Vyakhya , Pathit Kavyansh ,Khushbu Rachte Hain Hath,Class 9 Hindi Course B
1 min readPPT- व्याख्या – ख़ुशबू रचते हैं हाथ
You May Like – विडीओ एम सी क्यू – ख़ुशबू रचते हैं हाथ
नई गलियों के बीच
कई नालों के पार
कूड़े करकट
के ढ़ेरों के बाद
बदबू से फटते जाते इस
टोले के अंदर
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ!
शब्दार्थ –
नालों – घरों और सड़कों के किनारे गंदे पानी के बहाव के लिए बनाया गया रास्ता
कूड़ा-करकट – रद्दी, कचरा
टोले – छोटी बस्ती
व्याख्या – कवि के अनुसार सुगंधित वस्तुओं का निर्माण करने वालों का जीवनयापन निम्न स्तर का है। अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है, कवि कहता है कि जो व्यक्ति समाज को सुंदर बनाने का कार्य करते हैं, वे सदा उपेक्षित जीवन जीते हैं।
इस कविता में कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों के बारे में बताया है जो खुशबू से कोसों दूर हैं । ऐसा कवि ने इसलिए कहा है क्योंकि खुशबू रचने वाले लोग अर्थात अगरबत्ती बनाने वाले गरीब तबके के लोग होते हैं ऐसे लोग अत्यंत कठोर परिस्थितियों में गंदी बस्तियों में तंग गलियों में, कूड़े करकट के ढेरों के बीच, बदबूदार नालों के किनारे रहते हैं। वे अस्वच्छ और दुर्गंधमय वातावरण में जीवन बिताते हैं। खुशबू रचने वाले लोग सामाजिक और आर्थिक विषमताओं के शिकार होते हैं।
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनोंवाले हाथ
पीपल के पत्ते से नए नए हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे पिटे हाथ
जख्म से फटे हुए हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ!
शब्दार्थ –
शख्म – घाव, चोट
व्याख्या – लोगों के जीवन में ख़ुशबू बिखेरने वाले हाथ भयावह स्थितियों में जीवन बिता रहे हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अनेक तरह के हाथों की चर्चा की है। कवि कहता है कि परिवार के हर उम्र के, सभी सदस्य, अगरबत्ती बनाने के काम लगे होते हैं। ख़ुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाने वाले कारीगरों के हाथ तरह-तरह के होते हैं।
उभरी नसों वाले हाथ अर्थात् वृद्ध के हाथ, घिसे नाखूनों वाले हाथ अर्थात् श्रमिक वर्ग के हाथ, जूही की डाल जैसे खुशबूदार हाथ अर्थात नवयुवतियों के सुंदर हाथ, पीपल के पत्तों जैसे नए-नए हाथ अर्थात छोटे बच्चों के हाथ, कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और चोट के कारण फटे हुए भी होते हैं। खुशबू बनाने वाले ये सभी, लोग दूसरों के लिए खुद न जाने कितनी और कैसी तकलीफों का सामना करते हैं।
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते हैं केवड़ा गुलाब खस और रातरानी अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
शब्दार्थ –
मुल्क – देश
केवड़ा – एक छोटा वृक्ष जिसके फूल अपनी सुगंध के लिए प्रसिद्ध हैं
खस – पोस्ता
रातरानी – एक सुगंधित फूल
मशहूर – प्रसिद्ध
व्याख्या – कवि कहता है कि इसी गंदे मोहल्ले में ही देश की प्रस्तुति अगरबत्तियां बनती है इन गंदे मोहल्लों में रहने वाले गंदे कहलाने वाले लोग सुगंधित केवड़ा, गुलाब, खस और रात रानी की सुगंध से भरपूर अगरबत्ती बनाते हैं।
यद्यपि ये लोग स्वयं दुनिया भर की गंदगी के बीच रहते हैं तथापि अपने परिश्रम से ,अपने हाथों से दुनिया को महकाने वाली ख़ुशबूदार अगरबत्तियाँ बनते हैं फिर भी ये समाज की उपेक्षा का शिकार होते हैं। यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है।
नई गलियों के बीच
कई नालों के पार
कूड़े करकट
के ढ़ेरों के बाद
बदबू से फटते जाते इस
टोले के अंदर
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ!
प्रश्न 1 – कवि का ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ से क्या अभिप्राय है?
