्य मानता है l
वह कठिन से कठिन परिस्थितियों में रहते हुए भी देश की सुरक्षा में कमियां नहीं आने देते l वह सगाई में भारत माता के शत्रुओं से भारत माता की रक्षा के लिए तत्पर रहता है l वह मानसिक रूप से देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए हमेशा तैयार रहता है l
मरते समय भी उसे न तो मरने का दुख होता है न ही उसके जोश में कमी आती है क्योंकि सैनिक को इस बात का गर्व रहता है कि उसे अपना परम कर्तव्य निर्वाह करने का शुभ अवसर मिला जिसे उसने पूरी ईमानदारी से निभाया और जोश और उत्साह के साथ जश्न की तरह मनाएं तभी जीत का जश्न मनाने का अवसर मिलता है l
प्रश्न : (3) ‘कारतूस ‘एकांकी और ‘कर चले हम फ़िदा ‘ कविता में वज़ीर अली और सैनिकों के कथनों में आपको क्या अंतर और समानता नज़र आती है? अपने शब्दों में उत्तर लिखिए।
उत्तर 1 (ग) – ‘कर चले हम फ़िदा ‘ कविता और ‘कारतूस ‘एकांकी’ में वज़ीर अली और सैनिकों के कथनों में समानता यह है की दोनों में ही वीरता, साहस, देशभक्ति और जाँबाज़ी का भाव प्रदर्शित हो रहा है और अंतर यह है कि कारतूस क़हानी में अकेला वज़ीर अली मुट्ठीभर सिपाहियों के साथ, अंग्रेजों की ताकतवर सेना के मुक़ाबले के लिए तैयार है और ‘कर चले हम फ़िदा ‘ कविता में दुश्मनों का मुक़ाबला करने के लिए देश की पूरी सेना है
पर्वत प्रदेश में पावस
– सुमित्रानंदन पंत
प्रश्न : (1) पर्वत प्रदेश में पावस कविता में सुमित्रानंदन पंत ने पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में क्षण क्षण होने वाले परिवर्तनों और वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत चित्रण किया है।
वर्षाकाल में यहाँ का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है परंतु पहाड़ों पर रहने वाले लोगों के दैनिक जीवन में क्या क्या कठिनाइयाँ उत्पन्न होती होंगी इसके विषय में लिखिए।
प्रश्न : (2) कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा के समय पल पल परिवर्तित होने वाले दृश्यों को जादुई कहा गया है आप अपने यहाँ वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों के बारे में वर्णन करते हुए बताइए कि वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेशों में प्राकृतिक दृश्य जादुई क्यों लगते हैं?
प्रश्न : (3) ‘था इंद्र खेलता इंद्रजाल ‘के माध्यम प्रकृति में हो रहे परिवर्तनों का ज़िम्मेदार किसे और क्यों ठहरा रहे हैं?