(क) अगरबत्ती बनाने वाले हाथ
(ख) गुलदस्ता बनाने वाले हाथ
(ग) इत्र बनाने वाले हाथ
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2 – कविता के रचयिता हैं –
(क) हरिवंशराय बच्चन
(ख) अरुण कमल
(ग) रामधारिसिंह दिनकर
(घ) सियाराम शरण गुप्त
प्रश्न 3 – अगरबत्तियाँ बनाने वाले लोग कहाँ रहते हैं?
(क) बदबूदार कूड़े के ढेर के समीप
(ख) गलियों के बीच
(ग) नालों के पार
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – अगरबत्ती का कारखाना अक्सर कहाँ होता है?
(क) किसी तंग गली में
(ख) घरों और सड़कों के किनारे गंदे पानी के बहाव के लिए बनाए गए रास्ते के पार
(ग) बदबूदार कूड़े के ढेर के समीप
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – खुशबू का पर्यायवाची शब्द है –
(क) सौग़ात
(ख) सोंधी महक
(ग) सुगंध
(घ) दुर्गंध
समाधान
उत्तर 1-(क) अगरबत्ती बनाने वाले हाथ
उत्तर 2-(ख) अरुण कमल
उत्तर 3-(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर 4-(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर 5-(ग) सुगंध
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उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनोंवाले हाथ
पीपल के पत्ते से नए नए हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे पिटे हाथ
जख्म से फटे हुए हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ!
प्रश्न 1 – अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ कैसे होते हैं?
(क) हाथों में उभरी हुई नसें
(ख) हाथों के नाखून घिसे हुए
(ग) कोमल और खुशबूदार
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – पीपल के पत्तों से, किन हाथों की तुलना की गयी है ?
(क) नवयुवतियों के हाथों की
(ख) बच्चों के हाथों की
(ग) बूढ़ी स्त्रियों के हाथों की
(घ) बड़े -बूढ़ों के हाथों की
प्रश्न 3 – नवयुवतियों के मेहनतकश हाथ कैसे होते हैं ?
(क) सुंदर व कोमल
(ख) जूही के डाल से ख़ुशबूदार
(ग) गहनों से सजे हुए
(घ) मेहंदी से रचे हुए
प्रश्न 4 – मेहनत करने वाले हाथ कैसे होते हैं ?
(क) मज़बूत
(ख) मटमैले
(ग) कटे -पिटे व ज़ख्मों से फटे
(घ) विभिन्न आकार वाले
प्रश्न 5 – कविता में कितनी तरह के हाथों की चर्चा गई है ?
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) आठ
(घ) चार
समाधान
उत्तर 1-(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर 2-(ख) बच्चों के हाथों की
उत्तर 3-(ख) जूही के डाल से ख़ुशबूदार
उत्तर 4-(ग) कटे -पिटे व ज़ख्मों से फटे
उत्तर 5-(ख) छह
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते हैं केवड़ा गुलाब खस और रातरानी अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
प्रश्न 1 – गंदे मुहल्ले के गंदे लोग (गरीब लोग) किसकी खुशबू वाली अगरबत्तियाँ बनाते हैं?
(क) केवड़ा
(ख) गुलाब
(ग) रातरानी
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – दुनिया की सारी गंदगी के बीच, कौन क्या रचते हैं?
(क) गरीब मज़दूर – अगरबत्तियाँ
(ख) निर्धन लोग – अगरबत्तियाँ
(ग) गंदे वातावरण में रहने वाले लोग – अगरबत्तियाँ
(घ) बेबस लोग – अगरबत्तियाँ
प्रश्न 3 – कवि के अनुसार तंग गलियों में कितनी अगरबत्तियाँ बनती है?
(क) हजारों
(ख) लाखों
(ग) पूरे मुल्क की
(घ) इनमें से कुछ नहीं
प्रश्न 4 – ‘खुशबू तथा मशहूर’ के विपरीतार्थक शब्द हैं –
(क) सुगंध, प्रसिद्ध
(ख) दुर्गंध, गुमनाम
(ग) दुर्गंध, नामी व्यक्ति
(घ) बदबू, अज्ञात
प्रश्न 5 – दुनिया की सारी गंदगी के बीच लोग क्या रचते हैं?
(क) मेहंदी रचते हैं
(ख) इत्र रचते हैं
(ग) खुशबू रचते हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं
समाधान
उत्तर 1-(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर 2-(ग) गंदे वातावरण में रहने वाले लोग – अगरबत्तियाँ
उत्तर 3-(ग) पूरे मुल्क की
उत्तर 4-(ख) दुर्गंध, गुमनाम
उत्तर 5-(ग) खुशबू रचते हैं
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