उत्तर 1 (ख) – ‘था इंद्र खेलता इंद्रजाल ‘के माध्यम से कवि प्रकृति में हो रहे परिवर्तनों का ज़िम्मेदार भगवान इन्द्र को ठहरा रहे हैं और इसलिए ठहरा रहे हैं क्योंकि भगवान इन्द्र को वर्षा ऋतु का देवता माना जाता हैं। इन्द्र बादलों के याँ में बैठकर इंद्रजाल अर्थात् माया की लीला दिखा रहे हैं।
हरिहर काका
(1) मैं अकेला हूँ……… सब इतने हो ! ठीक है मुझे मार दो… मैं मर जाऊँगा , लेकिन जीते जी एक धूर जमीन भी तुम्हें नहीं दूँगा, तुम सब ठाकुरबाड़ी के महंत पुजारी से तनिक भी कम नहीं।
प्रश्न : हरिहर काका के ऐसा कहने के पीछे कौन सा दर्द था ? क्या आप हरिहर काका की इस बात से सहमत हैं? दिए गए कथन के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए।
(2) ‘ हरिहर काका ‘ पाठ में लेखक ने बताया है कि गाँव की ठाकुरबारी का विकास जिस गति से हुआ , वैसा किसी और क्षेत्र में नहीं हुआ। यदि गाँव में अन्य चीज़ों जैसे स्कूल, अस्पताल, वृद्धाआश्रम आदि का भी विकास हुआ होता तो शायद हरिहर काका को वैसी दुर्गति नहीं झेलनी पड़ती। हरिहर काका की दुर्गति के ज़िम्मेदार सिर्फ महंत और भाई ही नही थे, गांव के लोगों का नज़रिया भी था, इस विषय पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर3(क) – यदि गाँव में अन्य चीज़ों का भी विकास हुआ होता, गाँव में स्कूल, अस्पताल, वृद्धाआश्रम आदि होते तो शायद हरिहर काका को वैसी दुर्गति नहीं झेलनी पड़ती लेकिन हरिहर काका की दुर्गति के ज़िम्मेदार सिर्फ महंत और भाई ही नही थे, गाँव के लोगों का नज़रिया भी था क्योंकि गाँव कि लोग निरक्षर थे, अंधविश्वासी थे।
वे भी यही मानते थे कि हरिहर काका को अपनी ज़मीन अपने भाइयों के नाम कर देनी चाहिए क्योंकि उनके साथ खून का रिश्ता है या ठाकुरबाड़ी के नाम कर देनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी। अगर गाँव के लोग साक्षर होते और नज़रिया सही होता तो हरिहर काका की दुर्गति न होती।
(3) और हरिहर काका! वह तो बिल्कुल मौन हो अपनी जिंदगी के शेष दिन काट रहे हैं। एक नौकर रख लिया है वही उनके लिए बनाता खिलाता है। उनके हिस्से की जमीन में जितनी फसल होती है उससे अगर वह चाहते तो मौज की जिंदगी बिता सकते थे लेकिन वह तो गूंगेपन का शिकार हो गए हैं कोई बात कहो कुछ पूछो कोई जवाब नहीं। खुली आँखों से बराबर आकाश को निहारा करते हैं।
प्रश्न : समाज में रिश्ते अपनी अहमियत खो रहे हैं हरिहर काका की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
(4) बहुत बार ऐसा होता है कि बिना किसी के कुछ बताए गाँव के लोग असली तथ्य से स्वयं वाकिफ हो जाते हैं। इस घटना में हरिहर काका के साथ ऐसा ही हुआ। दरअसल लोगों की जुबान से घटनाओं की जुबान ज्यादा पैनी और असरदार होती है। घटनाएँ स्वयं ही बहुत कुछ कह देती हैं, लोगों के कहने की ज़रूरत नहीं रहती।
ना तो गाँव के लोगों से महंत जी ने ही कुछ कहा और ना ही हरिहर काका के भाइयों ने ही। इसके बावजूद गाँव के लोग सच्चाई से अवगत हो गए थे। फिर तो गाँव की बैठकों में बातों का जो सिलसिला चल निकला ,उसका कहीं कोई अंत नहीं।
प्रश्न : हरिहर काका के साथ ऐसी क्या घटना घटी थी कि अफवाहों का बाजार गर्म हो गया था ? सच्चाई क्या थी ? उपर्युक्त कथन के आलोक में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(5) मनुष्य के जीवन में धर्म का स्थान उसे सदाचार के रास्ते पर चलाने के लिए होना चाहिए परंतु कुछ लोग धर्म का गलत प्रयोग करते हैं महंत जी ने हरिहर काका की ज़मीन हड़पने के लिए धर्म ,मोह और माया का सहारा किस तरह लिया? आपकी दृष्टि में उनका ऐसा करना कितना उचित है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
सपनों के से दिन
(1) परचूनिए, आढ़तिए भी अपने बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी ना समझते। कभी किसी स्कूल अध्यापक से बात होती तो कहते मास्टर जी हमने इसे क्या तहसीलदार लगवाना है। थोड़ा बड़ा हो जाए तो पंडित घनश्याम दास से लंडे पढ़वाकर दुकान पर बहियाँ लिखने लगा लेंगे। पंडित 6- 8 महीने में लंडे और मुनिमी का सभी काम सिखा देगा। वहाँ तो अभी तक अलिफ- बे- जीम -च भी नहीं सीख पाया है।
प्रश्न : लेखक के समय में और वर्तमान शिक्षा के सन्दर्भ में माता-पिता की सोच में आए परिवर्तन को अपने शब्दों में लिखिए।
(2) खेल में अधिक रुचि लेने पर लेखक गुरूदयाल सिंह तथा उसके सहपाठियों को अक्सर माता-पिता की डाँट का सामना करना पड़ता था। क्या आपको भी कभी ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ा है? अपने अनुभव साझा करते हुए बताइए कि पढ़ाई के साथ खेलों का छात्र जीवन में क्या महत्व है?
(3) ‘ सपनों के से दिन ‘ पाठ के लेखक ने विस्तार से बताया है कि वे अपनी गर्मी की छुट्टियाँ किस प्रकार बिताते थे। क्या उनका तरीका सही था? तर्क सहित उत्तर लिखिए। किसी कार्य को सफलता पूर्वक करने हेतु समय प्रबंधन और पूर्व योजना बहुत आवश्यक है टिप्पणी कीजिए।
उत्तर 3 (ख) – लेखक अपनी गर्मी की छुट्टियाँ जिस प्रकार बिताते थे उनका तरीका बिलकुल सही नही था। किसी कार्य को सफलता पूर्वक करने हेतु समय प्रबंधन और पूर्व योजना बनानी अतिआवश्यक हैं। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए संतुलन बनाना बहुत ज़रूरी है, विद्यार्थियों को खेलकूद और पढ़ाई में संतुलन बनाना चाहिए।
समय प्रबंधन और पूर्व योजना के द्वारा ही हम अपने कार्यों की निश्चित समय में पूरा कर सकते हैं। अगर लेखक भी छुट्टियाँ शुरू होने से पहले ही अपने खेलकूद और ग्रीष्मावकाशकार्य की एक संतुलित योजना बना लेते और समय प्रबंधन के अनुसार कार्य करते तो उन्हें मास्टरों की मार न खानी पड़ती।
(4) परंतु कभी-कभी ऐसी सभी स्थितियों के रहते स्कूल अच्छा भी लगने लगता।जब स्काउटिंग का अभ्यास करवाते समय पीटी साहब नीली- पीली झंडियाँ हाथों में पकड़ा कर वन टू थ्री कहते, झंडियाँ ऊपर- नीचे, दाएँ-बाएँ करवाते तो हवा में लहराती और फड़फड़ाती झंडियों के साथ खाकी वर्दी तथा गले में दोरंगे रुमाल लटकाए अभ्यास किया करते।
प्रश्न : उपरोक्त कथन के आलोक में अपने विचार व्यक्त करते हुए बताइए कि स्कूल किस प्रकार की स्थिति में अच्छा लगने लगता है और क्यों ?
Ans:– सभी बच्चों को शिक्षा में एक समान रुचि हो यह आवश्यक नहीं और यही कारण है सभी बच्चे खुशी- खुश विद्यालय जाएँ, यह भी आवश्यक नहीं l जिन बच्चों को खेल-कूद में अधिक दिलचस्पी होती है, जिनके शरीर में अधिक जोश होता है, वे कक्षा की चारदीवारी में बैठना पसंद नहीं करते l
उन्हें हर समय कुछ न कुछ शारीरिक क्रियाएँ करने में रुचि होती है l यदि स्कूल का वातावरण और पाठ्यक्रम ऐसा बनाया जाए कि छात्रों को विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ करने का अवसर मिले, शारीरिक और मानसिक रूप से वह व्यस्त भी रहे और उन क्रियाओं के माध्यम से सीखते भी रहे, तो संभव है ऐसी स्थिति में विद्यालय जाना उन्हें अच्छा लगने लगेगा l
(5) बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती है। आप अब तक के अपने स्कूली जीवन की घटनाओं में से ऐसी किसी एक घटना का उल्लेख कीजिए जो आपके जीवन को नैतिक मूल्यों के प्रति अग्रसर करती है। सपनों के से दिन पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(6) हार्दिक पांड्या जब बहुत छोटे थे तब उनके पिता बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए गाँव छोड़कर वडोदरा आ बसे थे। हार्दिक के परिवार की स्थिति आर्थिक रूप से कमज़ोर थी इसलिए पांड्या का परिवार किराये के मकान में रहता था। बच्चों का खेल कूद में अधिक रुचि लेना अभिभावकों को अरुचिकर लग रहा था। परन्तु पांड्या ने अपने खेल के हुनर से ना सिर्फ अपने माता पिता का बल्कि अपने देश का भी मान बढ़ाया।
प्रश्न : पढ़ाई के साथ खेलों का भी छात्र जीवन में पढ़ाई जितना ही महत्व है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खेलों का महत्व प्रतिपादित करते हुए सपनों के दिन पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
टोपी शुक्ला
(1) ‘‘मेज पर जितने हाथ थे रुक गए। जितनी आँखें थी टोपी के चेहरे पर जम गई। ‘अम्मी’ शब्द इस घर में कैसे आया ।अम्मी ! परंपराओं की दीवार डोलने लगी। ये लफ़्ज़ तुमने कहाँ से सीखा?’’
प्रश्न : टोपी द्वारा अम्मी शब्द के प्रयोग से घरवालों की प्रतिक्रिया उनकी किस मानसिकता की द्योतक हैं ?क्या आप घरवालों की इस प्रतिक्रिया से सहमत हैं?तर्क सहित उत्तर दीजिए।
(2) यह नामों का चक्कर भी अजीब होता है। उर्दू और हिंदी एक ही भाषा हिंदवी के दो नाम हैं परंतु आप खुद देख लीजिए कि नाम बदल जाने से कैसे – कैसे घपले हो रहे हैं। नाम कृष्ण हो तो उसे अवतार कहते हैं और मोहम्मद हो तो उसे पैगंबर कहते हैं।
प्रश्न : उर्दू और हिंदी को हिंदवी के दो नाम क्यों कहा गया है ? दोनों भाषाओं की समानता,विषमता और आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर 3(ग) – उर्दू और हिंदी को हिंदवी के दो नाम इसलिए कहा गया है क्योंकि है। नाम, लिपि और शैली भेद के अलावा दोनों एक ही भाषा हैं।
उर्दू और हिंदी भारत में बोली जाने वाली दो प्रमुख भाषाएँ हैं। दोनों ही भाषाओं की सामान्य शब्दावली भी काफ़ी हद तक समान है।उर्दू और हिन्दी का व्याकरण भी लगभग समान ही है, उनके सर्वनाम और करियापद एक ही हैं।
समानता के साथ साथ दोनों भाषाओं में विषमता भी है, हिंदी में संस्कृत शब्दों की अधिकता है जबकि उर्दू में फ़ारसी और अरबी शब्दों की। हिंदी मुख्यतः देवनागरी लिपि में लिखी जाती है जबकि उर्दू की लिपि फ़ारसी
(3) हम एक दिन एको रहीम कबाबची की दुकान पर कबाबो खाते देखा रहा, मुन्नी बाबू ने टुकड़ा लगाया कबाब। राम राम राम ,रामदुलारी घिन्न के दो कदम पीछे हट गईं। टोपी मुन्नी की तरफ़ देखने लगा क्योंकि असलियत यह थी कि टोपी ने मुन्नी बाबू को कबाब खाते देख लिया था और मुन्नी बाबू ने उसे एक इकन्नी रिश्वत की दी थी।टोपी को यह मालूम था परंतु वह चुगलखोर नहीं था ।
प्रश्न : उपर्युक्त पंक्तियों से टोपी के प्रति मुन्नी बाबू के व्यवहार के बारे में आप क्या समझते हैं ? अगर आप के विरुद्ध कोई झूठी शिकायत करे,तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी ?
(4) रोहन के माता पिता डॉक्टर है, शहर में उनका बहुत नाम है और रोहन को इस बात पर बहुत घमंड है। वह किसी से दोस्ती नहीं करना चाहता।
प्रश्न : कुछ बच्चों को अपने माता पिता के पद और हैसियत का कुछ ज्यादा ही घमंड हो जाता है। इसका मानवीय संबंधों पर क्या असर पड़ता है? इसे रोकने के लिए आप क्या सुझाव देना चाहेंगे? टोपी शुक्ला पाठ के आलोक में लिखिए।
(5) टोपी ने 10 अक्टूबर सन् 45 को कसम खाई कि अब वह किसी ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसका बाप ऐसी नौकरी करता हो जिसमें बदली होती रहती है।
प्रश्न : इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की दोस्ती आज के समाज के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्या आप इस कथन से सहमत हैं? तर्क सहित अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
(ग) “हम एक दिन एको रहीम कबाबची की दुकान पर क कबाबो खाते देखा रहा l” मुन्नी बाबू ने टुकड़ा लगाया l
कबाब !
“ राम राम राम !” रामदुलारी घिन्न के दो कदम पीछे हट गईं l टोपी मुन्नी की तरफ़ देखने लगा l क्योंकि असलियत यह थी कि टोपी ने मुन्नी बाबू को कबाब खाते देख लिया था और मुन्नी बाबू ने उसे एक इकन्नी रिश्वत की दी थी l टोपी को यह मालूम था परंतु वह चुगलखोर नहीं था l
उपरोक्त पंक्तियों से टोपी के प्रति मुन्नी बाबू का व्यवहार के बारे में आप क्या समझते हैं ? अगर आप के विरुद्ध कोई झूठी शिकायत करने से आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी ?
Ans:– टोपी के प्रति मुन्नी बाबू का व्यवहार अच्छा नहीं रहा l मुन्नी बाबू टोपी का बड़ा भाई था l वहां जब-जब टोपी की झूठी शिकायत करता था, जिसे सुनकर दादी से टोपी को दांत और मार खानी पड़ती थी l उसने झूठ कहा के उसने टोपी को कबाब खाते हुए देखा है, जबकि सच्चाई यह थी कि टोपी ने मुन्नी बाबू को कबाब खाते हुए देखा था, किंतु उसने शिकायत नहीं की थी क्योंकि उसे चुगली करना पसंद नहीं था l
जब मुन्नी बाबू का उतरा हुआ टोपी को पहनाने को दिया तो उसे बुरा लगा l इस पर भी मुन्नी बाबू ने उसे भला-बुरा सुनाया l तब भी दादी ने मुन्नी बाबू को समझाने की बजाय टोपी की ही पिटाई करी l
अगर मेरे विरुद्ध कोई झूठी शिकायत करते तो मैं उसे सहन नहीं करता l जैसे गलत करना अनुचित है वैसे ही गलती को सहना भी उचित नहीं है l मैं शिकायत करने वाले के विरुद्ध सबूत इकट्ठा करता और एक दिन घर वालों के सामने उसकी सारी गलतियों को बता देता ।
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good evening i read all the articles provided by you we know that have do a very great work for us so, THANKYOU mam . but there is problem with this article “term2 board ki pariska mey aney wale kuch questions ” need answers for these questions because they are some difficult questions. aasha karta hu app esse jarur padhengey or jald hi samadhan nikalenge.
THANKYOU…….
शुक्रिया
ये सभी प्रश्न विद्यार्थियों के अभ्यास के लिए है और कुछ कठिन प्रश्नों के उत्तर आपको प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 1 व 2 के समाधान पत्र में मिल जाएँगे और बाक़ी के प्रश्नों का समाधान भी जल्दी अपलोड करने का प्रयास किया जाएगा।